आए दिन लट्ठ पर लट्ठ बरसाने के लिए हरीश रावत ने भाजपा के सभी नेताओं का आभार जताया
लालकुआं से कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर गंगा और गंगाजल का अपमान करने का आरोप लगाया है। जनता से अपील की कि इस चुनाव में गंगा को बाजार बनाने व गंगाजल को बेचने की कोशिश करने वालों की जमानत जब्त कराएं। भाजपा ने शराब सिंडिकेट से बड़ा लेनदेन कर पावर-प्रोजेक्ट आवंटन घोटाला किया। उस शराब सिंडिकेट की गंगा की धारा को अवरुद्ध कर अनगिनत टर्नर बनाने की योजना थी, जिससे कि वो कई पावर-प्रोजेक्ट बनाकर बेहिसाब बिजली बना सके और अन्य राज्यों को औने-पौने दामों में बेचकर मोटा मुनाफा कमा सके। रावत ने कहा कि भाजपा ने गंगा को बाजार बनाने की कोशिश कर असंख्य भारतीयों की गंगा के प्रति आस्था और विश्वास को आहत किया है। बीमार-फैक्ट्री को पुनर्जीवित करने की आड़ में भाजपा की मंशा एक कंपनी के मालिक से बहुत बड़ी रकम वसूलकर गंगा को ‘लीज’ पर देने की थी। कंपनी के मालिक को भाजपा ने गंगाजल को बोतलों में भरकर बेचने का भरोसा दिलाया था।
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13 FEB. 2022# हरीश रावत जी प्रथम दृष्टया सौम्य और शांत दिखते हैं। बहुत सन्तुलित बोलते हैं । कर्णप्रिय बयान देते हैं। हरीश रावत भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो फ़रवरी २०१४ में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बने। पाँच बार भारतीय सांसद रह चुके रावत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता हैं। १५वीं लोकसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जल संसाधन मंत्री केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं।
हरीश रावत एक अच्छे राजनेता तो है ही साथ ही वह एक अच्छे खिलाड़ी भी रहे है. हरीश रावत ने फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी और एथलेटिक्स सहित अन्य खेलों में अपने कॉलेज का प्रतिनिधित्व किया है. वह चीन, नेपाल, थाईलैंड, जापान, इंडोनेशिया, इराक सहित कई देशों की यात्राएं भी कर चुके हैं. इसके अलावा हरीश रावत को किताबें पढ़ने का भी बहुत शौक रहा है.
अल्मोड़ा के सुदूरवर्ती मोहनरी गांव के लाल लालकुआ विधानसभा को आदर्श एवं वीवीआईपी दर्जा देने के लिए प्रतिबद्व, फैसला जनता के हाथ में —
हरीश रावत के पिता राजे सिंह को जब पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने मोहनरी गांव के दुर्गेश्वर (नवाड़) मंदिर में हाथ पर दीया जलाकर 24 घंटे पूजा की और उनकी पत्नी दानू देवी भी हाथों में फूल लेकर खड़ी रहीं। पूजा के एक वर्ष बाद हरीश रावत ने उनके घर में जन्म लिया। इसके बाद चंदन रावत और जगदीश रावत पैदा हुए।
हरीश रावत का जन्म मोहनरी गांव निवासी स्व. राजे सिंह और स्व. दानू देवी के घर 27 अप्रैल 1947 को हुआ। रावत ने प्राथमिक शिक्षा अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण ब्लाक स्थित प्राथमिक स्कूल सिरमोली में पूरी की। उन्होंने जूनियर हाईस्कूल चौनलिया से आठवीं और देवलीखेत से हाईस्कूल किया। रामनगर से इंटरमीडिएट करने के बाद हरीश रावत उच्च शिक्षा प्राप्त करने लखनऊ चले गए। लखनऊ से बीए और एलएलबी करने के बाद वह गांव लौट आए।
