वसंत पंचमी , माँ सरस्वती का दिन
Vasant Panchami in India
२ फरवरी को वसंत पंचमी , माँ सरस्वती का दिन है,
ज्ञान की देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र, स्तुति आदि की रचना की गई है। उन्हीं में से एक मां सरस्वती की द्वादश नामावली स्तुति। यह स्तुति सुविख्यात है। दिन की तीन संध्याओं में इनका पाठ करने से भगवती सरस्वती अति प्रसन्न होती है तथा भक्त की हर मनोकामना पूरी करती है।
द्वादश नामावली
प्रथम भारती नाम द्वितीयं सरस्वती। तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी।।
पंचमं जगती ख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा। सप्तमं कुमुदी पोक्ता अष्टमं ब्रह्मचारिणी।
नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी। एकादशं चंद्रकान्तिद्र्वादशं भुवनेश्वरी।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं चः पठेन्नरः। जिह्वाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मरूपा सरस्वती।
स्कूल, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों में देवी सरस्वती का चित्र विशेष तौर पर लगाया जाता है। कमल पर बैठी, एक हाथ में वीणा, एक हाथ में पुस्तक, एक हाथ में माला, पीछे मोर, एकांत, नदी किनारे, सफेद कपडों में। देवी सरस्वती के इस चित्र के पीछे विद्यार्थी जीवन के कई गूढ रहस्य जीवन छिपे हैं। जो इस प्रकार हैं-
– मां सरस्वती हमेशा सफेद कपडों में होती है। इसके दो संकेत हैं पहला हमारा ज्ञान निर्मल हो, विकृत न हो। जो भी ज्ञान अर्जित करें वह सकारात्मक हो। दूसरा संकेत हमारे चरित्र को लेकर है। विद्यार्थी जीवन में कोई दुर्गुण हमारे चरित्र में न हो। वह एकदम साफ हो।
– एक हाथ में पुस्तक, संदेश देती है कि हमारा लगाव पुस्तकों के पति, साहित्य के पति हो। विद्यार्थी कभी पुस्तकों से अलग न हो, भौतिक रूप से भले ही कभी किताबों से दूर रहे लेकिन हमेशा मानसिक रूप से किताबों के साथ रहे।
– एक हाथ में माला है, यह बताती है कि हमें हमेशा चिंतन में रहना चाहिए, जो ज्ञान अर्जित कर रहे हैं, उसका लगातार मनन करते रहें, इससे आपकी मेधा बढेगी।
– दो हाथों से वीणा का वादन, यह संकेत करता है कि विद्यार्थी जीवन में ही संगीत जैसी ललित कलाओं पति भी हमारी रुचि होनी चाहिए। संगीत हमारी याददाश्त बढाने में भी सहायक होता है।
– सरस्वती नदी किनारे एकांत में बैठी है, यह संकेत है कि विद्यार्जन के लिए एकांत भी आवश्यक है। विद्यार्थी को थोडा समय एकांत में भी बिताना चाहिए।
– सरस्वती के पीछे सूरज भी उगता दिखाई देता है, यह बताता है कि पढाई के लिए सुबह का समय ही श्रेष्ठ है।
– सरस्वती के सामने दो हंस हैं, ये बुद्धि के पतीक हैं, हमारी बुद्धि रचनात्मक और विश्लेषणात्मक दोनों होनी चाहिए।
जगतजननी दुर्गा के तीन स्वरूपों महाकाली, महालक्ष्मी के संग महासरस्वती की आराधना शक्ति, पवित्रता, वैभव के साथ ज्ञान को जीवन में उतारने का ही संदेश देती है।
जगतजननी दुर्गा का ज्ञान स्वरूप महासरस्वती के रूप में पूजनीय है। व्यावहारिक रूप से भी शक्ति, धन के साथ विद्या व बुद्धि का बेहतर तालमेल सफलतम जीवन का सूत्र है। महासरस्वती भी विद्या, ज्ञान, कला व वाणी की अधिष्ठात्री मानी गई है। यही कारण है कि आज के भाग-दौड भरे दौर में भी सफल, यशस्वी व पतिष्ठित जीवन की कामना पूरी करने के लिए मां सरस्वती का स्मरण बहुत जरूरी हो जाता है।
ज्ञान की कमी से मन व बुद्धि की कमजोरी आलस्य, कर्महीनता व दरिद्रता की ओर धकेलती है। वहीं वाणी व बुद्धि बल तन व धन की कमी को भी पाट देता है। देवी सरस्वती का ध्यान मन, बुद्धि को शक्ति प्रदान करता है। जिसके लिए बसंत पंचमी, शुक्रवार के अलावा हर रोज सुबह शास्त्रों में बताए एक विशेष सरस्वती मंत्र से ध्यान ऐसी ही कामनासिद्धि करने वाला माना गया है।
जानते हैं यह देवी सरस्वती मंत्र व आसान विधि
– देवी सरस्वती के स्मरण के बेहद आसान तरीकों में सुबह स्नान कर स्वच्छ सफेद वस्त्र पहने, देवी पतिमा पर सफेद फूल अर्पित करे, दीप व अगरबत्ती लगाकर नीचे लिखे का मंत्र का श्रद्धा से बुद्धि, यश व सफलता की कामना से स्मरण करें
सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नमः।
वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।
देवी सरस्वती ज्ञान, बुद्धि, कला व संगीत की देवी हैं। इनकी उपासना करने से मुर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। विश्वविजय सरस्वती कवच का नित्य पाठ करने से साधक में अद्वुत शक्तियों का संचार होता है। विद्यार्थियों के लिए यह विशेष फलदाई है।
धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवती सरस्वती के इन अदुभुत विश्वविजय सरस्वती कवच को धारण करके ही महर्षि वेदव्यास, ऋष्यश्रृंग, भरद्वाज, देवल तथा जैगीषव्य आदि ऋषियों ने सिद्धि पाई थी।
विश्वविजय सरस्वती कवच
