स्वप्नों की देवी स्वप्नेश्वरी; जगत में अतुलनीय प्रभाव

शिव स्वप्न तंत्र साधना ; जिसके लिए स्वय भगवान शिव की आराधना करते हुए उनके भोलेनाथ स्वप्नेश्वर स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है ; हिमालयायूके के लिए चन्‍द्रशेखर जोशी सम्‍पादक की विशेष रपट-   
सभी तरह के स्वप्नों की देवी हैं स्वप्नेश्वरी, जिन्हें प्रसन्न करने के लिए विधिवत अनुष्ठान और मंत्र जाप के प्रावधान तंत्र-शास्त्र में बताए गए हैं। स्वप्न तंत्र के अनुसार शिव को स्वप्नेश्वर और शक्ति को स्वप्नेश्वरी का नाम दिया गया है। यानि कि आदि देव और देवी ही स्वप्नों के जनक या अधिष्ठता हैं। आज तक कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव में आने और अनुभवों से वंचित नहीं रह पाया है। देवी स्वप्नेश्वरी सफेद परिधान में सफेद आसन पर सफेद फूलों की माला पहने हुए आसीन रहती हैं और अपने आभामंडल से किसी को भी मोहित कर लेती है। स्वप्नेश्वरी देवी को स्मरण करने के लिए मंत्र स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च, मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शय! का जाप करना चाहिए। इनकी मान्यता फल और वरदान देने वाली देवी के रूप में है। इनकी सिद्धि निम्न मंत्र-जाप के जरिए बताए गए विधि-विधान के साथ पूजा-आराधन की जाती है।
मंत्रः   ऊँ ह्रांग क्लींग रक्तचामुंडे स्वप्ने कथ्य कथ्य शुभाशुभम ऊँ फट स्वाहा!!

विधि-विधानः स्वप्न साधना सिद्धि सामान्य पूजा-पाठ से अलग है, जिसे रात के समय सोने से पहले 11 बजे के बाद किया जाता है। दक्षिण दिशा की ओर मुख कर सामने देवी की तस्वीर रखें। ऊपर दिए गए मंत्र का 1100 बार बिस्तर पर ही बैठे-बैठे किसी भी तरह की माला से किया जाता है। इसकी शुरुआत करने और अंत होने पर देवी स्वप्नेश्वरी से प्रार्थन करें कि वे आपके स्वप्नों में दर्शन दें और सिद्धि हासिल हो सके। इसे कुल 21 दिनों तक करना होता है। इस तरह से मंत्र-सिद्धि की पूर्णाहुति 22वें दिन 10 वर्ष से कम उम्र की कुंवारी कन्य का भाजन करवा कर और दान-दक्षिणा देकर की जाती है। मंत्र सिद्धि हो जाने के बाद देवी से किसी समस्या का समाधान या पूछे गए प्रश्न का उत्तर स्वप्न में ही मिल जाता है।
दूसरी विधिः किसी भी सोमवार की रात्री में अपने घर के एकांत कमरे में फर्श पर की जाने वाली विधि को करने से पहले आईए स्वप्न सिद्धि का एक और मंत्र जान लें। वह हैः-
ऊँ नमः स्वप्न चक्रेश्वरी, स्वप्ने अवतार-अवतार गतं, वर्तमानं कथ्य कथ्य स्वाहा!!

