मंत्रिमण्‍डल में रिक्‍तता, दायित्‍व वितरण की शून्‍यता से मिशन१9 में संभावित नुकसान?

HIGH LIGHT; #  उत्‍तराखण्‍ड  मंत्रिमण्‍डल  में 2 पद  रिक्‍त #  दायित्‍व वितरण में राज्‍य सरकार का ठहराव #  पार्टी के वरिष्‍ठ पदाधिकारियाो से नही जिलाधिकारी औपचारिक रूप से कर रहे है भाजपा सरकार के निर्देशो का पालन-  राज्‍य सरकार का चौपाल  बना नौकरशाहो का औपचारिक प्रोग्राम-   बडी खबर- हिमालयायूके  न्‍यूज पोर्टल 

उत्‍तराखण्‍ड की भाजपा सरकार में 2 पद मंत्रिमण्‍डल में रिक्‍त है और सरकार की लोक कल्‍याणकारी जन नीतियो का जनता में व्‍यापक प्रचार प्रसार का अभाव साफ नजर आ रहा है, जबकि राज्‍य सरकार पार्टी के पदाधिकारियो में दायित्‍व वितरण कर सरकार के कार्यो का व्‍यापक प्रचार प्रसार कर सकती थी, अब यह कार्य नौकरशाहो से लिया जा रहा है, राज्‍य सरकार द्वारा नौकरशाहो को चौपाल लगाने का निर्देश तो दे दिया गया परन्‍तु इसका उचित लाभ भाजपा को नही मिल पारहा है,और ग्रामरूट में भाजपा के प्रति बेरूखी बढती जा रही है, जनता में पकड रखने वाले अपने नेताओ का सदुपयोग लेने में उत्‍तराखण्‍ड भाजपा संगठन तथा सरकार असफल साबित हुई तो लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना तय है,

स्‍थानीय निकाय चुनाव के दंगल सेनिपटने के उपरांत आम जनता को भी यह उम्‍मीद थी कि उनके प्रिय नेताओ को मंत्रिपद और अन्‍य को दायित्‍व मिलेगा, परन्‍तु लगता नही कि उत्‍तराखण्‍ड की भाजपा सरकार इस ओर गंभीर है, देहरादून में ही सरकार की नाक का सवाल बने मेयर पद राज्‍य सरकार तथा भाजपा संगठन की प्रतिष्‍ठा का विषय बना हुआ था, वही धर्मपुर विधायक तथा निवर्तमान मेयर ने इसे प्रतिष्‍ठा का सवाल बनाया था, उनके समर्थको को यह उम्‍मीद थी कि राजधानी देहरादून में 10 साल से मेयर पद पर निष्‍कंटक भाजपा की झोली में यह पद डालने वाले विनोद चमोली को सम्‍मान स्‍वरूप मंत्रि पद से नवाज कर देहरादून की जनता को बडा उपहार मिलेगा, परन्‍तु निराशा में बदल गयी आशा, जब सब कुछ मौन सा होता दिखा, और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता में मात्र 2 माह का समय बचा है, ऐसे में आम जन के बीच फिर कैसे जा पायेगे , यह भी एक बडा सवाल है, ज्ञात हो कि राजधानी देहरादून में विनोद चमोली की लोकप्रियता खासी है, कुमायू, गढवाल तथा हर संस्‍क़ति में उनको सम्‍मान व दुलार मिलता है, उनको उत्‍तराखण्‍ड रत्‍न, कूर्माचल गौरव सम्‍मान से भी नवाजा जा चुका है,

लोकसभा चुनाव की घण्‍टी बज चुकी है, और केवल 2 माह आचार संहिता लागू होने में शेष् है, परन्‍तु उत्‍तराखण्‍ड में सत्‍ता संभाल रही बीजेपी का ध्‍यान शायद इस ओर नही है कि उत्‍तराखण्‍ड मंत्रिमण्‍डल में 2 मंत्रिपद रिक्‍त है और पार्टी के वरिष्‍ठकार्यकर्ता/ पदाधिकारी भी बडे ही लालायित होकर राह ताक रहे हैं कि उनकी तरफ भी ध्‍यान जायेगा, शायद यही कारण है कि पार्टी केएक विधायक की सिफारिश एक सम्‍मेलन में पूर्व सैनिको को करनी पडी, सैनिक बाहुल्य प्रदेश में सैन्य पृष्ठभूमि वाले मसूरी विधायक गणेश जोशी को मंत्रिमण्डल में शामिल किये जाने कोलेकर पूर्व सैनिक संगठनों ने जनरल वीके सिंह को ज्ञापन सौंपा। जनरल वीके सिंह नेज्ञापन स्वीकारते हुए मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय नेतृत्व से इस मामले में बात करनेका भरोसा पूर्व सैनिकों को दिलाया। 

इतना जरूर हुआ किभाजपा संगठन के कानो पर जू थोडी हिली, और संगठन कुछ हरकत में आया, प्रदेश संगठन ने दिल्‍ली गुहार लगायी, और भाजपा के केन्‍द्रीय संगठन मंत्री कुछ हरकत में आये, और उत्‍तराखण्‍ड प्रदेश संगठन के साथ वार्तालाप प्रारम्‍भ किया,

