विपश्यना एक प्राचीन और अद्भुत ध्यान प्रयोग है- यह ध्यान विधि- जो आपकी सहायता करती है -यह राजनेता है इस विद्या के साधक
विपश्यना एक प्राचीन और अद्भुत ध्यान प्रयोग है: यह राजनेता है इस विद्या के साधक: RG और केजरीवाल– इस दौरान साधक सांसारिक बातों से पूरी तरह अलग होकर साधना में लीन हो जाता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी विपश्यना साधना करते हैं. नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने पूछताछ के दौरान उनसे पूछा था कि एक छोटे से कमरे में सुबह से शाम तक बैठे रहने के बावजूद वो क्यों नहीं थके, तब उनका जवाब था- विपश्यना से इसकी आदत लग गई है. कई अन्य पॉलिटिशियन और बॉलीवुड व खेल जगत की हस्तियों के विपश्यना ध्यान साधना करने की खबरें आपने पढ़ी होगी!
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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी म्यांमार में एक प्रसिद्ध साधना स्थल में विपश्यना करते रहे हैं। यहां पर भारत से ताल्लुक रखने वाले चर्चित आध्यात्मिक गुरु भी साधना करते रहे हैं। इस साधना स्थल का निर्माण एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति ने दशकों पहले कराया था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वो आज विपश्यना साधना के लिए जा रहे हैं. एक जनवरी को लौटेंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले साल भी सितंबर में वो विपश्यना साधना के लिए जयपुर गए थे. उससे पहले दो साल कोरोना के कारण नहीं जा सके थे. केजरीवाल जब राजनीति में नहीं थे, 2005 से भी पहले, जब वो आरटीआई यानी सूचना के अधिकार पर काम कर रहे थे, तब से ही ध्यान-योग के लिए अलग-अलग विपश्यना शिविरों में जाते रहे हैं.
विपश्यना का अर्थ है, जो चीज जैसी है उसे उसी रूप में या कहें कि सही रूप में देखना. विपश्यना एक मानसिक व्यायाम है जो मन और तन दोनों के लिए उपयोगी है. इसकी मदद से इंसान खुद को जानता है. कहा जाता है कि विपश्यना की खोज महात्मा बुद्ध ने खोजा था. महात्मा बुद्ध से पहले भी भारत में ऋृषी-मुनी इसका अभ्यास करते थे.
विपश्यना (Vipassana) एक प्राचीन ध्यान (Meditation) विधि है जिसका अर्थ होता है देखकर लौटना। विपश्यना को आत्म निरीक्षण और आत्म शुद्धि के लिए सबसे बेहतरीन पद्धति भी माना जाता है। हजारों साल पहले भगवान बुद्ध ने भी इसी ध्यान विधि के जरिए बुद्धत्व को हासिल किया था। इतना ही नहीं, उन्होंने इसका ज्ञान अपने जानने वाले लोगों को भी कराया। आसान शब्दों में कहें तो ये एक ध्यान विधि है जो कि खुद को जानने (Know Yourself) में आपकी सहायता करती है।
विपश्यना एक प्राणायाम और साक्षी भाव का मिलाजुला योग है। इस विधि को करने के दौरान आपको अपनी सांस को महसूस करना यानी कि सांस लेना और छोड़ने की प्रक्रिया को महसूस करना होता है और इसे लेकर आपको सजग रहने का भी अभ्यास करना होता है। विपश्यना ध्यान के पांच सिद्धांत बताए जाते हैं जो हैं जीव हिंसा की पूर्ण मनाही, चोरी ना करना, ब्रह्मचर्य का पालन, अपशब्दों का इस्तेमाल न करना और नशे से दूर रहना।
विपश्यना का काम आपको भीतर की सच्चाई के बारे में भी जानकारी देना है. क्योंकि आपके दुख का कारण आपके भीतर है. जैसे जैसे आप इस विद्या में कुशल होते जाएंगे धीरे-धीरे मन विकारों से मुक्त होकर शुद्ध होता जाएगा. शुद्ध चित्त हमेशा प्यार से भरा रहता है. सबके प्रति मंगल मैत्री, औरों के अभाव और दुखों के प्रति करुणा, दूसरों के यश और सुख से आपको तकलीफ होना बंद हो जाएगी और आप हर स्थिति में समान होंगे. जब इस अवस्था पर पहुंचते हैं तो आपका पूरा जीवन ही बदल जाता है.
भगवान बुद्ध ने जीवन जीने की यही कला सिखायी. उन्होंने किसी संप्रदाय की स्थापना नहीं की. उन्होंने अपने शिष्यों को मिथ्या कर्म-कांड नहीं सिखाये. बल्कि, उन्होंने भीतर की नैसर्गिक सच्चाई को देखना सिखाया. जब सच्चाई को जैसी-है-वैसी देखने का तरीका और साहस सीख जाएंगे तो आपके जीवन से बेवजह का तनाव कम होता जाएगा.
जब आप अपने मन के भीतर हो रही किसी भी स्थिति में मन को संतुलित रखते हैं, तो किसी भी बाहरी परिस्थिति का सामना करते हुए आपका भाव तटस्थ बना रहता है. ये तटस्थ भाव पलायनवाद नहीं है, ना यह दुनिया की समस्याओं के प्रति उदासीनता या बेपरवाही है. विपश्यना (Vipassana) का नियमित अभ्यास करने वाले औरों के दुखों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, और उनके दुखों को हटाने के लिए बिना व्याकुल हुए प्यार, करुणा और समानता के साथ हर प्रकार का प्रयास करते हैं.
विपश्यना साधना के शिविर में तीन सोपान में लोगों को शारीरिक, वाचिक कर्मों से विरत होने, विकारों से मुक्ति पाने का अभ्यास, शील की आचार संहिता का अभ्यास, जीव-हत्या, चोरी, कामसंबंधी मिथ्याचार, असत्य भाषण एवं नशे के सेवन से विरत रहने का काम किया जाता है. मन को एक (सांस के) आलंबन पर लगाकर वश में करना, जितना हो सके उतना समय लगातार मन को सांस पर टिकाने अभ्यास करना होता है. यह सांस की कसरत नहीं है, बल्कि, नैसर्गिक सांस को देखना होता है, जैसा है वैसा, जैसे भी भीतर आ रहा हो, जैसे भी बाहर जा रहा हो. इसके साथ ही मन की शुद्धता, अपने बारे में सच्चाई का अनुभव करना. भीतर की सच्चाई को देखकर सत्य को जैसा है वैसा देखना—यही अपने आपको प्रत्यक्ष अनुभव से जानना है.
आज दुनिया भर में लगभग 170 विपश्यना मेडिटेशन सेंटर हैं जहां 10, 20, 30, 45 और 60 दिनों तक मेडिटेशन के कोर्स कराए जाते हैं.
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