आदित्यनाथ का काम नहीं कारनामा बोलता है- साबित करेगे
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव योगी सरकार के फैसले को किसानों के साथ धोखा बताने से कतई नहीं झिझके. अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि मोदी का वादा पूरे कर्ज-माफी का था. कर्ज माफी की एक लाख की सीमा से करोड़ों किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. यह गरीब किसानों के साथ धोखा है. अखिलेश की टिप्पणी पर एक और उछाल मारते हुए सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा मंत्रिमंडल की पहली बैठक घोर निराशाजनक साबित हुई है. चौधरी कहते हैं कि भाजपा तो सिर्फ झूठ की खेती करने में माहिर है, उसका किसानों से कोई लेना देना नही है.
चौधरी यूपी के किसानों की बात करते-करते कश्मीर पर और फिर पाकिस्तान पर भी आ गए और बोल पड़े कि कश्मीर में स्थिति बिगड़ती गई है और पड़ोसी देशों से भी रिश्तों में बिगाड़ आया है. योगी सरकार में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि विरोधी दल प्रदेश सरकार के किसानों के कल्याण के इतने बड़े फैसले को पचा नहीं पा रहा है, क्योंकि उन्होंने तो किसानों के हित में कभी भी कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया और आज किसानों को अपने से विमुख होता देख कर बौखला गए हैं. सपा की प्रतिक्रिया के विपरीत उसके गठबंध के साथी कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने नपा-तुला वक्तव्य दिया और कहा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा किसानों का कर्ज माफ करना सही दिशा में उठाया गया कदम है. राहुल ने कहा कि हमें किसानों के साथ राजनीति नहीं करनी चाहिए.
बूचड़खानों और छेड़खानी के बाद अब शराब पर निशाना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शराब बिक्री केंद्रों के बारे में कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन शुरू करा दिया है. कार्रवाई के तहत शिक्षण संस्थाओं, धार्मिक स्थलों और आबादी वाले इलाकों में शराब की बिक्री की इजाजत निर्धारित मानक के आधार पर ही दी जाएगी. मानक पर खरा नहीं उतरने वाले शराब बिक्री केंद्र बंद कर दिए जाएंगे. योगी के मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेशभर में शराब बिक्री के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया और इसमें महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. ऐसा ही निर्णय अवैध पशु वधशालाओं (बूचड़खानों) को लेकर भी किया गया. प्रदेश के सभी जिलों में पशु वधशालाओं का निरीक्षण कर अवैध रूप से संचालित पशु वधशालाओं को तत्काल प्रभाव से बंद किया जा रहा है. निर्धारित मानकों का उल्लंघन करने वाले यांत्रिक पशु वधशालाओं पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है. प्रदेश में अभी तक कुल 26 अवैध पशु वधशालाएं बंद की गई हैं.
छेड़खानी रोकने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में एंटी रोमियो स्न्वॉड के गठन और संचालन के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. यह स्न्वॉड ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जो रास्ते में लड़कियों और महिलाओं को छेड़ते हैं या उन्हें परेशान करते हैं. सामाजिक मर्यादा के दायरे में रहते हुए, जो जोड़े सार्वजनिक स्थलों पर मिलेंगे उनके खिलाफ स्न्वॉड कोई कार्रवाई नहीं करेगा. स्कूल, कॉलेज, बाजार, मॉल, पार्क, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन जैसी जगहों पर आपत्तिजनक हरकत करने वाले तत्वों पर निगरानी रखने के लिए सादे वस्त्रों में महिला पुलिस कर्मियों को भी तैनात किया गया है. एंटी रोमियो स्न्वॉड क्षेत्राधिकारी (सर्किल अफसर) के पर्यवेक्षण में काम कर रहा है और जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उसके कामकाज पर निगरानी रखते हैं.
