विधायकों/ मंत्रियों के वेतन/पेंशन में अप्रत्याशित वृद्धि

कर्मचारियों एवं जनप्रतिनिधियों के मामले में विधायक हमेशा खामोश #ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य को भी कोई पेंशन इत्यादि की व्यवस्था नहीं #सामाजिक क्षेत्र में भिन्नता #कर्मचारी एवं अन्य जनप्रतिनिधि दोयम दर्जे का जीवन जीने को मजबूर  #विधायक कोई युग पुरूष व स्वतंत्रता सेनानी? # Execlusive Report: 

 उत्तराखंड पर कर्ज का बोझ बढ़कर 411 अरब हो चुका है।  कर्ज की राशि हर साल बड ही रही है . जब राज्य का गठन हुआ था तब कर्ज की राशि सिर्फ 44 अरब  रुपये थी , जो इस वित्तीय वर्ष के खत्म होने तक दस गुना हो जाएगी  ; कर्ज का सबसे बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मचारियों को वेतन-भत्ते बांटने में जाएगा। प्रदेश में सरकार चाहे भाजपा की रही हो या फिर कांग्रेस की कर्ज लेने में किसी ने भी कंजूसी नहीं की, लेकिन इतनी बडी धनराशि कहां खर्च हुई इसका कोई हिसाब दोनों ही पार्टियों में नहीं है। इतना कर्ज लेने के बावजूद आज पहाड़ों में बिजली, पानी, सड़क जैसी मुलभुत सुविधाएँ क्यूँ नहीं हैं । आखिर प्रदेश पर इतना कर्ज का बोझ कैसे आ गया। प्रदेश में कई योजनाएं विश्व बैंक और एडीबी से लिये गये कर्ज द्वारा चल रही है जिसमें एनएचआरएम,स्वच्छता अभियान,स्वजल शामिल है।इसके अलावा भी आन्तरिक ऋण राज्य सरकार ने लिया है। एक नजर प्रदेश के कर्ज पर……
2001-02-4430.4 करोड   2002-03-5664.13 2006-07-12145.63
2011-12-21752.77   2015-16-34047.93     2017-18-46000 करोड(अनुमानित)

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देहरादून – स्थानीय होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जनसंघर्श मोर्चा के अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा की राज्य गठन से लेकर आज की तिथि तक विधायकों को मिलने वाली पेंशन/ पारिवारिक पेंशन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, लेकिन कर्मचारियों एवं जनप्रतिनिधियों के मामले में विधायक हमेशा खामोश रहे। आलम यह है कि विधायकों ने अपनी सुख-सुविधाओं को देखते हुए विधायकी की शपथ ग्रहण से ही, पद त्याग करने/ मृत्यु हो जाने, कार्यकाल पूर्ण होने इत्यादि मामलों में अपने लिए पेंषन की व्यवस्था करा रखी है, चाहे शपथ ग्रहण के अगले ही दिन उसकी मृत्यू हो जाये व चाहे वह पद त्याग दे।
प्रदेष में कर्मचारी २०-३० वर्श की (१० वर्षो से कम की स्थायी सेवा व २०-३० वर्ष की अस्थायी सेवा) करने के उपरान्त भी आज पेंशन इत्यादि का हकदार नही होता तथा इसके साथ-साथ ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य को भी कोई पेंशन इत्यादि की व्यवस्था नहीं है, जिस कारण आज सामाजिक क्षेत्र में भिन्नता नजर आ रही है।
मोर्चा ने हैरानी जताई कि एक विधायक अपने कार्यकाल में वेतन/ भत्तों को भरपूर मात्रा में प्राप्त करता तथा पेंशन का हकदार हो जाता है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारी एवं अन्य जनप्रतिनिधि दोयम दर्जे का जीवन जीने को मजबूर हो जाते है, कई मामलों में कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि की आकस्मिक मृत्यू हो जाने पर परिवार के सामने रोटी का संकट पैदा हो जाता है।
नेगी ने कहा कि विधायक को सरकार ने पेंशन की व्यवस्था कर रखी है, ऐसा प्रतीत होता है कि यह विधायक कोई युग पुरूष व स्वतंत्रता सेनानी है।
मोर्चा शीर्घ ही कर्मचारियों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की पेंष्श्न की मांग को लेकर सडक पर लडाई लडेगा तथा जरूरत पडी तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाऐगा।
पत्रकार वार्ता में – मार्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, ओ०पी० राणा, बागेष पुरोहित, प्रभाकर जोशी आदि थे।

 