श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो मे पातु सर्वतः। श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं मे सर्वदावतु।।
ऊँ सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्र पातु निरन्तरम्। ऊँ श्रीं ह्रीं भारत्यै स्वाहा नेत्रयुग्मं सदावतु।।
ऐं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां मे सर्वतोवतु। ह्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा ओष्ठं सदावतु।।
ऊँ श्रीं ह्रीं ब्राह्मयै स्वाहेति दन्तपंक्तीः सदावतु। ऐमित्येकाक्षरो मन्त्रो मम कण्ठं सदावतु।।
ऊँ श्रीं ह्रीं पातु मे ग्रीवां स्कन्धं मे श्रीं सदावतु। श्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा वक्षः सदावतु।।
ऊँ ह्रीं विद्यास्वरुपायै स्वाहा मे पातु नाभिकाम्। ऊँ ह्रीं ह्रीं वाण्यै स्वाहेति मम पृष्ठं सदावतु।।
ऊँ सर्ववर्णात्मिकायै पादयुग्मं सदावतु। ऊँ रागधिष्ठातृदेव्यै सर्वांगं मे सदावतु।।
ऊँ सर्वकण्ठवासिन्यै स्वाहा पाच्यां सदावतु। ऊँ ह्रीं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाग्निदिशि रक्षतु।।
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा। सततं मन्त्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदावतु।।
ऊँ ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मन्त्रो नैऋर्त्यां मे सदावतु। कविजिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु।।
ऊँ सदाम्बिकायै स्वाहा वायव्ये मां सदावतु। ऊँ गद्यपद्यवासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेवतु।।
ऊँ सर्वशास्त्रवासिन्यै स्वाहैशान्यां सदावतु। ऊँ ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोध्र्वं सदावतु।।
ऐं ह्रीं पुस्तकवासिन्यै स्वाहाधो मां सदावतु। ऊँ ग्रन्थबीजरुपायै स्वाहा मां सर्वतोवतु।।
(ब्र. वै. पु. फतिखंड ४/७३-८५)
Vasant Panchami in India
Vasant Panchami is the Hindu festival that highlights the coming of spring. This festival is usually celebrated in Magh, which is between the months of January and February in Gregorian calendar. It is celebrated in countries such as India.
Vasant Panchami is a famous festival that marks the end of the winter season and ushers in the springtime. Sarasvati is the Hindu goddess of the Vasant Panchami festival. Young girls wear bright yellow dresses and participate in the festivities. The color yellow holds a special meaning for this celebration as it signifies the brilliance of nature and the vibrancy of life. The whole place bursts with yellow during the festival.
People dress in yellow and they offer yellow flowers to others and to the gods and goddesses. They also prepare and feast on a special pastry called kesar halwa or kesar halva, which is made from flour, sugar, nuts, and cardamom powder. This dish also includes saffron strands, which gives it a vibrant yellow color and mild fragrance. During the Vasant Panchami festival, India’s crop fields are filled with the color yellow, as the yellow mustard flowers bloom at this time of the year. Pens, notebooks, and pencils are placed near the goddess Devi’s feet to be blessed before they are used by students.
Vasant Panchami is a public holiday. Government offices, schools, colleges do not operate on the day. However, at the same time, private offices are operational. Public transport also operates throughout the day but there is heavy traffic congestion during to processions at various places.
The celebration of the Vasant Panchami is centered on the Hindu goddess Sarasvati. Sarasvati is the goddess of wisdom. She embodies the different facets of learning such as the sciences, arts, crafts and skills. She is said to be calm and collected. She is often pictured seated on a lotus or a peacock, wearing a white dress.
The Goddess Sarasvati is the goddess of intellect and learning. She has four hands which symbolize ego, intellect, alertness and the mind. She carries a lotus and scriptures in two of her hands and she plays music on the veena (an instrument similar to a sitar) with her other two hands. She rides on a white swan. Her white dress is a symbol for purity. Her swan signifies that people should have the ability to discern the good from the bad.
The goddess Sarasvati, sitting on a lotus, symbolizes her wisdom. She is also well-versed in the experience of truth. When the goddess is seen sitting on a peacock, it is a reminder that a strong ego can be held back by wisdom.