मुख्यमंत्री आवास में त्रिवेन्‍द्र रावत का ग्रह प्रवेश

मुख्यमंत्री आवास शुभ है या अशुभ ? हालांकि ज्‍योतिषी की  राय सही साबित हुई तो मुख्यमंत्री आवास के प्रति व्‍याप्‍त मिथक का डर बढता जायेगा Execlusive : (www.himalayauk.org) HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND (Leading Digital Web Media);  Mail; csjoshii_editor@yahoo.in Mob 9412932030
29 March 2017 बुधवार को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिह रावत ने विधिवत पूर्जा अर्चना करते हुए न्यू कैंट रोड़ स्थित मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश किया। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता रावत, पुत्रियों सहित अन्य परिवारजन उपस्थित थे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट, केबिनेट मंत्री श्री प्रकाश पंत, श्री मदन कौशिक, डाॅ.हरक सिंह रावत, श्री यशपाल आर्य, राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) डाॅ. धनसिंह रावत, विधायक श्री गणेश जोशी, मुख्य सचिव श्री एस.रामास्वामी सहित अन्य गणमान्य भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कैम्प कार्यालय का भी निरीक्षण किया। उन्होंने प्रदेश में पानी की कमी को देखते हुए आवास में बनाए गए तरणताल(Swimming Pool) को बंद करने के निर्देश दिए।
यहां न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास शुभ है या अशुभ ? इस प्रश्न को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को (29 मार्च) विधिवत पूजा अर्चना के साथ इसमें प्रवेश किया। हरीश रावत ने अपने ढ़ाई साल के मुख्यमंत्रित्व काल में इस आवास में रहने के लिये कभी नहीं गये। रावत से पहले मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा इसमें रहने गये थे लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये।
इसी आवास में रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये थे। उनके बाद सितंबर, 2011 में दोबारा मुख्यमंत्री बने भुवन चंद्र खंडूरी इस आवास में गये ही नहीं। शायद इन्हीं वजहों से यह धारणा बन गई कि यह आवास मुख्यमंत्री के लिये अशुभ है और इसमें रहने वाला मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता।
मुख्यमंत्री रावत ने विधिवत पूर्जा अर्चना करने के बाद पत्नी सुनीता रावत, दोनों पुत्रियों और अन्य परिजनों सहित मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश किया।

आरएसएस के पूर्व प्रचारक त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 18 मार्च 2017को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उत्तराखंड में भाजपा ने विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल किया था। 70 सीटों में से भाजपा ने 56 सीटों पर जीत का परचम लहराया है। राज्य में अब तक के इतिहास में न केवल भाजपा, बल्कि किसी भी दल के लिए ये सबसे बड़ा आंकड़ा है।

वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने बीजापुर गेस्ट हाउस में ही रहने का फैसला लिया था। मुख्यमंत्री बनने के 202 दिनों बाद हरीश रावत ने पहली बार सरकारी आवास में प्रवेश किया था। खंडूड़ी इस खूबसूरत मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश नहीं कर सके। रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री बने तो गृह प्रवेश किया लेकिन सत्ता से बेदखल हो गए। उसके बाद फिर खंडूड़ी मुख्यमंत्री बने लेकिन कुछ महीनों बाद हुए चुनाव बाद नहीं लौटे। कांग्रेस जीती विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने और बंगले में प्रवेश किया। विजय बहुगुणा जब तक मुख्यमंत्री रहने मुसीबतों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। बिना कार्यकाल पूरा किए बहुगुणा को इस बंगले से अपना सामान समेटना पड़ा। मुख्यमंत्री हरीश रावत बार-बार सरकारी आवास में जाने के सवाल को टालते रहे हैं। उनका तर्क है कि बीजापुर गेस्ट हाउस में वह अधिक से लोगों से मिल पाते हैं वहां ऐसा संभव नहीं हो सकेगा।

उत्तराखण्ड में कोई भी मुख्य मंत्री बने वह अभिशप्त माने जा रहे मुख्यमंत्री निवास में रहने से परहेज क्यों करता रहा है, जी, हां, यह सच है कि उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पद पर विराजमान होने वाला राजनेता मुख्यमंत्री के सरकारी निवास में एक अंधविश्वास के तहत निवास करने से बचता है,

ज्ञात हो कि उत्तराखण्ड में मुख्य मंत्री का नया सरकारी निवास 2009 में गढी कैन्टर में बनकर तैयार हुआ, और इसको तेयार करवाते समय इसको पूर्णतया वास्तु शास्त्र तथा पहाडी शैली से बनाया गया आधुनिक भवन बताया गया था, नये बने इस भवन में प्रवेश करते वक्त मुख्यनमंत्री के पद पर डा0 रमेश पोखरियाल निशंक जी विराजमान थे, इस भवन में निवास करने से पूर्व पूर्णतया पूजा अर्चना तथा भव्य पार्टी का आयोजन हुआ, परन्तुू दुर्भाग्य से मुख्ययमंत्री के इस नये भवन में आते ही कुछ समय बाद उनकी कुर्सी चली गयी, और उनको मुख्यमंत्री पद से हटना पडा,