वही दूसरी ओर हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड की रिपोर्ट के अनुसार-  उत्‍तराखण्‍ड की पूर्व कांग्रेस सरकार ने किस कदर राज्‍य को कर्जे में ढकेला, इसकी एक रिपोर्ट

मुहावरा था “अंधा बांटे रेवड़ियां, फिर-फिर अपनों को ही दे। विधायकों के वेतन-भत्ते दुगने तो हुए ही हैं, कुछ नया भी उसमें जुड़ गया है जैसे कि अब विधायकों को पांच लाख रुपये का दुर्घटना बीमा भी मिलेगा। कैबिनेट बैठक में माननीयों के वेतन-भत्तों में वृद्धि पर मुहर लगाई गई.

उत्तराखंड की विजय बहुगुणा सरकार के मंत्रिमंडल के निर्णय अपनों को रेवड़ी बांटने का ही नहीं, उन पर रेवड़ियों का पूरा गोदाम लुटाने की एक और मिसाल है। राज्य का कांग्रेसी मंत्रिमंडल बैठा और उसने मंत्रियों, विधायकों, विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के वेतन भत्तों में दोगना से तीन गुना तक की वृद्धि करने की घोषणा कर डाली। मुख्यमंत्री ने ना केवल विधायकों के वेतन-भत्ते बढ़ा दिए बल्कि भविष्य में विधायकों के कुनबे में शामिल होने वालों के लिए भी पेंशन बढ़ने का एडवांस इंतजाम कर दिया। मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार पहली बार विधायक चुने जाने पर बीस हजार, दूसरी बार चुने जाने पर तीस हजार और तीन बार चुने जाने पर पैंतीस हजार रुपया प्रतिमाह पेंशन मिलेगी। विधायक रहने पर हर साल एक हजार रुपये बढ़ेंगे सो अलग। [B]बढ़े[/B] हुए वेतन-भत्तों की सूची देखें तो एक-एक विधायक हर महीने लाखों का बैठ रहा है। कुछ-कुछ विवरण तो बड़े रोचक हैं। विधानसभा अध्यक्ष का जेब खर्च तीस हजार रुपया प्रतिमाह से बढ़ कर साठ हजार रुपया प्रतिमाह हो गया है तो विधानसभा उपाध्यक्ष का जेबखर्च तीस हजार रुपया प्रतिमाह से बढ़कर पचास हजार रुपया प्रतिमाह कर दिया गया है। ज़रा सोंचिये कितनी बड़ी तो वो जेब है और कितना उसका खर्चा, जो हर महीने छत्तीस हज़ार रुपये बढ़ा हुआ वेतन मिलने के बाद भी पचास-साठ हजार रुपया और चाहती है। इसके अतिरिक्त स्पीकर व डिप्टी स्पीकरों के आवासों के सौन्दर्यीकरण को भी सरकार ने बेहद जरूरी काम मानते हुए दोनों माननीयों के आवासों के लिए क्रमशः बीस हज़ार और पंद्रह हज़ार रुपया प्रतिमाह देने का इंतजाम किया है।

जिस विधानसभा के 70 विधायकों में से 33 घोषित तौर पर करोड़पति हों और बाकी भी लाखों में खेल रहे हों उन्हें तो महंगाई से बचाने का इंतजाम करने के लिए रुपये की नदियाँ बरस रही हैं, लेकिन बेरोजगारों को तीन सौ पांच सौ की राहत देने में खजाना लुटा जा रहा है। यह कुतर्क नहीं तो और क्या है।

वेतन-भत्ते बढ़ाने के लिए पूर्व में समिति गठित की गई थी. इस समिति की रिपोर्ट पर ही कैबिनेट ने मंजूरी दी है. कैबिनेट में लिये गए निर्णय के अनुसार विधायक का वर्तमान वेतन पांच हजार से बढ़ाकर दस हजार रुपये किया गया है. सचिवीय भत्ता एक हजार रुपये दिया जाएगा. चिकित्सा प्रतिपूर्ति की हर माह एक हजार रुपये की व्यवस्था को खत्म कर विधायकों व उनके आश्रितों को राज्य सरकार के प्रथम श्रेणी के अधिकारी के समतुल्य चिकित्सा प्रतिपूर्ति की जाएगी.

