कोरोना के चरम पर हुए पंचायत चुनाव में यूपी में किस दल की दुर्गति?
5 May 2021: Himalayauk Bureau: High Ligt# कोरोना के चरम पर हुए पंचायत चुनाव में यूपी में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की दुर्गति # बीजेपी को तगड़ा नुक़सान उठाना पड़ा # निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना लोहा मनवाया # किसान आंदोलन की आँच में पार्टी पश्चिमी यूपी में भी बुरी तरह झुलसी # बीजेपी के कई दिग्गज इन चुनावों में खेत रहे # निर्दलीय प्रत्याशियों ने सबसे ज़्यादा 1071 सीटों पर जीत हासिल की # बीजेपी की चुनावी रणनीति के केंद्र में रहे अयोध्या, मथुरा और वाराणसी में पार्टी को करारा झटका # उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने ज़िला पंचायत सदस्यों की 80 से ज़्यादा सीटें जीती # पंचायत चुनावों में कड़ी टक्कर देने वाली समाजवादी पार्टी #
यूपी में पंचायत चुनावों में BJP और सपा में जोरदार टक्कर देखने को मिली है. इन पंचायत चुनावों का 2022 के विधानसभा चुनावों में असर पड़ना तय है ,
यह पहला मौका था जब बीजेपी ने इस पंचायत चुनाव को इतनी तैयारी के साथ लड़ा. सरकार के मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई. सांसद-विधायकों की भी ड्यूटी लगाई गई. टिकट बांटने में लखनऊ में घंटों माथापच्ची हुई. खूब मंथन हुआ, लखनऊ पार्टी दफ्तर में तो वार रूम बनाया गया था, लेकिन उन सब का भी नतीजा सिफर ही निकला.
बीजेपी के लिए पश्चिम में किसान आंदोलन ने तो पूरब में कोरोना लहर ने खेल बिगाड़ने का काम किया है। कोरोना लहर के चरम पर होने की दशा में पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर चुनाव हुए वहाँ बीजेपी को तगड़ा नुक़सान उठाना पड़ा है। कुशीनगर ज़िले की 61 ज़िला पंचायत सीट में मात्र 6 सीट बीजेपी के खाते में आई हैं जबकि 9 सीटों पर सपा व 3 पर बीएसपी का कब्जा हुआ और कांग्रेस ने भी तीन सीटें जीती हैं। यहाँ एआईएमआईएम व जन अधिकार पार्टी ने भी एक-एक सीट जीत कर खाता खोला है जबकि 40 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना लोहा मनवाया है।
लखनऊ में बीजेपी को मिली सिर्फ तीन सीटें;;;;;राजधानी लखनऊ की बात करें जहां से बीजेपी के दो सांसद हैं. 8 विधायक हैं 3 मंत्री हैं, तो वहां पर पार्टी को 25 सीटों में से सिर्फ 3 पर ही जीत हासिल हुई. जबकि सपा ने कोई खास तैयारी नहीं की, लेकिन फिर भी वो 10 सीटें जीतने में कामयाब रही. बसपा भी बीजेपी से दो कदम आगे निकली और पांच सीटें कब्जा कर ली. निर्दलीयों ने 7 सीटों पर जीत हासिल की.
कोरोना की दूसरी लहर के चरम पर पहुँचने की दशा में पंचायत चुनाव के आख़िरी दो चरणों के ज़िलों में बीजेपी को सबसे ज़्यादा जनता का ग़ुस्सा झेलना पड़ा है। परंपरागत रूप से बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले राजधानी लखनऊ में भी इसकी करारी हार हुई है। हालाँकि बड़ी तादाद में जीते निर्दलीय ज़िला पंचायत सदस्यों को बीजेपी अपने पाले में बताकर जीत प्रचारित कर रही है पर वास्तविकता तो यह है कि इसने प्रदेश भर के सभी ज़िला पंचायत सदस्यों के पदों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे और सबसे ज़्यादा व्यवस्थित तरीक़े से चुनाव लड़ा था।
यूपी में विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे पंचायत चुनाव के जो नतीजे सामने आए हैं उसमें सत्ताधारी बीजेपी पिछड़ गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार पंचायत चुनाव की जितनी बंपर तैयारी सत्ताधारी बीजेपी ने की थी उतनी किसी भी दल ने नहीं की थी. ज्यादातर जिलों में बीजेपी को समाजवादी पार्टी (सपा) से कड़ी टक्कर मिली है. कई जगहों पर तो सपा के उम्मीदवार बीजेपी के उम्मीदवारों पर भारी पड़े हैं. इस चुनाव ने जहां बीजेपी को मंथन पर मजबूर किया है तो वहीं सपा को विधानसभा चुनाव से पहले उम्मीद की एक किरण दिखाई है. जबकि कांग्रेस इन चुनाव में भी अभी पार्टी के अच्छे दिनों का इंतजार ही कर रही है.
