उत्तराखंड में फिर त्रासदी- फिर केवल सेना पर भरोसा; राज्‍य का तंत्र नाकाम

Photo 01उत्तराखंड में आई त्रासदी के बाद सेना के जवान एकबार फिर आपदा में फंसे लोगों के लिए देवदूत बनकर सामने आए हैं. अपनी जान पर खेलकर सेना और आईटीबीपी के जवान लोगों को मलबों से बाहर निकाल रहे हैं.  जिन्‍दा रहने के लिए भोजन पानी उपलब्‍ध करा रहे हैं वही मलबे के नीचे से हताहतो को निकाल रहे हैं-  उत्तराखंड में फिर त्रासदी- फिर केवल सेना पर भरोसा; राज्‍य का तंत्र नाकाम – यह सब सोशल मीडिया से सामने आ रहा है- इससे सोशल मीडिया में जनता का गुस्‍सा सरकारी तंत्र पर निकल रहा है-  जनचर्चा के अनुसार- यह केदारनाथ की आपदा विजय बहुगुणा को ले डूबी थी, इस बार की आपदा हरीश रावत पर भारी न पड जाये,

हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल की एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट- (www.himalayauk.org) Leading Digital Newsportal & Print Media Bureau Report

उत्तराखंड के कई इलाको में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर है. रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ समेत कई इलाकों में बारिश के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है. सड़क संपर्क टूट जाने के कारण राहत एवं बचाव के काम में भी बाधा आ रही है. मौसम विभाग का कहना है कि अगले 36 घंटे देवभूमि पर भारी हैं। अगले रविवार और सोमवार को भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। अगले 24 घंटे में अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, ऊधमसिंह नगर, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और हरिद्वार में सामान्य से लेकर भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। बादल फटने के कारण सिर्फ दो घंटे में 100 मिलीमीटर से ज्यादा की बारिश हो गई थी, जिसके कारण कई इलाकों में फ़्लैश फ़्लड आए हैं। शारदा नदी का जलस्तर बढ़ गया है। इसकी वजह से बनबसा बैराज से 2.74 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो 24 घंटे बाद पीलीभीत, खीरी में पहुंचेगा। प्रशासन ने शारदा नदी के तटवर्ती गावों सतर्क कर दिया है।
बसंत जोशी फेसबुक में लिखते हैं कि बस्तडी गांव मे बादल फटने के ४८ घण्टे के बाद भी लापता लोगों का कोई पता नही । आर्मी ओर एन डी आर एफ , ने सम्भाला हे मोर्चा, हालाकि देवीय आपदा के सामने सब निर्बल है परन्तु अतिआवश्यकीय व्यवस्था जुटा पाने मे भी जिला प्रशासन फेल साबित हुआ हैं,आपदा मे मारे गये ८ लोगो के अन्तिम संस्कार को लकडीया तक उपलब्ध नही करा पाये,
IMG-20160702-WA0007राज्य में भारी बारिश के चलते अब तक 37 लोगों की मौत की खबर है। उत्तराखंड के नंदप्रयाग में बादल फटने से बड़ी तबाही हुई है। जिसकी वजह से बद्रीनाथ जाने वाले सभी रास्ते बंद हो गए हैं पिथौरागढ़ और चमोली में चल रहे राहत और बचाव कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस बीच चारधाम यात्रियों की भी मुसीबतें भी बढ़ गई हैं। उत्तरकाशी के लाटा में हुई भारी बारिश से गंगोत्री हाइवे बह गया है। जिससे सैकड़ों यात्री फंसे हुए हैं। ऋषिकेश में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जबकि राज्य में अलकनंदा नदी भी उफान पर है। देहरादून की नून नदी सौंग नदीं में भी का जल स्तर अचानक बढ़ गया। देहरादून के कालसी तहसील के नागठाट गांव में बादल फटा है। बताया जा रहा है कि इससे गांव को काफी नुकसान पहुंचा है। देहरादून के चकराता में भी काफी तबाही हुई है। यहां के मेसासा गांव में बादल फटने से 5 घर जमींदोज हुए हैं। वहीं बताया जा रहा है कि डर से सहमे लोगों ने गांव को खाली कर दिया है।

