UK; 24 जुलाई 2022 अत्यंत दुलर्भ- सतंरगी घेरा में सूर्य – तेज धूप के बीच सूर्य के चारों ओर रंगीन इंद्रधनुष का अद्भूत नजारा – देवतागण सूर्य को केंद्र कर सभा कर रहे हैं -प्राचीन मान्यता
चन्द्र शेखर जोशी Dehradun 9412932030 #24 जुलाई 2022 अत्यंत दुलर्भ- सतंरगी घेरा में सूर्य #तेज धूप के बीच सूर्य के चारों ओर रंगीन इंद्रधनुष का अद्भूत नजारा # आकाश में आते जाते बादलों के टुकड़ों के बीच तमतमाते सूर्य को एक गोल घेरे के अंदर देख लोग हैरान # सूर्य को इंद्रधनुष रिग के अंदर देखना उनके लिए आश्चर्य से कम नहीं। # यह सूर्य देवता की सभा है. इस तरह के दृश्य या तो भारी वर्षा या सूखे का संकेत है. देवतागण सूर्य को केंद्र कर सभा कर रहे हैं. # कई लोग सूर्य भगवान का जाप करने लगे, कूर्माचल परिषद की सांस्कतिक सचिव बबीता शाह लोहनी वीडियो बनाते हुए सूर्य जाप करने लगी # www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND (Leading Newsportal & Print Media & FB Pge)
सूर्य के चारों ओर रंगीन इंद्रधनुष का अद्भूत नजारा देखने को मिला। आम तौर पर धनुषाकार होने वाले इंद्रधनुष ने अपने सात रंगों से सूरज को गोलाकार में घेर लिया था।
आसमान में सूर्य के चारों ओर बना रंगीन गोला (रेनबो) उत्तराखंड में नैनीताल जनपद के बेतालघाट आदि क्षेत्रो में देखा गया था। बेतालघाट क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्गों ने बताया कि जब कभी सूर्य के चारों ओर इस तरह का गोला बनता है तो तेज बरसात होती है। धरती से सूर्य के चारों ओर रिंग बनने यानी ‘रेनबो रिंग ऑफ सन’ की घटना वातावरण में मौजूद हैक्सागोनल क्रिस्टल के कारण होती है।
ऐसी प्राचीन मान्यता है कि पूर्व दिशा में जब इंद्रधनुष दिखायी देता है तो इससे भारी वर्षा का संकेत माना जाता है जबकि पश्चिम में दिखने से यह सूखे का संकेत माना जाता है. देश में अनेक स्थानो पर सूर्य के चारों ओर इंद्रधनुषी छटा देखने को मिली जिससे लोग तरह तरह की आशंकाएं जता रहे हैं. सूर्य के इस विचित्र दृश्य के दिखायी देने पर लोग तरह तरह की आशंकाएं जता रहे हैं. कई बुजुर्ग लोगों ने बताया कि यह सूर्य देवता की सभा है. इस तरह के दृश्य या तो भारी वर्षा या सूखे का संकेत है. देवतागण सूर्य को केंद्र कर सभा कर रहे हैं.
इस अद्भुत नजारे को देखकर लोग हैरान भी थे। आखिर सूर्य आज सतरंगी घेरा में क्यों दिख रहा है। वैज्ञानिक इसे खगोल विज्ञान में इसे ‘‘22 डिग्री सर्कुलर हलो कहते हैं। इसका मुख्य कारण आइस क्रिस्टल पर सूर्य की रोशनी का परावर्तन होना है। आइस क्रिस्टल ऊपरी वायुमंडल में धरती से 18 से 21 किलोमीटर ऊपर संस्पेंडेड फार्म यानी लटकी हुई अवस्था में रहती हैं। ऐसा तब होता है, जब सूर्य या चंद्रमा की किरणें बादलों में मौजूदा षट्कोणीय बर्फ क्रिस्टलों से अपवर्तित हो जाती है। यह हाई क्लाउड से बनता है और बारिश का सूचक होता है। मौसम वैज्ञानिक ने कहा कि हलो कई रूप में हो सकते हैं, जिसमें रंगीन या सफेद रिंग से लेकर आर्क्स और आकाश में धब्बे होते हैं। इनमें से कई सूर्य या चंद्रमा के पास दिखाई देते हैं, लेकिन अन्य कहीं या आकाश के विपरीत हिस्से में भी होता है।
मौसम वैज्ञानिक ने कहा कि सबसे प्रसिद्ध प्रभामंडल प्रकारों में वृत्ताकार प्रभामंडल, जिसे प्रकाश स्तंभ भी कहते हैं और यह अत्यंत दुलर्भ होता है, आज इसी तरह का दृश्य देखने को मिला। जलीय वाष्प का घनत्व एक निर्धारित सीमा पर पहुंचने से इस तरह के रंग-दृश्य उपस्थित होते हैं. वाष्प पर सूर्य की किरण पड़ने से और प्रकाश के प्रतिफलन के चलते यह दृश्य दिखायी पड़ता है. वाष्प की मात्रा कम या अधिक होने से यह दृश्य नहीं दिखायी पड़ता है.
