दोस्त की सहमति से उसकी वाइफ से था प्यार;;प्रसिद्ध साहित्यकार ने आत्म कथा में लिखा -27 नवंबर जयंती

हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन की 27 नवंबर को जयंती # दोस्त की सहमति से उसकी वाइफ से था प्यार;; इस महान विद्वान ने आत्‍मकथा में स्‍वीकारा # . बच्चन ने अपनी लोकप्रिय रचना ‘मधुशाला’ में लिखा, ‘मैं छुपाना जानता तो जग मुझे साधु समझता, शत्रु मेरा बन गया है छल-रहित व्यवहार मेरा। #HIMALAYAUK Execlusive # Report by Chandra Shekhar Joshi Editor #

हरिवंश राय बच्चन ने 4 आत्मकथा लिखीं थी. कहा जाता है कि उनके अलावा अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी और साहस के साथ किसी ने नहीं लिखा. उनकी पहली आत्मकथा थी-  ‘क्या भूलूँ , कया याद करूं’. कहने को तो ये एक आत्मकथा थी लेकिन इसमें उस समय के भारत में रहने वाले लोगों के बारे में बहुत कुछ है. उस समय लोगों के बीच में रिश्ते कैसे होते थे, ये सारी चीज़ें उनकी इस आत्मकक्षा में समझने को मिलती हैं. बच्चन ने अपनी लोकप्रिय रचना ‘मधुशाला’ में लिखा, ‘मैं छुपाना जानता तो जग मुझे साधु समझता, शत्रु मेरा बन गया है छल-रहित व्यवहार मेरा।’ बच्चन की काव्य रचनाओं के साथ-साथ उनकी आत्मकथा ने इस उक्ति को साकार किया है। इसी में उन्होंने अपनी पहली बीवी श्यामा के बारे में लिखा है और इस किताब को श्यामा की मौत पर ही खत्म किया है. श्यामा से उनकी शादी 19 साल की उम्र में हुई थी, तब वो 14 की थीं.

हरिवंश राय बच्चन (२७ नवम्बर १९०७ – १८ जनवरी २००३) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे।  उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्यापन किया। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है। बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद में एक कायस्थ परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था। इनको बाल्यकाल में ‘बच्चन’ कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ ‘बच्चा’ या ‘संतान’ होता है। बाद में ये इसी नाम से मशहूर हुए। इन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू और फिर हिंदी की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम॰ए॰ और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू॰बी॰ यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच॰ डी॰ पूरी की थी । १९२६ में १९ वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय १४ वर्ष की थीं। लेकिन १९३६ में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई। पाँच साल बाद १९४१ में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। इसी समय उन्होंने ‘नीड़ का निर्माण फिर’ जैसे कविताओं की रचना की। उनके पुत्र अमिताभ बच्चन एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। तेजी बच्चन ने हरिवंश राय बच्चन द्वारा शेक्सपियर के अनूदित कई नाटकों में अभिनय किया है|

हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन की 27 नवंबर को जयंती है। वे हिंदी के प्रमुख कवियों में से एक हैं और ‘मधुशाला’ उनकी सबसे मशहूर कृति है। हरिवंश राय बच्चन ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। वे कई राजकीय पदों पर भी रहे। उनके बेटे अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के मशहूर एक्टर हैं । 27 नवंबर को मशहूर कवि हरिवंश राय बच्‍चन की बर्थ एनिवर्सरी है। साल 1907 में यूपी के प्रतापगढ़ जिले के बाबू पट्टी गांव में उनका जन्म हुआ था। अमिताभ और अजिताभ बच्चन डॉ हरिवंश राय बच्चन की दूसरी बीवी की संतान हैं। पहली पत्नी से उन्हें कोई संतान नहीं थी।

दोस्त की पत्नी से अफेयर की वजह से हाईस्कूल में फेल हो गए थे हरिवंश राय

”डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन ने अपनी जीवनी के प्रथम खंड में कर्कल और चंपा से रिश्तों के बारे में बड़ी बेबाकी से लिखा है। उम्र में बड़े होने के बावजूद दोनों की गहरी दोस्ती थी।”  ”दोस्त कर्कल की पत्नी चंपा से प्रेम-प्रसंग की वजह से ही हरिवंश हाईस्कूल का एग्जाम फेल हो गए थे। कर्कल को दोनों के रिश्ते के बारे में पूरी जानकारी थी, फिर भी उन्होंने कोई एतराज नहीं किया, बल्कि बीमारी के दौरान उन्होंने बच्चन से चंपा की देखभाल का वादा लिया था।
– ”डॉ बच्चन के माता-पिता ज्योतिषी पर बहुत विश्वास रखते थे। उनके ज्योतिष ने उन्हें बताया था कि उनका बेटा आगे चलकर बहुत नाम कमाएगा। इसलिए उसके रास्ते में टोकाटोकी ना करें।”  ”इसी वजह से हरिवंश के माता-पिता ने चंपा से रिश्तों को जानते हुए भी दोनों को नहीं रोका। इसके बाद कर्कल की अचानक मौत के बाद चंपा और हरिवंशराय के रिश्ते को लेकर बहुत बातें हुई।”  ”इस दौरान चंपा प्रेग्नेंट भी हो गईं और उसके बाद उनकी मां उन्हें लेकर हमेशा-हमेशा के लिए हरिद्वार चली गईं। हरिवंश राय गुमसुम रहने लगे। हालांकि, हरिवंश राय ने अपनी ऑटो बायोग्राफी में अपने रिश्ते को राधा-कृष्ण का रिश्ता माना है।”

हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) का जन्म 27 नवंबर 1907 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी गांव में हुआ था. श्रीवास्तव कायस्थ परिवार में जन्में हरिवंश राय को बचपन में बच्चन कहा जाता था जिसे उन्होंने आगे चलकर अपने नाम के साथ जोड़ लिया. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई उर्दू में की और फिर उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम.ए. किया. कई सालों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में प्राध्यापक रहे बच्चन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी के कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएचडी पूरी की थी.  वह आकाशवाणी से जुड़े रहे और एक हिंदी विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने विदेश मंत्रालय के साथ भी काम किया. हरिवंश राय बच्चन ने हिंदी साहित्य में अद्वितीय योगदान दिया. 1935 में छपी ‘मधुशाला’ के लिए बच्चन साहब को आज भी याद किया जाता है. ‘मधुशाला’ हरिवंश जी की उन रचनाओं में से है जिसने उनको साहित्य जगत में एक अलग पहचान दिलाई. ‘मधुशाला’, ‘मधुबाला’  और ‘मधुकलश’- एक के बाद एक तीन संग्रह शीघ्र आए जिन्हें ‘हालावाद’ का प्रतिनिधिग्रंथ कहा जा सकता है. 

उन्होंने बताया- ”हरिवंश राय बच्चन ने चार हिस्सों में अपनी ऑटो बायोग्राफी लिखी। क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर और दशद्वार से सोपान तक। इन्हीं में उन्होंने अपनी जीवन की हर छोटी-बड़ी घटनाओं को लिखा है।” – ”डॉक्टर बचपन से ही बेहद शांत स्वभाव के थे। जब वो हाईस्कूल में पढ़ते थे, तब उनके दोस्त कर्कल हुआ करते थे। कर्कल की शादी चंपा देवी से हुई थी।”

19 साल की उम्र में 14 साल की श्यामा से शादी, 22 साल में हुआ गौना

”इसी वजह से मई 1926 में जब वो बीए फर्स्ट ईयर में पढ़ रहे थे, तभी उनकी शादी इलाहाबाद की रहने वाली श्यामा देवी से कर दी गई थी। उस वक्त हरिवंश राय बच्चन की उम्र 19 और श्यामा देवी की उम्र 14 साल थी।”  ”शादी के 3 साल बाद 1929 में हरिवंश राय और श्यामा देवी का गौना हुआ। जब श्यामा देवी ससुराल आई तो वो बीमार थीं, बुखार से पीड़ित थीं।”  ”इलाज के दौरान ही पता चला कि उनको टीबी है। ये जानकर हरिवंश राय को गहरा धक्का लगा था। बावजूद इसके वो अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते थे और हमेशा उन्हीं के साथ उनकी देखभाल में लगे रहते थे।”  ”घरवालों और डॉक्टर को डर था कि कहीं दोनों के बीच सेक्शुअल रिलेशन ना बने, इससे आगे चलकर उन्हें भी टीबी हो जाए। लेकिन पति-पत्नी की ट्यूनिंग के आगे घरवाले निरुत्तर थे।”  ”करीब 10 साल तक वैवाहिक जीवन बिताने के बाद 1936 में श्यामा की मौत हो गई, पत्नी की मौत से डॉक्टर बच्चन टूट चुके थे।”

”डॉ हरिवंश राय बच्चन के कभी आजाद भगत सिंह के साथी यशपाल की पत्नी प्रकाशवती कौर उर्फ प्रकाशो से भी रिश्ते थे।”  ”इसके बारे में उन्होंने लिखा है कि कैसे प्रकाशवती उनके घर में रानी नाम से रहती थीं और सच्चाई किसी को भी पता नहीं थी।” आइरिस नाम की क्रिश्चियन महिला से भी हुआ अफेयर, अलग धर्म की वजह से नहीं हो पाई थी शादी ;– ”इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में डॉ हरिवंश राय बच्चन अस्थार्इ अध्यापक के तौर पर पढ़ाने का मौका मिला। वो विश्वविद्याल के पास किराए के मकान में ही रहने लगे थे।”  ”इसी साल सुमित्रानंदन पंत से भी उनकी दोस्ती हो गई। इसी बीच आइरिस नाम की र्इसार्इ महिला से उनकी मुलाकात हुर्इ।” – ”एक समय बाद ये दोस्ती प्रेम में बदल गर्इ, लेकिन इन दोनों के बीच धर्म आड़े आ गया। उनके माता-पिता को किसी दूसरे धर्म की लड़की से से हरिवंश की शादी करना मंजूर नहीं था।” – ”उस वक्त उनके पिता प्रताप नारायण श्रीवास्तव बीमार चल रहे थे, इसलिए हरिवंश राय दबाव भी नहीं बना पाए। ये प्रेम कहानी भी अधूरी रह गई थी।”

