मेरा वृक्ष मेरी याद- मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड की एक बडी शुरूआत
मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वृक्षों को गोद लेने के लिए प्रेरित करते हुए मेरा वृक्ष मेरी याद का नारा बुलंद किया, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोगों से अपील की है कि १ व्यक्ति १ वृक्ष अवश्य लगाये, उन्होने अपील की कि जो लोग 22 जुलाई को रिस्पना नदी पर वृक्षारोपण नहीं कर पायेंगे, वे लोग ‘‘मेरा वृक्ष मेरी याद’’ के भाव से अपने घरों या उसके आसपास एक वृक्ष अवश्य लगाएं।
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल के लिए चन्द्रशेखर जोशी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
रिस्पना नदी के पुनर्जीवन की कवायद के तहत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नदी के उद्गम स्थल मासी फॅाल का भ्रमण किया। मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से मिशन ‘रिस्पना से ऋषिपर्णा’ के लिए जनसहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई को रिस्पना के उद्गम से मोथरोवाला तक नदी के आसपास एक ही दिन में 2.5 लाख से अधिक अनेक प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे। इसमें फलदार वृक्ष, चारा प्रजाति एवं जल संरक्षण करने वाले पौधे लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आगामी 22 जुलाई को होने वाले पौधरोपण, सामाजिक संगठनों, संस्थाओं व जन सहयोग से किए जाएंगे। इसी तरह होसी कोसी नदी के आसपास भी 1.5 लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आगामी 22 जुलाई को होने वाले पौधरोपण, सामाजिक संगठनों, संस्थाओं व जन सहयोग से किए जाएंगे। इसी तरह होसी कोसी नदी के आसपास भी 1.5 लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारम्भिक चरण में रिस्पना एवं कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद अन्य नदियों को भी पुनर्जीवित किया जाएगा। आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए सरकारी संस्थानों में रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग की व्यवस्था की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून को पूर्ण ग्रेविटी का पानी उपलब्ध कराने के लिए मार्च 2020 तक सौंग बांध बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जून 2019 तक सूर्यधार जल विद्युत परियोजना को पूर्ण करने का प्रयास किया जाएगा। इस अवसर पर जिलाधिकारी देहरादून एस.ए.मुरूगेशन, वीसी एमडीडीए आशीष श्रीवास्तव एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि जो लोग 22 जुलाई को रिस्पना नदी पर वृक्षारोपण नहीं कर पाएंगे, वे लोग ‘मेरा वृक्ष मेरी याद’ के भाव से अपने घरों या उसके आसपास एक वृक्ष अवश्य लगाएं। जल संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करना जरूरी है। हमें जो जल स्रोत सूख गए हैं, उन्हें पुनर्जीवित करना होगा।
मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वृक्षों को गोद लेने के लिए प्रेरित करते हुए मेरा वृक्ष मेरी याद का नारा बुलंद किया है इसका दूरगामी और व्यापक असर पडेगा, मुख्यमंत्री जी के संदेश से अगर प्रत्येक व्यक्ति एक एक वृक्ष लगा ले तो पूरा देहरादून हरा भरा हो सकता है
