कांग्रेस यूपी में ब्राहमणों के भरोसे

CONGसमाजवादी पार्टी तथा बसपा में ब्राह्मणों से मोह भंग की स्‍थिति है. ऐसे में कांग्रेस को ब्राहमणों के एकतरफा समर्थन की उम्‍मीद है, कांग्रेस को यूपी में बाहमणों के सहारे सत्‍ता में आने की पूरी उम्‍मीद है तो भाजपा अमित शाह की अगुवाई में गैर यादव पिछड़ों केे सहारे सत्ता में आने की उम्‍मीद है; मायावती इस बार दलित और मुस्लिम गठजोड़ के भरोसे है- कांग्रेस पार्टी की तैयारी उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में ब्राह्मण सम्मलेन करने की है. कांग्रेस ब्राह्मणों की मीटिंग के लिए एक सामाजिक संस्था के सहारे ब्राहमणों के कार्यक्रम आयोजित करायेगी- ब्राह्मणों के भरोसे यूपी में राज करने का आयडिया प्रशांत किशोर का है. www.himalayauk.org (Newsportal) 
सालों से कांग्रेस यूपी में सत्ता से बाहर है. एनडी तिवारी पार्टी के आख़िरी ब्राह्मण मुख्य मंत्री थे. अब कांग्रेस एक बार फिर से ब्राह्मणों को पुराने दिनों की याद दिला रही है. यूपी में करीब 12 फीसदी ब्राह्मण वोटर हैं. कांग्रेस को लगता है कि अगर ब्राह्मणों का साथ मिल गया तो फिर कुछ दलित और कुछ मुस्लिम मिल कर उसकी नैया पर लगा सकते हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में ब्राह्मण बीजेपी के साथ हो गए लेकिन अब बारी अगले साल होने बवाल विधान सभा चुनाव की है. अमित शाह की अगुवाई में पार्टी गैर यादव पिछड़ों को गोलबंद करने में जुटी है. समाजवादी पार्टी का एक तरह से ब्राह्मणों से मोह भंग हो चुका है. ऐसा ही माहौल बीएसपी कैम्प में भी है. बहनजी की रैलियों में, “ब्राह्मण शंख बजायेगा हाथी लखनऊ जाएगा नारे लगने बंद हो गए हैं.” मायावती इस बार दलित और मुस्लिम गठजोड़ के भरोसे है. ब्राह्मण और दलित के पुराने सोशल इंजिनयरिंग को बहिनजी ने बाय बाय कर दिया है. इसी उलझन को सुलझाने के लिए कांग्रेस अब पंडितजी के दरवाजे दस्तक दे रही है.

हर गली-मोहल्ले, चौक-चौराहे, नुक्कड़ और गांव में इन दिनों पंडितजी ढूंढें जा रहे हैं. नौजवान से लेकर बुजुर्ग तक. कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं में होड़ मची है इन्हें ‘अपनाने’ की और फिर अपना बताने और दिखाने की. अब तो ब्राह्मणों को मंच पर बुला कर उन्हें सम्मानित करने का सिलसिला भी शुरू हो गया है.

कांग्रेस पार्टी की तैयारी उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में ब्राह्मण सम्मलेन करने की है. लखनऊ में 2 सितंबर को पहली ऐसी बैठक भी हुई. कांग्रेस के कई ब्राह्मण नेता मंच पर सजे धजे दीखे, तिलक और चन्दन लगाए हुए. मनमोहन सरकार में मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने तो लखनऊ के सम्मलेन में एलान कर दिया, “हमें ब्राह्मण होने पर गर्व है. इस बार कांग्रेस इस जाति के सौ नेताओं को टिकट देगी.” जितिन के इतना कहते ही तालियों से मैदान गूंज उठा.

4 सितंबर को कानपुर में भी ऐसा एक और सम्मलेन होगा. वैसे भी ये शहर कान्यकुब्ज ब्राह्मणों का गढ़ रहा है. चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक जाति और धर्म के आधार पर कोई सभा नहीं हो सकती है. कांग्रेस ने इस से बचने का जुगाड़ भी निकाल लिया है. ब्राह्मणों की मीटिंग के लिए पार्टी ने एक सामाजिक संस्था ढूंढ लिया. सालों से धूल फांक रही ब्राह्मण चेतना परिषद् का झंडा और डंडा ले लिया गया है. आपको बता दें कि रंजन दीक्षित इस परिषद् के सर्वेसर्वा है. बहाना ब्राह्मण जाति के ‘अच्छे’ लोगों को सम्मानित करने का है लेकिन क्या ये महज संयोग है कि मंच पर सिर्फ कांग्रेस के नेता ही दीखते हैं.

ब्राह्मणों के भरोसे यूपी में राज करने का आयडिया प्रशांत किशोर का है. प्रशांत किशोर को सब पीके के नाम से जानते है. कांग्रेस की तकदीर बदलने के लिए राहुल गांधी ने पीके को यूपी सौंप दिया और इसके बाद पीके और उनकी टीम ने राज्य के कई ज़िलों का दौरा किया. तय हुआ इस बार पुराने फार्मूले पर कांग्रेस चलेगी और दांव ‘पंडितजी’ पर लगाया जाएगा.

प्रशांत किशोर ने ब्राह्मण समाज के डाक्टरों, वकीलों, प्रोफेसरों, टीचरों, कारोबारियों और रिटायर्ड अफसरों के साथ बैठके की. कानपुर, लखनऊ से लेकर वाराणसी जाकर वे ऐसे लोगों से मिले. लखनऊ में एक ऐसी ही मीटिंग में लेखक भी मौजूद था. पीके बोले ” आप सब लोग पिछले बीस पच्चीस सालों से मुलायम सिंह और मायावती के पीछे भाग रहे है, कभी आपने अपने बारे में सोचा. क्या आप लोग नंबर -2 और नंबर-4 ही बने रहना चाहते है ” पीके ने आगे कहा ” इस बार हम आपको अपना मुख्यमंत्री देंगे.”

शीला दीक्षित को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए अपना सीएम चेहरा घोषित कर दिया और उनके दौरे भी शुरू हो गए हैं. शीला के पुराने कनेक्शन से यूपी के लोगों को जोड़ने की कोशिशें जारी है.

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