गुजरात और राजस्थान जैन दर्शन और संस्कृति के केन्द्र ;संत गणि राजेन्द्र

#प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी की सन्निधि # राजस्थान मित्र परिषद के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा#  राजस्थान और गुजरात में पर्यटन के लिए ठोस योजना बनें : पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद श्री मनसुखभाई वसावा  # राजस्थान मित्र परिषद के कार्यो को सराहा पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद ने
#गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि राजस्थानी की संस्कृति विराट है और दुनिया में कहीं अन्यत्र इतनी समृद्ध परंपराएं नहीं देखी जाती #राजस्थान के लोग अपनी परंपाराओं और संस्कृति से बेहद प्यार करते हैं #गुजरात और राजस्थान दोनों ही प्रांत जैन दर्शन और संस्कृति के मुख्य केन्द्र# 
# सुखी परिवार फाउंडेशन के संयोजक श्री ललित गर्ग ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुए गणि राजेन्द्र विजयजी के बारे में जानकारी दी# Presents by www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal & Daily Newspaper) publish at Dehradun & Haridwar. CS JOSHI- EDITOR

नई दिल्ली, 3 दिसम्बर 2016
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद श्री मनसुखभाई वसावा ने कहा कि राजस्थान एवं गुजरात की संस्कृति में एकरूपता के दर्शन होते हैं। दुनिया भर के लोगों के लिए राजस्थान एवं गुजरात की सतरंगी संस्कृति, बहुरंगी आभा तथा स्थापत्य-शिल्प, खान-पान, पहवाना एवं लोक गीतों का ऐसा सम्मोहन है कि उसके आकर्षण में बंधकर देश-विदेश के लाखों लोग प्रतिवर्ष इन दोनों प्रांतों की सैर के लिए आते हैं। भारत सरकार एवं प्रांतीय सरकारों को पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। राजस्थान मित्र परिषद जैसी संस्थाएं भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
श्री वसावा अपने निवास पर प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी की सन्निधि में राजस्थान मित्र परिषद के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किए। श्री वसावा ने राजस्थान मित्र परिषद के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं जनकल्याणकारी कार्यक्रमों की सराहना की। इस अवसर पर सांसद श्री रामसिंहभाई राठवा, सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री ललित गर्ग, राजस्थान मित्र परिषद के अध्यक्ष श्री कोमल चैधरी, पूर्व अध्यक्ष श्री एस. आर. जैन, श्री हरीश चैधरी एवं श्री विनोद गुप्ता आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि राजस्थानी की संस्कृति विराट है और दुनिया में कहीं अन्यत्र इतनी समृद्ध परंपराएं नहीं देखी जाती। राजस्थान के लोग अपनी परंपाराओं और संस्कृति से बेहद प्यार करते हैं और उन्हें बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं। राजस्थान के लोग अपनी इस रंग-बिरंगी संस्कृति पर बहुत गर्व भी करते हैं। उन्होंने राजस्थान की आध्यात्मिक समृद्धि की चर्चा करते हुए कहा कि गुजरात और राजस्थान दोनों ही प्रांत जैन दर्शन और संस्कृति के मुख्य केन्द्र हैं। उन्होंने भौतिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति को जरूरी बताया। संयम एवं त्याग की संस्कृति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान मित्र परिषद जैसी संस्थाएं जन्म, विवाह एवं अन्य पारिवारिक अवसरों पर होने वाले फिजूलखर्ची एवं आडम्बरों को रोकने के लिए सार्थक प्रयत्न करें।
सांसद श्री रामसिंहभाई राठवा ने कहा कि राजस्थानी पहनावे के साथ-साथ खान-पान, नृत्य, लोक संगीत की झलक जब भी देखने को मिलती है, मैं अभिभूत हो जाता हूं।
इस अवसर पर राजस्थान मित्र परिषद के द्वारा श्री वसावा एवं श्री राठवा को राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक चिन्ह पगड़ी भंेट कर उनका सम्मान किया गया। परिषद के अध्यक्ष श्री कोमल चैधरी ने राष्ट्रीय राजधानी में राजस्थान मित्र परिषद के द्वारा संचालित की जा रही विविध गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने गत दिनों भव्य रूप में आयोजित दिवाली मिलन एवं सांस्कृतिक महोत्सव की शानदार आयोजना की भी चर्चा की। सुखी परिवार फाउंडेशन के संयोजक श्री ललित गर्ग ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुए गणि राजेन्द्र विजयजी के बारे में जानकारी दी।

प्रेषकः

(बरुण कुमार सिंह)
10, पंडित पंत मार्ग
नई दिल्ली-110001
मो. 9968126797

फोटो परिचयः
(1) राजस्थान मित्र परिषद के द्वारा सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय के सान्निध्य में सांसद श्री रामसिंहभाई राठवा का सम्मान करते हुए परिषद के अध्यक्ष श्री कोमल चैधरी, पूर्व अध्यक्ष श्री एस. आर. जैन, श्री हरीश चैधरी एवं श्री ललित गर्ग। साथ में हैं पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद श्री मनसुखभाई वसावा।
(2) राजस्थान मित्र परिषद के द्वारा सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय के सान्निध्य में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद श्री मनसुखभाई वसावा का सम्मान करते हुए परिषद के अध्यक्ष श्री कोमल चैधरी, पूर्व अध्यक्ष श्री एस. आर. जैन, श्री हरीश चैधरी एवं श्री ललित गर्ग।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *