15 मई-मंगलवार, अमावस्या और शनि जयंती के योग – शुभ ही शुभ

2018, #मंगलवार को सुबह 10.57 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग    # मंगलवार को ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत तथा शनि जयंती रहेगी। इस बार मंगलवार के दिन भरणी नक्षत्र, शोभन योग, चतुष्पाद करण तथा मेष राशि के चन्द्रमा की साक्षी में आने वाली अमावस्या को शनि जयंती भी है  #मंगलवार को सुबह 10.57 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग # पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये इस तिथि का विशेष महत्व #अमावस्या को कोई भी कार्य करने के लिए शुभ माना जाता है। अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व भी है #हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल – CS JOSHI- EDITOR 

 जिस दिन चन्द्रमा पूरी तरह से दिखाई नहीं देता है उस दिन को अमावस्या कहा जाता है। इस रात को चन्द्रमा दिखाई नहीं देता, इसे बिना चन्द्रमा का दिन भी कहा जाता है। हिन्दू मान्यताओं में यह दिन बहुत महत्व रखता है  अमावस्या शुभ व अशुभ भी हो सकती है।   चंद्रमा लुप्त हो जाता है व रात को घना अंधेरा छाया रहता है। हिंदू मास को दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है जिसमें चंद्रमा बढ़ता रहता है वह शुक्ल पक्ष कहलाता है पूर्णिमा की रात के पश्चात चांद घटते-घटते अमावस्या तिथि को पूरा लुप्त हो जाता है। इस पखवाड़े को कृष्ण पक्ष कहते हैं। अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव माने जाते हैं इसलिये श्राद्ध कर्म या पितर शांति के लिये भी यह तिथि अनुकूल मानी जाती है।अमावस्या के दिन दान व ईश्वर की आराधना अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से ईष्ट जहां प्रसन्न होते हैं वहीं बुरी शक्तियां भी आपसे दूर रहती हैं एवं विशेष ग्रह नक्षत्रों का भी विशेष लाभ प्राप्त होता है।

15 मई, मंगलवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या और शनि जंयती है। इस बार मंगलवार को शनि जयंती होने से ये दिन बहुत ही शुभ हो गया है। मंगलवार हनुमानजी के साथ ही मंगलदेव की पूजा के लिए भी खास है। 15 मई, मंगलवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या है। इसी दिन शनि जयंती भी है। मंगलवार, अमावस्या और शनि जयंती के योग है, अमावस्या पर देवी-देवताओं के साथ ही पितर देवताओं के लिए पूजा-पाठ उततम माना गया है, अमावस्या पर घर में पितर देवताओं का आगमन होता है, वही अमावस्या की रात नकारात्मक शक्तियां ज्यादा सक्रिय रहती हैं। जो कमजोर इच्छाशक्ति वाले रहते हैं या जिनकी कुंडली ग्रहण योग होता है, वे नकारात्मकता के प्रभाव में जल्दी आ जाते हैं। नकारात्मकता हावी होने से मानसिक परेशानियां हो सकती हैं।

इस बार 15 मई, मंगलवार को शनि जयंती का योग बन रहा है। इस समय वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि का साढ़ेसाती का प्रभाव है। वहीं वृषभ और कन्या राशि ढय्या से पीड़ित है। इन राशियों के लोग अगर शनि जयंती पर कुछ विशेष उपाय करें तो इनकी परेशानियां थोड़ी कम हो सकती हैं। अन्य राशि के लोग भी शनि जयंती पर शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

 ग्रह गोचर की गणना के अनुसार, इस बार अमावस्या पर सूर्य, चंद्र तथा बुध का मेष राशि में त्रिग्रही युति योग रहेगा। मेष राशि का स्वामी मंगल है। मंगलवार को ही अमावस्या रहेगी। इस दृष्टि से मेष राशि वालों के लिए यह दिन और भी खास होगा। इस दिन शनिदेव के साथ हनुमानजी की आराधना भी श्रेष्ठ फल प्रदान करेगी। ज्येष्ठ माह की अमावस्या मंगलवार के दिन भरणी नक्षत्र, शोभन योग, चतुष्पद करण तथा मेष राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। प्रथम शुद्घ ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या पर शनि जयंती रहेगी। इस दिन सुबह 11 बजे से सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। इसका प्रभाव दिनभर रहेगा। इस दिव्य योग में शनिदेव की आराधना जातक को विशिष्ट शुभफल प्रदान करेगी।