विधायक निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 30 हजार से बढ़ाकर 60 हजार रुपये किया गया है. दैनिक भत्ता एक हजार से दो हजार रुपये दिया जाएगा. दूरभाष भत्ते के तहत वर्तमान में 6 हजार रुपये की व्यवस्था तो यथावत रहेगी, लेकिन इसके अतिरिक्त दो मोबाइल व इंटरनेट सुविधा सहित एक लैंडलाइन फोन की सुविधा मिलेगी. पहली बार विधायकों को तीन हजार रुपये प्रतिमाह चालक भत्ते के रूप में दिया जाएगा.

लेटरहैड व मुद्रित लिफाफे के संबंध में वर्तमान में भुगतान के आधार पर व्यवस्था को संशोधित कर 2000 पृष्ठों का मुद्रित लेटरहेड एवं 1000 मुद्रित लिफाफे प्रतिवर्ष नि:शुल्क देने की व्यवस्था की गई है. विधायक के लिए मृत्यु एवं दुर्घटना सामूहिक बीमा की राशि 5 लाख रुपये निर्धारित की गई है. प्रतिवर्ष दो लाख रुपये तक रेलवे कूपन तथा कूपन के स्थान पर 15 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से डीजल व पेट्रोल व्यय की व्यवस्था है.

इसके स्थान पर दो लाख 70 हजार रुपये के कूपन तथा 60 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर एक लाख रुपये डीजल व पेट्रोल व्यय के रूप में नकद भुगतान की व्यवस्था होगी. मंत्रीगणों के वेतन भत्तों में भी इलाफा किया गया है. मंत्री का वेतन तीन गुना बढ़ाते हुए 15 हजार के स्थान पर अब 45 हजार रुपये होगा. इसके अलावा 2000 रुपये डीए दिया जाएगा. विधायक के रूप में उन्हें अनुमन्य भत्ते भी मिलेंगे.

इस प्रकार मंत्री को प्रतिमाह लगभग 2.36 लाख रुपये वेतन भत्ते के रूप में मिलेंगे. विस अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का वेतन 18 से बढ़ाकर 36 हजार, राज्यमंत्री का वेतन 14 से बढ़ाकर 42 हजार तथा उपमंत्री का वेतन 12 से बढ़ाकर 36 हजार किया गया है.

पांच वर्ष के कार्यकाल में विधायकों को एक लैपटाप व आठ हजार रुपये मू्ल्य के बराबर का मोबाइल फोन दिया जा सकेगा. विस अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष को यात्रा भत्ता व फुटकर खर्च  में भी वृद्धि की गई है. विस अध्यक्ष को 30 हजार के स्थान पर 60 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेगा जबकि विस उपाध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष को यात्रा भत्ता व फुटकर खर्च 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है.

इसी प्रकार क्षेत्रीय आवास के रखरखाव के लिए विस अध्यक्ष को 10 हजार रुपये प्रतिमाह के स्थान पर अब 20 हजार रुपये दिये जाएंगे जबकि विस उपाध्यक्ष को 15 हजार रुपये तथा नेता प्रतिपक्ष को 10 हजार रुपये प्रतिमाह आवास रखरखाव भत्ता दिया जाएगा. इसके अलावा विधायकों को वाहन क्रय व भवन निर्माण के लिए लोन की  व्यवस्था की गई है. इन्हें 8-8 लाख की अधिकतम सीमा तक राज्य कर्मचारियों की भांति ब्याजदर पर वाहन व भवन निर्माण के लिए लोन सुविधा दी गई है. पूर्व विधायकों को भी इस सुविधा का लाभ दिया गया है.

पूर्व विधायकों की पेंशन में भी इजाफा किया गया है. पूर्व विधायकों की पेंशन 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये की गई है. एक वर्ष पूर्ण होने पर प्रत्येक पूर्ण की गई सदस्यता वर्ष के लिए एक हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन में वृद्धि होगी. 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर पेंशन में 5 प्रतिशत, 70 वर्ष में 10 प्रतिशत तथा 80 वर्ष की आयु पूरी करने पर न्यूनतम देय पेंशन में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी.

पूर्व विधायकों को रोडवेज की बसों में यात्रा के लिए अब नि:शुल्क पास भी मिलेगा. वे एक लाख रुपये प्रतिवर्ष रेलवे कूपन के हकदार होंगे. रेलवे कूपन के स्थान पर पूर्व विधायक भी 72 हजार मूल्य का डीजल, पेट्रोल और 20 हजार के रेलवे कूपन ले सकेंगे. पूर्व विधायक भी निरीक्षण भवन, बीजापुर गेस्ट हाऊस व उत्तराखंड निवास पर रह सकेंगे. पूर्व विधायक व उसके आश्रितों को भी चिकित्सा सुविधा का लाभ दिया गया है.

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