उत्‍तराखण्‍ड मंत्रिमण्‍डल में 2पद निरंतर रिक्‍त रखकर भाजपा क्‍या संदेश देना चाह रही थी, या इस मामले में दिल्‍ली की राह ताक रही थी, सरकार के मुखिया संगठन की ओर देख रहे थे, तो संगठन दिल्‍ली की ओर, इस में लम्‍बा वक्‍त गुजरता चला गया और लोकसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी,

इससे भाजपा को लोकसभा चुनाव में नुकसान भी संभावित है, सूबे में भाजपा सरकार आने के बाद चौपाल आदि लगायी जाने थी, जिससे आम जनता की समस्‍याओ का निवारण् होता और भाजपा की स्‍वीकार्यता बढती परन्‍तु भाजपा के छोटे से बडे कार्यकर्ता/ पदाधिकारी को हर कार्य के लिए विधानसभा, सचिवालय, मंत्रियो, की ओर ताकना पड रहा है, वही सरकार ने राज्‍य में बढती समस्‍याये देखी तो जिलाधिकारियो कोचौपाल लगा कर समस्‍याओ के निवारण का आदेश तो दे दिया परन्‍तु इससे भाजपा कीलोकप्रियता नही बढी, जो कार्य पार्टी के वरिष्‍ठ पदाधिकारी सरकार में दायित्‍व मिलने के बाद कराते, वह कार्य नौकरशाही को दे दिया गया, जिससे भाजपा में असंतोष लगातार मुखर होता जा रहा है, असतोष बढने का एक कारण दायित्‍वो की जिम्‍मेदारी तो तब मिलती जब राज्‍य के मुखिया अपनी कैबिनेट में ही दो पद रिक्‍त रखकर कार्य चला रहे हैं, जबकि दो पद पूर्ण होते तो इसका लम्‍बा लाभ और भी ज्‍यादा मिलता, पार्टी कार्यकर्ता/ पदाधिकारी यह अनुमान लगा रहे थे कि स्‍थानीय निकाय चुनाव के बाद राज्‍य सरकार जहां 2 विधायको को मंत्री पद से नवाजेगी और वरिष्‍ठ पदाधिकरियो को दायित्‍व का पद मिलेगा, इससे क्षेत्र की समस्‍याये दूर होगी, जिसका लाभ लोकसभा चुनाव में मिलता, परन्‍तु आज तीन इंजन की सरकार को जुमला कह कर व्‍यग्‍य बना दिया गया है, जो गलती हरीश रावतजी ने मुख्‍यमंत्री पद पर रहते हुए 2 मंत्रिपद खाली रखकर तथा आचार संहिता लगने सेएक दिन पूर्व दायित्‍वधारी वितरण की महान गलती की थी,वर्तमान सरकार भी उसी रास्ते पर बढ रही है, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने में मुश्‍किल से 2 माह शेष है, और उत्‍तराखण्‍ड की राज्‍य सरकार 2 मंत्रिपद खाली रखकर तथा दायित्‍व वितरण पर कोई निर्णय न कर एक संभावित नुकसान कीओर कदम बढा रही है,

केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राजस्‍थान में भाजपा सरकार की पराजय के कारणो पर स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि  हम अपने कामों को जनता तक पहुंचा नहीं पाए. चुनाव के आखिरी एक महीने में हम अपने कामों को गिनाने में कामयाब रहे और हमारा ग्राफ चढ़ा. इस का साफ मतलब है कि राज्‍य सरकार 10 साल में नही अपितु केवल एक माह में अपनी उपलब्‍धियो को जनता तक पहुंचा पायी, शायद उततराखण्‍ड भी इसी रास्‍ते पर अग्रसर है, क्‍योंकि हाल में देहरादून पहुंची भाजपा की नैशनल महासचिव ने भाजपा राज्‍य सरकार की उपलब्‍धियो को सोशल मीडिया के माध्‍यम से जनता तक पहुचाने की बात कही, परन्‍तु इस ओर भी राज्य सरकार के कदम बेमन तथा रूखे से हैं,

केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में मिली हार पर एक चैनल में बेबाकी से अपनी बात रखते हुए कहा कि हम अपने तीन बार से लगातार विधायकों का टिकट नहीं काट पाए. यही हार का अहम कारण बना. अगर हम उन सीटों पर नए प्रत्याशी उतारते तो 85 सीटों तक जीत जाते और सरकार भी बना लेते. उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे ने जिस विजन से काम किया, वह शायद ही कोई कर पाएगा. हम अपने कामों को जनता तक पहुंचा नहीं पाए. चुनाव के आखिरी एक महीने में हम अपने कामों को गिनाने में कामयाब रहे और हमारा ग्राफ चढ़ा.

हालात यह है कि एक विधायक गणेश जोशी को मंत्रिमण्डल को शामिल किया जाए करने के लिए पूर्व सैनिक को जनरल वीके सिंह को ज्ञापन सौंपा सौंपना पडा, प्राप्‍त खबर के अनुसार देहरादून में 16 दिसम्बर 2018 को  सैनिक बाहुल्य प्रदेश में सैन्य पृष्ठभूमि वाले मसूरी विधायक गणेश जोशी को मंत्रिमण्डल में शामिल किये जाने को लेकर पूर्व सैनिक संगठनों ने जनरल वीके सिंह को ज्ञापन सौंपा। जनरल वीके सिंह ने ज्ञापन स्वीकारते हुए मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय नेतृत्व से इस मामले में बात करने का भरोसा पूर्व सैनिकों को दिलाया।

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