“अब धोबी का… घर का ना घाट का” अमित शाह की हरीश रावत पर गंभीर टिप्पणी- जनचर्चा का विषय बनी
बीजेपी के रास्ते का कांटा कांग्रेस नहीं हरीश रावत है # अमित शाह का देवभूमि में ऐसा बयान :;
12 फरवरी 22 को केंद्रीय गृहमत्री अमित शाह ने देहरादून में रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के प्रचार कार्यक्रम के दौरान एक बड़ा बयान दिया है अमित शाह ने हरीश रावत पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनको उनकी पार्टी क्या जिम्मेदारी देनी है यह तय नहीं कर पा रही, कभी कहा गया कि हरीश रावत को टिकट दिया जाएगा और कभी टिकट देने पर संशय रहा.. स्थिति यह है कि अब धोबी का… घर का ना घाट का… हरीश रावत पर अमित शाह ने जो बयान दिया है वह वाकई बेहद चौंकाने वाला है,
वही 11 February 2o22 Dehradun असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा ने तंज़ करते हुए कहा कि राहुल गांधी समेत कांग्रेस के नेताओं के अंदर जिन्ना की आत्मा बस गयी है इसलिए वह आज जिन्ना की भाषा बोल रहे हैं | उन्होने वैक्सीन की गुणवत्ता और सर्जिकल स्ट्राइक सबूत मांगने वाली कॉंग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि हमने कभी राहुल से राजीव गांधी का पुत्र होने का सबूत नहीं मांगा | हरीश रावत को स्वयं को भीष्म बताने के बयान पर हेमंत ने कहा उन्हे गलत पार्टी में होने और हारने का एहसास हो गया है, नमक का कर्ज चुकाने के लिए कॉंग्रेस में हैं।
हरीश रावत स्वयं को भीष्म कहते हैं उनको पता है वो कौरवों के साथ है और चुनावी महाभारत में हारने वाले हैं। एक साक्षात्कार में पूर्व सीएम हरीश रावत के खुद को चुनावी महाभारत का भीष्म बताने के बयान पर तंज़ करते हुए असम के सीएम ने कहा कि उन्हे पता है वह गलत पार्टी में है। अब चूंकि उनका नमक खाया है इसलिए हारने के लिए ही सही कॉंग्रेस से लड़ना उनकी मजबूरी है।
“वह शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे ‘फानूस बनके जिसकी हिफाजत हवा करे वह शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे”
“वह शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे ‘फानूस बनके जिसकी हिफाजत हवा करे वह शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे” यह चंद लाइनें लालकुआ विधानसभा से चुनाव लड रहे हरीश रावत पर चरितार्थ होती है। एक दुर्घटना में गर्दन की हड्डी टूट गई, जिन पर विश्वास किया, वो विश्वासघाती बन गए, चाहे वो राजनीतिक साथी थे या मीडिया के, इस झंझावात में 2 स्थानों से विधानसभा चुनाव में पराजित करा कर सबने हरदा को आजीवन राजनीतिक कैद की गिरफ्त में समझा , पासा पलटा, कुदरत ने इस शमा को बुझने नहीं दिया, कांग्रेस आलाकमान ने भरोसा किया, उसके बाद आज अकेले बीजेपी से अकेले टक्कर लेकर उत्तराखंड में बदलाव लाने जा रहे है, सर्वे रिपोर्ट और आम जन इस बदलाव को मान चुका है,
एनसीआरबी 2020 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में एक साल में 487 रेप के केस दर्ज किये गये है। इसी रिपोर्ट के अनुसार पोस्को एक्ट में उत्तराखंड में 573 केस रजिस्टर्ड किये गये।
उत्तराखंड विधानसभा के लिए शनिवार 12 फरवरी 22 को चुनाव प्रचार खत्म हो गया। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है, लेकिन उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) और आम आदमी पार्टी (आप) भी कई सीटों पर मुकाबले में हैं। इतना ही नहीं, राज्य की 70 में से करीब दो दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां पर निर्दलीय उम्मीदवार भी राजनीतिक दलों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन एक वीडियो जारी किया था। उसमें उन्होंने कहा कि अगर राज्य में बीजेपी जीतती है तो वो समान आचार संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए समिति बनाएंगे। इस समिति की पैनल में कानून के एक्सपर्ट, सेवानिवृत लोग और स्टॉकहोल्डर शामिल किए जाएंगे। सिब्बल ने ट्वीट कर लिखा कि ‘बीजेपी के जीतने पर समान आचार संहिता लागू करने की घोषणा करके पुष्कर सिंह धामी, कृपया आप अपनी पार्टी और खुद को शर्मिंदा ना करे। इससे पता चलता है कि उत्तराखंड में आपकी पार्टी हार रही है और आपको कानूनी सलाह की जरुरत है।’