इस आराधना के लिए फर्श पर आसन लगाएं और अपने रखी गई देवी स्वप्नेश्वरी की तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं। देवी का स्मरण करते हुए धूप-दीप जलाएं और फिर सफेद फूल अर्पित करें, नवैद्य के तौर पर बताशा आदि का भोग लगाकर दिए गए मंत्र का 21 माला जाप करें। जाप के बाद जलती हुई ज्योति का भस्म ललाट पर तिलक के रूप में लगाकर वहीं कंबल बिछाकर सो जाएं। इस विधि-विधान को कुल 61 दिनों तक करने से इसकी पूर्णाहुति 62वें दिन हवन से करें। इन दिनों में शाकाहारी भोजन ही करें। संभव हो तो सिर्फ फलाहार को अपनाएं।
इस तरह से सिद्धि के पूर्ण होते ही जिस किसी प्रश्न का उत्तर जानना है उसके लिए सोमवार की रात्री का समय ही चुनें। देवी की मन में कल्पनाकर दीप जलाएं, अगरबत्ती दिखाएं और 101 बार मंत्र का जाप कर मन मंे प्रश्न कहते हुए सो जाएं। उसी रात देवी स्वप्नेश्वरी से प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।
तीसरी विधिः रविवार की रात्री में देवी स्वप्नेश्वरी की अच्छी तस्वीर के सामने धूप-दीप जलाते हुए सामान्य पूजा-अर्चना करने के बाद दिए गए मंत्र का जाप करने से देवी प्रसन्न होती हैं। और स्वप्न में आकर समस्याओं का निदान बताती हैं। सपने में ही भविष्य की घटनाओं को भी स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। मंत्र हैः– ऊँ ह्रीं विचित्र वीर्य स्वप्ने इष्ट दर्शय नमः!
इस मंत्र का 51,000 बार जाप 11 दिनों में पूरा किया जाना चाहिए। मंत्र का स्पष्ट उच्चारण के बाद पूजा के स्थान पर ही सो जाएं।
मणिभद्र यंत्र प्रयोग
स्वप्न के माध्यम से समस्याओं से संबंधित सवालों का जवाब पाने के लिए मणिभद्र यंत्र का प्रयोग उपयुक्त बताया गया है। इसके लिए सही समय गुरुवार की अर्द्धरात्रि है। सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें। इससे पहले उसमें छेद की कौड़ी डालकर नीचे दिए गए मंत्र का 1100 बार जाप करें। मंत्र हैः- ऊँ नमो मणिभद्राय चेटकाय, सर्व कार्य सिद्धेय मम स्वप्न, दर्शनानि कुरु कुरु स्वाहा!!
इस मंत्र के जाप के बाद लाल कनेर का फूल लें। उसे इसी मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करें। इस तरह से अभिमंत्रित फूल को तांबे की छोटी सी डिब्बी में रखकर उसे तकिए के नीचे दबाए हुए सो जाएं। सोने से पहले डिब्बी को अपनी समस्या-संबंधी सवाल को सुना दें। ऐसा करने से मणिभद्र देव आपके प्रश्न का उत्तर स्वप्न में अवश्य देंगे।
भोलेनाथ स्वप्नेश्वर स्वरूप का दर्शन
यदि आप चाहते हैं कि आपकी वैसी किसी समस्या का समाधान मिल जाए, जिसका हल नहीं मिल रहा हो, तो इसके लिए भगवान शिव की आराधना करते हुए उनके भोलेनाथ स्वप्नेश्वर स्वरूप का दर्शन करना श्रेष्ठ उपाय हो सकता है। इसके लिए गुरु के सानिध्य में की जाने वाली साधना के बाद मिले संकेत समस्या के समाधान की ओर इशारा करते हैं। यह साधना तीन चरणों में संपन्न होती है। पहले चरण की शुरुआत सोमवार की आधी रात्री से शुरू होती है। इसमें स्नान के बाद आसन पर उत्तर दिशा की तरफ मुंह किए हुए बैठकर रुद्राक्ष की माला से नीचे दिए गए मंत्र का 1100 बार जाप करना होता है। इसका प्रारंभ बृहस्पति देव के पूजन के बाद भगवान शिव को साक्षी मानकर किया जाता है। अगले चरण के रूप में इस प्रक्रिया को कुल 11 दिनों तक दुहराई जाती है तथा इसकी पूर्ण सिद्धि बारहवंे दिन हवन के बाद हो पाती है। इसके जाप का मंत्र इस प्रकार हैः-