कोरोना के चरम पर हुए पंचायत चुनाव में यूपी में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की दुर्गति हुई है। किसान आंदोलन की आँच में पार्टी पश्चिमी यूपी में भी बुरी तरह झुलसी है। बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में मिली हार है जहाँ उसे समाजवादी पार्टी ने पीछे छोड़ दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों में अयोध्या के राम मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति को बड़ा मुद्दा बनाने का ख्वाब संजो रही बीजेपी को इन दोनों ज़िलों में मुँह की खानी पड़ी है।
वाराणसी में भी बीजेपी पर भारी सपावहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी सपा बीजेपी पर भारी साबित हुई. 40 जिला पंचायत की सीटों में से 15 सीटें सपा ने हासिल की जबकि बीजेपी को केवल 7 सीट पर ही जीत हासिल हुई. वहीं बसपा को 5 और कांग्रेस को भी यहां 5 सीटें मिली हैं.
उत्तर प्रदेश में हुए ज़िला पंचायत सदस्यों के चुनाव के अद्यतन परिणाम देखें तो बीजेपी को अधिकांश सीटों पर हार का मुँह देखना पड़ा है। प्रत्याशियों की सूची से मिलान करने पर पता चलता है कि बीजेपी क़रीब 75 फ़ीसदी सीटें हार गयी है। बीजेपी के कई दिग्गज इन चुनावों में खेत रहे हैं। परिणामों के मुताबिक़ ज़िला पंचायत के 3050 सदस्यों में से 3047 के नतीजे या रुझान सामने आ चुके हैं। इनमें बीजेपी ने 768, सपा ने 759 सीटें जीती हैं तो बसपा को 369 सीटों पर जीत मिली है। कांग्रेस को 80 सीटें मिली हैं जबकि आम आदमी पार्टी भी वाराणसी सहित कई स्थानों पर जीत हासिल कर चुकी है। निर्दलीय प्रत्याशियों ने सबसे ज़्यादा 1071 सीटों पर जीत हासिल की है।
सीएम सिटी गोरखपुर में 68 सीटों में से बीजेपी और सपा को 20-20 सीटें हासिल हुई हैं. वहीं निर्दलीयों ने 25 सीटों पर कब्जा जमाया. यह दर्शाते हैं कि कैसे गांव की सरकार चुनने में लोगों ने सत्ताधारी बीजेपी पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जबकि उसके मुकाबले विपक्षी दलों पर ज्यादा भरोसा जताया है.
बीजेपी की चुनावी रणनीति के केंद्र में रहे अयोध्या, मथुरा और वाराणसी में पार्टी को करारा झटका लगा है। मथुरा ज़िला पंचायत के चुनाव परिणाम में ज़िले में बसपा ने पहला स्थान प्राप्त किया है और बीजेपी और रालोद 9-9 सीट जीतकर बराबर रहे हैं। ज़िले में 3 सीटों पर निर्दलीय एवं एक पर सपा ने परचम लहराया है। मथुरा में प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं मांट क्षेत्र से विधायक श्यामसुंदर शर्मा की धर्मपत्नी एवं पूर्व ज़िला पंचायत अध्यक्ष सुधा शर्मा बसपा से चुनाव जीत गई हैं। वहीं पूर्व विधायक बीजेपी प्रणतपाल सिंह के बेटे चुनाव हार गए हैं।
उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने ज़िला पंचायत सदस्यों की 80 से ज़्यादा सीटें जीती
उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने ज़िला पंचायत सदस्यों की 80 से ज़्यादा सीटें जीती हैं। लंबे अरसे बाद दमखम से उतरी कांग्रेस में मायूसी ज़रूर है पर बीते चुनावों के मुक़ाबले ये क़रीब दोगुनी हैं। इससे पहले 2016 में हुए पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने 42 ज़िला पंचायत सदस्यों की सीटें जीती थीं। कांग्रेस को रायबरेली, प्रतापगढ़ और बहराइच में अच्छी सफलता मिली है। पंचायत चुनावों में कड़ी टक्कर देने वाली समाजवादी पार्टी का कहना है कि जनता द्वारा नकारे जाने के बाद बीजेपी सरकार अब धांधली पर उतारू हो गई है।
राम नगरी में भी खूब दौड़ी साइकिलअयोध्या में जिला पंचायत की 40 सीटों में से 24 पर सपा ने जीत हासिल कर ली जबकि बीजेपी के खाते में महज 6 सीटें ही आई. बसपा को यहां पांच सीटें मिली जबकि 5 सीटें निर्दलीयों के खाते में गई हैं. प्रयागराज में जिला पंचायत की 84 सीटें हैं, जिनमें बीजेपी को 15 पर जीत हासिल हुई है, वहीं सपा को 24 सीटें मिली हैं. निर्दलीयों के खाते में 34 सीट गई हैं और बसपा को 4 सीटें मिली हैं.
दलितों की राजधानी के रूप में मशहूर ताज नगरी आगरा यहां बसपा को अच्छी खासी सीटें मिली हैं. कुल 51 जिला पंचायत की सीटों में से 17 सीटों पर बसपा जीती है. हालांकि बीजेपी को यहां सबसे ज्यादा बढ़त हासिल हुई है पार्टी ने यहां 19 सीटें जीती हैं. वहीं, सपा को यहां महज 5 सीटें मिली हैं. 9 सीटों पर निर्दलीय विजयी हुए हैं. सपा के गढ़ आजमगढ़ की जिला पंचायत की 84 सीटों में से सपा ने 25 सीटें हासिल की है. बसपा ने 14 सीटें हासिल की है जबकि बीजेपी तीसरे नंबर बीजेपी को 10 सीटें ही हासिल हुई है और निर्दलीयों ने 29 सीटों पर कब्जा जमाया है.
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