श्यामा की मौत के 5 साल बाद हुई थी तेजी सूरी से बरेली में मुलाकात –   ”श्यामा की मौत के पांच साल बाद 1941 में उनकी मुलाकात तेजी बच्चन से हुई। ये मुलाकात बरेली में उनके दोस्त प्रकाश के घर पर हुई थी। नए साल का जश्न मनाने की तैयारी थी, 31 दिसंबर की रात थी।” – ”डॉ बच्चन से सबने अपनी काव्य रचना सुनाने का आग्रह किया। इसपर उन्होंने ऑटो बायोग्राफी में लिखा है- मैंने गीत सुनाना शुरू किया, मैं एक पलंग पर मैं बैठा था, मेरे सामने प्रकाश बैठे थे और मिस तेजी सूरी उनके पीछे खड़ी थीं। गीत सुनाते-सुनाते मेरा गला भर आया।”

कविता सुनते ही रोने लगी थीं तेजी;– उन्होंने आगे लिखा है- ”कविता सुनकर मिस सूरी की आंखें नम हो गईं और उनके आंसू टप-टप प्रकाश के कंधे पर गिर रहे थे। ये देख मेरा गला भी भर आया।”  शारदेंदु कहते हैं- ”वहीं से दोनों की प्रेम कहानी शुरू हुई और कुछ दिन बाद दोनों ने शादी कर ली। हालांकि इस शादी में भी अड़चन थी, क्योंकि तेजी सूरी पंजाबी थीं, जो उनके परिवार को मंजूर नहीं था। लेकिन इस बार हरिवंश राय ने परिवार से अलग जाकर अपनी शादी की। यही वजह थी कि तेजी बच्चन कभी अपने ससुराल नहीं गईं।”

ऑटो बायोग्राफी में लिखी है अपनी लव रिलेशनशिप

 हरिवंश राय बच्चन  की श्यामा से उनकी शादी 19 साल की उम्र में हुई थी, तब वो 14 की थीं. तीन साल गौने के बाद जब वो घर आईं तो काफी बीमार थीं. दरअसल उनकी मौत भी शादी के दस साल बाद ही टीबी से हो गई थी. श्यामा से भी शादी से पहले हरिवंश का एक अफेयर हुआ, अपने दोस्त करकाल की बीवी चम्पा से, और ये करकाल की मर्जी से था. हालांकि हरिवंश इसे राधा-श्याम के प्रेम की तरह परिभाषित करते हैं. करकाल की असामयिक मौत से पहले करकाल ने उनसे उसका ध्यान रखने का भी वायदा लिया था. उसकी मौत के बाद दोनों के रिश्ते भी बने और चम्पा प्रेग्नेंट भी हो गई. चम्पा की सास कैसे उसको लेकर हरिद्वार के लिए रवाना हुई, उसको विस्तार से हरिवंश ने अपनी बायोग्राफी में लिखा है. 

 श्यामा की मौत के बाद वो अकेले पड़ गए थे, पांच साल बाद 1941 में उनकी मुलाकात हुई तेजी बच्चन से. ये मुलाकात हुई बरेली में उनके दोस्त प्रकाश के घर. नई साल का जश्न था, 31 दिसम्बर की रात थी. उनसे सबने कविता पाठ का आग्रह किया. आगे की कहानी बच्चन साहब के शब्दों में पढ़िए, “ये कविता मैंने बड़े सिनिकल मूड में लिखी थी. मैंने गीत सुनाना शुरू किया. मैं एक पलंग पर मैं बैठा था, मेरे सामने प्रकाश बैठे थे और मिस तेजी सूरी उनके पीछे खड़ी थीं. गीत सुनाते-सुनाते न जाने मेरी आवाज में कहां से वेदना भर आई. मैंने ‘उस नयन से बह सकी कब इस नयन की अश्रु-धारा..’ लाइन पढ़ी ही थी कि मिस सूरी की आंखें नम हो गईं और उनके आंसू टप-टप प्रकाश के कंधे पर गिर रहे थे. ये देखकर मेरा गला भर आता है. मेरा गला रुंध जाता है. मेरे भी आंसू नहीं रुक रहे थे. ऐसा लगा मानो, मिस सूरी की आखों से गंगा-जमुना बह चली है और मेरे आंखों से जैसे सरस्वेती.”
और वो कविता ये थी ….
क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूं?
मैं दुखी जब-जब हुआ
संवेदना तुमने दिखाई,
मैं कृतज्ञ हुआ हमेशा,
रीति दोनों ने निभाई,
किंतु इस आभार का अब
हो उठा है बोझ भारी,
क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूं?
एक भी उच्छ्वास मेरा
हो सका किस दिन तुम्हारा?
उस नयन से बह सकी कब
इस नयन की अश्रु-धारा?
सत्य को मूंदे रहेगी
शब्द की कब तक पिटारी?
क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूं?

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