ऊँ नमो त्रिनेत्राय पिंगलाय महात्मने वामाय विश्वरूपाय स्वप्नाधिपत्ये नमः,
मम स्वप्ने कथ्यमे तथ्यम सर्व कार्य स्वशेषतः त्रिया सिद्धि विद्या तत् प्रसादानो महेश्वरे।
इस तरह से मिली सिद्धि के बाद किसी भी प्रश्न का उत्तर उस दिन 101 बार जाप कर पूछने पर मिल जाता है।

स्वप्न सिद्धि साधना: गहरी नींद में देखे गए सपनां का विशेष अर्थ है। इसे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक गतिविधियों से किसी भी सूरत में अलग नहीं किया जा सकता है। इस दौरान देखी जाने वाली घटनाएं, स्थान और समय के अनुसार उसके नक्षत्र-ग्रहों की स्थिति का आकलन किया जाता है। उसके बाद स्वप्न के आधार पर भविष्य का विश्लेषण संभव हो पाता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि स्वप्न हमारे मस्तिष्क को सीधे तौर पर प्रभावित कर गूढ़ और विशिष्ट कार्यों की ओर ईशारा करते हं। इस तरह से यदि किसी भी स्वप्न का ज्योतिषीय-विश्लेषण कर अगर भविष्य की स्पष्ट रूपरेखा तैयार की जा सकती है, तो तंत्र-मंत्र के जरिए स्वप्न की देवी का साधना-सिद्धि कर विविध समस्याओं से मुक्ति प्राप्ति के उपाय भी किए जा सकते हैं। यह कहें कि स्वप्न-सिद्धि से जीवन में आवश्यक वस्तु-विशेष की जानकारी सहजता से हासिल हो जाती है। खासकर खोई हुई वस्तुओं या लापता व्यक्ति के बारे मं प्राप्ति के सुराग प्राप्त किए जा सकते हैं, या फिर रोजमर्रे की जिंदगी में बुरे दिनों के जाने और अच्छे दिनों के आने की प्रबल संभावना का पता इस साधना से ही मिल पाता है।

स्वप्नेश्वरी देवी साधना स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। जीवन में कई बार आकस्मिक व ठोस निर्णय लेने पड़ते हैं। कभी ऑफिस से संबंधित, निर्णय लेने होते हैं, कभी व्यवसाय से, कभी घर परिवार से, तो कभी रिश्तेदारों से संबंधित। एक असमंजस की स्थिति होती है। एक मन कहता है कि हमें यह कार्य कर लेना चाहिये तो एक मन कहता है नहीं। किसी कार्य को करें या नहीं करें, आज करें या कल करें, यह काम लाभदायक होगा या हानिकारक, कुछ समझ में नहीं आता। ऐसे समय में स्वप्न हमारे लिये समाधान का माध्यम बन सकते हैं। जी हां, स्वप्नों के माध्यम से हमें संकेत मिल सकता है कि अमुक कार्य हमें करना चाहिये या नहीं, यदि वह कार्य हमारे लिये लाभदायक होगा तो कार्य करने के संकेत मिल जायेंगे। यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो उस संबंध में स्वप्न द्वारा निश्चित उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। स्वप्नेश्वरी देवी साधना की विधि इस प्रकार है- जिस समय निर्णय लेने की समस्या की स्थिति उत्पन्न हो, उस समय स्नान करके शुद्ध धुले हुए वस्त्र पहन लें। यदि आप स्नान न कर पाने की स्थिति में हैं तो हाथ-मुंह धो कर, सफेद धुले वस्त्र पहन कर एक स्वच्छ सफेद कागज पर अपने प्रश्न को स्पष्ट अक्षरों में लिख कर रख लें। फिर सांय काल पुनः शुद्ध जल से स्नान कर, शुद्ध धुले वस्त्र धारण कर, श्रेष्ठ कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र को तब तक जपते रहें जब तक कि नींद न आ जाए- मंत्रं- स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय॥ अर्थात्- हे फल और वरदान को देने वाली स्वप्नेश्वरी देवी ! आपको नमस्कार है।
