गुजरात नगर निगम -चुनाव- बीजेपी का शानदार प्रदर्शन ; आम पार्टी ने चौंकाया

गुजरात नगर निगम के चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है। ताज़ा रूझानों के मुताबिक़, बीजेपी सभी छह नगर निगमों में कांग्रेस से बहुत आगे चल रही है। सूरत नगर निगम में आम आदमी पार्टी ने चौंकाया है और पार्टी ने यहां 12 सीटों पर जीत हासिल कर ली है और कई पर वह आगे चल रही है। पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव की तरह क्या किसान आंदोलन का गुजरात में भी असर होगा और बीजेपी को हार मिलेगी, इस पर सभी की नज़रें टिकी थीं लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

सूरत में कांग्रेस अब तक खाता भी नहीं खोल सकी है. यहां की 120 सीटों में 93 पर बीजेपी को जीत मिली है, जबकि 27 सीटें आप के खाते में गई हैं. वहीं अहमदाबाद की 192 सीटों में से 146 सीटें बीजेपी जीती है और कांग्रेस को महज़ 13 सीटें ही मिल सकी हैं. यहां एआईएमआईए 7 सीटों पर आगे है. छह नगर निगमों अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, वडोदरा, भावनगर और जामनगर नगर निगम के 144 वार्डों की 576 सीट के लिए रविवार को मतदान हुआ था.

राज्य के छह नगर निगमों के लिए 21 फ़रवरी को मतदान हुआ था और इसमें 46.08 फ़ीसदी मतदान हुआ था। इनमें अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, जामनगर और भावनगर नगर निगम शामिल हैं। 

बीजेपी इन सभी नगर निगमों में सत्ता में है। चुनाव प्रचार के दौरान कांंग्रेस के डेट डेस्टिनेशन विद कैफे, किटी पार्टी हॉल को घोषणापत्र में जगह दिए जाने की काफी चर्चा हुई थी। 

राजकोट में बीजेपी ने 72 सीटों में से 68 पर जीत दर्ज कर ली है, जबकि 4 सीटों पर कांग्रेस को सफलता मिली है. वहीं वडोदरा की सीटों में से 65 बीजेपी, जबकि कांग्रेस ने सात पर जीत दर्ज की है. जामनगर की 64 सीटों में से 51 पर बीजेपी और 10 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है. यहां 3 सीटें अन्य के खाते में गई हैं. भावनगर की 52 सीटों में से बीजेपी ने 44 और कांग्रेस ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की है.

गुजरात में निकाय चुनाव के परिणाम साफ हो चुके हैं। एक बार फिर नगर निगम के चुनावों में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी के गुजरात नगरपालिका चुनावों में प्रदर्शन के बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बधाई दी। बोले एक नई राजनीति की शुरुआत के लिए बधाई। चुनाव लड़ रही आप ने सूरत में 17 सीटों पर बढ़त बनाकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस को कम सीटों पर संतोष करना पड़ा तो वहीं दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी अपनी मौजूदगी साबित कर दी है। आप को गुजरात में एंट्री मिल गई है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में बीजेपी ने 68 सीटों पर जीत दर्ज की है, राजकोट नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने 4 सीटें जीतीं हैं।  गुजरात में अपना चुनावी खाता खोलते हुए लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने अहमदाबाद नगरपालिका चुनावों में चार सीटें हासिल कीं। एआईएमआईएम ने अहमदाबाद के जमालपुर में सीटें जीतीं। सीएम विजय रूपाणी के गृहनगर राजकोट की 72 में से 68 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। भाजपा ने राजकोट में 30 और सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की। दूसरी ओर कांग्रेस राजकोट में केवल चार सीटें जीतने में सफल रही। वहीं सूरत नगरपालिका चुनावों में कुल 120 सीटों में से बीजेपी ने 93 सीटें जीती हैं, जबकि शेष 27 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती है। अहमदाबाद की 67 सीटों में से 57 सीटों पर भाजपा का कब्जा है और अन्य 5 नागरिक निकाय हैं। बीजेपी को अहमदाबाद में 67 में से 57, राजकोट में 55 में से 51, जामनगर में 60 में से 46, भावनगर में 36 में से 31, 76 में से 61 सीटें मिलीं। वडोदरा और सूरत में 48 में से 40। कांग्रेस को अहमदाबाद में 10, राजकोट में 4, जामनगर में 11, भावनगर में 5 और वडोदरा में 7 सीटें मिली हैं।

कांग्रेस ने पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था जबकि शिरोमणि अकाली दल को करारा झटका लगा। पंजाब में अकाली दल की बैशाखी के सहारे राजनीति करने वाली बीजेपी भी पूरी तरह साफ हो गई है। पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी अपनी ही उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी। 

कांग्रेस ने पंजाब के 8 में से 7 नगर निगमों में जीत दर्ज की है। इनमें मोगा, अबोहर, बठिंडा, कपूरथला, होशियारपुर, पठानकोट और बटाला शामिल हैं जबकि मोहाली में कांग्रेस को जीत मिली है।  पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि कांग्रेस विरोधी दलों पर बहुत भारी पड़ी है और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उसने सियासी बढ़त हासिल कर ली है।

दिसंबर, 2020 में हरियाणा में हुए तीन नगर निगमों के चुनाव में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को सिर्फ़ एक निगम में जीत मिली थी। उससे पहले बरोदा सीट पर हुए उपचुनाव में भी इस गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। माना गया था कि खट्टर सरकार को किसानों की नाराज़गी का खामियाजा उठाना पड़ा है। 

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