ज्येष्ठ अमावस्या को न्याय प्रिय ग्रह शनि देव की जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनि दोष से बचने के लिये इस दिन शनिदोष निवारण के उपाय विद्वान ज्योतिषाचार्यों के करवा सकते हैं। इस कारण ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। इतना ही नहीं शनि जयंती के साथ-साथ महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। इसलिये उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी मानी जाती है।

शनि जयंती (15 मई, मंगलवार) शनिदेव की कृपा पाने का बहुत ही शुभ दिन है। शनि को ग्रहों का न्यायाधीश माना गया है। इस कारण शनि के शुभ होने से बाकी ग्रहों के अशुभ असर कम हो सकते हैं। शनिदेव गरीबों का प्रतिनिधित्व करते हैं और शनि जंयती पर गरीबों को मदद करें। जिन लोगों की कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी होती है, उनके जीवन में क्या-क्या अच्छी बातें हो सकती हैं… किसी विद्वान से चर्चा करने के बाद शनि जयंती पर सवा पांच रत्ती का नीलम या उपरत्न (नीली) सोना, चांदी या तांबे की अंगूठी में अभिमंत्रित करवा कर सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में पहनें। शनि जयंती पर तथा हर शनिवार को उपवास रखें। सूर्यास्त के बाद हनुमानजी की पूजा करें। शनि जयंती पर चोकर युक्त आटे की दो रोटी लेकर एक पर तेल और दूसरी पर घी चुपड़ दें। घी वाली रोटी पर मिठाई रखकर काली गाय को खिला दें तथा दूसरी रोटी काले कुत्ते को खिला दें। काले घोड़े की नाल अपने घर के दरवाजे के ऊपर स्थापित करें। काली गाय, जिस पर कोई दूसरा निशान न हो, का पूजन कर 8 बूंदी के लड्डू खिलाकर उसकी परिक्रमा करें तथा उसकी पूंछ से अपने सिर को 8 बार झाड़ दें।

1)शनि के शुभ होने से व्यक्ति का हर काम समय पर पूरा हो सकता है।
2)अगर व्यक्ति राजनीति में करियर बनाना चाहते है तो उसे शनि के कारण लाभ मिलता है।
3)शुभ शनि व्यक्ति को अच्छा सलाहकार बनाता है।
4)घर-परिवार और समाज में सम्मान मिलता है, हर जगह तारीफ होती है।
5) अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि और मंगल, दोनों सातवें भाव में एक साथ बैठे हों तो व्यक्ति गलत तरीके से धन प्राप्त करता है।
6)व्यक्ति बना हुआ मकान खरीदता है।
7)घर में कन्या का विवाह बिना किसी परेशानी के हो जाता है। अगर शनि अशुभ होगा तो लड़की का शादी में बहुत परेशानी आती है।
8)अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में हो तो सुंदर जीवन साथी की प्राप्ति होती है।
9)शुभ शनि के कारण व्यक्ति को कम मेहनत में ज्यादा सफलता मिल सकती है।
10)
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में होता है, उसे व्यापार-व्यवसाय में लाभ मिलता है।
15 मई को ज्येष्ठ मास की अमावस्या है। इस दिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत करती हैं। उज्जैन के पं. मनीष शर्मा के अनुसार, वट सावित्री का व्रत करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। किसी ब्राह्मण स्त्री को सुहाग का सामान दान करें।
 
15 मई, मंगलवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या है। मंगलवार को अमावस्या होने से यह भौमवती अमावस्या कहलाएंगी। इस दिन पितृ दोष कम करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाए तो शीघ्र ही शुभ फल प्राप्त होता है। मंगलवार, 15 मई को शनि जयंती है और इस दिन शनिदेव की पूजा करने से कुंडली से जुड़े सभी दोष दूर हो सकते हैं। शनि जयंती के उपायों से शनिदेव की विशेष कृपा मिल सकती है।

इस अमावस्या पर पितृ दोष का असर कम करने के लिए आप कौन-कौन से उपाय कर सकते हैं…
  हिंदू धर्म में अमावस्या को पितरों की तिथि माना गया है। इसलिए इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय के गोबर से बने उपले (कंडे) पर शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर धूप (सुलगते हुए कंडे पर रखना) देनी चाहिए। यदि घी व गुड़ उपलब्ध न हो तो खीर से भी धूप दे सकते हैं।

ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार शनि जयंती का पर्व 15 मई, मंगलवार को है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, शनि के दोषों को दूर करने में शमी का पौधा खास माना जाता है। शनि जयंती पर यदि घर में शमी का पौधा लगाया जाए तो न सिर्फ शनिदेव बल्कि सभी देवी-देवताओं की कृपा घर-परिवार पर बनी रहती है और देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। जानिए घर में कहां और किस तरह लगाना चाहिए ये पौधा ताकि घर पर शनिदेव की कृपा बनी रहे- 1. शमी का पौधा घर के मेन गेट पर दोनों ओर लगाने से घर में किसी भी प्रकार की नेगेटिव एनर्जी का प्रवेश नहीं होता।
1. शनि के दोष और दुर्भाग्य दूर करने के लिए शमी के पौधे के सामने नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक लगाएं। इसके लिए मिट्टी के दीपक का प्रयोग करना शुभ होता है।
2. प्रतिदिन सूर्यदेव की ओर मुख करके शमी के पौधे में पानी डालने से शनि का प्रकोप कम होता है और व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं और बुरा समय दूर हो सकता है।
3. शनिदेव के साथ ही यह भगवान श्रीगणेश को भी विशेष रूप से प्रसन्न करता है। इसलिए गणेशजी की पूजा में हरी दूर्वा के अलावा शमी की पत्तियों का प्रयोग भी किया जाता है।
4. किसी जरूरी काम या यात्रा पर जाते समय शमी को प्रणाम करके निकलना शुभ फलदायक होता है। ऐसा करने से काम में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सफलता की संभावनाएं बढ़ती हैं।हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। इस उपाय से बजरंग बली के साथ ही शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं। किसी मंदिर में 3 झाड़ू का दान करें। इस उपाय देवी लक्ष्मी की कृपा मिल सकती है।
5. लाल मसूर की दाल का दान किसी जरुरतमंद व्यक्ति को करें। इस उपाय से मंगल के दोष शांत हो सकते हैं।
6. शिवलिंग पर लाल फूल चढ़ाएं। शिवलिंग पर लाल पुष्प चढ़ाने से मंगल ग्रह की प्रसन्नता प्राप्त होती है। शनिदेव को नीले फूल चढ़ाएं।
7.हनुमानजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
8.किसी ऐसे तालाब या सरोवर पर जाएं, जहां मछलियां हों। वहां पहुंचकर मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। यह उपाय रोज किया जा सकता है।
9.भगवान विष्णु के मंदिर में ध्वज लगवाएं। इस उपाय से विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी की कृपा भी मिलेगी।
10.शनि जयंती पर तेल का दान करें। साथ ही, काली उड़द, काले तिल, लोहा, काला कपड़ा आदि चीजों का दान भी कर सकते हैं।
11.किसी मंदिर में अनाज का दान करें। झाड़ू का दान करें। ब्राह्मण को भोजन कराएं।
12.पीपल पर जल चढ़ाएं। इसके बाद सात परिक्रमा करें। इस उपाय से शनि, राहु और केतु के दोष दूर हो जाते हैं।
13.अमावस्या तिथि का पितर देवताओं के लिए विशेष महत्व है। इस दिन पितरों के निमित्त दूध का दान किसी गरीब व्यक्ति को करें।

अमावस्या तिथि को दान पुण्य के लिये, पितरों की शांति के लिये किये जाने वाले पिंड दान, तर्पण आदि के लिये बहुत ही सौभाग्यशाली दिन माना जाता है। साथ अमावस्या एक मास के एक पक्ष के अंत का भी सूचक है। हिंदू पंचांग जो पूर्णिमांत होते हैं उनके लिये यह मास का पंद्रहवां दिन तो जो अमांत होते हैं यानि अमावस्या को जिनका अंत होता है उनके लिये यह मास का आखिरी दिन होता है। इस तरह हिंदू कैलेंडर में मास का निर्धारण करने के लिये भी यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। अमावस्या के पश्चात चंद्र दर्शन से शुक्ल पक्ष का आरंभ होता है तो पूर्णिमा के पश्चात कृष्ण पक्ष की शुरूआत होती है। कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन जब चंद्रमा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता तो वह दिन अमावस्या का होता है। वैसे तो सभी अमावस्या धर्म कर्म के कार्यों के लिये शुभ होती हैं लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व है।

# 09837549698 पंडित परमानंद मैदुली जी- पूर्व वाइस चांसलर- वैदिक वि0वि0 स्‍विटजरलैण्‍ड- तथा अन्‍य 20 यूरोपियन देशो में 20 वर्षो तक वैदिक विदया का प्रचार प्रसार किया- 

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