उत्तराखण्ड में 40 हजार संविदा कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड क्यो; मोर्चा
संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण मामले को लेकर मोर्चा ने किया तहसील घेराव
DEHRADUN 26 APRIL 2018 (Bureau) विकासनगर-जनसंघर्श मोर्चा कार्यकर्ताओं द्वारा मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में प्रदेष सरकार द्वारा मा० उच्च न्यायालय में संविदा कर्मचारियों के सेवा नियमावली मामले में की गयी लचर पैरवी को लेकर तहसील में घेराव कर महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन एस०डी०एम० श्री जितेन्द्र कुमार को सौंपा।
रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड प्रदेष सरकार द्वारा मा० उच्च न्यायालय में संविदा कर्मचारियों के सेवा नियमावली मामले में की गयी लचर पैरवी को लेकर तहसील में घेराव कर महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन – अभी एक सप्ताह पहले मा० उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड ने प्रदेष के ४० हजार संविदा/दैनिक वेतनभोगी व तदर्थ कर्मचारियों को नियमित होने सम्बन्धी सेवा नियमितीकरण नियमावली २०१६ को निरस्त कर सरकार की गलत नीतियों पर प्रहार किया है, लेकिन इन ४० हजार संविदा कर्मचारियों के भविश्य से भी खिलवाड नहीं होना चाहिए – इन कर्मचारियों के भविश्य पर अंधकार छा गया है, जिसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है, सरकार को सोचना चाहिए था कि इनसे अधिकतर युवा पहले अन्य प्रकार से नौकरी कर संविदागत हुए हैं तथा कई ओवरऐज हो चुके हैं, जो आज बर्बादी की कगार पर पहच चुके हैं।
अगर वर्ष 2000-2002 में महाधिवक्ता कार्यालय में मात्र दो-चार महीने के भीतर ही तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के दैनिक वेतनभोगी/तदर्थ कर्मचारियों को नियमित हो सकते हैं तो इन कर्मचारियों को 5 वर्ष के सेवा पूर्ण होने के बाद भी नियमितीकरण का हकदार क्यों नहीं माना जा रहा है। नेगी ने कहा कि प्राथमिकता के आधार पर उक्त पदों के सापेक्ष योग्य संविदा कर्मियों को जो कि शैक्षणिक व विभागीय नियम-शर्ते पूर्ण करता है, उनकी पैरवी सरकार को करनी चाहिए।
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नेगी ने कहा कि अभी एक सप्ताह पहले मा० उच्च न्यायालय ने प्रदेष के ४० हजार संविदा/दैनिक वेतनभोगी व तदर्थ कर्मचारियों को नियमित होने सम्बन्धी सेवा नियमितीकरण नियमावली २०१६ को निरस्त कर सरकार की गलतनीतियों पर प्रहार किया है, लेकिन इन ४० हजार संविदा कर्मचारियों के भविश्य से भी खिलवाड नहीं होना चाहिए।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सरकार इन संविदा कर्मचारियों के मामले में अगर मजबूत पैरवी करती तो नियमावली निरस्त होने की नौबत नहीं आती और न ही इन युवाओं क भविश्य चौपट होता।
इस नियमावली के निरस्त होने से इन कर्मचारियों के भविश्य पर अंधकार छा गया है, जिसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है, सरकार को सोचना चाहिए था कि इनसे अधिकतर युवा पहले अन्य प्रकार से नौकरी कर संविदागत हुए हैं तथा कई ओवरऐज हो चुके हैं, जो आज बर्बादी की कगार पर पहच चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्श २०००-२००२ में महाधिवक्ता कार्यालय (मा० उच्च न्यायालय नैनीताल) में जब मात्र दो-चार महीने के भीतर ही तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के दैनिक वेतनभोगी/तदर्थ कर्मचारियों को नियमित हो सकते हैं तो इन कर्मचारियों को ५ वर्श के सेवा पूर्ण होने के बाद भी नियमितीकरण का हकदार क्यों नहीं माना जा सकता है ! इन तथ्यों को लेकर मा० न्यायालय में पैरवी करने की जरूरत है।
पूर्ववर्ती सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो, उन्होंने गलत परम्परा की शुरूआत कर इस तरह से युवाओं को नौकरी में लगाया तथा युवाओं ने भी कई-कई वर्ष इस नौकरी में खपा दिये, आज इनका भविष्य चैपट होने की कगार पर है। सरकार इन संविदा कर्मचारियों के मामले में अगर मजबूत पैरवी करती तो नियमावली निरस्त होने की नौबत नहीं आती और न ही इन युवाओं क भविष्य चैपट होता। इस नियमावली के निरस्त होने से इन कर्मचारियों के भविष्य पर अंधकार छा गया है, जिसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है, सरकार को सोचना चाहिए था कि इनसे अधिकतर युवा पहले अन्य प्रकार से नौकरी कर संविदागत हुए हैं तथा कई ओवर ऐज हो चुके हैं, जो आज बर्बादी की कगार पर पहुॅंच चुके हैं।
मोर्चा ने महामहिम राज्यपाल से आग्रह किया कि सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उक्त पदों के सापेक्ष योग्य संविदा कर्मियों को जो कि षैक्षणिक व विभागीय नियम-षर्ते पूर्ण करता है, उनकी पैरवी करने हेतु सरकार को निर्देषित करने का कश्ट करें, जिससे इन युवाओं के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो सके।
घेराव में ः- मोर्चा महासचिव आकाष पंवार, दिलबाग सिंह, डॉ० ओ०पी० पंवार, मौ० असद, जयदेव नेगी, ओ०पी० राणा, जयकृत नेगी, प्रवीण षर्मा, चौधरी मामराज, नरेन्द्र तोमर, मनोज चौहान, मौ० इस्लाम, मौ० नसीम, भजन सिंह नेगी, रूपचन्द, राजेष्वरी, हुमा खान, प्रेम सिंह राठौर, बुसरा, मौ० अली खान, जाबिर हसन, महेन्द्र सिंघल, विनोद गोस्वामी, विनोद टाईटस, घनानन्द ध्यानी, टीकाराम उनियाल आदि थे।
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