स्वप्न सिद्धि मंत्र, शिव स्वप्न तंत्र साधना, स्वप्नेश्वरी देवी साधना – स्वप्न सिद्धि साधना आखिर होती क्या है!! ये सवाल यकीनन आपके दिमाग मे भी घूम रहा होगा। स्वप्न सिद्धि शब्द से तो ये साफ है की बात सपनों की की जा रही है। तो बताते है आपको की तंत्र विज्ञान के अनुसार ऐसा माना गया है कि इस विधि के अंतर्गत व्यक्ति एक कागज़ पर अपनी किसी भी समस्या को लिखकर उस कागज़ को सिरहाने रखकर सोये तो सपने मे उसे उसका समाधान मिल जाता है, ऐसा तभी होता है जब आप स्वप्न सिद्धि साधना को सफलतापूर्वक कर पाते है। ये बात बेशक अजीब लगे पर स्वप्न सिद्धि साधना का सिद्धांत बेहद पुराना है, जिसको करने के लिए कई उपाय, साधना विधि व मंत्र आदि इस्तेमाल किए जाते है।
शास्त्रों मे स्वप्नेश्वरी देवी साधना की विधि बताई गई है, जिसके लिए आपको नहा-धोकर सफ़ेद रंग के साफ-सुथरे वस्त्र पहनने होंगे, फिर एक सफ़ेद कागज़ पर अपने सवाल को लिख दे। आपकी लेखनी साफ होनी चाहिए। इसके बाद साय काल फिर से नहाकर साफ कपड़े पहन ले और श्रेष्ठ कुशा के आसन पर बैठ जाये, फिर स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करे। ध्यान करते हुए आपको इस मंत्र का जप करना होगा: “स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च”। जप तब तक करे जब तक नीद न आ जाये। ये प्रक्रिया आप तब करे जब लगे की आप किसी दुविधा मे फस गए है और सही निर्णय नहीं ले पा रहे हो। विधि करने के बाद नीद आने पर उस कागज़ को सिरहाने रख कर सो जाये, तो स्वप्न मे आपको उसका उत्तर मिल जाएगा।
इसी प्रकार स्वप्न सिद्धि को करने का एक मंत्र भी है, मंत्र: “ॐ नमो चक्रेश्वरी चिंतित कार्य कारिणी मम स्वप्ने शुभा शुभम कथय कथय दर्शय दर्शय स्वाहा!” इस विधि को आप किसी दिन भी कर सकते है। बताए गए मंत्र का 1100 बार जप करना होगा, जिसके लिए आप किसी भी माला का प्रयोग कर सकते है। 21 दिनों तक ये साधना करने के बाद 22 वे दिन आप किसी कवारी कन्या को भोजन खिलाकर, दान दे। ध्यान दे की साधना करते हुए आपको देवी से प्राथना करनी होती है की वो आकर आपको स्वप्न मे दर्शन दे और आपको साधना सिद्ध करे। इस साधना को इस प्रकार आप सिद्ध करके परिणाम देख पाएंगे। स्वप्न सिद्धि साधना को करने की और विधि है, जिसके लिए आपको ये मंत्र जाप करना होगा, मंत्र: ऊँ नमः स्वप्न चक्रेश्वरी, स्वप्ने अवतर -अवतर गतं, वर्तमानम् कथय-कथय स्वाहा। इस साधना को आप किसी भी सोमवार के रात को कर सकते है। ध्यान ये दे की जिस कमरे मे आप इस विधि को करे वो एकांत मे हो, फिर उस कमरे मे सफाई करके फर्श पर गोबर का चौका बनाए और देशी घी का दीपक जला ले। इसी के साथ आपको साधना के समय सफेद फूल चढ़ाए व धूप से पूजा करे, साथ मे नैवेद्य में बताशे रख दे। फिर ऊपर बताए गए मंत्र का 21 माला जाप करे। ये विधि आपको 61 दिन करनी होती है और जप पूरा हो जाने के बाद ज्योत की भस्म को माथे पर लगाकर वहीं कंबल बिछाकर सो जाएं। आखिरी के दिन 1100 बार मंत्र जप करके हवन भी करे व साधना के पूरे समय साधक को फलाहार ही लेना होता है। साधना के बाद आप अपने किसी भी सवाल का जवाब पाने के लिए सोमवार के दिन उसी तरह दीपक जला कर व अगरबत्ती दिखाकर 101 बार मंत्र का जप करके, उस प्रश्न को मन में कहकर सो जाएं। माना गया है की इसके बाद खुद स्वप्नेश्वरी देवी सपने मे आकार उस सवाल का उत्तर देती है।
