सूरज के गाल पर तिल का निशान ; ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण घटना घटी

#11 Nov. 2019 सोमवार को सूरज और धरती के बीच से बुध गुज़रा। ये अनूठा खगोलीय नज़ारा था। इसके बाद यह घटना 13 वर्ष बाद 2032 में होगी #किसी ने कहा- सोने की थाली में दाल का दाना, किसी को लगा- सूरज के गाल पर तिल का निशान।  ज्योतिष शास्त्र में महत्‍वपूर्ण घटना घटी,  बुध पारगमन का राशियों पर प्रभाव पड रहा है, 11 नवंबर यानी आज सौरमंडल के सबसे करीबी ग्रह बुध सूर्य के  बिम्ब के ऊपर से बुध का परागमन हुआ है।  भारत में इस दौरान सूर्यास्त हो चुका था इसलिए पूरे भारत में .. बुध का यह पारगमन दिखाई नहीं दिया# www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) by CHANDRA SHEKHAR JOSHI- Mob. 9412932030

यह एक ऐसी दुर्लभ खगोलीय घटना है जो 100 वर्षों में करीब 13 बार ही होती है।  उस समय सूर्य और बुध मेष राशि में स्थित थे। इस बार यह संयोग तुला राशि में हुआ है। ज्योतिष शास्त्र में यह घटना काफी महत्व रखती है।  पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य जब बुध होता है और बुध सूर्य बिम्ब के सामने से गुजरता है,  तब यह घटना बुध पारगमन  कहलाती है।

दरअसल सौरमंडल में परिक्रमा के दौरान कई बार ग्रह परिक्रमा करते समय सूर्य के सामने से गुजरते हैं। इस बार जो घटना घटी है  उसमें बुध सूर्य के लगभग मध्य क्षेत्र से गुजरा है। इस कारण बुध का पारगमन बेहद खास माना जा रहा है। बुध का परागमन हमेशा मई और नवंबर के महीने में ही होता है। यह पारगमन सूर्य पर एक बिंदी के रूप में दिखा। 

21वीं सदी में अब तक 3 घटनाएं घटित हो चुकी हैं, इस माह इस शताब्दी की चौथी परिघटना है।  इसके बाद इस शताब्दी में 10 बार बुध का पारगमन होगा।  पृथ्वी से केवल बुध और शुक्र के ही पारगमन देखे जा सकते हैं  क्योंकि दूसरे सभी ग्रह पृथ्वी से काफी दूर हैं।  पारगमन का स्पर्श शाम 6 बजकर 5 मिनट  तथा पारगमन का मध्य रात 8 बजकर 50 मिनट तथा पारगमन का मोक्ष 11 बजकर 34 मिनट पर –

इस खगोलीय घटना में बुध ग्रह सूर्य के सामने से होकर गुजरा। जिसमें वह काली बिंदी की तरह अपने पथ पर आगे बढ़ता हुआ नजर आया।   ट्रांजिट का समय सूर्यास्त के बाद होने के कारण यह घटना भारत के धरातलीय क्षेत्र से नहीं देखी जा सकी। प्रशांत, अटलांटिक व हिंद महासागर से देख सकेंगे। इसके अलावा अफ्रीका, यूरोप व दक्षिणी अमेरिका से देखी गई। ट्रांजिट का समय लगभग साढ़े पांच घंटे का रहा। इस बीच बुध ग्रह सूर्य के एक छोर से दूसरे किनारे तक यात्रा करता दिखा। भारतीय समय के अनुसार रात करीब 11.30 बजे ट्रांजिट समाप्त। इसके बाद यह घटना 13 वर्ष बाद 2032 में होगी। एक सदी में 13 बार यह घटना होती है। ट्रांजिट ग्रहण जैसी ही घटना है। वैज्ञानिक नजरिये से यह सामान्य खगोलीय घटना है। परंतु समयकाल की गणना के साथ बुध व पृथ्वी के बीच की दूरी की गणना का सटीक पता चलने के साथ पिछली गणनाओं की पुष्टि हो सकेगी। जिस कारण वैज्ञानिक इस घटना का अध्ययन करते हैं। सौर मंडल में सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह बुध है। बुध के अलावा शुक्र ग्रह का ट्रांजिट भी होता है। 

राशियो पर प्रभाव- तुला राशि में यह घटना होने से इन राशियों के लोगों को आर्थिक मामलों में संभलना होगा। मन अशांत होगा। सेहत में भी नरमी रहेगी। मेष राशि वालों के लिए यह पारगमन उत्साहवर्धक रहेगा। अतिउत्साह में यह अपना अहित कर सकते हैं।  दांपत्य जीवन में विवाद की स्थिति से बचें। वृष राशि के लोग इस पारगमन से लाभ पा सकते हैं।  इन्हें भौतिक सुख की प्राप्ति होगी। मिथुन और कन्या राशि के लोगों को अगले 15 दिनों तक मानसिक तनाव  और उलझनों का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक विषयों में चिंंता रहेगी। बच्चों की ओर से भी परेशानी  हो सकती है। अन्य राशियों के लिए स्थिति सामान्य रहेगी।
 

# बुध ग्रह सूरज और पृथ्वी के बीचों बीच आ कर दोनों के बीच से पार निकल गया #  बुध पारगमन की यह खगोलीय घटना शाम 4 बजकर 40 मिनट से शुरू हुई# सौर मंडल में 10 साल बाद सोमवार को एक दुर्लभ खगोलीय घटना # बुध ग्रह की विशेषता बुध सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है। ये सूर्य के ठीक पहले का ग्रह है लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा गर्म नहीं है। बुध ग्रह का नाम रोमन देवी मरकरी के नाम पर रखा गया# बुध ग्रह 50 किमी प्रति सेकेंड की गति से सूर्य के चारों ओर 88 दिनों में एक चक्कर लगाता है। बुध ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के 175.97 दिनों के बराबर होता है। बुध ग्रह का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का 38 प्रतिशत है। बुध ग्रह की सतह से सूर्य पृथ्वी पर से दिखने वाले सूर्य का तीन गुना बड़ा दिखाई देता है# वैज्ञानिक प्रो. यशपाल ने कहा कि इस खगोलीय घटना के प्रति लोगों को आशंकित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह महज सौर मंडल की एक अनोखी घटना है। हम सब को अंधविश्वास छोड़ना चाहिए

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