योगी आदित्यनाथ का बढता कद ;केरल, गुजरात में जबर्दस्‍त डिमांड

योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ता जा रहा है, मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व जिस प्रकार उनका कद आकार ले रहा था, उसी की पुनराव़त्‍ति योगी में दिखाई दे रही है, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ केरल का दौरा करने के बाद यूपी के सीएम आदित्यनाथ अब गुजरात में “गौरव यात्रा” करने जाएंगे। गुजरात में इस साल के अंत तक विधान सभा चुनाव होने हैं। योगी 13 अक्टूबर को दो दिन की यात्रा के लिए गुजरात पहुंचेंगे। गौरव यात्रा 15 अक्टूबर को खत्म होगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह इसके समापन कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। गुजरात बीजेपी नेताओं ने योगी आदित्यनाथ की बढ़ती लोकप्रियता और हिंदुत्ववादी छवि को देखते हुए उनके दौरे की मांग की थी। एक नेता ने दावा किया कि योगी आदित्यनाथ इस समय बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद तीसरे सबसे लोकप्रिय नेता हैं। गुजरात के बीजेपी नेताओं का मानना है कि योगी आदित्यनाथ इस समय देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं। योगी आदित्यनाथ ने मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी। यूपी विधान सभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को करीब दो-तिहाई बहुमत मिला था।

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सेक्युलरिज्म के नाम पर सियासत करने वालों पर सवाल खड़ा कर योगी आदित्यनाथ ने सीपीएम पर सबसे बड़ा हमला बोल दिया. कन्नूर की रैली में योगी ने कहा कि कुछ लोग सेक्युलरिज्म के नाम पर जिहादी आतंकवाद का अड्डा बना देते हैं. यह नहीं हो सकता. अब केरल की धरती पर ऐसा नहीं हो सकता. योगी का संदेश मुख्यमंत्री विजयन के लिए था, नाम लिए बगैर विजयन सरकार पर सीधा वार था. योगी ने कहा कि अब यह धरती जेहादी आतंकवाद की धरती नहीं हो सकती और ना ही लाल सलाम की धरती होगी. अब यह धरती राष्ट्रवाद और विकास की धरती होगी.
योगी आदित्यनाथ के केरल दौरे की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि योगी का कार्यक्रम जनरक्षा यात्रा के दूसरे ही दिन लग गया. 3 अक्टूबर को पहले दिन यात्रा की शुरुआत करने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 5 अक्टूबर को फिर से केरल में पदयात्रा करेंगे. लेकिन इस बीच योगी आदित्यनाथ ने भगवा ब्रिगेड की केरल को लेकर चल रही रणनीति को और धार दे दिया.
भगवाधारी योगी का केरल पहुंचना बीजेपी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है जिसमें वो पार्टी से हिंदू कैडर्स को भी साधना चाहती है. बीजेपी योगी की छवि को सावधानी से केरल में भुनाना चाहती है क्योंकि केरल की कुल जनसंख्या की लगभग 60 फीसदी हिंदू आबादी है, जबकि 20 फीसदी से कम ईसाई और 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है. हिंदू आबादी में से अधिकतर पहले से ही सीपीएम के साथ रहे हैं.
लेकिन अब धीरे-धीरे संघ परिवार की कोशिश के बाद इनमें से बड़ी तादाद में बीजेपी की तरफ भी आने लगे हैं. सीपीएम छोड़कर संघ परिवार में जुड़ने की हिंदू समुदाय के लोगों की कोशिश ही इनके बीच भी हिंसा का बड़ा कारण बन रही है. लेकिन, बीजेपी को लगता है कि इतिहास और अस्मिता से जोड़कर राष्ट्रवाद और विकास के नाम पर सीपीएम से जुड़े और उनको अब तक समर्थन दे रहे लोगों को संघ-बीजेपी के करीब लाया जा सकता है. पिछले विधानसभा चुनाव में 11 फीसदी वोट मिलना बीजेपी की इसी कोशिश को दिखाता है. बीजेपी की नजर 20 फीसदी के आस-पास ईसाई आबादी पर भी है. बीजेपी की रणनीति के मुताबिक ईसाई समुदाय को भी बीजेपी के साथ जोड़ा जा सकता है. खासतौर से बीजेपी मुस्लिम बनाम ईसाई के समीकरण का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है. अभी हाल ही में केंद्र सरकार में अल्फोंस कन्ननथनम को मंत्री बनाकर बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है.
17 अक्टूबर को खत्म हो रही जनरक्षा यात्रा के बाद भी बीजेपी जनजागृति और जनसंपर्क अभियान जारी रखने पर विचार कर रही है. संवाद और संपर्क से बीजेपी जनाधार मजबूत करना चाहती है जिससे दक्षिण के इस राज्य में भगवा ब्रिगेड की जड़ें मजबूत की जा सकें.

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