अवैध खनन पर अंकुश लगाने की तैयारी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अवैध खनन रोकने के लिए कारगर नीति बनाने के इरादे से मंत्री समूह का गठन किया है. मंत्री समूह की अध्यक्षता उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य करेंगे. समूह में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और वन एवं पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान भी शामिल हैं. समूह को हफ्तेभर के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है, जिस पर सरकार आवश्यक फैसला लेगी.
गोमती रिवर फ्रंट मामले की जांच शुरू
राजधानी लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में हुए घपले-घोटाले की न्यायिक जांच का आदेश दिया गया है. रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति मामले की पूरी जांच करेगी. जांच समिति 45 दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को पेश कर देगी. जांच समिति में आईआईटी बीएचयू के रिवराइन इंजीनियरिंग संकाय के पूर्व प्रोफेसर यूके चौधरी और आईआईएम लखनऊ के वित्त संकाय के प्रोफेसर एके गर्ग भी शामिल किए गए हैं. उल्लेखनीय है कि गोमती नदी चैनेलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई थी, जिसे बाद में बढ़ा कर 1,513 करोड़ रुपए कर दिया गया था. अखिलेश सरकार द्वारा इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा काम पूरा हुए बगैर ही भुगतान कर दिया गया था. जबकि परियोजना का 60 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हुआ.
आगरा-एक्सप्रेस हाई-वे की भी होगी जांच
योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के साथ-साथ आगरा एक्सप्रेस हाई-वे के निर्माण की भी जांच कराने का फैसला किया है. इस बारे में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी यह साफ कर चुके हैं कि अखिलेश सरकार के आगरा-एक्सप्रेस हाई-वे के बनने में तय समय-सीमा और खर्च की गई धनराशि के भारी असंतुलन की गहराई से जांच की आवश्यकता है. केशव मौर्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री भी हैं. उनका कहना है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस हाई-वे के साथ-साथ समाजवादी सरकार के कई अन्य रोड प्रोजेक्ट्स की भी जांच कराए जाने की आवश्यकता है. आगरा एक्सप्रेस हाई-वे शुरुआत से ही विवादों में है.
जिस छह लेन हाइ-वे को केंद्र सरकार का राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) 17 से 18 करोड़ प्रति किलोमीटर की लागत से तैयार करता है, उसे उत्तर प्रदेश सरकार ने लगभग 30 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से बनवाया. निवर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के मुख्य कर्ता-धर्ता आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल रहे हैं. पहले इस प्रोजेक्ट को पीपीपी मॉडल के जरिए बनवाया जाना था, जिसकी अनुमानित लागत 5000 करोड़ रुपए आंकी गई थी. पीपीपी मोड के तहत काम के लिए 24 मई 2013 को प्री-बिड कॉन्फ्रेंस में 15 कंपनियों ने हिस्सा लिया था.
इनमें जीवीके, जीएमआर, एस्सेल इंफ्रा, विंसी कन्सेसंस, जेपी इंफ्रा, एसआरईआई इंफ्रास्ट्रक्चर, सुप्रीम, पीएनसी इंफ्राटेक, सोमा, गैमन इंडिया, ल्यूटन वेल्सपन, आईएल एंड एफएस, यूनिक्वेस्ट इंफ्रा, ट्रांसट्रॉय और पुंज लायड शामिल थीं. लेकिन कारगर नहीं हो पाईं. सरकार की मंशा भी यही थी. फौरन ही सरकार ने इस प्रोजेक्ट को जनता के पैसे से नगद अनुबंध पर पूरा करने का निर्णय लिया, जो राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए उचित नहीं था. दरअसल, हाई-वे के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से अरबों रुपए का वारा-न्यारा करने का सपना था.
जिस परियोजना की लागत पांच हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी, वह दिसम्बर 2013 में ही बढ़कर 8,944 करोड़ रुपए हो गई थी. अब यह लागत 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक ही हो चुकी है. 302 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे की शुरुआती लंबाई 270 किलोमीटर तय थी, जिसके जरिए यमुना एक्सप्रेस-वे को लिंक किया जाना था, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने गांव सैफई को इससे जोड़ने के लिए इसकी लंबाई 32 किलोमीटर और बढ़ा दी.
कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2012 में बने छह लेन के यमुना एक्सप्रेस-वे की प्रति किलोमीटर लागत, जमीन अधिग्रहण का खर्च मिला कर 27.20 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर थी. फिर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस हाई-वे की प्रति किलोमीटर लागत 50 करोड़ से ऊपर कैसे पहुंच गई? ऐसे कई गहरे सवाल सामने हैं. हाई-वे बनाने के लिए कंपनियों के चयन पर भी गहरे संदेह से भरे सवाल खड़े हैं.
हाई-वे परियोजना से 30 हजार से ज्यादा किसान और 232 राजस्व गांव प्रभावित हुए. हजारों किसानों को अपनी जमीनों से हाथ धोना पड़ा. किसी ने स्वेच्छा से जमीन दी, तो किसी से जबरन जमीन ले ली गई. इस योजना के लिए 3,368.60 हेक्टेेयर भूमि अधिग्रहीत की गई. मुख्यमंत्री के गृह जनपद इटावा के ही किसानों ने मुआवजे में भेदभाव को लेकर हड़ताल और धरना प्रदर्शन किया था. उनका आरोप था कि मुआवजा देने में सरकार ने भेदभाव किया है. सैफई में 1.20 करोड़ से 1.25 करोड़ रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया गया, जबकि इटावा के ही ताखा तहसील के किसानों को महज 15 से 20 लाख रुपए प्रति हेक्टेेयर की दर से मुआवजा दिया गया.
किसानों को मुआवजा देने के लिए सरकार की तरफ से पांच हजार करोड़ रुपए की व्यरवस्था की गई थी. किसानों का आरोप है कि उनसे निर्धारित जमीन से ज्यादा जमीन छीन ली गई. उन्नाव के बांगरमऊ गांव जगतापुर के किसानों ने बैनामे से अधिक जमीन लिए जाने का आरोप लगाया. जगतापुर के आदित्य कुमार, शीलू कटियार, शिवम कटियार, सरोज कटियार, सर्वेश पटेल, अनिल कटियार, रामपाल शर्मा, अमरेश पटेल समेत दर्जनों किसानों की बैनामा से ज्यादा भूमि जब्त कर ली गई. इस तरह के और कई उदाहरण सामने आए हैं.
धीरे-धीरे स्पष्ट हो गया है कि हाई-वे प्रोजेक्ट कुछ सियासतदानों, कुछ नौकरशाहों, कुछ पूंजीपतियों और कुछ दलालों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया था. सत्ता पक्ष के नेताओं, दबंग दलालों और नौकरशाहों ने पहले ही ले-आउट देख कर प्रस्तावित हाई-वे के नजदीक की जमीनों को किसानों से सस्ते दर पर खरीद लिया था. फिर कलेक्टर से मनमाफिक सर्किल रेट बढ़वाकर इन जमीनों को चार गुना रेट पर सरकार को दे दिया गया.
लखनऊ, उन्नाव, कन्नौज, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, इटावा, मैनपुरी जैसे कई जिलों में हजारों रजिस्ट्रियां हुईं, जिनमें अधिकांश बेनामी हैं. कुछ बड़े बिल्डरों ने भी हाथ धोए, ताकि हाई-वे बनने के बाद वे जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल कर सकें. ग्रोथ सेंटर, मंडी, वेयर हाउस, लॉजिस्टिक सेंटर और आवासीय योजनाओं के लिए भी सत्ता-प्रिय बिल्डर से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के आसपास की जमीन खरीदवा कर रख ली गई.
Himalaya Gaurav Uttrakhand (www.himalayauk.org) Leading Digital Newsportal & Daily Newspaper.
pubish at Dehradun & Haridwar. Mob. 9412932030 Mail; csjoshi_editor@yahoo.in, himalayauk@gmail.com
Avaible In; FB.Twitter, National Whatsup Groups, Mobile App., All Social Media.