करीब दो दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां पर निर्दलीय स्थापित दलों के प्रत्याशियों को टक्कर देते दिख रहे हैं। 22 सीटों पर दोनों ही दलों के बागी भी अधिकृत प्रत्याशियों को चुनौती दे रहे हैं और इनका ठीकठाक जनाधार भी है। इन हालात में इस बार विधानसभा में निर्दलियों की संख्या ठीक ठाक हो सकती है। यही नहीं, अनेक सीटों पर निर्दलीय भले ही जीतने की स्थिति में न हों, लेकिन वे भाजपा-कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में जरूर सक्षम हैं।
वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जरूर कुछ निश्चिंत लग रहे हैं पर खटीमा से उनकी जीत आसान नही मानी जा रही है। पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री के रूप में पिछले छह महीनों में वह ऐसा कुछ नहीं कर पाए हैं, जिनसे यह माना जाए कि उनके नाम पर भाजपा को सभी जगहों पर वोट मिल पाएंगे। यही वजह है कि पार्टी वोट के लिए धामी से अधिक प्रधानमंत्री मोदी के नाम के भरोसे है
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल इस बार श्रीनगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी और मंत्री धन सिंह रावत पर भारी दिख रहे हैं।
विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रीतम सिंह अपनी परंपरागत सीट चकराता में मजबूत स्थिति में हैं।
किच्छा विधान सभा : बीजेपी प्रत्याशी का बहिष्कार : बड़ी खबर- *ब्रेकिंग किच्छा* विधानसभा के ग्राम गिद्धपुरी में सिंधी समाज ने की विशाल सभा। भाजपा प्रत्याशी राजेश शुक्ला का किया बहिष्कार। सिंधी समाज ने की भाजपा प्रत्याशी को वोट ना देने की अपील। घटना के बाद एकजुट नजर आया सिंधी समाज। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ सिंधी समाज ने खोला मोर्चा।
खटीमा विधानसभा सीट ऊधमसिंह नगर जिले की सबसे हाट सीट है, क्योंकि यहां से चुनावी मैदान में है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। उनके खिलाफ कांग्रेस से भुवन कापड़ी चुनाव लड़ रहे हैं। 2017 के चुनावों की बात करें तो धामी ने भुवन कापड़ी को 2709 वोटों से हराया था। पुष्कर धामी को 29,539 वोट मिले थे, जबकि भुवन कापड़ी मामली वोटों के अंतर (26830 वोट मिले थे) से हारे थे।
लालकुंआ विधानसभा सभा क्षेत्र नैनीताल जिले में पड़ता है। यहां से चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं पूर्व सीएम हरीश रावत। पहले हरीश रावत को रामनगर से चुनावी मैदान में उतारा गया था। हालांकि, फिर विरोध को देखते हुए उन्हें लालकुंआ सीट से मैदान में उतार दिया। इससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। यहां हरीश रावत के खिलाफ भाजपा से डा. मोहन सिंह बिष्ट चुनाव लड़ रहे हैं।
हरिद्वार विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस से सतपाल ब्रह्मचारी मैदान में हैं। इस सीट को भाजपा का गढ़ भी कहा जा सकता है। खास बात यहां से मदन कौशिक लगातार चार बार जीते हैं।
पौड़ी जिले की वीआइपी सीटों में शुमार श्रीनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और भाजपा से कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत चुनाव लड़ रहे हैं। 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा के प्रत्याशी डा. धन सिंह रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल को 8698 वोटों से हराया था। उन्हें 30816 वोट मिले थे, जबकि गणेश गोदियाल को 22118 वोट पड़े थे।
देहरादून जिले की ऋषिकेश सीट सीट से विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भाजपा के प्रत्याशी हैं। इसलिए ये सीट वीआइपी सीट में शुमार हैं। इस सीट से कांग्रेस की ओर से जयेंद्र रमोला मैदान में हैं। बात 2017 के चुनावों की करें तो अग्रवाल ने कांग्रेस के राजपाल खरोला को 14,801 मतों से हराया था।
देहरादून जिले की चकराता विधानसभा सीट भी हाट सीटों में शुमार है, क्योंकि यहां से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा से फेमस सिंगर जुबिन नौटियाल के पिता चुनावी मैदान में हैं। पिछले चार चुनाव (2002, 2007, 2012 और 2017) में प्रीतम सिंह ने लगातार मैदान फतह किया।
