राज्य का बजट बहुमत से पारित ; भाजपा का हर वार खाली गया
सियासी संकट के बाद से ही उत्तराखंड विधानसभा का बजट केंद्र में फंसा है – आम जनता आज तक नही समझ पायी- राज्य का बजट भाजपा किसी भी हालत में क्यों नही पास होने देना चाहती-
कांग्रेस ने कहा- भाजपा ने उत्तराखण्ड की जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का काम किया
भाजपा विधायकों ने राज्यपाल से मिलकर सदन की कार्यवाही को नियमानुसार न चलाने के लिए अपना विरोध जताया- www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal) cs joshi=
सुप्रीम अदालत ने उत्तराखण्ड के बागी विधायकों को सिर्फ इस मंसा पर राहत देने से इंकार कर दिया था कि वह सरकार गिराना चाहते हैं, अदालत ने कहा था, ‘हम यह कहने को तैयार हैं कि अगर याचिकाकर्ताओं (बागी विधायकों) द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए पेश किये गए प्रस्ताव पर उत्तराखंड विधानसभा किसी भी समय विचार करती है तो वह एसएलपी के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा और क्षेत्राधिकार के मुद्दे समेत याचिका में उठाए गए सारे मुद्दे विचार के लिए खुले हुए हैं।’
अदालत ने जब बागियों/भाजपा को राहत नही दी तो उसके बाद भाजपा ने उत्तराखण्ड विधानसभा मे सदन को बुरी तरह बाधित कर दिया, अंत में बर्ह्रिगमन किया, उसके बाद बजट पास हुआ, तो भाजपा राज्यपाल के पास शिकायत करने पहुंच गयीा
उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र शुरू होते ही सदन में विपक्ष ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया. विपक्ष ने स्पीकर को हटाने के लिए पूर्व में दिए गए अविश्वास प्रस्ताव का मुद्दा उठाया. इसके बाद हंगामे को देखते हुए स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ दी. इसके बाद विकासनगर से कांग्रेस विधायक नवप्रभात को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. इसके बाद विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से गिर गया और कुंजवाल फिर से स्पीकर की भूमिका में आ गए. भोजनावकाश के बाद सदन में विपक्ष की गैरमौजूदगी में बजट पारित हो गया. जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई विपक्षी भाजपा ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया. विपक्ष ने कहा कि कार्यवाही वहीं से शुरू होगी जहां पिछले सत्र में छोड़ी गई थी. 18 मार्च को स्थगित हुए सत्र में जब विपक्ष ने स्पीकर को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव दिया था तो उस वक्त सदन स्थगित हो चुका था. आज जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो पूर्व में दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए स्पीकर स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने अविश्वास प्रस्ताव को पढ़ा और स्पीकर की कुर्सी से हट गए. इसके बाद नवप्रभात को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. अब विपक्ष का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव स्पीकर कुंजवाल को नहीं बल्कि प्रोटेम स्पीकर को पढ़ना चाहिए था.
उधर सत्तापक्ष ने विपक्ष की गैरमौजूदगी में राज्य का बजट बहुमत से पारित कर लिया तो दूसरी तरफ भाजपा विधायकों ने राज्यपाल से मिलकर सदन की कार्यवाही को नियमानुसार न चलाने के लिए अपना विरोध जताया-
ज्ञात हो कि उच्चतम न्यायालय ने अयोग्य ठहराए गए उत्तराखंड के नौ विधायकों को अंतरिम राहत देने से मना कर दिया था। इन विधायकों ने अपनी अयोग्यता पर रोक लगाने की मांग की है और विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति मांगी है। विधानसभा का सत्र 21 जुलाई से देहरादून में शुरू हो रहा है।
उत्तराखंड बनने के बाद मौजूदा समय में तीसरी विधानसभा अपने कार्यकाल के आखिरी पड़ाव पर है. लेकिन लगातार तीनों विधानसभा चुनावों में जीत का हैट्रिक बनाने के बावजूद चार बागी पहली बार सदन से दूर रहने को मजबूर हो गये. मौजूदा विधानसभा में रुद्रप्रयाग से चुनाव जीतकर सदन पहुंचे पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इससे पहले लगातार दो बार लैंसडाउन से जीते. 21 जुलाई से पहले शायद ही कभी ऐसा समय रहा हो जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो और हरक ग़ैर-हाज़िर रहे हों.
यही हाल सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत का है. अमृता रावत दो बार बीरोखाल और मौजूदा विधानसभा में रामनगर से जीत की हैट्रिक बनाती हैं लेकिन इस विधानसभा के आखिरी फ़्रेम से नदारद हैं.
