पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल गरमाया, 26 फ़रवरी को पंचायत ;‘खड़ा हो ले, जाके पैले अस्तीफा दे’
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल अब तनावपूर्ण होता दिख रहा है। राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने सोरम की घटना के विरोध में 26 फ़रवरी को पंचायत करने का एलान किया है। अपने ही संसदीय क्षेत्र (मुज़फ्फरनगर) सौरम गाँव में आज अपराह्न केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन राजयमंत्री संजीव बालि यान के साथ गए लोगों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों के साथ की गयी भीषण मारपीट के बाद समूचे क्षेत्र में गहरा तनाव फैल गया है। घटना के 5 घंटे बाद तक स्थानीय ग्रामीणों की बहुत बड़ी भीड़ शाहपुर थाना घेर कर बैठी रही। भीड़ मांग कर रही थी कि ‘केंद्रीय मंत्री और उनके साथ गए गुंडों को गिरफ्तार किया जाए।’ अंत में पुलिस की इस घोषणा के बाद कि ग्रामीणों की एफ़आईआर दर्ज कर ली गयी है, भीड़ छँटी और वरिष्ठ अधिकारीगण इन किसानों के नेताओं के साथ वार्ता में जुट गए।
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और बीजेपी के विरुद्ध बहुत दूर तक संदेश : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गयी पार्टी के जाट नेताओं की बैठक में उन्हें अपने समुदाय में जाकर कृषि क़ानूनों के बारे में प्रचार अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया था। केंद्रीय पशुपालन मंत्री संजीव बालियान ने अपने संसदीय क्षेत्र में मोर्चा खोलने की कोशिश की। वह लिसाड़ गाँव पहुँचे। यहाँ खाप के चौधरी बापा हरकिशन मालिक के यहाँ डेरा डालने का प्रयास किया। मालिक ने उन्हें फटकारते हुए कहा- ‘खड़ा हो ले। जाके पैले अस्तीफा दे।’
मुज़फ्फरनगर से दो बार सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान सोमवार को सोरम गांव पहुंचे थे। यहां वह अपने समर्थकों के साथ तेरहवीं में शामिल होने आए थे। लेकिन यहां बीजेपी और आरएलडी के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो गई। बताया गया है कि मारपीट बालियान मुर्दाबाद के नारे लगने के बाद हुई। मारपीट के विरोध में सैकड़ों लोग नज़दीक के शाहपुर थाने में इकट्ठा हो गए और आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि बालियान के साथ आए बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की है। सोरम की घटना से नाराज़ किसानों ने कहा है कि वे हर जगह बीजेपी के नेताओं के ख़िलाफ़ इसी तरह नारेबाज़ी करेंगे। हालांकि राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान बीजेपी नेताओं से शालीनता से बात करें और अपने सवाल पूछें। उन्होंने कहा कि ध्यान रखें कि गांवों का माहौल न बिगड़े। उनके भाई नरेश टिकैत ने कहा है कि सांसद व विधायक गांवों में जाने से बचें।
जब केंद्रीय मंत्री का इतना जोरदार विरोध हो सकता है तो बीजेपी के बाक़ी नेताओं-कार्यकर्ताओं को तो और जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जब लोग आमने-सामने आएंगे तो निश्चित रूप से इलाक़े में तनाव बढ़ेगा।
ग़ौरतलब है कि ‘खाप पंचायत’ की सामाजिक सियासत में सौरम एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है जो प्राचीन राजा हर्षवर्धन द्वारा स्थापित खाप पंचायतों के समय से मुख्यालय के रूप में स्थापित है। आज भी यह 4 प्रदेशों (पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब) की सर्वखाप पंचायत का मुख्यालय है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि सौरम में होने वाली हिंसा का अर्थ है केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और बीजेपी के विरुद्ध बहुत दूर तक संदेश जाना। बालियान सन 2014 से लोकसभा में इस क्षेत्र का ही प्रतिनिधित्व करते हैं।
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गयी पार्टी के जाट नेताओं की बैठक में उन्हें अपने समुदाय में जाकर कृषि क़ानूनों के बारे में प्रचार अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया था। सभी जाट नेताओं ने यद्यपि अपने नेता के सामने ऐसा करने का वायदा किया था लेकिन जाटों के बीच जिस तरह से किसान आंदोलन के पक्ष में सद्भावना का दरिया बह रहा है, उसके चलते किसी अन्य नेता की अभी तक हिम्मत नहीं हो पायी। विगत रविवार को केंद्रीय पशुपालन मंत्री संजीव बालियान ने अपने संसदीय क्षेत्र में मोर्चा खोलने की कोशिश की।
बालियान राजपाल चौधरी के यहाँ तेरहवीं संस्कार में भाग लेने सौरम गाँव पहुँचे। चश्मदीदों के अनुसार कल की घटना से सबक़ लेकर वह आज अपने साथ कुछ ‘मसलमैन’ भी ले गए थे। यहाँ कुछ देर बैठकर वह पूर्व ग्राम प्रधान सुधीर चौधरी के यहाँ पहुँचे। जैसे ही वह पूर्व प्रधान के यहाँ पहुँचे, लोग जमा होने शुरू हो गए और उनकी मुर्दाबादी के नारे लगने लगे। माहौल गर्माता देख कर उनके साथ गए मसलमैनों ने लाठियाँ भजनी शुरू कर दीं जिसमें 4 लोग घायल हुए। भीड़ इकट्ठी होते देख मंत्री जी वहाँ से निकल लिए। जाते-जाते उनके लोग एक घायल को भी अपने साथ ले गए और गाँव के बाहर खेतों में फेंक गए।
इस घटना के बाद आसपास के गाँवों से बड़े पैमाने पर लोग पंचायत घर में जुटने लगे। जब वहाँ मौजूद लोगों की तादाद बहुत बड़ी हो गयी तो भीड़ सम्बंधित थाना शाहपुर पहुँच गयी और उसने थाना घेर लिया। लगभग पाँच घंटे बाद पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज किये जाने की सूचना से भीड़ को अवगत कराया। मुज़फ्फरनगर के पूर्व सांसद हरेंद्र मालिक, (जो थाने पर एकत्रित भीड़ के प्रमुख नेताओं में थे) का कहना है कि पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज कर ली है। और आश्वासन दिया है कि समूचे मामले की जाँच करेंगे। उन्होंने कहा कि ‘हमने अधिकारियों से कह दिया है कि हमलोग 26 फ़रवरी तक कार्रवाई और परिणामों की प्रतीक्षा करेंगे नहीं तो दोबारा थाना घेरा जायेगा।’