4 फरवरी -वर्ल्ड कैंसर डे, WHO; हर 10 में एक भारतीय को कैंसर होने की आशंका, 2025 तक देश के 16 लाख लोग कैंसर का शिकार की आशंका, कैंसर मुक्त दुनिया केे लिए सफलता पूर्वक कार्य कर रहे श्री प्रदीप भण्डारी
World Cancer Day 2024: विश्व कैंसर दिवस कैंसर दुनियाभर के लिए एक बड़ी चुनौती है हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है विश्व कैंसर दिवस पहली बार 4 फरवरी 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में मनाया गया था। कैंसर शब्द की उत्पत्ति का श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (460-370 ईसा पूर्व) को दिया जाता है। इन्हें “चिकित्सा का जनक” भी माना जाता है। श्री प्रदीप भण्डारी ने कहा- कैंसर से होने वाली 40 प्रतिशत मौतों को रोका जा सकता है।
कैंसर मुक्त दुनिया केे लिए सफलता पूर्वक कार्य कर रहे श्री प्रदीप भण्डारी पावलगढ निकट रामनगर जनपद नैनीताल में एक ऐसा नाम उभर कर आया है जो सदियो से लाइलाज और असाध्य कैंसर जैसी बीमारी पर रोक लगाने में कामयाब हुए हैं ;
कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में कुछ कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित होती हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं। वैश्विक स्तर पर, कैंसर मृत्यु दर का प्रमुख कारण है, 2020 में एक करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई। भारत में, 2022 में घटना दर 19 से 20 लाख (अनुमानित) मामलों के बीच दर्ज की गई। तंबाकू का उपयोग, शराब का लंबे समय तक सेवन, अस्वास्थ्यकर भोजन आदतें, शारीरिक व्यायाम की कमी और वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना सभी कैंसर के जोखिम कारक हैं।
इस वर्ष 2024, विश्व कैंसर दिवस की थीम ” क्लोज़ द केयर गैप ” है, जो 2022 की थीम की निरंतरता है और प्रत्येक वर्ष के लिए निर्दिष्ट उद्देश्यों के साथ 2024 (3-वर्षीय अभियान) तक चलेगी। यह उम्मीद की गई थी कि बहु-वर्षीय अभियान में अधिक प्रदर्शन और जुड़ाव होगा, साथ ही वैश्विक जागरूकता बढ़ाने और प्रभाव डालने के अधिक अवसर होंगे।
बढ़ते प्रदूषण और बदलते पर्यावरण के कारण आए दिन, तरह-तरह की नई बीमारियां लोगों को अपना शिकार बना रही हैं, जिसके कारण वैज्ञानिकों में काफी डर बना हुआ है। इन्हीं खतरनाक बीमारियों में से एक बीमारी है कैंसर। इस बीमारी में कोई भी दवा काम नहीं कर रही सभी प्रयासों के बाद भी कुछ ट्यूमर फिर से बढ़ गए।
कैंसर रोगों का एक समूह है जिसमें कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है, जिससे खरबों कोशिकाएँ बन जाती हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि मानव कोशिकाएं शरीर की आवश्यकता के अनुसार बढ़ती और विभाजित होकर नई कोशिकाएं बनाती हैं। जब कोशिकाएँ पुरानी या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो वे मर जाती हैं और नई कोशिकाएँ उनका स्थान ले लेती हैं। लेकिन कैंसर में ऐसा नहीं होता. जब किसी शरीर में कैंसर विकसित होता है तो कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं, पुरानी कोशिकाएं मरने की बजाय जीवित रहती हैं और जब नई कोशिकाओं की जरूरत नहीं होती तो वे भी विकसित हो जाती हैं। ये अतिरिक्त कोशिकाएं विभाजित होकर ट्यूमर में बदल जाती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर 10 में एक भारतीय को कैंसर होने की आशंका बनी रहती है और 2025 तक तो देश के 16 लाख लोग कैंसर का शिकार हो सकते हैं। जिसमें, सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मरीज होंगे। इस खतरनाक बीमारी में लगभग 100 से ज्यादा प्रकार होते हैं। इनमें सबसे आम स्किन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, ब्लैडर कैंसर, मेलानोमा, लिम्फोमा, किडनी कैंसर हैं। महिलाओं में सबसे ज्यादा स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, सर्वाइकल, और थायराइड कैंसर होता है, वहीं, पुरुषों में फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लिवर का कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाता है।
कैंसर होने के कई कारण होते हैं। हालांकि इनमें सबसे आम कारणों में धूम्रपान, तम्बाकू, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, खराब डाइट, एक्स-रे से निकली रेज, सूरज से निकलने वाली यूवी रेज, इंफेक्शन, फैमिली के जीन आदि होते हैं। विभिन्न प्रकार के कैंसर होते हैं लेकिन सबसे आम कैंसर जो भारत के लोगों को प्रभावित करते हैं वे फेफड़े, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, गर्दन, मस्तिष्क और कोलोरेक्टल कैंसर हैं।
कैंसर कई प्रकार के होते हैं और इसके होने के कारण भी अलग-अलग होते हैं। अगर आप किसी गंभीर बीमारी की दवा ले रहे हैं तो इन दवाओं के साइड इफेक्ट से आपको कैंसर हो सकता है
कैंसर की रोकथाम, जांच, शीघ्र पता लगाने, उपचार और उपशामक देखभाल के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों को लागू करके कैंसर को रोका और नियंत्रित किया जा सकता है; यह श्री प्रदीप भण्डारी पावलगढ निकट रामनगर जनपद नैनीताल ने सत्य सिद्व कर दिखाया है
कैंसर मुक्त दुनिया केे लिए सफलता पूर्वक कार्य कर रहे श्री प्रदीप भण्डारी पावलगढ निकट रामनगर जनपद नैनीताल में एक ऐसा नाम उभर कर आया है जो सदियो से लाइलाज और असाध्य कैंसर जैसी बीमारी पर रोक लगाने में कामयाब हुए हैं , अपनी अनोखी चिकित्सा पद्वति से इस डरावनी बीमारी से उन्होने अनेको रोगियो को जीवनदान दिया है, उन्होने हिमालयायूके न्यूज के सम्पादक चन्द्रशेखर जोशी को एक मुलाकात में बताया कि एक ऐसी दुनिया की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं जहां लाखों रोगियो को कैंसर से होने वाली मौतों को बचाया जा सके और जीवन रक्षक कैंसर उपचार और देखभाल तक पहुंच सभी के लिए समान हो – इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप कौन हैं या आप कहाँ रहते हैं। इसमें कितना सफल हो रहा हूं यह तो गिनाना मुश्किल है परन्तु यू टयूब में प्रदीप भण्डारी गौ मूत्र कांत्रि आश्रम में लाइलाज और असाध्य कैंसर जैसी बीमारी से स्वस्थ्य हुए राेगियो को ही नही उनके परिजनो को कितना सूकून और शांति मिली होगी यह देख सकते हैं, इसके अलावा इस बीमारी का अंतहीन इलाज से रोगी के अलावा उनके परिजनो आर्थिक रूप से टूट जाते हैं, गौ मूत्र कांत्रि आश्रम ने ऐसे गंभीर रोगी और उनके परिजनो को सुकून दिया है, श्री प्रदीप भण्डारी ने कहा कि यह सुनिश्चित करते हुए कि हर किसी की गौ मूत्र क्रांति आश्रम की गुणवत्तापूर्ण दवा तक पहुंच हो, और मैं रोगियो के लिए हर समय उपलब्ध रहूं, जब भी उन्हें उनकी आवश्यकता हो और रोगी इस गंभीर बीमारी से उबर सके, ऐसा उनका ध्येय है, और इसमें वह सफल भी हो रहे हैं, पूरे देश से ही नही विदेश तक सेे रोगी उनके आश्रम पहुंच रहे हैं और स्वस्थ्य हो रहे हैं
कैंसर से होने वाली 70% मौतें निम्न-से-मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। रोकथाम, शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए संसाधन-उपयुक्त रणनीतियों को लागू करके हर साल लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।
इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष विश्व भर में 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) मनाया जाता है। वर्ष 1933 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी। इस दिन दुनिया भर में कैंसर (Cancer) के प्रति जागरुकता फैलाने और इसके संकेतों को लोगों तक पहुंचाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम रखे जाते हैं, ताकि लोग सही समय पर इसकी पहचान कर सकें।
निम्न और मध्यम आय वाले देशों को कई पुरानी बीमारियों के कारण होने वाले कैंसर के खतरे से निपटने में एक अनोखी चुनौती का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, इन देशों में शिक्षा की कमी, विलंबित निदान और किफायती उपचार तक कम पहुंच के कारण कैंसर का पूर्वानुमान खराब था। विकासशील देशों में भी कैंसर के प्रति जागरूकता की कमी के कारण निदान में देरी होती है। 2020 में रिपोर्ट किया गया एक अध्ययन, भारत के चार प्रमुख केंद्रों में आयोजित किया गया था, जहां अधिकांश कैंसर रोगी पहली बार उपचार तभी चाहते हैं जब वे अपने उन्नत चरण में होते हैं। साक्षरता दर और कम आय कैंसर जागरूकता को बहुत प्रभावित करती है। भारत में, उच्च आय और साक्षरता स्तर वाले लोग दूसरों की तुलना में कैंसर के बारे में अधिक जागरूक थे।
