गणेश चतुर्थी पर कई शुभ योग- राशियों पर डाल रहे हैं असर

श्रीगणेश ने दिया था चंद्रमा को श्राप#भगवान श्रीकृष्ण पर लगा था चोरी का आरोप # गणेश चतुर्थी कई शुभ योग 8 राशियों के लिए शुभ# श्रीगणेश  ने कहा था- जो कोई व्यक्ति आज तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा। इसीलिए भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं किया जाता।

हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल के लिए चन्‍द्रशेखर जोशी की प्रस्‍तुति-

शुक्रवार 25 अगस्त को गणेश चतुर्थी कई शुभ योगों के बीच मनेगी। श्रेष्ठ माना जाने वाला हस्त नक्षत्र शाम तक रहेगा, जबकि इसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू होगा। इसी नक्षत्र में भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसके अलावा शुभ, अमृत और रवियोग का संयोग भी इस पर्व की शुभता को बढ़ाएंगे। इन योगों में की गई गणेश पूजा शुभ फलदायी रहेगी। वहीं, जमीन, मकान, ज्वैलरी और गाड़ियां खरीदी करना भी लाभदायक रहेगा। इस बार गणेशोत्सव 11 की बजाए 12 दिन का रहेगा। दसवीं तिथि दो दिन 31 अगस्त और 1 सितंबर को पड़ रही है। इसे भी पंडितों ने शुभ माना है। पं. प्रहलाद पंड्या के मुताबिक, चतुर्थी पर शाम 4.27 तक हस्त नक्षत्र रहेगा। इस नक्षत्र को श्रेष्ठ माना जाता है, जबकि इसके बाद इसी दिन शाम 4.28 से शुरू होने वाला चित्रा नक्षत्र चतुर्थी पर होने से सोने में सुहागा जैसा रहेगा।

इस बार भगवान गणेश 12 दिन तक विराजेंगे। शुक्रवार को गणेश चतुर्थी हस्त और चित्रा नक्षत्र में मनेगी। माना जाता है कि चित्रा नक्षत्र में ही गणेशजी का जन्म हुआ था।   
शास्त्रों के अनुसार गणेशजी के सभी अंगों पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े खास अंग विराजमान हैं। गणेशजी की पीठ पर दरिद्रता यानी गरीबी निवास करती है। इसी वजह से इनकी पीठ के दर्शन वर्जित किए गए हैं। जो लोग उनकी पीठ के दर्शन करते हैं, उन्हें धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व 25 अगस्त, शुक्रवार को है।   गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। इस रात चंद्रमा को देखने से झूठे आरोप लगने का भय रहता है। यदि भूल से चंद्रमा को देख लें तो इस मंत्र का जाप करना चाहिए- मंत्र
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।

 हिन्दी में इस प्रकार  ; मंत्रार्थ- सिंह ने प्रसेन को मारा और सिंह को जाम्बवान ने मारा। हे सुकुमारक बालक तू मत रोवे, तेरी ही यह स्यमन्तक मणि है। इस मंत्र के प्रभाव से कलंक नहीं लगता है। 

गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर ये सभी सुख प्राप्त होते हैं। गणेशजी की पीठ पर दरिद्रता का वास होता है। गणेशजी की पीठ के दर्शन करने वाला व्यक्ति यदि बहुत धनवान भी हो तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है। इसी वजह से इनकी पीठ नहीं देखना चाहिए। जाने-अनजाने पीठ देख ले तो गणेशजी से क्षमा याचना कर उनका पूजन करना चाहिए। तब बुरा प्रभाव नष्ट हो जाता है।

हस्त नक्षत्र का चंद्रमा अमृत योग बना रहा है। इसके साथ शुभ और गजकेसरी नाम के 2 अच्छे योग भी बन रहे हैं। इनके प्रभाव से शुक्रवार 8 राशियों के लिए शुभ रहेगा।  मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशि वालों के सोचे हुए काम पूरे होंगे। शनिवार 26 अगस्त 2017 से शनि मार्गी हो रहा है। शनि अभी वृश्चिक राशि में है। जो कि मंगल की राशि है एवं शनि मंगल का शत्रु है। 26 अक्टूबर 2017 को शनि वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश करेगा।   ग्रहों के राशि बदलने से वृष, कन्या, वृश्चिक, कुंभ और मीन वालों के लिए अच्छा समय शुरू हो रहा है। वहीं मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, धनु और मकर राशि वालों पर राहु-केतु भारी रहेंगे।

घर में मिट्टी के ही गणेशजी की स्थापना करें और घर में ही उनका विसर्जन करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो भगवान श्रीगणेश अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।  

25 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। इसी दिन से श्रीगणेश के 10 दिवसीय गणेषोत्सव की शुरुवात होगी। इन दिनों हर कोई भगवान श्रीगणेश की मूर्ति घर-दुकान में स्थापित कर, उनकी पूजा-अर्चना करता है।   कुछ ऐसी खास बातों के बारे में जिन्हें गणेशजी घर-दुकान में स्थापना करने से पहने ध्यान रखना चाहिए। 