देश के प्रत्येक व्यक्ति अगर ‘वृक्षों को बचाओ’, ‘पौधों को लगाओ’ की पहल करे तो हमारे देश में प्राकृतिक परिवर्तन देखने को जरूर मिलेगा। क्योंकि वृक्ष ही हैं, जो बारिश को धरती पर लाने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं ये वृक्ष प्रत्येक व्यक्ति को प्राण वायु देने में भी सहायक होते हैं पृथ्वी के शोभाधायक, मानवता के संरक्षक, पालक, पोषक एवं संवर्द्धक वृक्षों का जीवन आज संकटापन्न है। वृक्ष मानवता के लिये प्रकृति प्रदत्त एक अमूल्य उपहार हैं।पेड़ पौधे तो प्राकर्तिक का उपहार है किसी भी भूखंड पे लगे पेड़ पौधे और वृक्ष केवल आँखों को हरियाली का आनंद नही देते है वे वातावरण को शीतल तथा पर्यावरण को मनमोहक बनाते है हमारे आस पास का नभ जल स्थल ही हमारा पर्यावरण कहलाता है पर्यावरण मे हरियाली होने से वातावरण मे नमी बनी रहती है तथा कृषि और वनस्पति दोनों मे व्रधि होती है पेड़ पौधे एक दुसरे पर निर्भर रहते हैl
लेकिन सिर्फ पेड़ लगाने से हमारी जिम्मेदारी खत्म नही होती, पर्यावरण की सुरक्षा तभी होगी जब रोपे गए पौधों की देखभाल हो,समय-समय पर खाद-पानी-कीटनाशक दिए जाएं,.कटाई छटाई होl ‘वृक्ष अपनाओ’(Adopt a Tree) अभियान की शुरुआत त्रिवेन्द्र सिह रावत ने प्रभावी व जोरदार ढंग से शुरू की है, उन्होने नारा बुलंद कर के देहरादून के लोगों को वृक्षों को गोद लेने के लिए प्रेरित किया हैl प्रत्येक व्यक्ति एक एक वृक्ष लगा ले तो पूरा देहरादून हरा भरा हो सकता है। लोगो को जागरूक करा जा रहा जिससे आम जनता पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनेl
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मार्मिक अपील-मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ऋषिपर्णा नदी के उद्गम स्थल मासी फाॅल का भ्रमण किया। मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से मिशन रिस्पना से ऋषिपर्णा के लिए जनसहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई को रिस्पना के उद्गम से मोथरोवाला तक एक ही दिन में 2.5 लाख से अधिक अनेक प्रजाति के पौधे लगाये जायेंगे। जिसमें फलदार वृक्ष, चारा प्रजाति के एवं जल संरक्षण करने वाले पौधे लगाये जायेंगे। 22 जुलाई को होने वाले पौधरोपण, सामाजिक संगठनों, संस्थाओं व जन सहयोग से किये जायेंगे। कोसी नदी पर 1.5 लाख से अधिक पौधे लगाये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारम्भिक चरण में रिस्पना एवं कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया। इसके बाद अन्य नदियों को भी पुनर्जीवित किया जायेगा। आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए सरकारी संस्थानों में रेन वाटर हाॅर्वेस्टिंग की व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की है कि जो लोग 22 जुलाई को रिस्पना नदी पर वृक्षारोपण नहीं कर पायेंगे व लोग ‘‘मेरा वृक्ष मेरी याद’’ के भाव से अपने घरों या उसके आसपास एक वृक्ष अवश्य लगाएं। जल संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करना जरूरी है। हमें जो जल स्रोत सूख गये हैं, उन्हें पुनर्जीवित करना होगा। देहरादून को पूर्ण ग्रेविटी का पानी उपलब्ध कराने के लिए मार्च 2020 तक सौंग बांध बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जून 2019 तक सूर्यधार जल विद्युत परियोजना को पूर्ण करने का प्रयास किया जायेगा। चन्द्रशेखर जोशी की रिपोर्ट-