भारतीय और वैश्विक आबादी के बीच कैंसर की जांच, रोकथाम और उपचार के बारे में सामान्य जागरूकता कम है, विशेष रूप से कम और मध्यम आय वाले लोगों में, जहां साक्षरता दर कम है, जिससे कैंसर के प्रसार में वृद्धि हुई है, और इसे भरने की तत्काल आवश्यकता है। उचित शिक्षा की कमी. विश्व कैंसर दिवस इस बात पर ध्यान दिलाता है कि कैंसर को रोकना, इसका शीघ्र पता लगाना और इसका इलाज करना कितना महत्वपूर्ण है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर वर्ष 1933 में पहला कैंसर दिवस जिनेवा, स्विट्जरलैंड में मनाया गया था। तबसे अब तक हर साल कैंसर दिवस पर नई थीम जारी की जाती है। इसके पीछे उद्देश्य ये है, कि आम लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरूक और इसके लक्षण से लेकर इसके बचाव के बारे में जानकारी दी जा सके।
3000 ई.पू. के दौरान मिस्र की ममियों में कैंसर के सेल्स पाए जाने के प्रमाण मिले। 1600 ई.पू. के दौरान मिस्र में पेट के कैंसर को उबले हुए जौ को खजूर के साथ मिलाकर इलाज किया जाता है। 500 ई.पू. भारत में रामायण ने बढ़ते ट्यूमर को रोकने के लिए आर्सेनिक पेस्ट के साथ उपचार का वर्णन किया है।
4 फरवरी 2000 को, नई सहस्राब्दी के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन पेरिस में आयोजित किया गया, जिससे विश्व कैंसर दिवस की शुरुआत हुई। विश्व कैंसर दिवस की शुरूआत पेरिस चार्टर का एक प्रमुख घटक है, जो कैंसर अनुसंधान, रोकथाम, रोगी देखभाल, जागरूकता और विश्वव्यापी गतिशीलता को आगे बढ़ाने का भी प्रयास करता है।
भविष्य के रुझान;; वैश्विक स्तर पर, कैंसर के अनुमानित 19.9 मिलियन नए मामले और कैंसर से लगभग 10 मिलियन मौतें हुईं। अगले दो दशकों में कैंसर का बोझ लगभग 60% बढ़ जाएगा, जिससे स्वास्थ्य प्रणालियों, लोगों और समुदायों पर और दबाव पड़ेगा। अनुमानित वैश्विक बोझ 2045 तक लगभग 30 मिलियन नए कैंसर मामलों तक बढ़ जाएगा, जिसमें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सबसे अधिक वृद्धि होगी। यदि कैंसर को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कोई और कदम नहीं उठाया गया, तो अमेरिका क्षेत्र में कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या में 59.3% की वृद्धि होगी, 2045 तक लगभग 6.7 मिलियन लोगों में कैंसर का निदान होने का अनुमान है।
कैंसर के लक्षण गला खराब होना बार-बार खांसी आना खाना खाते समय निगलने में दिक्कत होना शरीर में किसी भी प्रकार की अनियंत्रित गांठ शरीर के किसी भी हिस्से से पानी या खून का बहना मस्सों की वृद्धि बढ़ जाती है और उनका रंग बदल जाता है किसी भी घाव का लंबे समय तक ठीक न होना भूख में कमी बिना किसी कारण वजन कम होना या बढ़ना हर समय थकान या आलस्य महसूस होना पेशाब करने में कठिनाई या दर्द आदि।
Report by;
चंद्रशेखर जोशी -राष्टीय संयोजक- पत्रकार प्रेरित पर्या0 अभियान —
पंचगव्य गुरुकुल विश्व विद्यालय, काँची पुरम के उप कुलपति डॉ0 कमल टॉवरी IAS द्वारा नियुक्त
&
# संपादक: उत्तराखंड शासन से राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त &
#अध्यक्ष उत्तराखण्ड: IFSMN भारत के लघु तथा मध्यम समाचार पत्रो का महासंघ, Delhi
# संस्थापक अध्यक्ष:
मां पीतांबरा- श्री बगुलामुखी शक्ति पीठ मंदिर, नन्दा देवी एंक्लैव राणा कॉलोनी,
कुंज विहार बंजारा वाला, देहरादून
#–l—-पूर्व जिम्मेदारी
वर्तमान से कम नही——-
प्रदेश कार्यालय: नन्दा देवी एंक्लैव, बंजारा वाला, देहरादून, Mob 9412932030
Yr. Contribution: Ac
Name: Himalaya Gaurav Uttrakhand Bank : State Bank of India, CA;
30023706551 ifs code; SBIN0003137 Mob. 9412932030