डा0 निशंक को हटाकर मुख्यमंत्री बनाये गये भुवन चन्द्र खण्डूदडी ने इस भवन में आने से परहेज किया, तथा वह इस नये भवन में वह मुख्य‍मंत्री के रूप में नही आये,, इसके बाद बदले राजनीतिक समीकरण में कांग्रेस द्वारा विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया गया, विजय बहुगुणा ने मुख्यमंत्री के रूप में प्रवेश करने से पूर्व कैंट रोड स्थित मुख्युमंत्री आवास में घर प्रवेश पर अपने परिजनों के साथ पूजा अर्चना की, तथा मुख्य मंत्री के सरकारी आवास में रहते हुए समस्त कार्य वहां से संचालित किये, परन्तुी जैसा कि इस भवन के साथ मिथक जुडा हुआ है, मुख्यमंत्री के इस भवन ने 28 जनवरी 2013 को उनकी कुर्सी भी खिसका दी, और विजय बहुगुणा को मुख्य मंत्री पद से हटा दिया गया, 1 फरवरी 2013 को हरीश रावत उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री बनाये गये, परन्तु उन्होंने मुख्यमंत्री के इस भवन में आने से परहेज किया और इसको लेकर उन पर अंधविश्वास का ठप्पा‍ न लग जाए, इसके लिए उन्होंने घोषणा की कि आपदा पीडितों को जब तक घर नही मिल जाते तब वह वह मुख्य मंत्री के सरकारी निवास में रहने नही जाएंगे और गेस्ट‍ हाउस से सरकार चलाएंगे,

उन्होंने बीजापुर राज्य अतिथि ग़़ह को अपना अस्थायी आवास बनाया और वही से सरकार चलाते रहे, हालांकि चुनावों के वक्त विपक्ष ने इसको लेकर आपत्तिस भी जतायी कि वह सरकारी अतिथि घर में कैसे रह सकते हैं, जबकि मुख्य मंत्री का विशाल सरकारी आवास खाली पडा है, परन्तु् हरीश रावत मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में नही गये, हालांकि भारी भीड बीजापुर राज्यम अतिथि ग़ह में भारी भीड जुटने पर स्थान की कमी से मुख्यमंत्री को रूबरू भी होना पडा, परन्तु वह फिर भी मुख्यमंत्री के लिए बने सरकारी बंगले में नही गये,

वही  डालनवाला स्थित मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की पुरानी व बिल्डिंग को तोड कर तथा सूचना निदेशालय के निरीक्षा भवन को आनन फानन में हटाकर उसे मुख्य मंत्री कार्यालय के रूप में तैयार किया गया था, परन्‍तु मुख्‍यमंत्री निवास के इस भवन मेे आने की हिम्‍मत नही जुटा पाये हरीश रावत
राजनीति में शकुन व अपशकुनों का विशेष महत्‍व है, नामांकन कराने से लेकर मंत्री के कार्यभार ग्रहण करने के समय व स्‍थान से लेकर उसका निवास स्‍थान पर शकुन अपशकुनों का प्रभाव पडता है

ज्ञात हो कि दिल्ली के सिविल लाइन्स क्षेत्र में 33 श्यामनाथ मार्ग पर स्थित बंगले को जल्द ही सरकारी गेस्ट हाउस में तब्दील किया जायेगा क्योंकि कोई भी वरिष्ठ अधिकारी या राजनीतिक नेता अतीत की घटनाओं के कारण इसे अशुभ मानते हुए इसमें नहीं रहना चाहता है। दिल्ली सरकार के चार बेडरूम वाले इस बंगले की कीमत करोड़ों रुपये बताई जाती है और यह पुराने सचिवालय के काफी करीब है, लेकिन इस बंगले पर अशुभ होने का ठप्पा लग गया है। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘चार बेडरूम वाला यह बंगला भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का आवास रह चुका है, लेकिन उन्हें हवाला मामले में नाम आने पर इस्तीफा देना पड़ा था। उनके उत्तराधिकारी साहिब सिंह वर्मा को इस बंगले में आने पर मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था।’ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कांग्रेस नेता दीप चंद माथुर 1998 में उद्योग मंत्री बनने के बाद इस बंगले में आए, लेकिन बीमारी के कारण बाद में उनका निधन हो गया। अधिकारी ने कहा, ‘इसके कारण और कुछ अन्य घटनाओं के कारण कोई भी अधिकारी इस मकान में रहने को इच्छुक नहीं है और यह पिछले कई वर्षों से खाली पड़ा है।’ उन्होंने कहा, ‘पिछले वर्ष एक आईएएस अधिकारी इस बंगले में आये थे, लेकिन उन्होंने इस वर्ष फरवरी में इसे खाली कर दिया।’ सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी इस बंगले की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। दिल्ली सरकार इस बंगले का उपयोग संवाददाता सम्मेलन और पार्टियों के लिए करती है।

मंडल आयुक्त (राजस्व) ने कहा, ‘दिल्ली के उपराज्यपाल ने हाल ही में इस बंगले को सरकारी गेस्ट हाउस में तब्दील करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। 

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