हर साल देहरादून में विभिन्न संस्थाओं द्वारा बेहतरीन वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है,परन्तु उनकी देखभाल न होने से वह पनप ही नही पाते हैं, जिसकी वजह से देहरादून में न्यूनतम वृक्षारोपण हो रहा हैl इस वक्त जरूरत है कि देहरादून में मौजूद संस्थाएं वृक्षारोपण अभियान में तेजी लाने का कार्य करे, हम हर रोज अगर एक वृक्ष भी लगाते है तो वह देहरादून के पर्यावरण संरक्षण में एक सकारात्मक प्रयास होगा, आज अगर हम पेड़ पौधो की सेवा करेंगे तो वृक्ष भी हमे ऑक्सीजन और फल देंगे, आपदा से पीड़ित लोगो को बचाने के साथ साथ देहरादून के पर्यावरण पर भी ध्यान देना होगा, ग्लोबल वार्मिंग के इस भयानक दौर मे जब हमारे पास पेड़ लगाने के लिए स्थान भी नही बच रहा है ऐसे समय में बड़े गमलों में भी अपने घरों में भी पेड़ लगा सकते है, वही देहरादून शहर का कुल क्षेत्रफल का २०% हिस्सा ही हरित है, जबकि पर्यावरण संतुलन के लिए हरित क्षेत्र 36 प्रतिशत होना चाहिए।
मानव को वृक्षारोपण को अपना कर्तव्य व दायित्व मानना चाहिए। इससे पर्यावरण असंतुलन की समस्याओं से आने वाले समय में निजात मिल सकती है। वे कार्बन डाई आक्साईड लेते है तथा ऑक्सिजन छोड़ते है, पौधे अपनी जडों से नाईट्रोजन अवशोषित करके पोषित होते यह प्राकृतिक संतुलन के लिए जरूरी भी है। मानव जीवन निर्वहन के लिए जीतनी ऑक्सीजन लेता है उसके बदले में वृक्ष लगाकर यदि उतनी ऑक्सीजन प्रकृति को वापस नहीं लोटाता वृक्ष नहीं तो मानसून नहीं, मानसून नहीं तो बारिश नहीं, बारिश नहीं तो हमारी उन्नति नहीं। उन्नति के लिए सार्वजनिक जलस्रोतों (जैसे हैण्डपंप, बोरिंग नल) के आसपास जहां पानी व्यर्थ बहता हो, वह स्थान वृक्षारोपण के लिए उत्तम होता है। हम इस वेस्ट पानी को पेड-पोधों के लिए उपयोगी बना सकते है। इस छोटे से प्रयास के बदौलत आपको पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही प्रकृति के सौन्दर्य में आपका यबीह छोटा सा प्रयास सराहनीय साबित होगा।अंधाधुंध वृक्षों की कटाई, पेड़ों के देखभाल में कमी और अपेक्षा के अनुरुप वृक्षारोपण में कमी से सड़कें उदास हो रही है तो नहर तट सुनसान होता जा रहा है। अवैध अंधाधुंध वृक्षों की कटाई से पर्यावरण पर विपरित असर पड़ने से मानव को विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ रहा है। है। वृक्ष ही प्रदूषण को रोकने में सहायक सिद्ध होते हैं।वृक्षों को काटने से बचाए, उनको अधिक से अधिक लगाएं।
मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वृक्षों को गोद लेने के लिए प्रेरित करते हुए मेरा वृक्ष मेरी याद का नारा बुलंद करते हुए 22 जुलाई से 2.5 लाख से अधिक अनेक प्रजाति के पौधे लगाने की शुरूआत कर एक बडे अभियान की शुरूआत की है
विगत 2 वर्ष पूर्व एमडीडीए द्वारा श्री मीनाक्षी सुंदरम तथा सचिव श्री प्रकाश चन्द्र दुम्का द्वारा देहरादून को हरा भरा करने के लिए सैकडो पैड संस्थाओ को दिये गये, इसी क्रम में हिमालयायूके के सम्पादक तथा कूर्माचल परिषद के महासचिव चन्द्रशेखर जोशी को दिेये गये पेड आज कई फुट ऊचे लहरा रहे हैं, उन पेडो को देख कर मन से इन दोनो अधिकारियों के प्रति शुभकामनाये ही निकलती है- जो भी इन पेडो को लहराते हुए देखता है- इन पेडो की उचित देखभाल की गयी जिससे आज यह पेड लहरा रहे हैं- कहने का मतलब- सिर्फ पेड लगाये नही, उनको बचाये भी-
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