मोहनरी गांव में हरीश रावत के भाई जगदीश रावत, भतीजे अरुण रावत, विक्की रावत, चचेरे भाई दलजीत सिंह, भतीजे संजू रावत हैं। हरीश रावत का ननिहाल अदबोड़ा गांव में है। अदबोड़ा से उनके मामा कुंवर सिंह रावत के पुत्र मोहन सिंह, मामा पान सिंह के पुत्र आनंद सिंह और मामा प्रताप सिंह के पुत्र मनोहर सिंह हैं। हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत, बेटी अनुपमा और आरती, पुत्र दिग्विजय रावत, वीरेंद्र रावत, भाष्कर रावत हैं।
हरीशरावतकाप्रोफाइल नाम : हरीश चंद्र सिंह रावत पिता का नाम : राजे सिंह माता का नाम : दानू देवी प्राथमिक शिक्षा : सिरमोली जूनियर : चौनलिया हाईस्कूल : देवलीखेत इंटरमीडिएट : रामनगर बीए, एलएलबी : लखनऊ विवि
राज्य में कांग्रेस को सशक्त बनाने में हरीश रावत का अहम योगदान माना जाता रहा है। 2002 में जब उत्तराखंड में पहली विधानसभा के चुनाव हुए तो हरीश रावत की अथक मेहनत से ही कांग्रेस सत्ता में आई
वह कई वर्ष तक व्यापारी संघ के नेता भी रहे और भारतीय युवा कांग्रेस के सदस्य के रूप में भी कई साल कार्य किया.
हरीश रावत की पहचान पूरे देश में है
हरीश रावत की पहचान पूरे देश में है. वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी भी संभल चुके हैं. इसके अलावा हरीश रावत पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं. हरीश रावत कांग्रेस के उन नेताओं में से एक हैं, जो गाँधी परिवार के विश्वासपात्र है. हरीश रावत छात्र जीवन से ही भारतीय युवक कांग्रेस से जुड़ गए थे. साल 1973 में हरीश रावत को कांग्रेस की जिला युवा इकाई का अध्यक्ष चुना गया था. वह उस समय सबसे युवा अध्यक्ष थे. इसके बाद हरीश रावत ने कांग्रेस संगठन में ब्लॉक प्रमुख, जिलाध्यक्ष समेत कई भूमिकाएं निभाई. साल 1980 में कांग्रेस ने हरीश रावत को ल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से चुनाव में उतारा और वह चुनाव जीतकर लोकसभा सांसद बने. इसके बाद साल 1984 और साल 1989 में भी हरीश रावत इस सीट से सांसद बने. हालांकि इसके बाद साल 1991, साल 1996, साल 1999 में हरीश रावत इस सीट से हार का सामना करना पड़ा. साल 1992 में हरीश रावत को सेवा दल का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया जबकि साल 2001 में उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने. हरीश रावत के नेतृत्व में ही कांग्रेस ने साल 2002 में उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. हालांकि कांग्रेस ने उनकी जगह एनडी तिवारी उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया और हरीश रावत को साल 2002 में ही राज्यसभा भेज दिया.
हरीश रावत का राजनीतिक सफर ग्राम सभा के स्तर से शुरू हुआ, जो आगे चलकर ट्रेड यूनियन और यूथ कांग्रेस सदस्य के तौर पर आगे बढ़ा. साल 1980 में उन्हें पहली बार बड़ी सफलता हाथ लगी जब वह अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी को हराकर संसद पहुंचे. इसके बाद 1984 में उन्होंने और भी बड़े अंतर से मुरली मनोहर जोशी को शिकस्त दी. 1989 के लोकसभा चुनाव तक आते-आते उत्तराखंड आंदोलन भी बड़ा रूप लेने लगा था. इसी दौरान उन्होंने उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) के बड़े नेता काशी सिंह ऐरी को हराया और लगातार तीसरी बाद लोकसभा पहुंचे.
