केन्द्रं सरकार द्वारा हज पर सब्सिडी खत्म करने का बडा ऐलान

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार (16 जनवरी) को कहा कि इस साल से हज पर कोई सब्सिडी नहीं होगी और सब्सिडी पर खर्च होने वाली राशि का इस्तेमाल अल्पसंख्यक लड़कियों के शैक्षणिक सशक्तीकरण के लिए किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के इस कदम के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है और मुस्लिम समाज के लोग खुद इस सब्सिडी नामक ‘गाली’ से मुक्ति चाहते थे. Top Breaking: www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) 

हज सब्सिडी का इस्‍तेमाल अल्‍पसंख्‍यक समुदाय की लड़कियों और महिलाओं के शैक्षिक सशक्तीकरण के लिए किया जाएगा, ताकि उन्‍हें शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हुए समाज को बराबरी का एहसास कराया जाएगा. सब्सिडी से मुलसमानों का फायदा नहीं होता था, बल्कि इसका फायदा कुछ संस्‍थाओं को होता था.

मुख्तार अब्बास नकवी  ने संवाददाताओं से कहा, ‘साल 2018 का जो हज होगा उसमें सब्सिडी नहीं रहेगी. हज सब्सिडी पर खर्च होने वाले धन का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक सशक्तीकरण पर खासकर लड़कियों के शैक्षणिक सशक्तीकरण पर खर्च किया जाएगा.’
केंद्र सरकार ने हज यात्रा पर मिलने वाली सब्सिडी को पूरी तरह खत्‍म कर दिया है. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को कहा कि हज यात्रा पर दी जाने वाली रियायत इस साल से खत्म कर दिया गया है. यानी इस साल करीब 1.75 लाख मुस्लिम जायरीन बिना सब्सिडी के हज जाएंगे.
केंद्रीय मंत्री नकवी ने इस बारे में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हज सब्सिडी का इस्‍तेमाल अल्‍पसंख्‍यक समुदाय की लड़कियों और महिलाओं के शैक्षिक सशक्तीकरण के लिए किया जाएगा, ताकि उन्‍हें शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हुए समाज को बराबरी का एहसास कराया जाएगा. सब्सिडी से मुलसमानों का फायदा नहीं होता था, बल्कि इसका फायदा कुछ संस्‍थाओं को होता था.
उल्‍लेखनीय है कि इससे पहले नई हज नीति का मसौदा तैयार करने वाली समिति के प्रमुख अफजल अमानुल्ला ने 45 साल से कम उम्र की महिलाओं को भी ‘मेहरम’ के बिना हज पर जाने की अनुमति देने का सुझाव दिया था. सरकार ने इस बार से 45 साल और इससे अधिक उम्र की महिलाओं को ‘मेहरम’ के बिना हज पर जाने की इजाजत दी थी. सऊदी अरब के जेद्दा में भारत के महावाणिज्य दूत रहे अमानुल्ला ने मीडिया से कहा, ‘‘अगर सरकार चाहे तो 45 वर्ष से कम उम्र की मुस्लिम महिलाओं को भी मेहरम के बिना हज पर जाने की इजाजत दे सकती है. अगर कोई भी बालिग लड़का हज पर जा सकता है तो फिर बालिग लड़की क्यों नहीं जा सकती? वैसे, इस बारे में कोई भी कदम सरकार को ही उठाना है.’’ अफजल उन्होंने कहा कि सऊदी अरब सरकार की तरफ से अतीत में ‘मेहरम’ वाली कोई रोक नहीं थी और यह शर्त भारतीय पक्ष की तरफ से थी. इस पूरे मामले की वास्तविक स्थिति के बारे में पूछे जाने पर अमानुल्ला ने कहा, ‘‘इसमें कोई भी सच्चाई नहीं है कि मेहरम वाली पाबंदी सऊदी अरब सरकार ने लगाई थी. यह रोक भारत की तरफ से थी और अब इसे हटाया गया है. इसे मैं बहुत बड़ा कदम मानता हूं.’’ गौरतलब है कि पूर्व आईएएस अधिकारी अमानुल्ला उस समिति के संयोजक थे जिसने नई हज नीति-2018 की सिफारिश की और इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार ने 45 वर्ष और इससे अधिक उम्र की महिलाओं को ‘मेहरम’ के बिना हज पर जाने की इजाजत देने सहित कई दूसरे कदम उठाए. इस्लामी परंपरा में ‘मेहरम’ उस शख्स को कहते हैं जिसके साथ महिला की शादी नहीं हो सकती. मसलन, महिला का बेटा, सगा भाई और पिता मेहरम हुए. अमानुल्ला ने कहा, ‘‘मेरी समझ में नहीं आ रहा कि सरकार की तरफ से इतने वर्षों से यह रोक क्यों लगी हुई थी? नई हज नीति का मसौदा तैयार करने के दौरान हमने सऊदी प्रशासन से संपर्क किया तो पता चला कि उनकी तरफ से कोई रोक नहीं है. इस पाबंदी का उल्लेख दोनों देशों के बीच हर साल होने वाले हज संबंधी समझौते में होता था. यह पाबंदी भारत की तरफ से थी. ऐसे में हमने सिफारिश की कि यह रोक हटनी चाहिए और जिन महिलाओं का पंथ अनुमति दे उन्हें बिना मेहरम के हज पर जाने की इजाजत मिलनी चाहिए.’’