उत्तराखंड में आई त्रासदी के बाद सेना के जवान एकबार फिर आपदा में फंसे लोगों के लिए देवदूत बनकर सामने आए हैं. अपनी जान पर खेलकर सेना और आईटीबीपी के जवान लोगों को मलबों से बाहर निकाल रहे हैं. गौरतलब है कि उत्तराखंड में बादल फटने से कई लोगों की मौत हो गई है. इसके अलावा कई लोगों के गायब होने की सूचना है. बारिश की वदह से उतपन्न आपदा से लोगों को बचाने के लिए सेना, एनडीआरएफ औऱ आईटीबीपी के जवान लगातार कोशिश कर रहे हैं.
पिथौरागढ़ में सेना की दो टुकड़ियों को तैनात किया गया। यहां सेना ने तबाही के बीच एक टूटे घर से एक बूढ़ी महिला को बचाया है।
उत्तराखंड में बादल फटने की घटना के बाद मलबे में दबे 14 शवों को बाहर निकाला गया है. पुलिस ने शनिवार को कहा कि पिथौरागढ़ और चमोली जिलों के छह गांवों में शुक्रवार को बादल फटने से 39 लोगों की मौत हो गई.इस घटना से अधिकतम क्षति बासतेड़ गांव में हुई है. वहींभारी बारिश के चलते मंदाकनी नदी व अलकनंदा खतरे के निशान से चार मीटर निचे बह रही है. रुद्रप्रयाग जिले की क्यूंजा घाटी में भी कही पेयजल योजनाएं व संपर्क मार्ग क्षति ग्रस्त हो गए हैं. उत्तराखंड में बादल फटने की घटना के बाद मलबे में दबे 14 शवों को बाहर निकाला गया है. पुलिस ने शनिवार को कहा कि पिथौरागढ़ और चमोली जिलों के छह गांवों में शुक्रवार को बादल फटने से 39 लोगों की मौत हो गई.इस घटना से अधिकतम क्षति बासतेड़ गांव में हुई है, जहां 30 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है.
मनोज इस्‍टवाल लिखते हैं
नेताजी तुम्हारी जय हो, केंद्र के दो मौसम की जानकारी देने वाले डॉप्लर रडार के लिए जमीन दी होती तो आज ये नौबत न आती. अल्मोड़ा में डॉप्लर रडार लगाने के लिए केंद्र से अवमुक्त हुई धनराशी भी वापस गयी क्योंकि प्रदेश सरकार के नेता उसके लिए जमीन नहीं जुटा पाए जबकि एक व्यवसायी के स्कूल को संचालित करने के लिए यही बड़ा आन्दोलन झेल गए. क्योंकि यहाँ कमिशन का खेल था और डॉप्लर रडार के पैंसे पर केंद्र की निगरानी.
ऐसे में भला कौन हरामखोर अफसर या नेता ईमानदार बनता. प्रदेश की जनता ऐसी आपदा भुगते तो भुगते. इनका जमीर तो है ही नहीं जो संवेदना देते हैं.
निर्मलकांत विद्रोही लिखते हैं
मेरे प्यारे-प्यारे उत्तराखण्डी मित्रों..
उत्तराखण्ड पर फिर आपदा और मुसीबतों के बादल आए हैं, कई जिलों में व्यापक जन-धन हानि हुई है। फेसबुक पर उत्तराखण्ड में बारिश का आनन्द लेकर फोटो डालना बंद करो, ये मुसीबत और कठिन समय के बीच में फंसे लोगों की संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ जैसा है। जो नजदीकी इलाकों में हैं, समय निकालकर हाथ बढ़ाएं। उत्तराखण्ड या केंद्र सरकार के भरोसे बिलकुल न रहें। सरकारों के आदमी इसमें भी राजनैतिक लाभ के अलावा कुछ नहीं देखता। 16 जून को आपदा के बाद 17 जून को हमारे तत्कालीन प्रवासी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी “आज तक” पर सीधी बात करने पहुंचे थे। यहाँ तक केदारनाथ आपदा में मृतकों का आकलन भी सरकार मात्र दस हजार बताती है! प्रदेश में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की घुसपैठ न होने दें , क्योंकि आधे से ज्यादा वहां मदद करने के बजाए कमियां निकालते हैं, वहां के स्थानीय लोगों को बदनाम करते हैं, पब्लिसिटी स्टंट अपनाते हैं। जो आए उसे नजदीक से चीन का शॉर्टकट रास्ता दिखाएं।
ये आपदा इस पहाड़ी राज्य पर पहली बार नहीं आयी है, विगत कुछ सालों से आपदा की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। बड़ी बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं ने उत्तराखंड की प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया है। इस हरित प्रदेश पर काले काले छेद कर लिए हैं। पूरा इकोलॉजिकल और एनवायर्नमेंटल बैलेंस को बिगाड़ दिया है। इसके जिम्मेदार पहाड़ों में घुसपैठ करने वाले व्यापारी और इनके तलवे चाटने वाले उत्तराखण्डी हैं। मेरे प्यारे पहाड़वासियों, आम मेहनतकश मजलूम हाथ में हाथ मिलाकर एक दूसरे की मदद में जुटें।
D.P. Mamgain कांग्रेस के नेता तो राछस है जिनके कार्यकाल में हमेशा बिनाश लीला होती है
(www.himalayauk.org)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *