अब बीजेपी के फैसले संघ की विचारधारा के बजाय राजनीतिक ज़रूरतों के हिसाब से

HIGH LIGHTS; राज्य में बीजेपी प्रमुख को लेकर आरएसएस से चल रही खींचतान #अब बीजेपी के फैसले संघ की विचारधारा के बजाय कहीं ज़्यादा राजनीतिक ज़रूरतों के हिसाब से लिए जाने लगे#बीजेपी के सामने खुद ही नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. केरल में बीजेपी के पास किसी मज़बूत आवाज़ का न होना न सिर्फ पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है बल्कि इसका फायदा सीपीएम को भी मिल सकता है.हिमालयायूके  न्‍यूज पोर्टल ब्‍यूरो

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एक दिन के केरल गए थे. 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए वह भले ही पार्टी की रणनीति तय कर रहे हैं लेकिन अभी तक बीजेपी वहां पार्टी अध्यक्ष तक नहीं नियुक्त कर पाई है. पहले केरल में बीजेपी अध्यक्ष के राजशेखरन थे. उन्हें मिजोरम का गवर्नर बना दिया गया जिसके बाद से ही यह पद खाली है.
दरअसल, राजशेखरन आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रहे हैं. उन्हें अचानक केरल के पार्टी अध्यक्ष से हटाकर मिजोरम का गवर्नर बना दिया गया. इस मामले में संघ की सलाह तक नहीं ली गई जिससे संघ नाराज है. सूत्रों के मुताबिक, अब नए केरल अध्यक्ष पद पर संघ अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को ही बैठाना चाहता है. जबकि बीजेपी आलाकमान किसी ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहती है तो संघ नहीं बल्कि पार्टी का एजेंडा ऊपर रखे.

राजशेखरन आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रहे हैं. उन्हें अचानक केरल के पार्टी अध्यक्ष से हटाकर मिजोरम का गवर्नर बना दिया गया. इस मामले में संघ की सलाह तक नहीं ली गई जिससे संघ नाराज है. जब राष्ट्रपति ने कुम्मानम राजशेखर को मिज़ोरम का गवर्नर बनाने का नोटीफिकेशन जारी किया. राजशेखरन लंबे समय से आरएसएस के प्रचारक रहे हैं और वो राज्य छोड़कर जाना नहीं चाहते थे. अब राज्य इकाई के प्रमुख का पद खाली होते ही बीजेपी के सामने नया प्रमुख चुनने की समस्या खड़ी हो गई. केरल बीजेपी में आपसी मतभेद और मुरलीधरन के पद छोड़ने से 2015 में पैदा हुए खालीपन को भरने के लिए बीजेपी ने संघ को मध्यस्थता करने के लिए कहा. उस समय संघ ने राजशेखरन को केरल बीजेपी का प्रमुख बना दिया. शर्त थी कि वो कम से कम दो साल तक इस पद पर बने रहेंगे. राज्य में संघ से नज़दीकी रखने वाले नेताओं का आरोप है कि राजशेखरन को मिज़ोरम का गवर्नर बना कर उनका ‘पनिशमेंट ट्रांसफर’ किया गया है

केरल में संघ की सक्रियता और पैठ काफी मजबूत है. ऐसे में बीजेपी किसी भी सूरत में संघ की नाराजगी को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. माना जा रहा है अमित शाह के केरल दौरे के बाद जल्द ही राज्य में बीजेपी के नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा.
अमित शाह का केरल का दौरा काफी महत्वपूर्ण है. बीजेपी के एजेंडे में केरल काफी उपर है. बीजेपी की कोशिश उन राज्यों में पार्टी के प्रदर्शन को बेहतर करना है, जहां अबतक पार्टी हाशिए पर रही है. रणनीति यही है कि इस बार लोकसभा चुनाव में बाकी राज्यों में अगर कुछ सीटों की कमी होती है तो उसकी भरपाई नए राज्यों से हो जाए.
इसी रणनीति के तहत केरल के अलावा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और ओडीशा के अलावा नार्थ-ईस्ट के राज्यों में बीजेपी बेहतर प्रदर्शन के लिए रणनीति बना रही है. शाह पिछले हफ्ते बंगाल के दौरे से लौटे थे. जबकि एक दिन पहले ही वह ओडीशा के दौरे पर गए थे.
दरअसल बीजेपी को लगता है कि केरल में उसका प्रदर्शन पहले से काफी बेहतर होगा. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी केरल में 8 लोकसभा सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कुछ महीने पहले ही केरल के कन्नूर में पदयात्रा भी की थी.
केरल में हो रही राजनीतिक हत्या के खिलाफ बीजेपी लगातार मोर्चा खोला रही है. केरल में पी विजयन के नेतृत्व वाली लेफ्ट की सरकार के खिलाफ बीजेपी की तरफ से घेराबंदी होती रही है, लेकिन, इस कोशिश में बीजेपी के संघ से सबसे ज्यादा ताकत मिली है. ब सीपीएम के कई कार्यकर्ता भी पार्टी छोड़कर संघ और बीजेपी के साथ जुड़ रहे हैं.
बीजेपी को लगता है कि बदले माहौल में लेफ्ट के खिलाफ बिगुल फूंककर वहां मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई जा सकती है. आने वाले दिनों में बीजेपी सरकार बनाने का दावा भी कर रही है. लेकिन, उसके पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे बेहतर प्रदर्शन करके दिखाना होगा. इसके लिए संघ और बीजेपी में बेहतर तालमेल की जरूरत होगी, लेकिन, प्रदेश में नए अध्यक्ष को लेकर मची खींचतान ने परेशानी बढ़ा दी है.

 

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