उत्तराखंड सूबे की बेलगाम नौकरशाही ;करोड़ों का घोटाला ; स्वास्थ्य, शिक्षा में कम बजट खर्च हुआ, बेवजह उठाया 66 हजार करोड़ का कर्ज, विधानसभा पटल पर रखी गई लेखा रिपोर्ट से खुलासा
त्राहि माम त्राहि माम; # पिछले 20 वर्षों से प्रदेश में सत्तारूढ़ रहीं सरकारों ने 47758 करोड़ रुपये की धनराशि निकाल कर खर्च कर दी और इसे अभी तक विधानसभा से नियमित कराने की जहमत तक नहीं उठाई। इसके अलावा वास्तविक अनुमान से अधिक धनराशि खर्च कर दी गई, जबकि विधानमंडल की इच्छा के बिना एक रुपया भी खर्च नहीं किया जा सकता था। सरकार के वित्त प्रबंधन पर यह गंभीर टिप्पणी भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में की गई है। # कैग के रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में उत्तर पूर्वी हिमालयी राज्यों की तुलना में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कम बजट खर्च हुआ। रिपोर्ट में मानवीय विकास स्तर को बढ़ाने के लिए रिपोर्ट में सामाजिक सेवाओं शिक्षा और स्वास्थ्य में अधिक खर्च बढ़ाने की वकालत की है # राज्य सरकार ने बाजार से महंगी दरों पर लोन उठाया # 1 मार्च 2020 तक उत्तराखंड सरकार 65,982 करोड़ के कर्ज के तले दब चुकी थी। पिछले पांच सालों में कर्ज का यह ग्राफ लगातार बढ़ा है। कैग ने न सिर्फ राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं बल्कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद (एसडीजीपी) में भारी गिरावट का भी खुलासा किया
विधानसभा सत्र के दौरान सदन पटल पर राज्य के वित्त पर कैग की 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष के लिए पेश रिपोर्ट में सरकार के बजटीय प्रबंधन पर भी कई सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2005-06 से 2020-21 के दौरान अधिक व्यय किए गए 47,758.16 करोड़ रुपये विधानसभा से अभी मंजूर नहीं हुए हैं। कैग ने इसे संविधान के अनुच्छेद 204 व 205 का उल्लंघन माना है। इनके तहत विनियोग के अलावा समेकित निधि से कोई धनराशि नहीं निकाली जा सकती। इस प्रवृत्ति को कैग ने बजटीय और वित्तीय नियंत्रण की प्रणाली के खराब और सार्वजनिक संसाधन के प्रबंधन में वित्तीय अनुशासनहीनता माना है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पर्याप्त नगद राशि होने के बावजूद राज्य सरकार बेवजह बाजार से महंगी दरों पर लोन उठा रही है। ऐसा तब किया गया, जबकि सरकार के पास पर्याप्त नगदी मौजूद थी। नगदी होने के बावजूद महंगी दरों पर लोन लेना सरासर गलत है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई है।
देवभूमि उत्तराखंड के अधिकारियों की कारगुजारी से सरकार को 2297 करोड़ के राजस्व का सीधा नुकसान # ऊत्तराखंड के विभागों में 18,341 करोड़ की गंभीर वित्तीय गड़बड़ियां: यह हाल है उत्तराखंड का: सूबे की बेलगाम नौकरशाही: अधिकारियों की कारगुजारी से सरकार को 2297 करोड़ के राजस्व का सीधा नुकसान # विभागों ने नियम विरुद्ध कार्यों से सरकार को 2297 करोड़ का चूना लगा# विधानसभा पटल पर रखी गई वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक लेखा रिपोर्ट से ये खुलासा # सुर्खियां; उत्तराखंड: वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक लेखा रिपोर्ट # यूपीसीएल को तीन साल में 704 करोड़ की चपत # विधानसभा पटल पर रखी गई वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक लेखा रिपोर्ट से ये खुलासा
# By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे
High # ऊर्जा निगमों में सबसे ज्यादा 16,129 करोड़ 30 लाख की अनियमितताएं # डोईवाला चीनी मिल के विशेष ऑडिट में 1529. 98 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ियां # मंडी समितियों में 409 करोड़ # विश्वविद्यालयों में 134.32 करोड़# अशासकीय महाविद्यालयों में 79.68 लाख # जिला खनिज फाउंडेशन में 49.49 करोड़ # विकास प्राधिकरणों में 12.23 करोड़ # नगर निगमों में 32.40 करोड़ # नगर पालिकाओं में 16.64 करोड़ # नगर पंचायतों में 20.35 करोड़ # जिला पंचायतों में 2.87 करोड़ # परिवहन निगम में 3.58 करोड़ की गड़बड़ियां #
विभागों की 5377.22 करोड़ रुपये की राशि अभी तक बकाया है, जिसकी वसूली नहीं की गई # 6016. 24 करोड़ रुपये खर्च करने में ऑडिट के नियमों का उल्लंघन # 4245.42 करोड़ रुपये की अन्य आपत्तियां # 1.96 करोड़ नियम विरुद्ध खर्च # 5.92 करोड़ का अधिक भुगतान किया गया# 3.58 करोड़ का ब्याज अटका# 57.27 करोड़ का गलत निवेश # 46.93 करोड़ की अधिष्ठान संबंधी गड़बड़ियां पकड़ीं # 2.43 करोड़ की भंडार संबंधी अनियमितता # 36.27 करोड़ की निर्माण संबंधी अनियमितताएं # 10.64 लाख रुपये निष्प्रयोज्य सामग्री का निस्तारण न करने, 54.93 करोड़ की अनियमित खरीद # 32.18 करोड़ की प्रॉक्यूरमेंट संबंधी गड़बड़ी, 220.13 करोड़ की योजनाओं के निष्पादन से संबंधित अनियमितताएं#