सभी के घर में देवी-देवताओं की अनेक मूर्त‌ियां और तस्वीरें लगी होती हैं, लेकिन वे मूर्तियां और तस्वीर वास्तु के अनुसार घर में सुख-समृद्धि लाने के अनुकूल है या नहीं, यह बात कोई नहीं जानता। वास्तु के अनुसार देवी देवताओं की मूर्त‌ियां घर में क‌िस रूप में है और कहां पर स्थापित है, इस बात घर पर बहुत असर डालती है। इसल‌‌िए जब भी घर में देवी-देवताओं की मूर्त‌ियां लाएं तो इन बातों का ध्यान जरुर रखें।

गणेश जी की सूड बायी हाथ की ओर घुमी हो, घर में भगवान गणेश की बैठी मुद्र, और दुकान या आफिस में खडे गणपति की मूर्ति या तस्‍वीर रखना शुभ होता है, गणेश जी की मूर्ति रखते समय उनके दोनो पैर जमीन का स्‍पर्श करते हो, मनोकामना पूरी करने के लिए सिंदूरी रंग के गणेश जी की आराधना करे- मूर्ति स्‍थापित करते समय गणेश जी का मुंह दक्षिण दिशा की ओर न हो, गणेश जी की फोटो के साथ चुहा और मोदक अवश्‍य हो, घर के मेन गेट पर गणेश जी की दो मूर्ति ऐसे लगाये दोनो गणेश जी की पीठ मिलती हुई हो, घी मिश्रित सिंदूर से स्‍वास्‍तिक का निशान बनाये, घर के ब्रहम स्‍थान यानि केन्‍द्र में और पूर्व दिशा में मंगलकारी गणेश जी की मूर्ति या चित्र लगाये,

##भगवान श्रीकृष्ण पर लगा था चोरी का आरोप

सत्राजित् नाम के एक यदुवंशी ने सूर्य भगवान को प्रसन्न कर स्यमंतक नाम की मणि प्राप्त की थी। वह मणि प्रतिदिन स्वर्ण प्रदान करती थी। उसके प्रभाव से पूरे राष्ट्र में रोग, अनावृष्टि यानी बरसात न होना, सर्प, अग्नि, चोर आदि का डर नहीं रहता था। एक दिन सत्राजित् राजा उग्रसेन के दरबार में आया। वहां श्रीकृष्ण भी उपस्थित थे। श्रीकृष्ण ने सोचा कि कितना अच्छा होता यह मणि अगर राजा उग्रसेन के पास होती।

किसी तरह यह बात सत्राजित् को मालूम पड़ गई। इसलिए उसने मणि अपने भाई प्रसेन को दे दी। एक दिन प्रसेन जंगल गया। वहां सिंह ने उसे मार डाला। जब वह वापस नहीं लौटा तो लोगों ने यह आशंका उठाई कि श्रीकृष्ण उस मणि को चाहते थे। इसलिए सत्राजित् को मारकर उन्होंने ही वह मणि ले ली होगी, लेकिन मणि सिंह के मुंह में रह गई। जाम्बवान ने शेर को मारकर मणि ले ली। जब श्रीकृष्ण को यह मालूम पड़ा कि उन पर झूठा आरोप लग रहा है तो वे सच्चाई की तलाश में जंगल गए।
वे जाम्बवान की गुफा तक पहुंचे और जाम्बवान से मणि लेने के लिए उसके साथ 21 दिनों तक घोर संग्राम किया। अंतत: जाम्बवान समझ गया कि श्रीकृष्ण तो उनके प्रभु हैं। त्रेता युग में श्रीराम के रूप में वे उनके स्वामी थे। जाम्बवान ने तब खुशी-खुशी वह मणि श्रीकृष्ण को लौटा दी तथा अपनी पुत्री जाम्बवंती का विवाह श्रीकृष्ण से करवा दिया. श्रीकृष्ण ने वह मणि सत्राजित् को सौंप दी। सत्राजित् ने भी खुश होकर अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह श्रीकृष्ण के साथ कर दिया।
ऐसा माना जाता है कि इस प्रसंग को सुनने-सुनाने से भाद्रपद मास की चतुर्थी को भूल से चंद्र-दर्शन होने का दोष नहीं लगता।

श्रीगणेश ने दिया था चंद्रमा को श्राप

भगवान गणेश को गज का मुख लगाया गया तो वे गजवदन कहलाए और माता-पिता के रूप में पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा करने के कारण अग्रपूज्य हुए। सभी देवताओं ने उनकी स्तुति की पर चंद्रमा मंद-मंद मुस्कुराता रहा। उसे अपने सौंदर्य पर अभिमान था। गणेशजी समझ गए कि चंद्रमा अभिमानवश उनका उपहास करता है। क्रोध में आकर भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि- आज से तुम काले हो जाओगे।
चंद्रमा को अपनी भूल का अहसास हुआ। उसने श्रीगणेश से क्षमा मांगी तो गणेशजी ने कहा कि सूर्य के प्रकाश से तुम्हें धीरे-धीरे अपना स्वरूप पुनः प्राप्त हो जाएगा, लेकिन लेकिन आज (भाद्रपद शुक्ल चतुर्ती) का यह दिन तुम्हें दंड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। जो कोई व्यक्ति आज तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा। इसीलिए भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं किया जाता।

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