शिव स्वप्न तंत्र साधना ; जिसके लिए स्वय भगवान शिव की आराधना करते हुए उनके भोलेनाथ स्वप्नेश्वर स्वरूप का दर्शन किया जा सकता हैइस साधना के लिए मंत्र है: ऊँ नमो त्रिनेत्राय पिंगलाय महात्मने वामाय विश्वरूपाय स्वप्नाधिपत्ये नमः,
मम स्वप्ने कथ्यमे तथ्यम सर्व कार्य स्वशेषतः त्रिया सिद्धि विद्या तत् प्रसादानो महेश्वरे। साधना की शुरवात आप सोमवार को आधी रात से कर सकते है। नहाने के बाद, उत्तर दिशा की ओर मुख करे, फिर
1100 बार बताए मंत्र का जप करे। मंत्र जप रुद्राक्ष की माला से ही करे। माना गया है की इस साधना को बृहस्पति देव की पूजा के बाद शुरू किया जाता है। फिर भगवान शिव को साक्षी मानकर साधना की जाती है। 11 दिनों तक इस विधि को करना होता है, फिर 12वे दिन हवन भी करना होता है। तभी ये विधि सिद्ध हो पाएँगी। एक बाद साधना सिद्ध हो जाये तो आप अपनी किसी भी दुविधा व सवाल का उत्तर पूछने से पहले उस दिन बस 101 बार मंत्र का जप करले। ऐसा करने से आपको उस सवाल का जवाब मिल जाता है।
ऊपर बताई गई बातों व उपाय से यकीनन आपको अंदाज़ा लग गया होगा की ये स्वप्न सिद्धि मंत्र व साधना किस प्रकार आपकी मदद कर सकते है। कई बार व्यक्ति के जीवन मे वो पल आ जाता है जब वो दुविधा मे फसा होता है। इस स्वप्न सिद्धि साधना के बारे मे कहा भी गया है कि कई बार इंसान सही निर्णय नहीं ले पता-चाहे वो किसी भी मुद्दे से जुड़ा सवाल हो। हर वक़्त असमंजस रहता है कि ये रास्ता अपनाए या वो रास्ता, पर सही जवाब नहीं मिलता। डर रहता है की कोई निर्णय करने से उसका कोई गलत प्रभाव तो नहीं पड़ेगा। ऐसे मे यकीनन ऊपर बताए मंत्र व साधना विधि आपकी मदद करते हुए सही मार्ग दिखाएंगे व आपको सारी दुविधाये भी दूर हो जाएंगी।

प्रदान करने वाली देवी स्वप्नेश्वरी हैं जो विद्या की देवी सरस्वती की बहन हैं। माता सरस्वती ने ही स्वप्न देने वाला विभाग उनको सौंप रखा है। अंबे स्वप्नेश्वरी मनुष्य के हृदय में शुभ-अशुभ स्वप्न प्रदान करती हैं। इनकी सिद्धि करने वाला भूत, भविष्य या वर्तमान की किसी भी बात की जानकारी निकाल सकता है और समस्याओं का हल भी ढूंढ लेता है।
साधना विधि-
सोमवार की रात्रि में बारह बजे के करीब अपने ही घर में पवित्र स्थान पर गोबर से लीप कर चौका बनाएं उस पर देसी घी का दीपक जलाएं। फूल सफेद होने चाहिए। धूप अगरबत्ती जला कर देवी का आवाहन करें और बताशे रखें फिर पवित्र हृदय से मंत्र द्वारा 21 माला जप करें।
मंत्र-
ऊँ नमः स्वप्न चक्रेश्वरी
स्वप्ने अवतर अवतरगतं
वर्तमानम कथय कथय स्वाहा
जप समाप्त होने के बाद स्वप्नेश्वरी ज्योति की आरती करें फिर मस्तक पर ज्योति का भस्म लगा कर सो जाएं। ज्योति के पास ही कंबल बिछा कर भूमि पर सो जाएं। पूरे 61 दिनों में यह साधना पूरी होती है और इन दिनों में फलहार ही लेना पड़ता है। अंतिम दिन 1100 मंत्रों द्वारा हवन करें, बासठवें दिन अन्न ग्रहण कर सकते हैं। इसके बाद जब कभी कोई समस्या सामने आए तो उसके समाधान हेतु सोमवार को दीप जला कर अगरबत्ती-धूप से दीपक ज्योति की पूजा करें और 101 बार मंत्र जप कर अपना-अपना प्रश्न सुना कर सो जाएं। भगवती स्वप्नेश्वरी स्वप्न में आपको उत्तर अवश्य देंगी।
स्वप्न वाराही मंत्र :
ऊँ ह्वीं नमो वाराही अघोरे
स्वप्न दर्शय ठःढः स्वाहा
उपरोक्त मंत्र का शनिवार की रात्रि में जप प्रारंभ करें और चारपाई पर बैठे-बैठे ही ग्यारह सौ बार जप करें। यह साधना आसान है और गयारह दिनों तक जप करने के बाद ही साधक को स्वप्न में उत्तर मिलने लगते हैं। हां यह मंत्र जप स्नान करके पवित्र होकर साफ-सुथरे बिस्तर पर ही करना है।
एक और विधि-
गेहूं का आटा सवासेर लें उसमें सवापाव गाय का घी और सवा पाव चीनी मिलाकर भून लें। यह तैयारी शुक्रवार को ही कर लें या शनिवार की सुबह कर लें। शनिवार के दिन स्नान कर वन प्रांतर में चले जाएं और चींटियों के बिलों पर मंत्र पढ़ते हुए थोड़ी-थोड़ी सामग्री डालते जाएं।
मंत्र-जोजन गंधा जोगिनी
ऋद्धि-सिद्धि में भरपूर
मैं आया तोय जायणे
करुजो कारज जरूर
यह क्रिया वन में घूमते हुए करें और इतना घूमें कि थक जाएं जब सारी सामग्री समाप्त हो जाए और आप खूब थक लें तो वहीं किसी वृक्ष के नीचे सो जाएं। नींद में ही आपको देवी का साक्षात होगा और आप अपने प्रश्नों का उत्तर पा सकेंगे।
स्वप्न ज्योतिष के अनुसार नींद में दिखाई देने वाले हर सपने का एक ख़ास संकेत होता है, एक ख़ास फल होता है।

नींद में दिखाई देने वाले सपनों का फल कब मिलता है …
• सूर्योदय के कुछ पूर्व अर्थात ब्रह्म मुहूर्त में देखे गए स्वप्न का फल तुरंत मिलता है।
• रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल 1 वर्ष बाद मिलता है।
• रात्रि के दूसरे प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल 6 माह में मिलता है।
• तीसरे प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल तीन माह में प्रकट होता है।
• सूर्योदय के बाद देखे गए स्वप्न का फल तीन माह में प्रकट होता है।
स्वप्न में होने वाले अनुभवों को कुछ लोग भ्रम से जोड़ते हैं तो कुछ इसे वर्तमान, भूतकाल तथा भविष्यकाल से जोड़ कर व्यक्ति के जीवन के साथ के साथ जोड़ते हैं। कई विद्वानों के हिसाब से स्वप्न में कुछ ऐसी समानताएं होती हैं, जो व्यक्ति के व्यक्तिगत या समाजिक जीवन से मेल खाती हैं। कुछ लोगों का मानना हे की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हमारी कुछ इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं। यही इच्छाएं हमें अक्सर सपने के रूप में दिखती हैं। भारतीय मान्यता के अनुसार, सूरज उगने से कुछ पहले अर्थात ब्रह्म मुहूर्त में देखे गए सपने का फल 10 दिनों में सामने आ जाता है। रात के पहले पहर में देखे गए सपने का फल एक साल बाद, दूसरे पहर में देखे सपने का फल 6 महीने बाद, तीसरे पहर में देखे सपने का फल 3 महीने बाद और आखिरी पहर के सपने का फल एक महीने में सामने आता है।आइए जानें स्वप्न में देखे दृश्यों का मतलब..