धार्मिक रूप से कुछ लोग इसे संकट की स्थिति से भी जोड़ कर रहे हैं। वहीं, जानकारों का कहना है कि लेह में बौद्ध धर्मावलंबी इस खगोलीय घटना को बहुत शुभ मानते हैं और वहां सरकारी छुट्टी भी घोषित कर दी जाती है। इस करोना महामारी में इसे शुभ संकेत ही माना जा सकता है।
सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति का क्या कारण है ? सूर्य का गुरुत्वाकर्षण अपने चारों ओर कक्षा में ग्रहों को खींचता है, और कुछ ग्रह चंद्रमा को अपने चारों ओर कक्षा में खींचते हैं। यहां तक कि अंतरिक्ष यान भी सौर मंडल के माध्यम से गति में हैं, या तो पृथ्वी या चंद्रमा के चारों ओर कक्षा में हैं, या गुरुत्वाकर्षण बलों के कारण आगे की दुनिया की यात्रा कर रहे हैं।
प्राचीन काल में यह माना जाता था कि पृथ्वी संसार का केंद्र है और सूर्य सहित सभी तारे एवं ग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं. सबसे पहले कापरनिकस ने यह सिध्दांत प्रतिपादित किया कि हमारे सौर मंडल में पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं. इसे सिध्द करना सरल नही है क्योंकि साधारण रूप से देखने पर तो हमें सभी तारे और ग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए ही दिखाई देते हैं. फिर भी कुछ बातें ऐसी हैं जिनसे सह प्रमाणित होता है कि सूर्य केंद्र में है और पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं. आइये हम इन बातों का अध्ययन करें: –
तारों का पैरेलेक्स या विस्थापनाभास – किसी वस्तु को अलग-अलग स्थान से देखने पर वस्तु् अलग-अलग स्थान पर दिखाई देती है. इसे ही पैरेलैक्स या विस्थापनाभास कहते हैं. उदाहरण के लिये यदि किसी चलती हुई बस की खिड़की से हम बाहर की ओर देखें तो पास की वस्तुएं पीछे की ओर जाती हुई दिखती हैं परंतु दूर की वस्तुएं कुछ दूर तक बस के साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं. दूसरे शब्दों में ऐसा प्रतीत होता है कि इस वस्तुओं के बीच की दूरी बदल रही है, जबकि वास्तव में इन बाहर की वस्तुओं के बीच की दूरी में कोई अंतर नहीं आता है, केवल बस ही आगे को बढ़ रही होती है. यदि हम पूरे वर्ष दुरबीन की सहायता से प्रत्येक रात्रि को आकाश में तारों को देखें और संवेदनशील उपकरणों के माध्यम से उनके स्थान को नोट करते जायें, तो हम पायेंगे कि तारों का स्थान थोड़ा-थोड़ा प्रत्येक रात्रि को बदलता है और 6 माह बाद स्थान का यह बदलाव सबसे अधिक दिखाई देता है. पूरे एक वर्ष बाद तारे वापस अपने पुराने स्थान पर दिखाई देते हैं. यह तभी संभव है जब हम यह माने कि धरती सूर्य के चारों ओर घूम रही है
By Chandra Shekhar Joshi Editor; www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Print Media & FB Pge) Publish at Dehradun & Haridwar Mob. 9412932030 ; Head Off; Dehradun ; Deposit yr Contribution; Himalaya Gaurav Uttrakhand State Bank of India A/C No. 30023706551 IFS CODE; SBIN0003137