GST; कंपनी कम से कम दो अखबारों में विज्ञापन दे- सरकार ने स्थिति साफ की

कंपनी के लिए लाज़मी  #देश में एक टैक्स व्यवस्था लागू हुए चार दिन हो चुके हैं. सरकार लगातार लोगों को जीएसटी को लेकर जागरुक कर रही है. आज राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने बताया कि सरकार ने जीएसटी पर निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है. इस कमेटी में में 15 अलग-अलग विभाग के सचिव शामिल होंगे. उन्होंने यह भी बताया कि सरकार लगातार कीमत और सप्लाई पर नजर बनाए हुए हैं.

एमआरपी को लेकर भी सरकार ने स्थिति साफ की
एमआरपी को लेकर भी सरकार ने स्थिति साफ की. उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि जिन प्रोडक्ट्स की MRP बदली गई है उसके लिए कंपनियों को सामान पर नई और पुराने दोनों MRP देनी होंगी. ताकि ग्राहक जान सकें कि पहले और अबके MRP में कितना फर्क आया है. सामान पर नई MRP का स्टीकर चिपकाना होगा, लेकिन पुरानी MRP भी नजर आनी चाहिए. इसके साथ ही कंपनी के लिए लाज़मी होगा कि वो अपने प्रोडक्ट्स के नई और पुरानी MRP कम से कम दो अखबारों में विज्ञापन के जरिए उपभोक्ता को बताए. 

प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर शैल कंपनियो के खात्मे का ब्लू प्रिट तैयार किया जा रहा है इसके तहत जहा शैल कंपनियो का डाटाबेस बनाया जा रहा है वही शैल कंपनियों की पहचान के लिए एक दायरा बनाया गया है जिसके अंदर आने वाले कंपनियां शैल कंपनी के संदेह के दायरे में आय़ेगी. साथ ही अब किसी भी कंपनी में बनने वाले डायरेक्टर को अपना आधार कार्ड देना होगा बिना आधार कार्ड के किसी कंपनी में डायरेक्टर नही बन पायेगा.
शैल कंपनियों पर प्रधानमंत्री कार्यालय में बनी विशेष टास्क फोर्स ने अपनी कमर कस ली है इस ब्लू प्रिंट के तहत तमाम जांच एजेंसियो औऱ अन्य सरकारी एजेंसियो को उनके काम की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है.
प्रधानमंत्री कार्यालय चाहता है कि काले से सफेद करने वाले इस सिस्टम पर एक साथ इतना जोरदार प्रहार किया जाए कि शैल कंपनियो का पूरा ढांचा ही ध्वस्त हो जाए. इसके लिए बाकायदा शैल कंपनियो की पहचान के लिए जहां एक दायरा बनाया गया है वही इसके डाटा सेल की जिम्मेदारी सीरियस फ्राड इन्वेस्टीगेशन आफिस को सौंप दी गई है.

सूत्रों के मुताबिक इस दायरे में तीन तरह की लिस्ट बनाई जायेगी इनमें शैल कंपनी की कन्फर्म लिस्ट संदेहास्पद लिस्ट और कई कंपनियो में एक ही शख्स के डायरेक्टर होने की लिस्ट शामिल है. इसके अलावा दस से ज्यादा बिंदु ऐसे बनाए गए है जो शैल कंपनी की पहचान करने में सहायक होगे.

कैसे पहचानी जाएंगी फर्जी कंपनियां?
– ऐसी कंपनी जिसका टर्न ओवर है ही नही या दो लाख से कम है
– ऐसी कंपनी जिसकी इंकम है ही नही या दो लाख से कम है
– लेनदारी है ही नही या केवल पचास हजार तक है
– देनदारी है ही नही या केवल पचास हजार तक है
– एक ही एड्रेस पर कई सारी कंपनियां

शेल कंपनी काले धन को सफेद करने के कॉरपोरेट तरीके को कहते हैं. ऐसी कंपनी जो सामान्य कंपनी की तरह मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स में रजिस्टर्ड होती है. कंपनी में निदेशक होते हैं, लेकिन ज्यादातर का कोई दफ्तर नहीं होता, कोई कारोबार नहीं होता. कोई कर्मचारी नहीं होता. लेकिन कागज पर कंपनी लाखों-करोड़ों का कारोबार करने वाली दिखती है. कंपनी के शेयर ट्रांसफर के जरिए सारा गोलमाल होता है. शेल कंपनी के शेयर आम तौर पर ऊंचे भाव में बेचे या खरीदे जाते हैं, लेकिन कंपनी शेयर बाजार में कारोबार नहीं करती है.