गिरते हुए – ऐसे स्वप्न, जिसमें हम खुद को गिरता हुआ देखते हैं, के भी कई अर्थ और व्याख्याएं हो सकती हैं। खुद को कहीं से गिरते हुए देखना दर्शाता है कि आपका आने वाला समय संघर्ष भरा होगा, लेकिन अगर आपने सपने में खुद को गिरकर उठते हुए भी देखा है तो आप जीवन में और प्रगति करेंगे। इस तरह के स्वप्न आमतौर पर व्यक्ति की आंतरिक असुरक्षा, अस्थिरता और चिंताओं को दर्शाते हैं।
उड़ना- बहुत बार आप आसमान में उड़ते हुए दिखाई देते हैं। नीचे दिखने वाले दृश्य बहुत खूबसूरत दिखते हैं और आप उसका आनन्द लेते हैं| कई बार यह सपना देखते हुए आप अधनींदे भी हो जाते हैं । यह सपना दिखाता है कि आप कई परिस्थितियों में, प्रोजेक्ट में, विचारों में, अपनी पकड़ बनाए रखने में सक्षम हैं।
बारिश देखना- तेज वर्षा- तेज वर्षा में भीगना व सब तरफ जल भरा देखना किसी आने वाली विपत्ति का सूचक है। सामान्यतया यह देखा गया है कि इस स्वप्न के बाद व्यक्ति किसी अकारण आई विपत्ति में फंस जाता है या कह सकते हैं कि विरोधी बढ़ेंगे।
मगरमच्छ देखना– यदि सपने में पानी में मगरमच्छ दिखाई दें तो समझना चाहिए कि कोई गुप्त शत्रु आपके विरुद्ध षड़यंत्र रच रहा है जिसमें आप बुरी तरह फंस जायेंगे परन्तु वह शत्रु सुरक्षित रहेगा। यह
मधुमक्खियां देखना- ‘स्वप्न में मधुमक्खियां देखना शुभ चिह्न है। इससे धन और प्रसन्नता मिलेगी। गरीबी के दुख से आप छुटकारा पा जाएंगे। प्रत्येक वस्तु आपके लिए लाभदायक होगी। भविष्य में सम्मान, शांति और संपन्नता की आशा रख सकते हैं।
फूलों से भरा बगीचा –कभी-कभी फूलों से भरा बगीचा और सुंदर-सुंदर फूल हमें नजर आते हैं अपने सपने में। इस सपने का अर्थ है कि मन अति प्रसन्न रहने वाला है।
दुल्हन को देखना –यदि सपने में आपने किसी दुल्हन को देखा है तो समझ लीजिए कि आपके साथ कुछ अच्छा होनेवाला है।
आभूषण देखना- कोई युवती स्वप्न में हीरा या हीरे से जड़े आभूषण देखती है तो उसका विवाह किसी उच्च अधिकारी या धनी व्यवसायी से होगा। आप स्वप्न में किसी जवान महिला को कानों में कर्णफूल पहने हुए देखते हैं तो यह शुभ स्वप्न है। भविष्य में आपको कोई शुभ समाचार अवश्य ही मिलने वाला है।

 रहस्‍य, अदभूत- आलेख हिमालयायूके परिवार में एक सदस्‍य ऐसे भी है जिन पर देवी  स्वप्नेश्वरी का लम्‍बे समय से विशेष आशीर्वाद है- देवी उनको सपने में वो सब संकेत देती है जिसके लिए वह ज्‍यादा चिंतित होते हैं- और सबसे बडी बात एक सपना मात्र एक दिन नही आता- तब तक लगातार आता है जब तक उस कार्य का निराकरण न हो जाये, चाहे इसमें कई माह बीत जाये- लगातार वही सपना रिपीट होता रहता है और निराकरण के संकेत देती है देवी स्वप्नेश्वरी और जब निराकरण हो जाता है, तब फिर शांत- यह एकाध बार नही- हमेशा- आज तक भी घटित होता है- हिमालयायूके परिवार के एक सदस्‍य पर विशेष अनुकम्‍पा है मॉ देवी  स्वप्नेश्वरी की

हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल तथा दैनिक समाचार पत्र-

www.himalayauk.org  (HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND)  mail; himalayauk@gmail.com Mob,. 9412932030

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