जज लोया मौत ;ये मामला बेहद अहम -सुप्रीम कोर्ट

अमित शाह का नाम लेने पर भी गरमागरमी

जज लोया मौत मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. बॉम्बे हाई कोर्ट में लंंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला बेहद अहम है. वो मामले से जुड़े सभी तथ्यों को गौर से देखना चाहता है. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष अपने पास मौजूद दस्तावेज जमा कराएं. मामले की अगली सुनवाई 2 फरवरी को दोपहर 2 बजे होगी. सुप्रीम कोर्ट के विवाद पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के जजों के ऐतराज को पूरी बेंच सुने. उन्होंने प्रेस से यह भी कहा कि जज बीएच लोया की मौत के केस की पूरी जांच होनी चाहिए. राहुल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने जो सवाल उठाए हैं, यह बहुत गंभीर मामला है तथा इस पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए. न्यायाधीश लोया की मौत के मामले की उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश से पूरी जांच कराई जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है और हम सारे कागजात देखेंगे. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि सारे पक्षकार कोर्ट के सामने सारे दस्तावेज सील बंद कवर में दाखिल करेंगे. इतना ही नहीं बॉम्बे हाईकोर्ट से इस मामले मामले को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है. अब इस मामले की सुनवाई 2 फरवरी से होगी. मामले की जांच की मांग करने वाले बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे कोर्ट में पेश हुए. अपने हमलावर तेवर के लिए पहचाने जाने वाले दवे ने मामला शुरू होते ही महाराष्ट्र सरकार के वकील हरीश साल्वे पर हमला बोल दिया. दवे ने कहा, “हरीश साल्वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में अमित शाह के वकील रह चुके हैं. अब महाराष्ट्र सरकार के लिए पैरवी कर रहे हैं. कोर्ट को उन्हें नहीं सुनना चाहिए.”

 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को एक-दूसरे से सभी दस्तावेज साझा करने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में करीब एक घंटे तक चली सुनवाई के दौरान दुष्यंत दवे और हरीश साल्वे बीच तीखी बहस हुई. कई बार अमित शाह का नाम लेने पर भी गरमागरमी हुई. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने वकील दुष्यन्त दवे को कहा कि अभी तक के हिसाब से ये प्राकृतिक मौत है आप बार-बार किसी का नाम क्यों ले रहे है ( अमित शाह का नाम लिए बगैर कहा). महाराष्ट्र सरकार के वकील हरीश साल्वे ने ऐतराज जताया और कहा कि अमित शाह का नाम बार-बार क्यों ले रहे है जबकि वो इस समय अदालत में मौजूद भी नहीं है. अमित शाह का नाम लेने से इन्हें रोका जाए. दरअसल, दुष्यन्त दवे ने चीख के तीन बार कहा था कि साल्वे अमित शाह को बचाना चाहते है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी तक ये प्राकृतिक मौत है जिसकी जांच की मांग है.
 

इससे तिलमिलाए हरीश साल्वे ने कहा, “ये दो अलग केस हैं. उन्हें नैतिकता पर न तो दवे से लेक्चर की ज़रूरत है, न सर्टिफिकेट की.” फिर भी दवे ये बिंदु उठाते रहे. उन्होंने महाराष्ट्र के दूसरे वकील मुकुल रोहतगी और कुछ अन्य वकीलों पर भी ऐसे आरोप लगाए.

आखिरकार कोर्ट को ये कहना पड़ा कि वकील केस के तथ्यों पर बात करें. 3 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “कौन वकील किस मामले में पेश हो, इसकी सलाह कोर्ट नहीं देती. हमें मामले के तथ्यों पर बात करनी चाहिए.”

इसके बाद भी दुष्यंत दवे बीच बीच मे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम लेते रहे. उन्होंने कहा कि मामले में अमित शाह को बचाने की कोशिश की जा रही है. मुकुल रोहतगी समेत कुछ वकीलों ने कोर्ट में नामौजूद किसी शख्स का नाम बार बार उछालने पर

जस्टिस चंद्रचूड़ ने दवे से कहा- “अभी तक ये मामला प्राकृतिक मौत का है. आपने खुद भी इस बात को माना है. ऐसे में ये सही नहीं लगता कि आप बार-बार किसी ऐसे व्यक्ति पर आरोप लगाएं जो हमारे सामने मौजूद नहीं है.”
इस बीच हरीश साल्वे ने सलाह दी कि भविष्य में इस मामले की सुनवाई सिर्फ मामले से जुड़े वकीलों की मौजूदगी में हो. याचिकाकर्ता पक्ष के दुष्यंत दवे और इंदिरा जयसिंह ने इस पर कड़ा एतराज किया.

उनका कहना था कि मामले से मीडिया को दूर रखने की कोशिश की जा रही है. इस बीच इंदिरा जयसिंह ने ऊंची आवाज में कहा, “इस कोर्ट ने पद्मावत की रिलीज़ का आदेश दिया. इसे मीडिया पर रोक लगाने का आदेश नहीं देना चाहिए.”

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा इस पर नाराज़ हो गए. उन्होंने इंदिरा जयसिंह को बुरी तरह फटकारते हुए कोर्ट से माफी मांगने को कहा. उनका कहना था कि साल्वे ने कुछ कहा, जिसे कोर्ट ने सुना. कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया है. इंदिरा जयसिंह कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं. ये बहुत गलत बात है.
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील दुष्यन्त दवे ने सवाल उठाए. इस संबंध में RTI का जवाब है जिससे कई सवाल पैदा होते हैं. लोया की मौत होने के बाद सुबह उनके परिवार वालों को नागपुर नहीं बुलाया गया. हरीश साल्वे ने अमित शाह के वकील रहे है ऐसे में इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कैसे पेश हो सकते है. ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि वो महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हो रहे है. ये संस्थान को नुकसान पहुंचा रहे है इन्हें रोका जाए. इस मामले में एमिकस नियुक्त किया जाए और अटॉनी जरनल कोर्ट को असिस्ट करें. वहीं हरीश साल्वे ने इस पर आपत्ति जताई.

सोहराबुद्दीन ट्रायल के जज बी एच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की याचिका पर CJI दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने सुनवाई की. इससे पहले 16 जनवरी को जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस मोहन एम शांतनागौदर की बेंच ने सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा था कि इस मामले को उचित बैंच के सामने लगाया जाए. गौरतलब है कि लोया मामले को जस्टिस अरूण मिश्रा की बेंच में लगाने का विरोध किया गया था और चार जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि उन्होंने चीफ जस्टिस से मुलाकात कर बात रखी थी. शुक्रवार को CJI दीपक मिश्रा ने कहा था कि मामले की सुनवाई 22 जनवरी को रोस्टर के मुताबिक उचित बेंच करेगी.

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