अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी बैंकिंग धोखाधड़ी का शिकार

एसबीआई की मुंबई और देहरादून शाखाओं से करीब 29 करोड़ रुपये ठगने का षड्यंत्र

30 Nov. 2019: Himlayauk Bureau # एसबीआई में मौजूद इसके दो बैंक खातों से पिछले एक महीने में 12 करोड़ रुपये से ज्यादा पैसे उड़ा लिए #एम्स के एसबीआई में मौजूद खातों से अन्य शहरों में स्थित बैंक की शाखाओं से निकाले #एसबीआई के देहरादून और मुंबई स्थित अन्य शाखाओं से 29 करोड़ रुपये से अधिक राशित उड़ाने की कोशिशें  #देहरादून में एसबीआई की एक शाखा से 20 करोड़ रुपये #    मुंबई स्थित बैंक की शाखा से नौ करोड़ रुपये उड़ाने की कोशिश  #एसबीआई बैंक और इसकी शाखाओं में नियंत्रण तंत्र की नाकामी # एसबीआई में एम्स के मुख्य खाते से फर्जी तरीके से सात करोड़ रुपये उड़ा लिये गये. यह खाता एम्स के निदेशक द्वारा संचालित किया जाता है. वहीं पांच करोड़ रुपये डीन, रिसर्च ऑफ एम्स के पास मौजूद खाते से उड़ाये गये. #

सूत्रों के मुताबिक, जालसाजों द्वारा करोड़ों रुपये की चपत लगाए जाने के बाद इस घटना के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एम्स ने सूचित कर दिया है.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) स्थित प्रतिष्ठित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को ही इस बार साइबर ठगों ने निशाने पर ले लिया. साइबर अपराधियों (Cyber criminals) ने चेक क्लोनिंग के जरिए अस्पताल के दो अलग-अलग बैंक खातों (Bank accounts) से करीब 12 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं. इस घटना की जानकारी होते ही एम्स प्रशासन में हड़कंप मचा गया.

घटना कुछ दिन पहले की ही बताई जाती है. पीड़ित एम्स प्रशासन और जांच कर रही दिल्ली पुलिस (Police) की आर्थिक अपराध शाखा का कोई भी आला पुलिस अफसर फिलहाल इस मामले पर बोलने को तैयार नहीं है. उधर जिन खातों में सेंध लगी है, वे देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में बताए जाते हैं. संबंधित बैंक ने भी इस मामले में अपने स्तर पर आंतरिक जांच शुरू कर दी है. हालांकि अब तक की जांच में बैंक के हाथ लगा कुछ भी नहीं है. दिल्ली पुलिस के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर शनिवार को बताया, “यह सीधे-सीधे साइबर क्राइम (cyber crime) का मामला है. 12 करोड़ रुपये एम्स के जिन दो खातों से निकाले गए हैं, उनमें से एक खाता एम्स के निदेशक के नाम और दूसरा खाता डीन के नाम का बताया जाता है. साइबर ठगी की इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम चेक-क्लोनिंग के जरिए दिया गया है. एम्स निदेशक वाले खाते से करीब सात करोड़ रुपये और डीन वाले खाते से करीब पांच करोड़ रुपये की रकम निकाले जाने की बात फिलहाल सामने आई है.”

सूत्रों के मुताबिक, करोड़ों रुपये की इस चपत के बारे में एम्स प्रशासन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गोपनीय रिपोर्ट में सीधे-सीधे बैंक को जिम्मेदार ठहराया है. उधर घटना के बाद से हड़बड़ाई एसबीआई ने भी देश भर में ‘अलर्ट’ जारी कर दिया है. हालांकि साइबर ठगी के इस मामले पर एसबीआई, पुलिस और संबंधित बैंक ने चुप्पी साध रखी है  दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने बताया, “एम्स प्रशासन ने पूरी घटना से दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को भी अधिकृत रूप से सूचित कर दिया है. ईओडब्ल्यू भी जांच में जुट गई है.” दूसरी ओर एम्स के प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि इतनी बड़ी जालसाजी बिना बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत के असंभव है.

उल्लेखनीय है कि इस तरह के मामलों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साफ-साफ दिशानिर्देश हैं कि तीन करोड़ रुपये से ऊपर की ठगी के मामलों की जांच सीधे-सीधे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हवाले कर दी जाए. अब एम्स प्रशासन और एसबीआई इस बाबत क्या विचार कर रहे हैं? इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी सामने नहीं आई है. एम्स प्रशासन के ही एक सूत्र के मुताबिक, “कुछ समय पहले भी एम्स के दो खातों में सेंध लगाने की नाकाम कोशिश की गई थी. उस कोशिश में एसबीआई की मुंबई और देहरादून शाखाओं से करीब 29 करोड़ रुपये ठगने का षड्यंत्र रचा गया था. लेकिन वह प्रयास असफल हो गया था.”

देश का सबसे बड़ा अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भी बैंकिंग धोखाधड़ी का शिकार बन गया है. जालसाजों ने ‘क्लोन किये गये चेक’ का कथित तौर पर इस्तेमाल करते हुए एसबीआई में मौजूद इसके दो बैंक खातों से पिछले एक महीने में 12 करोड़ रुपये से ज्यादा पैसे उड़ा लिए. ये पैसे एम्स के एसबीआई में मौजूद खातों से अन्य शहरों में स्थित बैंक की शाखाओं से निकाले गए हैं. इस धोखाधड़ी के सामने में आने बाद भी दोषियों ने पिछले एक हफ्ते में एसबीआई के देहरादून और मुंबई स्थित अन्य शाखाओं से 29 करोड़ रुपये से अधिक राशित उड़ाने की कोशिशें की. इसके लिये उन्होंने कथित तौर पर ‘क्लोन किये हुए चेक’ का इस्तेमाल किया. सूत्रों ने बताया कि जालसाजों ने देहरादून में एसबीआई की एक शाखा से 20 करोड़ रुपये जबकि मुंबई स्थित बैंक की शाखा से नौ करोड़ रुपये उड़ाने की कोशिश की. हालांकि, ये कोशिशें नाकाम कर दी गईं. अस्पताल प्रशासन ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा से संपर्क कर घोटाले की जांच की मांग की है. एक अधिकारी के मुताबिक एम्स ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा है कि एसबीआई की शाखाओं में जालसाजों द्वारा पेश किये गये जाली चेक ‘अल्ट्रा वॉयलेट रे’ (पराबैंगनी किरण) जांच को पार कर गये और उसी क्रम संख्या के मूल चेक अब भी एम्स के पास पड़े हुए हैं.

एक बैंक अधिकारी ने बताया कि 25,000 रुपये या इससे अधिक रकम के चेक की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से जांच की जाती है. एम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है, ‘‘प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो यह बताता हो कि एम्स अधिकारियों की प्रत्यक्ष भूमिका या मिलीभगत है क्योंकि हस्ताक्षर करने वाले अधिकृत लोगों के दस्तखत भी फर्जी नजर आते हैं.’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भुगतान करने या रोकने को सीधे तौर पर एसबीआई बैंक और इसकी शाखाओं में नियंत्रण तंत्र की नाकामी बताई जा सकती है. इसलिये यह नुकसान एम्स से जुड़ा नहीं है.’’ यह भी बताया गया है कि एसबीआई अन्य शाखाओं में सत्यापन प्रोटोकॉल पालन करने में नाकाम रही. साथ ही, बैंक से चोरी हुई यह राशि जमा करने को कहा गया है. सूत्रों ने बताया कि एसबीआई में एम्स के मुख्य खाते से फर्जी तरीके से सात करोड़ रुपये उड़ा लिये गये. यह खाता एम्स के निदेशक द्वारा संचालित किया जाता है. वहीं पांच करोड़ रुपये डीन, रिसर्च ऑफ एम्स के पास मौजूद खाते से उड़ाये गये. इस मामले के सामने आने के बाद एसीबीआई ने अपनी सभी शाखाओं को सतर्क कर दिया है और अपने कर्मचारियों को एम्स, नई दिल्ली द्वारा जारी मोटी राशि के चेक का भुगतान नहीं करने की सलाह दी है.

एसबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि बैंक के निर्देशों के मुताबिक, अगर दो लाख रुपये से अधिक का चेक बैंक की किसी अन्य शाखा में भुनाने की कोशिश की जाती है तो उसे ‘क्लियर’ करने या यहां तक कि रुपये हस्तांतरित करने से पहले पुष्टि पाने के लिये ग्राहक से संपर्क करना होता है. साथ ही, अन्य शाखाओं को मोटी रकम के चेक के मामले में खाता धारक का ब्यौरे की पुष्टि के लिये मूल शाखा (जिसमें ग्राहक का खाता है) से संपर्क करने की जरूरत होती है. जब चेक क्लियरिंग के लिये प्राप्त होते हैं तो बैंक खाता धारक के मोबाइल पर संदेश भी भेजता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्देशों के मुताबिक यदि तीन करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी होती है तो बैंक सीबीआई के पास शिकायत दर्ज कराते हैं. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एसबीआई ने मौजूदा मामले में सीबीआई से संपर्क किया है नहीं.

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