उत्तराखंड ; चैनलो का ताजा सर्वे ; किसने बढ़त गंवा दी; किस ओर फिसल रही है सत्ता ? सियासी माहौल में बडा सवाल ? हाईकमान की पैनी निगाह

HIGH LIGHT# उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो बढ़त सीएम बनने के बाद बनाई थी, चुनाव आते आते अंतिम क्षणों में गंवा दिया है। खबरिया चैनलो का ताजा सर्वे बीजेपी की विदाई का भी यही इशारा कर रहा है उत्तराखंड सूबे में जो भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी, आज सिर्फ हवा हवाई संघर्ष से सत्ता गवाने की स्थिति में है। हरीश रावत को हल्के में लेने की भाजपा की गलती उसे आने वाले दिनों में पानी भी पिला सकती है। सर्वे के नतीजे तो यही इशारा कर रहे हैं कि उत्त्तराखण्ड में भाजपा की पकड़ ढीली पड़ रही है

HIGH LIGHT# उत्तराखंड देवभूमि में बीजेपी के लिये अगर सब कुछ ठीक है तो सीटिंग विधायको के टिकट क्यो काटने जा रही है बीजेपी : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022:- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का संकेत “प्रदेश के 10-12 विधायको के टिकट काटे जा सकते हैं” वही बगावत रोकने के लिये नई रणनीति; नामांकन की तिथियों पर ही प्रत्याशियों का ऐलान, जिससे बगावती नेता दूसरी तैयारी न कर सके सरकार की एंटी इनकंबेंसी को भी देखते हुए पार्टी में मंथन

13 JANUARY 2022# www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Haridwar # ChaandraShekhar Joshi Group Editor;

एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे भी बदलाव को मजबूर हुआ ; अब बीजेपी कांग्रेस को बराबर पर दिखाया – बीजेपी को 31 से 37 सीटें और कांग्रेस को 30 से 36 सीटें एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे दिखाने लगा है आप- 2-4 अन्य – 0-1

उत्तराखण्ड में अब एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा किया जा रहा है, उत्तराखण्ड राज्य में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर होने के आसार हैं. 39 प्रतिशत वोट शेयर बीजेपी की तरफ जाता हुआ दिख रहा है. वहीं कांग्रेस के हिस्से में 37 प्रतिशत वोट शेयर जाता हुआ दिख रहा है. 13 प्रतिशत वोट शेयर आम आदमी पार्टी के खाते में जा रहा है. अन्य के खाते में करीब 11 प्रतिशत मतदाताओं का झुकाव है.

वही उत्तराखण्ड में विजय संकल्प यात्रा के माध्यम से राज्य के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों से मिले फीडबैक ने भाजपा की परेशानियां बढ़ा दी है। बीजेपी ने विधायकों की परफार्मेंस और टिकट के दावेदारों की जमीनी स्थिति का आकलन भी किया। कुछेक विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों की कम सक्रियता, संगठन और जनप्रतिनिधि के मध्य तालमेल का अभाव भी पता चला। ग्रास रूट तथा आम जन से मिले इस फीडबैक को लेकर भाजपा नेतृत्व ने मंथन शुरू कर दिया है।

उत्तराखण्ड में जनता के बीच से ये बात जरूर आई कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों की सक्रियता काफी कम रही।

सर्वे में 70 सीटों के मुकाबले में बीजेपी को 31 से 37 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं कांग्रेस को 30 से 36 सीटें मिलती हुई दिखाई दे रही है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के खाते में 2 से 4 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. वहीं अन्य के खाते में 0 से 1 सीट जाती हुई नजर आ रही है.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान हो चुका है. सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार में जुट गई हैं. वहीं उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर एबीपी न्यूज सी वोटर के सर्वे में दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं.

18 दिसंबर से छह जनवरी तक चली इस यात्रा के दौरान छोटी-बड़ी सभाएं, रोड शो, स्वागत कार्यक्रम जैसे आयोजनों से जनता की नब्ज टटोलने का प्रयास हुआ तो पाटी के विधायकों व टिकट के दावेदारों के बारे में फीडबैक भी लिया गया। कुछे विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों ने ज्यादातर कार्य अपने चहेतों को दिये, जबकि पार्टी कार्यकर्ताओ को महत्व नही मिला, कुछ क्षेत्रों में पार्टी संगठन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल नही हैं।

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य में बीजेपी को 56 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं कांग्रेस को 11 सीटें मिली थीं. इसके अलावा अन्य सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली थी. वहीं इस सर्वे के जरिए हमने ये जानने की कोशिश की है कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए उत्तराखंड के वोटर्स के दिल में क्या है.

उत्तराखंड में जनवरी से मार्च 2020 के बीच ये बेरोजगारी दर थी. 21.5 फीसदी जो जनवरी से मार्च 2021 में बढ़कर 34.5 फीसदी हो गई. कोरोना काल में रोजगार गए. नौकरियों में कमी आई, इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता लेकिन एक सच ये भी है कि जितनी कोशिश सरकारों को रोजगार के क्षेत्र में करनी चाहिए उतनी नहीं की गई.

चंद विधायकों और खुद दो दो सीट से हारने के बावजूद जिस तरह हरदा ने कांग्रेस को मजबूत स्थिति में लाया उससे भाजपा नेताओं को सीख लेने की जरूरत है। 5 सालों तक कांग्रेसी गोत्र के नेताओं को ढोना और अंत के एक साल में उनके नखरों, ब्लैकमेलिंग के आगे समर्पण कर देना अब भाजपा को भारी पड़ता दिख रहा है। लगभग 4 साल तक भाजपा की जीरो टॉलरेंस की नीति को आगे बढ़ाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदलने का फैसला क्या अब भाजपा को ही भारी पड़ने लगा है। क्या आखिरी साल में 3 सीएम बदलने का रिस्क लेने वाली भाजपा की रणनीति फेल हो गई। ये वो तमाम सवाल हैं जो सियासी माहौल में इन दिनों खूब चर्चाएं बटोर रहे हैं।

त्रिवेंद्र सिंह रावत 18 मार्च 2021 को अपनी सरकार के 4 साल पूरे करने जा रहे थे त्रिवेंद्र कोअभिमन्यु की तरह अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। त्रिवेंद्र के जाने के बाद तीरथ सत्तासीन हुए लेकिन अपने लंपट बयानों से तीरथ ने भाजपा की सियासी हालत इतनी खराब हो गयी कि वे 3 महीने भी पूरे नहीं कर पाए। इनके बाद सूबे में फिर भाजपा ने नेतृत्व परिवर्तन किया और सारे धुरंधरों के अरमानों पर पानी फेरते हुए पुष्कर सिंह धामी सीएम पद तक पहुँचे। जो विधायक कभी मंत्री भी नहीं बना था उसके सीधा सीएम बनने से कई कद्दावर नेताओं की तो कई रातों तक नींद ही उड़ी रही लेकिन लास्ट के ओवर्स में धामी भी बड़े शॉट खेलने के चक्कर में कुछ गलतियां अनजाने में कर गए। पहले उनके एक pro खनन के वाहनों को छुड़ाने को लेकर चर्चा में आये तो बाद बाद में आचार सहिंता के करीब किये गए तबादले और बैक डोर में हुए तबादलों आदि ने उनकी स्थिति को भी डांवाडोल कर दिया। उनके बेहद करीब कैबिनेट मंत्री के एक सिफारिशी पत्र ने भी खूब सुर्खियां बटोरी। आचार सहिंता तक पहुँचते पहुँचते अपने पीआओ की बहाली का आदेश भी निकाल गए। इन सब कारणो से उत्त्तराखण्ड में भाजपा की पकड़ लगातार ढीली पड़ती गयी, खबरिया चैनलो का ताजा सर्वे बीजेपी की विदाई का भी यही इशारा कर रहा है

खनन के खुले ‘खेल’ को लेकर धामी सरकार पर हाई कोर्ट का हंटर , हरीश रावत के आरोपों पर लगी मोहर, सोशल मीडिया की सुर्खियां

उत्तराखंड: मिथक;- सूचना मंत्री चुनाव नही जीतता, बड़ी खबर; मुख्यमंत्री धामी खटीमा सीट को सुरक्षित नही मॉन रहे; बड़ा सवाल उत्तराखंड सूचना विभाग अभिशप्त है कि उत्तराखंड में सूचना मंत्री चुनाव नही जीतता, उत्तराखंड राज्य गठन के बाद सूचना मंत्री जो स्वयं मुख्यमंत्री भगत दा थे, दोबारा रिपीट नही हुए, फिर तत्कालीन लोकप्रिय सूचना मंत्री इंदिरा हदयेश चुनाव हार गई, इसके बाद लोकप्रिय सूचना मंत्री/ मुख्यमंत्री खंडूरी जी चुनाव हार गए, इसके बाद सूबे के लोकप्रिय मुख्यमंत्री/ सूचना मंत्री हरीश रावत जी चुनाव हार गए, इसके बाद भी तत्कालीन सूचना मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रॉवत, फिर तीरथ सिंह रॉवत असमय पद से हटा दिए गए, अब वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अग्नि परीक्षा है, इस अभिशप्त विभाग में,

उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार आयुर्वेद विवि के कुलसचिव पद पर मृत्युंजय मिश्रा की बहाली कर सवालों के घेरे में आ गई है.

उत्तराखण्ड -बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए 3 CM बदले; बढता सत्ता विरोधी माहौल ,’बायकॉट भाजपा’ -पुलिस के परिजनो की मुहिम- मीडिया की सुर्खियां Click Link $ Details: https://himalayauk.org/uttrakhand-assambly-election-2022…/

25 वर्ष से दुर्गम में सेवारत फरियादी विधवा शिक्षिका को सीएम ने जनता दरबार मे सस्पेंड और गिरफ्तारी के आदेश दे दिए थे: यह है उत्तराखंड https://hindi.news18.com/…/dehradun-chief-minister…

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