सूत्रों ने बताया कि इसी नियम के तहत मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कंपनियो द्वारा भरी गई आयकर रिटर्न की जांच की जा रही है और जो कंपनियां बनाए गए दस बिंदुओं के दायरे में आय़ेगी उसे शैल कंपनी के तौर पर चिन्हित कर कार्रवाई की जायेगी.

सूत्रो ने बताया कि इन्ही बिदुंओं के तहत अब पूर्व चेतावनी सिस्टम भी बनाया जा रहा है जिससे सरकारी एजेंसिया इन कंपनियो पर कडी निगाह रख सके साथ ही ऐसी कंपनियां जो अब समय पर अपना रिटर्न फाइल नही करेगी जांच के बाद उनका रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल किया जायेगा इसके अलावा अब किसी भी कंपनी में डायरेक्टर बनने वाले शख्स को अपना आधार कार्ड देना होगा.

15 सचिवों की कमेटी कहरेगी मॉनीटरिंग
हसमुख अढिया ने कहा, ”कैबिनेट सचिव ने एक सेंट्रल मॉनीटरिंग कमेटी बनाई है, इसमें 15 विभाग के सचिव सदस्य हैं. ये ऐसे विभाग हैं जिनका उपभोक्ता के साथ सीधा संबंध है. यह कमेटी अलग अलग ग्रुप में काम करेगी, जीएसटी व्यवस्था पर नजर रखेगी.”

175 अधिकारियों की कमेटी भी करेगी निगरानी
हसमुख अढिया ने कहा, ”इसके ही देश भर के लिए 175 अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गयी है. इन अधिकारियों को चार से पांच जिलों की जिम्मेदारी दी जाएगी. यह अधिकारी भी अपने अपने जिलों से जानकारी लेकर स्थिति पर नजर रखेंगे. इसके साथ ही कैबिनेट सचिव सप्ताह में एक बार स्थिति का जानकारी लेने के लिए बैठक करेंगे.”

लोगों को जागरुक करने के लिए मीडिया कैंपेन
हसमुख अढिया ने कहा, ”किसी भी चीज की कीमत ना बढ़े और लोगों को पता चले कि किस वस्तु पर कितना टैक्स कम हुआ है इसके लिए हमने मीडिया कैंपेन शुरू किया है. कुछ आवश्यक वस्तुओं की पहले क्या स्थिति थी अभी क्या स्थिति है इसकी तुलना हमने आज के अखबारों के जरिए बतायी है.”

एमआरपी को लेकर भी सरकार ने स्थिति साफ की
एमआरपी को लेकर भी सरकार ने स्थिति साफ की. उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने कहा कि जिन प्रोडक्ट्स की MRP बदली गई है उसके लिए कंपनियों को सामान पर नई और पुराने दोनों MRP देनी होंगी. ताकि ग्राहक जान सकें कि पहले और अबके MRP में कितना फर्क आया है. सामान पर नई MRP का स्टीकर चिपकाना होगा, लेकिन पुरानी MRP भी नजर आनी चाहिए. इसके साथ ही कंपनी के लिए लाज़मी होगा कि वो अपने प्रोडक्ट्स के नई और पुरानी MRP कम से कम दो अखबारों में विज्ञापन के जरिए उपभोक्ता को बताए.
अब आपको क्या करना है?
अब आप के लिए जरूरी है कि जब किसी सामान को खरीदें, नई और पुरानी MRP जरूर देखें और इसका मिलाप अखबार में आए विज्ञापन से करें. खासकर जिन सामान के दाम कम हुए हैं वहां दुकानदार आपको वो सामान पुरानी MRP से बेचने की कोशिश कर सकता है. इसलिए आपको इसे लेकर चौकन्ना रहने की जरूरत है. आप उन सामानों के बारे में जरूर जानें जिनके दाम जीएसटी लागू होने के बाद घट गए हैं.
क्यों बदल रहे हैं MRP?
दरअसल, MRP में सभी तरह के टैक्स जुड़े रहते हैं लेकिन जीएसटी के आने के बाद टैक्स सलैब बदल गए हैं इसलिए अब ज्यादातर सामान के MRP बदलने तय हैं.

(HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND) www.himalayauk.org
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