जसपुर से 2002 से चुनावी लड़ाई जीतते आ रहे शैलेंद्र मोहन सिंह 2012 में मौजूदा विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर बने थे लेकिन विनियोग विधेयक को लेकर बुलाये स्पेशल सेशन में हिस्सा नहीं ले पाये. कुंवर प्रणव सिंह भी चैंपियन होकर भी चित रह गये .
बजट की लड़ाई में राज्य सरकार को दोबारा विधानसभा की चौखट पर लौटना पड़ा लेकिन इस स्पेशल सेशन में 12 बागियों की कुर्सियां खाली रह गयी. कांग्रेस के बागियों में चार ऐसे चेहरे रहे जो पिछले चौदह वर्षों में पहली बार विधानसभा सदन में चल रही कार्यवाही से वंचित रह गये.
आज से शुरू हो रहा उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र विनियोग विधेयक पास कराने के लिए बुलाया गया है. क्योंकि सियासी संकट के बाद से ही उत्तराखंड विधानसभा का बजट केंद्र में फंसा है. राज्य सरकार को तीन महीने के खर्च के लिए केंद्र की तरफ से करीब 13 हजार करोड़ा का आंशिक बजट दिया गया था. विनियोग विधेयक के आलावा कुल 10 विधेयक सदन में रखे जाएंगे. एक नजर में इस सत्र में रखे जाने वाले 10 विधेयक.
#उत्तराखंड आवासीय विश्वविद्यालय विधेयक भी आएगा
#हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय विधेयक
#रास बिहारी सुभारती बोस विश्वविद्यालय बिल
#बेनामी लेनदेन प्रतिषेध विधेयक
#नगर निगम अधिनियम संशोधन बिल
#मूल्यवर्धित का द्वितीय संशोधन विधेयक
#आमोद और पणकर संशोधन विधेयक
#पर्वतीय जोत चकबंदी विधेयक
#मलिन बस्ती नियमितीकरण बिल
अब देखना होगा कि सदन में सरकार की तरफ से रखे जाने वाले इन विधेयकों पर विपक्ष का क्या रवैया रहने वाला है. विपक्ष के तेवर देखते हुए ऐसा लगता है कि विधानसभा का विशेष सत्र पूरी तरह से हंगामेदार रहने वाला है. विपक्ष स्पीकर के खिलाफ पूर्व में दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करने की बात कह रहा है.
############उत्तराखण्ड की जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का काम किया #######
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने विधानसभा में विशेष सत्र के दौरान भाजपा के गैर जिम्मेदाराना रवैये की कड़ी आलोचना की है। उन्होने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने सदन में एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करने की बजाय अलोकतांत्रिक एवं अमर्यादित रवैया अपना कर संसदीय लोकतंत्र को शर्मशार करने का काम किया है। उत्तराखण्ड के संसदीय इतिहास में यह पहली घटना है जब एक निर्वाचित सदस्य ने माईक तोड़कर संसदीय पीठ पर प्रहार करने का प्रयास किया इसकी कड़े शब्दों में निन्दा की जानी चाहिए।
श्री किशोर उपाध्याय ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तराखण्ड में धन बल एवं बाहुबल का प्रयोग कर लोकतंत्र की हत्या करने तथा देवभूमि की गरिमा को कलंकित और कलुुषित करने का काम लगातार किया जा रहा है। विगत 18 मार्च से लेकर अब तक केन्द्र सरकार के इशारे पर भारतीय जनता पार्टी के लोग उत्तराखण्ड के खिलाफ रचित कूटनीतिक षडयन्त्र को लगातार बढावा दे रहे हैं।
प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी विशेष सत्र में राज्य के सरोकारों एवं जनता से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा एवं विचार-विमर्श करती तो उचित होता इससे राज्य के विकास के लिए सदन में चर्चा के माध्यम से एक नई सोच उभर कर सामने आती। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखण्ड के सामने अनेक ज्वलंत मुद्दे हैं जिन के ऊपर सदन में चर्चा की जानी नितांत आवश्यक है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी अपने नेता नरेन्द्र मोदी के इशारे पर लोकतांत्रिक मर्यादा को पीठ दिखाकर अपनी जिम्मेदारियों से भागना चाहती है तथा सदन में स्वस्थ बहस करने की बजाय, तोड़-फोड़ हंगामा और अमर्यादित व्यवहार कर सदन के महत्वपूर्ण समय को बर्बाद करना चाहती है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों के प्रति कभी भी गम्भीर नहीं रही है, उसने हमेंशा उत्तराखण्ड की जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है।