वेब पोर्टल्स के लिए अनिल बलूनी ने किया भागीरथी कार्य

वेब मीडिया एसोसिशन के ज्ञापन का बीजेपी राष्टीय प्रवक्ता तथा सांसद ने लिया संज्ञान, सूचना एवं प्रसारण मंत्री से की बात ;वेब मीडिया एसोसिशन की बड़ी सफलता : 21 फरवरी 2019 : वेब मीडिया एसोसिशन ने कोटि कोटि साधुवाद दिया श्री अनिल बलूनी को, देश के पहले राजनेता जिन्‍होने सोशल मीडिया के हक में देशव्‍यापी आवाज उठायी तथा उसको धरातल पर लाने के लिए त्‍वरित कार्यवाही की- चन्‍द्रशेखर जोशी की रिपोर्ट

*उत्तराखंड की वेब पोर्टल्स को दी जाएगी डीएवीपी में विशेष छूट*

उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने आज उत्तराखंड के वेब पोर्टल की समस्याओं को लेकर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री राज्यवर्धन राठौर से भेट की।

श्री बलूनी ने कहा की उत्तराखंड में इंटरनेट कनेक्टिविटी समस्या के चलते पर्वतीय जनपदों में वेब पोर्टल्स के लिए यूजर्स ला पाना दिक्कत भरा काम होता है, जिस कारण वे वेबपोर्टल्स के लिए बनी विज्ञापन नीति के मानकों में पिछड़ जाते हैं। सीमित संसाधनों और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या से जूझते हुए आंचलिक और वेबपत्रकारिता में बने रहना कठिन कार्य है।

सांसद बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड ऐसे पोर्टल जो राज्य के सूचना लोक संपर्क विभाग की विज्ञापन नियमावली की “क” श्रेणी में अधिसूचित है और राज्य के जनसामान्य तक समाचार पहुंचाने का दायित्व निभा रहे उन्हैं डीएवीपी के नियमों के मुताबिक प्रतिमाह न्यूनतम ढाई लाख यूजर्स लाना आवश्यक है।

माननीय मंत्री ने भी स्वीकार किया कि उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में वह पोर्टल की पत्रकारिता संचालित करना कठिन कार्य है विशेषकर मानकों के लिहाज से।

वेब मीडिया एसोसिएशन ने भाजपा के शीर्ष नेताओ को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि 
महोदय आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि विज्ञापन और दृश्य्ा प्रचार निदेशालय्ा (विदृपनि) भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयाेे और विभागों के लिए बहु-माध्यम विज्ञापन तथा प्रचार का कार्यभार उठाने वाली एकमात्र नोडल एजेंसी है। कुछ स्वायत्‍त संस्थाएं भी अपने विज्ञापन विदृपनि के माध्यम से देती हैं। सर्विस एजेंसी के रूप में, यह केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयाेे की ओर से जमीनी स्तर पर सम्प्रेषण करने का प्रय्ाास करता है। आज न्यूज वेबसाइटो की ओर भी ध्यान देने की आवष्यकता आ गयी है।  
आपके संज्ञान में लाना चाहते है कि ”विज्ञापन एवं दृष्य प्रचार निदेषालय“ द्वारा न्यूज वेबसाइटो को विज्ञापन हेतु इम्पैनलमेंट की शर्ते अत्यधिक कठोर एवं व्यावहारिक नही है जिससे देश की अधिकांश न्यूज वेबसाइट इसमें इम्पैनलमेंट नही पा रही है। जनकल्याणकारी राज्य में सरकार की नीतियां अधिकतम कल्याण की होती रही है। अतः आपसे निवेदन करते हैं कि ”विज्ञापन एवं दृष्य प्रचार निदेषालय“ डीएवीपी की वेबसाइटो को विज्ञापन हेतु इम्पैनल करने की नीति लघु एवं मध्यम वेबसाइटो के हित में होनी चाहिए, जो वर्तमान में नही है। 
माननीय प्रधानमंत्री जी की सोच हमेशा लघु एवं मध्यम लोगो के हित में रही है। गांव-गांव, गली-मौहल्ले में प्रचार-प्रसार के लिए छोटी एवं मध्यम न्यूज वेबसाइट एक सशक्त माध्यम हैं। 
देश की प्रथम पंजीकृत वेब मीडिया एसोसिएशन के नेशनल प्रेसीडेंट के नाते हम आपसे यह निवेदन करना चाहतेे हैं कि डीएवीपी की न्यूज वेबसाइटो को इम्पैनल करने की नीति में माननीय प्रधानमंत्री जी की सोच एवं सिद्वांतों को अपनाया जाने की जरूरत है, जिससे एक कल्याणकारी सरकार का संदेश जाए। देश की एक कल्याणकारी सरकार को मध्यम न्यूज वेबसाइटो को संरक्षण, सर्वद्वन एवं प्रोत्साहन देने की आज जरूरत है।  सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के ”विज्ञापन एवं दृष्य प्रचार निदेषालय“ की मध्यम एवं छोटी न्यूज वेबसाइटो को इम्पैनलमेंट करने की नीति के दायरे में लाना जाना चाहिए। 

बलूनी ने कहा कि जो वेब पोर्टल्स उत्तराखंड राज्य में सूचना एवं लोक संपर्क विभाग की “क” श्रेणी में अधिसूचित हैं उन्हें स्वतः डीएवीपी की “घ” श्रेणी गांव में सम्मिलित कर लिया जाए, यदि संभव ना हो तो पर्वतीय क्षेत्र में संचालित न्यूज़ पोर्टल्स के लिए डीएवीपी की नीति में संशोधन करते हुए नई कैटेगरी बनाई जाए।

मंत्री श्री राज्यवर्धन राठौर ने इस विषय में सहमति जताते हुए कहा कि निसंदेह इंटरनेट की कनेक्टिविटी का संकट पोर्टल्स को झेलना पड़ता है वे विज्ञापन नीति में संशोधन हेतु शीघ्र इस पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि वह इस विषय को विज्ञापन नीति में समायोजित करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश देंगे ताकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों में पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों को राहत मिल सके, दूरस्थ अंचल की खबरें व सरकार की नीतियां आम जनता के बीच जा सके।

प्रेषक
अमरेन्द्र आर्य
निजी सचिव
माननीय सांसद राज्यसभा,

वही दूसरी ओर पूर्व मुख्‍यमंत्री तथा सांसद डा0 रमेश पोखरियाल पोखरियाल निशंक ने कहा –

आज ज़रूरत बन गई है सोशल मीडिया : 
एक समय था कि जब हमें खबरों के लिए 7 से 15 दिनों का इन्तजार करना पड़ता था फिर दैनिक, साप्ताहिक पत्र – पत्रिकाओं , रेडियो, टीवी आदि के बाद आज हम आधुनिकता की उस दहलीज पर खड़े हैं जहां हमें अब ख़बरों का इन्तजार नहीं करना पड़ता है बल्कि पल-पल की खबरें हमारे स्मार्ट फोन के मार्फत हमारे छोटी सी जेब में हर पल उपलब्ध रहती है । 
जबरदस्त प्रतिष्पर्धा के इस दौर मे जहां पहले से खबरों के स्रोतों के इतने सारे माध्यम मौजूद थे वहाँ अब ‘सोशल मीडिया’ ने भी जन्म ले लिया है । ‘सोशल मीडिया’ मौजूदा समय में लोगों के बीच पहली पसंद बन गया है। 
सोशल मीडिया का सीधा मतलब निकलता है ‘जनता की अपनी आवाज़’। 
न कोई चैनल……. न कोई अखबार….. सिर्फ आप की खुद की आवाज़ आपकी खबरों के ज्ञान का भंडार। 
इस माध्यम से हम आप एक-दूसरे से आसानी से संपर्क बना सकते हैं । अपनी सूचनाओ एवं खबरों को सरलता से आपस मे साझा कर सकते हैं। 
आज फेसबुक लोगो की पहली पसंद है। खाशकर भारतियों की तो पहली पसन्द है फेसबुक । 
वहीँ टिवीटर ‘सेलेब्रिटीयों का प्रमुख अड्डा’ कहा जाता है। नेता से लेकर अभिनेता सब आपको ‘टिवीटर’ पर मिल जाएंगे । 
एक रिपोर्ट के अनुसार केवल भारत मे फेसबुक पर सक्रिय भारतीयों के सदस्यों की संख्या वर्तमान समय में लगभग 110 करोड़ से ऊपर व ट्विटर पर लगभग 38 करोड़ के आसपास हैं। 
सोशल मीडीया ने आज अपना एक अलग स्थान बना लिया है । खाशकर भारतीय के बीच तो पिछले कुछ ही वर्षो मे ‘सोशल मीडिया’ ने ‘गेम-चेंजर’ की भूमिका का काम किया है । राजनीति , व्यापार से लेकर शिक्षा के क्षेत्र मे ‘सोशल मीडिया’ ने अपनी अद्भुत्त ताकत दिखाई है। 
आज लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अपने व्यापार का प्रचार, चुनाव का प्रचार प्रभावी तौर पर कर पा रहे हैं। शिक्षा एवं स्वास्थ्य की जानकारीयां सोशल मीडिया से प्राप्त हो रही है। पहले लोग करोड़ो विज्ञापन पर खर्च करते थे और उम्मीद के मुताबिक उन्हे परिणाम भी नहीं मिल पता था । लेकिन आज आप अपनी बात को रखिए और परिणाम स्वरुप तुरन्त प्रतिक्रया मिलनी शरू हो जाती है । मैं तो इसे क्विक मीडिया भी कहता हूँ । 
आज किसी भी देश या दुनियां के कोने में चले जाओ सोशल मीडिया आपके साथ होता है । क्या आम और क्या ख़ास सोशल मीडिया अस्तित्व को नकार नही सकता है । आज जो व्यक्ति इन माध्यमों को नहीं अपना पाया है वह पढ़ा लिखा होने के बाबजूद भी स्वयं को असहज महशूस करता है । इसलिए आज के जमाने के साथ दौड़ना है तो ‘फेसबूक’ और ‘ट्वीटर’ जैसे सक्रीय माध्यमों को तो अपनाना ही पड़ेगा । 
* रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *