मकर संक्रांति-सूर्य-शनि का अद्भुत संयोग -4 राशियों को फायदा- खरमास खत्म -वसंत ऋतु आगमन

मकरसंक्रांति का वाहन शेर है, जो शुभफलदायक माना जा रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग तथा अश्विनी नक्षत्र का स्वामी भी मंगल है। सूर्य धनु राशि से मकर राशि में 14 जनवरी 2022 की रात्रि 8 बजकर 34 मिनट पर प्रवेश करेंगे। … मिश्र बताते हैं कि मकर संक्रांति का पुण्यकाल, स्नान एवं दान 15 जनवरी को है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के गोचर से जहां खरमास खत्म हो जाएगा, वहीं वसंत ऋतु के आगमन का भी संकेत मिलता है

सूर्य का पुत्र शनि से 30 साल बाद मिलन होगा 14 जनवरी, मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा. इस गोचर से 29 साल बाद एक खास संयोग का निर्माण होने जा रहा है. दरअसल 14 जनवरी को सूर्य और   शनि एकसाथ मकर राशि में विराजमान होंगे. आखिरी बार ऐसा संयोग वर्ष 1993 में देखा गया था. शनि 30 साल में अपना राशि चक्र पूरा करते हैं और इसीलिए सूर्य  का पुत्र शनि से 29 साल बाद मिलन होगा. ज्योतिषविदों की मानें तो सूर्य-शनि का यह दुर्लभ संयोग चार राशियों को बहुत फायदा देने वाला है.  

सूर्य-शनि का यह दुर्लभ संयोग चार राशियों को बहुत फायदा देने वाला है.  

मिथुन- सूर्य-शनि का यह अद्भुत संयोग मिथुन राशि वालों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है # सिंह- सूर्य-शनि की युति सिंह राशि वालों के लिए करियर के नए रास्ते खोलेगी. #धनु- धनु राशि वालों को भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी.   जल्द ही कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है.   मन में चल रही इच्छाएं पूरी हो सकती हैं.  

मीन- शनि-सूर्य का मिलन मीन राशि वालों को आर्थिक मोर्चे पर मजबूती देगा. धन-दौलत बढ़ेगी, आय के स्रोत बढ़ सकते हैं. सरकारी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद है. जो लोग लंबे समय से खराब आर्थिक हालातों से गुजर रहे थे, उनकी तंगी दूर हो सकती है.  मनोवांछित फलों की प्राप्ति के योग बन रहे हैं

12 JANUARY 2022; Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, Publish at Dehradun & Haridwar # ChaandraShekhar Joshi Group Editor Mob. 9412932030

मकर सक्रांति इस बार पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन 14 जनवरी को शुक्ल और ब्रह्म योग के मंगलकारी संयोग में मनाई जाएगी। वहीं मतमतांतर के साथ मकर संक्रांति का पर्वकाल 15 जनवरी को भी माना जाएगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा। चूंकि हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देव कहा गया है।14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश रात आठ बजकर 49 मिनट पर हो रहा है। इसका पुण्यकाल अगले दिन ( 15 जनवरी ) को दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा। ऐसे में मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी दोनों की दिन मनाई जा सकेगी।

मकर संक्रांति पर इस बार दो तिथियों को लेकर लोग उलझन में हैं. हालांकि संक्रांति तब शुरू होती है जब सूर्य देव राशि परिवर्तन कर मकर राशि में पहुंचते हैं  इस बार सूर्य देव 14 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर गोचर कर रहें हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्य अस्त से पहले यदि मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे, तो इसी दिन पुण्यकाल रहेगा. 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल विशेष महत्व रखता है 

मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सूर्य के संक्रांति समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल होता है. इस बार  पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा   जो शाम को 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इसमें स्नान, दान, जाप कर सकते हैं. वहीं स्थिर लग्न यानि समझें तो महापुण्य काल मुहूर्त 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक  रहेगा. इसके बाद दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक

इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें. सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें  नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें. भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं. भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें.  संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है

मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है. मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष  महत्त्व है. इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है   

मकर संक्रांति का अद्भुत जुड़ाव महाभारत काल से भी है.  

मकर संक्रांति का अद्भुत जुड़ाव महाभारत काल से भी है.  58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहने के बाद भीष्म पितामह ने अपने प्राणों का त्यागने के लिए सूर्य  के उत्तरायण होने का इंतजार किया था 8 दिन तक चले महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने 10 दिन तक कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा. रणभूमि में पितामह के युद्ध कौशल से पांडव व्याकुल थे. बाद में  पांडवों ने शिखंडी की मदद से भीष्म को धनुष छोड़ने पर मजबूर किया और फिर अर्जुन ने एक के बाद एक कई बाण मारकर उन्हें धरती पर गिरा दिया. चूंकि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. इसलिए अर्जुन के बाणों से बुरी तरह चोट खाने के बावजूद वे जीवित रहे. भीष्म पितामह ने ये प्रण ले रखा था कि जब तक  हस्तिनापुर सभी ओर से सुरक्षित नहीं हो जाता, वे प्राण नहीं देंगे. साथ ही पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तारायण होने का भी इंतेजार किया क्योंकि इस दिन प्राण त्यागने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.   भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए कहा है कि 6 माह के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और धरती प्रकाशमयी होती है, उस समय  शरीर त्यागने वाले व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है. ऐसे लोग सीधे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं, यानी उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि  भीष्म पितामह ने शरीर त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने तक का इंतजार किया.  

मकर संक्रांति के दिन ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि को छोड़कर अपने पुत्र शनि की राशि में आते हैं. सूर्य और शनि का संबंध मकर संक्रांति के पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण पर्व होता है. शुक्र ग्रह का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए इस पर्व के बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्यो की शुरुआत हो जाती है. यह पर्व दान-पुण्य के लिए बहुत शुभ दिन माना जाता है. इस दिन तिल के दान का अधिक महत्व है.  राशि के अनुसार दान किया जाए तो इससे फल दोगुना हो जाता है.

मेष राशि – मेष राशि वाले मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में किसी जरूरतमंद को गुड़, मूंगफली के दाने एवं तिल का दान दें. इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होगा.

वृष राशि – सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए वृष राशि वालों को मकर संक्रांति के  दिन जरूर दान करना चाहिए. इसके लिए वह सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दान करें. इससे इन लोगों की सेहत अच्छी रहती है और यदि कोई कानूनी समस्या में फंसे हुए हैं तो उससे मुक्ति मिलती है.

मिथुन राशि  – मिथुन राशि  के व्यक्तियों को  मकर संक्रांति के दिन मूंग दाल, चावल एवं कंबल का दान करना चाहिए. ऐसा करने से इनके जीवन में आने वाले संकट से राहत मिलती है एवं नौकरी एवं व्यापार के लिए यह दान शुभ फलदायी होता है.
 
कर्क राशि – कर्क राशि वालों को इस दिन चावल, चांदी और सफेद तिल का दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. नौकरी में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि दान का शुभ मुहूर्त में करना होना ही श्रेष्ठ होता है.
 
सिंह राशि – तांबा, गेहूं कादान सिंह राशि वालों को मकर संक्रांति के दिन करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती है और चल रहे विवादों से मुक्ति मिलती है.
 
कन्या राशि – खिचड़ी, कंबल एवं हरे कपड़े का दान मकर संक्राति के दिन कन्या राशि के लोगों के द्वारा करने से उनके जीवन के तनावों में कमी आती है. सुख-समृद्धि बढ़ती है. दान शुभ मुहूर्त में किसी जरूरतमंद या किन्नर को देना विशेष फल देने वाला होता है.
 
तुला राशि – तुला राशि वाले मकर संक्राति के दिन किसी जरूरतमंद को सफेद डायमंड, शक्कर एवं कंबल का दान दें। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता बढ़ती है और जीवन में सुख और शुभता का आगमन होता है.
 
वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि वालों को अपने जीवन में खुशहाली की प्राप्ति के लिए मकर संक्रांति के दिन मूंगा, लाल कपड़ा एवं तिल का दान किसी जरूरतमंद या गरीब को करना चाहिए. नौकरी  व व्यापार में तरक्की के लिए भी यह दान विशेष रूप से लाभकारी होता है.
 
धनु राशि – मकर संक्रांति के दिन धनु राशि के व्यक्तियों को पीला कपड़ा, खड़ी हल्दी एवं गुड़ का दान करना चाहिए. ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है और धन-धान्य का आर्शीवाद प्राप्त होता है.
 
मकर राशि – मकर संक्रांति के दिन सूर्य को प्रसन्न करने के लिए और जीवन में बरकत पाने के लिए मकर राशि वालों को काला कंबल, तेल एवं तिल का दान करना चाहिए. इससे जीवन में धन की कमी नहीं रहती है.
 
कुंभ राशि – परिवार में खुशियां के आगमन और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए कुंभ राशि वालों को सूर्य को प्रसन्न करना अति आवश्यक हैं और सूर्य की कृपा पाने के लिए मकर संक्रांति के दिन किया गया दान विशेष फल देने वाला होता है. कुंभ राशि के व्यक्तियों को इस दिन काला कपड़ा, उड़द दाल, खिचड़ी व तिल का दान करना चाहिए.
 
मीन राशि – मकर संक्राति के दिन दान-पुण्य करने से सफलता मिलती है, इस दिन मीन राशि वालों को विशेष रूप से रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल एवं तिल दान करना चाहिए. इससे सूर्य की कृपा मिलती है, और साथ ही हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है.

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