ऊधमसिंह नगर जिले की नौ सीटों में से गदरपुर बड़ी और प्रमुख सीट है। ये सीट वीआइपी सीटों में शुमार है। यहां से शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय चुनाव लड़ रहे हैं। वे लगातार दो बार से इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं। इस बार भी जीत वो हैट्रिक जरूर लगाना चाहेंगे। वहीं, कांग्रेस की ओर से इस सीट पर कांग्रेस ने प्रेमानंद महाजन चुनावी मैदान में हैं, जबकि आम आदमी पार्टी से जरनैल सिंह काली को प्रत्याशी बनाया है।
हरिद्वार ग्रामीण सीट से कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद चुनावी मैदान में हैं, जबकि उनके खिलाफ कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में मुकाबला काफी दिलचस्प रहने वाला है। 2017 में यहां से भाजपा प्रत्याशी यतीश्वरानंद ने हरीश रावत को शिकस्त दी थी।
पौड़ी गढ़वाल जिले की चौबट्टाखाल सीट को भी हाट सीट कहा जा सकता है। यहां से दिग्गजों में शुमार और कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज चुनावी मैदान में हैं, जबकि उनके खिलाफ केसर सिंह नेगी मैदान में हैं। 2017 के चुनाव में महाराज ने राजपाल सिंह बिष्ट को 7,354 वोट से हराया।
देहरादून जिले की मसूरी सीट इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां से कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी गोदावरी थापली परिवर्तन का नारा देकर पिछली हारों से सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रही हैं। इस सबके बीच आप, उक्रांद और निर्दल प्रत्याशी भी भाजपा-कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी कर मुकाबले में आने की कोशिश कर रहे हैं।
टिहरी जिले की नरेंद्रनगर विधानसभा सीट से भाजपा की ओर से कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ताल ठोंक रहे हैं। 92 हजार मतदाताओं वाली इस सीट पर कांग्रेस से ओम गोपाल रावत कांग्रेस प्रत्याशी हैं। ये हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए।
पौड़ी गढ़वाल जिले की कोटद्वार सीट इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां पूर्व सीएम भुवन चंद खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी कोटद्वार से चुनाव लड़ रही हैं। वे 2017 में भाजपा के टिकट से यमकेश्वर विधानसभा से विधायक बनीं। कोटद्वार सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह रावत के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी।
लैंसडौन सीट इसलिए भी खास हो जाती है, क्योंकि इस सीट पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की बहू और मिस ग्रैंड इंटरनेशनल रहीं अनुकृति गुसाईं चुनावी मैदान में हैं। भाजपा से निष्कासित होने के बाद हरक सिंह रावत ने अनुकृति गुंसाई समेत कांग्रेस ज्वाइन की थी। यहां भाजपा से दलीप रावत मैदान में हैं।
ऊधमसिंह नगर जिले में पड़ने वाली बाजपुर सीट से पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य चुनाव लड़ रहे हैं। आर्य हाल ही में अपने बेटे संजीव आर्य के साथ कांग्रेस में शामिल हुए। भाजपा से यहां राजेश कुमार प्रत्याशी हैं। 2012 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई बाजपुर सीट से यशपाल आर्य लगातार दो बार विधानसभा पहुंचे। एक बार कांग्रेस व तो दूसरी बार भाजपा से उन्हें यह मौका मिला।
नैनीताल जिले की कालाढूंगी सीट से कैबिनेट मंत्री और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत मैदान में हैं। यहां से कांग्रेस के टिकट पर महेश शर्मा चुनावी मैदान में हैं। साल 2017 की बात करें तो भगत ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश जोशी को 20,597 मतों से हराया था।
पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट सीट से भाजपा के टिकट पर कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल चुनावी मैदान में हैं। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप सिंह पाल उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी किशन भंडारी को 2,368 मतों से हराया।
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