यूपीसीएल को तीन साल में 704 करोड़ की चपत #
यूपीसीएल को रुड़की-हरिद्वार में बिजली आपूर्ति से तीन साल में 704 करोड़ की चपत # रुड़की में 22.09 प्रतिशत यानी 482.72 करोड़ की बिजली का नुकसान # हरिद्वार जोन में 15.51 प्रतिशत (704 करोड़) का नुकसान # मुख्य वजह बिजली चोरी # दो वित्तीय वर्षों में बिजली आपूर्ति से यूपीसीएल को 1696.41 करोड़ की हानि # यूजेवीएनएल ने उड़ीसा में 200 मेगावाट बिजली परियोजना की जमीन खरीद के लिए 2013 में उड़ीसा इंटिग्रेटेड पावर लिमिटेड को चेक से 35 करोड़ 93 लाख का भुगतान किया लेकिन जमीन का कुछ पता नहीं # 75.55 करोड़ ठेकेदारों व अन्य पर बकाया है। नाबार्ड से मिला 37.73 करोड़ का लोन 96 माह से बकाया है।
उरेड़ा पर निगम के 29.66 करोड़, यूपीसीएल पर जीपीएफ के 41.08 करोड़ बकाया हैं। मनेरी भाली-2 परियोजना में सिंचाई विभाग के खर्च के 60.84 करोड़ आज तक नहीं दिए। पांच जल विद्युत परियोजनाओं का 128.85 करोड़ का ब्याजमुक्त ऋण आज तक सरकार को नहीं लौटाया। बिक्री योग्य बिजली पर 10 पैसा रॉयल्टी, 30 पैसा प्रति यूनिट सेस की कुल राशि 526 करोड़ 44 लाख रुपये सरकार को नहीं दिए। यूजेवीएनएल का यूपीसीएल पर एनर्जी चार्ज, सेस व रॉयल्टी का 781.65 करोड़ बकाया है। यूपीसीएल की वजह से ग्रीन एनर्जी सेस, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की मद में राज्य सरकार को 31.03 करोड़ की हानि हुई।
पिछले छह वर्षों के दौरान लोक निर्माण विभाग की 509.66 करोड़ की 75 परियोजनाओं पर 357.17 रुपये खर्च किए गए, लेकिन इनमें से एक भी परियोजना पूरी नहीं हो पाई। कैग ने इन सभी परियोजनाओं को तत्काल पूरा करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016-17 तक 455.66 करोड़ लागत की ऐसी सर्वाधिक 57 परियोजनाएं थीं, जिन पर 327.29 करोड़ खर्च हो चुके थे और इनकी वित्तीय प्रगति भी 71.83 प्रतिशत तक थी। 2017-2022 तक 18 परियोजनाओं पर भी 43 फीसदी से 53 फीसदी तक ही काम हो पाया है।
मार्च 2021 तक तीन वर्ष के दौरान ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों के विभागीय अधिकारियों ने 1390 करोड़ रुपये के 321 उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) को नहीं दिए। ये सभी प्रमाण पत्र मार्च 2022 तक जमा हो जाने चाहिए थे। कैग ने इस पर सवाल उठाया है। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से सबके अधिक 274 यूसी वर्ष 2021-22 के हैं जिनमें 984.40 करोड़ की राशि दी गई है। 2020-21 में 384.86 करोड़ लागत के 39 व 2019-20 में 20.82 करोड़ के आठ यूसी लंबित हैं। कैग ने इसे धनराशि के दुरुपयोग और धोखाधड़ी के जोखिम से भरा माना।
कैग ने पाया कि 10,717.43 करोड़ की बड़ी राशि आहरण एवं वितरण अधिकारियों के स्वयं के बैंक खातों और कार्यदायी संस्थाओं के खातों में थी। इस पर कैग ने टिप्पणी की है कि अंतिम उपयोग के आश्वासन के अभाव में खर्च की इतनी बड़ी राशि को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। कैग ने व्यक्तिगत जमा लेखों का समय-समय पर मिलान न करने और उनमें पड़ी शेष राशि को संचित निधि में हस्तांतरित न करने को सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और धोखाधड़ी की संभावना से जोड़ा है।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार के पास वर्ष 2019-20 में अपने खातों में पर्याप्त नगद राशि थी। इसके बावजूद अप्रैल, जुलाई, अगस्त, सितंबर और दिसम्बर के महीने में बाजार से ऊंची दरों पर लोन लिया गया। इन महीनों में सरकार बाजार से लोन उठाने से बच सकती थी। बाजार से लोन लेने के बावजूद साल के आखिर में सरकार के नगद शेष लेखे के अंतर्गत कोई शेष नहीं था। इस पूरे साल सरकार की ओर से 5100 करोड़ बाजार से उठाए गए। कैग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि राज्य में ऋणों की वसूली संतोषजनक नहीं है। इसमें सुधार की जरूरत है। ऋण वसूली को बढ़ाया जाना चाहिए। रिपोर्ट में लंबित योजनाओं का भी जिक्र है। इसके अनुसार लोक निर्माण विभाग में विभिन्न प्रभागों में 886 करोड़ की 210 परियोजनाएं लंबित रहीं। परियोजनाओं के समय पर पूरा न होने से विकास योजनाएं प्रभावित होती हैं, दूसरी योजनाओं पर भी फोकस नहीं हो पाता। कैग रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 में राज्य में नगद शेष निवेश सबसे अच्छी स्थिति में था जो लगातार घटकर 2019-20 में शून्य हो गया। कैग रिपोर्ट में ऋण वसूली में तेजी लाने के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र पर खास ध्यान देने की सलाह दी गई है।
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