जस्टिस नारायण शुक्ला से न्यायिक कामकाज वापस लिया गया

जस्टिस नारायण शुक्ला से न्यायिक कामकाज वापस ले लिया गया है। घोटाले के चलते विवादों में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज एसएन शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने इस संदर्भ में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को रिपोर्ट भेजी है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जानकारी दी गई है। 

जस्टिस शुक्ला पर आरोप है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने 2017-18 के शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी कॉलेजों को अनुमति दे दी थी. जस्टिस शुक्ला का फैसला चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के आदेश के खिलाफ था. पूरे मामले को लेकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ बीते साल 1 सितंबर को चीफ जस्टिस को दो शिकायतें दी गई थीं.
मेडिकल कॉलेज एडमिशन घोटाला मामले में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शुक्ला की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रहीं हैं. इस घोटाले में उनके खिलाफ कुछ सबूत हाथ लगे हैं. जिसके बाद तीन-जजों के इन हाउस पैनेल ने उन्हें दोषी माना हैं. इसके साथ पैनल के जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने की सिफारिश के बाद अब जस्टिस दीपक मिश्रा ने इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.
चीफ जस्टिस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को तत्काल प्रभाव से सभी न्यायिक कामों को जस्टिस शुक्ला से लेने के निर्देश दिए हैं. सीबीआई भी जस्टिस शुक्ला के खिलाफ केस दर्ज करेगा. जस्टिस श्री नारायण शुक्ला ने 90 दिनों की छुट्टी के लिए पिछले हफ्ते यूपी के राज्यपाल राम नाईक को एप्लिकेशन दी है. बता दें कि पैनल की सिफारिश को स्वीकार करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला को इस्तीफा देने या स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने का विकल्प दिया था. लेकिन, जस्टिस शुक्ला ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. अब वो लंबी छुट्टी पर चले गए. शिकायत के बाद मामले की जांच के लिए तीन जजों की इन-हाउस पैनल का गठन किया गया. इस पैनल में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस के अग्निहोत्री और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी के जायसवाल थे. पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा, ‘जस्टिस शुक्ला ने न्यायिक मूल्यों को क्षति पहुंचाई है. उन्होंने एक जज की भूमिका को ठीक प्रकार से नहीं निभाया और अपने ऑफिस की सर्वोच्चता, गरिमा और विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने वाला काम किया है.’

 
सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस नारायण शुक्ला पर महाभियोग चलेगा। लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज को सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017-18 के सत्र में एडमिशन लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मना करने के बावजूद हाई कोर्ट में जस्टिस शुक्ला की पीठ ने मेडिकल कॉलेज को इस वर्ष छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति दे दी थी। इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला पर लगे आरोपों की इन हाउस जांच प्रक्रिया अपनाते हुए तीन न्यायाधीशों की जांच समिति बनाई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में जस्टिस शुक्ला पर लगे आरोपों को सही बताया गया है। सूत्र बताते हैं कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जांच समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद जस्टिस शुक्ला को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने या पद से इस्तीफा देने का सुझाव दिया था लेकिन जस्टिस शुक्ला ने सुझाव नहीं माना। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दिलीप भोसले से कहा कि वे जस्टिस शुक्ला का न्यायिक कामकाज वापस ले लें। उसके बाद जस्टिस शुक्ला से न्यायिक कामकाज वापस ले लिया गया है। उनका न्यायिक कामकाज वापस लिये हुए एक सप्ताह से ज्यादा का समय हो गया है। सूत्र बताते हैं कि समिति ने रिपोर्ट में जस्टिस शुक्ला को पद से हटाए जाने की भी सिफारिश की है। लेकिन संविधान के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज को सिर्फ महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है। और इस मामले में भी यही प्रक्रिया अपनानी होगी।

 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को एस एन शुक्ला से सभी न्यायिक काम वापस लेने की सलाह दी है. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक रिपोर्ट भेजी है और जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने की सिफारिश की है. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस बारे में जानकारी दी गई है.
इस कार्रवाई के बाद उनको पद से हटाने और उनके खिलाफ सीबीआई जांच शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है.
दूसरी तरफ अब जस्टिस शुक्ला मुश्किलों को बढ़ती देख लंबी छुट्टी पर चले गए हैं. बताया जा रहा है कि जस्टिस नारायण शुक्ला ने 90 दिनों की छुट्टी के लिए पिछले हफ्ते यूपी के राज्यपाल राम नाईक को एप्लिकेशन दी थी, जिसके बाद वो छुट्टी पर चले गए हैं.
उधर पैनेल ने उन्हें पद से हटाने की सिफारिश भी की थी, जिसको स्वीकार कर दीपक मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला को इस्तीफा देने या स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने का विकल्प दिया था. लेकिन, जस्टिस शुक्ला ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था.
क्या है मामला?
यह मामला ब्लैकलिस्टेड मेडिकल कॉलेजों द्वारा छात्रों का अवैध तरीके से दाखिला कराने का था. इस मामले को लेकर जस्टिस शुक्ला पर आरोप है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने 2017-18 के शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी कॉलेजों को अनुमति दे दी थी. जस्टिस शुक्ला का फैसला चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के आदेश के खिलाफ था. पूरे मामले को लेकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ बीते साल 1 सितंबर को चीफ जस्टिस को दो शिकायतें दी गई थीं.

जस्टिस शुक्ला पर आरोप

जस्टिस शुक्ला पर आरोप है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने 2017-18 के शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी कॉलेजों को अनुमति दे दी थी. जस्टिस शुक्ला का फैसला चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के आदेश के खिलाफ था. पूरे मामले को लेकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ बीते साल 1 सितंबर को चीफ जस्टिस को दो शिकायतें दी गई थीं.   जस्टिस शुक्ला पर आरोप है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने 2017-18 के शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी कॉलेजों को अनुमति दे दी थी. जस्टिस शुक्ला का फैसला चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के आदेश के खिलाफ था. पूरे मामले को लेकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ बीते साल 1 सितंबर को चीफ जस्टिस को दो शिकायतें दी गई थीं. जस्टिस शुक्ला पर आरोप है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने 2017-18 के शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी कॉलेजों को अनुमति दे दी थी. जस्टिस शुक्ला का फैसला चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के आदेश के खिलाफ था. पूरे मामले को लेकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ बीते साल 1 सितंबर को चीफ जस्टिस को दो शिकायतें दी गई थीं. जस्टिस शुक्ला पर आरोप है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने 2017-18 के शैक्षणिक वर्ष में छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी कॉलेजों को अनुमति दे दी थी. जस्टिस शुक्ला का फैसला चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के आदेश के खिलाफ था. पूरे मामले को लेकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ बीते साल 1 सितंबर को चीफ जस्टिस को दो शिकायतें दी गई थीं.

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