हज सब्सिडी एक गाली जैसी
उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम समाज के लोग खुद यह कहते थे कि हज सब्सिडी एक गाली जैसी हो गई है. इसलिए इन चीजों से मुक्ति मिल सके, इसकी कोशिश है. कोई भी मुसलमान सब्सिडी पर हज करना पसंद नहीं करेगा. मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि हज पर हम पूरी सुविधा देंगे.’ नकवी ने कहा, ‘यह अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण के बिना और गरिमा के साथ सशक्तीकरण की हमारी नीति का हिस्सा है.’ मंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले साल हज सब्सिडी पर 250 करोड़ रुपये खर्च किए थे.
हज सब्सिडी खत्म करने का कदम राजनीतिक नहीं
साल 2012 में आए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद के वर्षों में हज सब्सिडी की राशि में लगातार कमी की गई. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से आठ फरवरी, 2017 को जारी बयान के अनुसार सरकार ने 2013 में 680.03 करोड़ रुपये, 2014 में 577.07 करोड़ रुपये, 2015 में 529.51 और 2016 में करीब 405 करोड़ रुपये सब्सिडी के तौर पर दी. नकवी ने इस बात से इनकार किया हज सब्सिडी खत्म करने का कदम राजनीतिक है.

उन्होंने कहा, ‘जब सरकार ने एलपीजी पर सब्सिडी खत्म की तो क्या वह सियासी मुद्दा है? हम पारर्शी ढंग से हज यात्रा चाहते हैं. हम हज सब्सिडी पर खर्च होने वाले पैसे का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक सशक्तीकरण के लिए करेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘इस बार आजादी के बाद सबसे ज्यादा 1.75 लाख लोग हज पर जाएंगे. हमने हज यात्रियों के लिए अलग-अलग प्रस्थान स्थलों का विकल्प देने का भी फैसला किया है. इसके साथ हजयात्रा के लिए समुद्री मार्ग को लेकर भी विचार चल रहा है.’ उन्होंने कहा कि हज पर सब्सिडी की व्यवस्था खत्म किए जाने के बावजूद साल 2018 में 1.75 लाख भारतीय मुसलमान हज पर जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सऊदी अरब की सरकार ने भारत से पानी के जहाज के जरिए हज यात्रा फिर से आरंभ करने को सैद्धांतिक रूप से सहमति प्रदान कर दी है और दोनों देशों के अधिकारी इससे जुड़े तौर-तरीकों को अंतिम रूप देंगे. इस साल की शुरुआत में नकवी ने कहा था कि केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक हज सब्सिडी खत्म करेगी.
मेहरम को लेकर ये विवाद उस समय उठा जब प्रधानमंत्री मोदी ने 31 दिसंबर को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में ‘मेहरम’ की पाबंदी हटाने के फैसले का जिक्र किया और इसको लेकर अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की तारीफ की.एएआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने बगैर मेहरम हज पर महिलाओं के जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का प्रतिवाद करते हुए कहा कि किसी दूसरे देश की सरकार जो काम पहले ही कर चुकी है उसका श्रेय प्रधानमंत्री को नहीं लेना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि सऊदी हज प्रशासन ने 45 साल से अधिक उम्र की किसी भी देश की मुस्लिम महिला को बगैर मेहरम हज पर जाने की अनुमति दी है. इस बार कुल 1320 महिलाओं ने मेहरम के बिना हज पर जाने के लिए आवेदन किया और भारतीय हज समिति ने सभी के आवेदन स्वीकार कर लिए. इनमें से करीब 1100 महिलाएं केरल की हैं.

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