साल 2009 में हरीश रावत ने हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर एक बार फिर से लोकसभा सांसद बने. इसके साथ ही हरीश रावत को मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया. मनमोहन सिंह सरकार में हरीश रावत ने जल संसाधन मंत्री का पद संभाला. साल 2012 में जब एक बार फिर उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनी तो हरीश रावत की मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा चल पड़ी लेकिन कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद के कमान सौंप दी.
2009 के लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा से आरक्षित सीट घोषित होने के बाद हरिद्वार से चुनाव लड़ा और 3.3 लाख मतों से चुनाव जीता. लोकसभा के अलावा हरीश रावत साल 2002 से 2008 तक राज्यसभा से भी सांसद रहे.
2 फ़रवरी 2014 को विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद हरीश रावत को उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री बनाया गया. हरीश रावत करीब तीन साल तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे. कांग्रेस ने साल 2017 में उत्तराखंड का विधानसभा चुनाव हरीश रावत के चेहरे पर ही लड़ा, लेकिन चुनाव में उनको हार मिली और भाजपा ने बहुमत हासिल किया. इस विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने 2 सीटों से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही सीट पर उनको हार मिली.
हरीश रावत की पत्नी का नाम रेणुका रावत है. हरीश रावत के दो बच्चे भी है. हरीश रावत के बेटे (Hairsh Rawat Son) का नाम आनंद सिंह रावत है. आनंद सिंह रावत भी राजनीति से जुड़े हुए हैं. हरीश रावत की बेटी का नाम अनुपमा रावत है. अनुपमा रावत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से हैं, लेकिन राजनीति में भी उनकी गहरी रूचि है. हरीश रावत की दूसरी बेटी का नाम आरती रावत है. आरती का विवाह हल्द्वानी निवासी व्यवसायी गौरव नेगी के साथ हुआ था.
1996, 1998 और 1999 के चुनाव में लगातार चार बार उन्हें अल्मोड़ा सीट से हार का मुंह देखना पड़ा. 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने हरिद्वार सीट से टिकट दी और इस बार उन्हें सफलता हाथ लगी और वह चौथी बार लोकसभा पहुंचे. फरवरी 2014 में उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 2017 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने जुलाई 2014 में उत्तराखंड की धारचुला सीट से उपचुनाव में जीत दर्ज की और उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य बने. साल 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दो सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह दोनों सीटें हार गए. मुख्यमंत्री होते हुए दोनों सीटे हार जाना हरीश रावत के लिए बड़ा झटका था. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर अपना चुनाव क्षेत्र बदला और नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा
मुख्यमंत्री के तौर पर हरीश रावत का तीन साल का सफर बहुत उथल-पुथल भरा रहा.
मार्च 2016 में 9 कांग्रेस विधायकों ने सरकार से बगावत कर दी और हरीश रावत की सरकार अल्पमत में आ गई. केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया. मई 2016 में विश्वासमत जीतने के बाद हरीश रावत मुख्यमंत्री के रूप में बहाल हुए. मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने 2017 में हरिद्वार और किच्छा दो सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ा और दोनों हार गए.
13 Feb. 2022; केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए की गई गंभीर टिप्पणी पर हरीश रावत ने कहा कि मैं वहीं हूं, जो शाह ने कहा है। उत्तराखंड के लिए भौकूंगा भी और जरूरत पड़ी तो काटूंगा भी। रावत ने पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री समेत भाजपा के सभी नेताओं का आभार भी जताया। कहा कि ये सभी लोग कांग्रेस के एक छोटे से कार्यकर्ता पर आए दिन लट्ठ पर लट्ठ बरसा रहे हैं। कहा कि उत्तराखंड के हित के लिए हमेशा बोलूंगा और यदि उत्तराखंड के हितों की लूट मचेगी तो थोड़ा काटूंगा भी।
कांग्रेस ने भाजपा नेताओं पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन और सामान्य नैतिक मूल्यों को अपमानित करने का आरोप लगाया। कहा कि एक सभ्य समाज में ऐसे शब्द स्वीकार्य नहीं हो सकते।
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