सर्जिकल स्ट्राइक का लाभ- यूपी में खिल सकता है कमल

modi-ji-keralप्रायोजित- ओपिनियन पोल  ;विधानसभा चुनाव

उत्‍तराखण्‍ड में सत्ता विरोधी रूझान नजर नही आया प्रायोजित- ओपिनियन पोल कम्‍पनी को-
पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद ओपिनियन पोल के अनुसार भाजपा को उ0प्र0 में सत्‍ता मिलती दिख रही है- केंद्र सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यूपी के आगामी विधानसभा में भाजपा को वोट की बरसात का रूझान- .

प्रायोजित- ओपिनियन पोल – इंडिया टुडे ग्रुप इंडिया टुडे ग्रुप के लिए कराए एक्सिस-माई-इंडिया

पंजाब में तेज सत्ता विरोधी रूझान तो उत्‍तराखण्‍ड में सत्ता विरोधी रूझान नजर नही आया प्रायोजित- ओपिनियन पोल कम्‍पनी को- ओपिनियन पोल के निष्कर्ष के मुताबिक यूपी में समाजवादी पार्टी सरकार को तेज सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है.यूपी के मुख्यमंत्री के तौर BSP सुप्रीमो मायावती वोटर्स की पहली पसंद के तौर पर उभरी हैं. उन्हें 31 फीसदी वोटर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं. इस मामले में मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दूसरे नंबर पर हैं. शीला दीक्षित को यूपी में मुख्यमंत्री के लिए सिर्फ 1 फीसदी वोटरों ने ही सीएम के तौर पर पसंद बताया.

पंजाब में कांग्रेस बड़ी पार्टी  दूसरे नंबर पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी  सत्तारुढ़ शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन की हालत खस्ता उत्तर प्रदेश में BJP के कमल की चमक के सामने BSP के हाथी और SP की साइकिल की रफ्तार धीमी रोजगार के अवसर, सड़क, बिजली और पीने के पानी जैसे अन्य मुद्दे हैं, जिन पर वोटरों का ध्यान केंद्रित है.
ओपिनियन पोल में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है. बीजेपी को 170 से 183 सीटें मिल सकती हैं. इसके साथ ही बीजेपी बहुमत के करीब दिख रही है लेकिन बहुमत तक पहुंचती नहीं दिख रही. दूसरे स्थान पर बीएसपी आती दिख रही है. बीएसपी को 115 से 124 सीटें मिलती दिख रही है. यूपी में अभी सत्तारूढ़ सपा तीसरे स्थान पर खिसकती दिख रही है. उसे 94 से 103 सीटें मिलती दिख रही है. कांग्रेस को 8 से 12 सीटें मिलने का अनुमान है. अन्य के खाते में 2 से 6 सीटें जाती हुईं दिख रही हैं.

पंजाब में आज की तारीख में चुनाव कराए जाएं तो कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में कांग्रेस पंजाब विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरेगी. दूसरे नंबर पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) है. वहीं सत्तारुढ़ शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन की हालत खस्ता होने के साथ वो तीसरे नंबर पर रहेगा. ये निष्कर्ष इंडिया टुडे ग्रुप के लिए कराए एक्सिस-माई-इंडिया ओपिनियन पोल से निकला है. ओपिनियन पोल के मुताबिक 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में किसी भी पार्टी को अपने बूते बहुमत नहीं मिलने जा रहा. ओपिनियन पोल में कांग्रेस को 49 से 55 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं आम आदमी पार्टी के खाते में 42 से 46 सीटें जा रही हैं. वहीं SAD-BJP को 17 से 21 सीटों पर ही संतोष करना होगा. इसके अलावा कुछ छोटे ग्रुप्स भी 3 से 7 सीटों पर जीत हासिल करते नजर आ रहे हैं. जहां तक वोट शेयर का सवाल है तो कांग्रेस के खाते में 33 फीसदी वोट जाते दिख रहे हैं. वहीं AAP को 30 फीसदी और SAD-BJP गठबंधन को 22 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. अन्य के खाते में 15 फीसदी वोट जा सकते हैं.
ओपिनियन पोल में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियो में से अधिकतर 76 फीसदी ने माना कि ड्रग्स पंजाब को प्रभावित करने वाली बड़ी समस्या है. इनमें से 80 फीसदी ने इस समस्या पर काबू ना पाने के लिए पंजाब सरकार और राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराया.
पंजाब में कर्ज के बोझ में दबे कई किसानों की खुदकुशी के वाकये भी सामने आए हैं. ओपिनियन पोल के 65 फीसदी से अधिक प्रतिभागियों ने राज्य की फसल बीमा योजना को लेकर असंतोष जताया. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और फसलों के भुगतान को लेकर भी 55 फीसदी प्रतिभागी नाखुश दिखे.

औसतन 60 फीसदी से अधिक प्रतिभागियों ने ड्रग समस्या समेत 19 सूचकांकों पर राज्य सरकार के कामकाज को लेकर असंतोष जताया. पंजाब में तेज सत्ता विरोधी रूझान नजर आ रहा है. इसका स्तर 61 से 71 फीसदी है. बता दें कि पंजाब में पिछले दो चुनाव से SAD-BJP गठबंधन जीतता आ रहा है.
आबादी के अनुपात के हिसाब से पंजाब में अनुसूचित जातियों का प्रतिशत देश के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा है. 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की 2.70 करोड़ की आबादी में अनुसूचित जातियों के लोग 32 फीसदी है. ओपिनियन पोल के नतीजों से पता चलता है कि कांग्रेस को अनुसूचित जाति के सिखों और हिंदुओं में से 35 फीसदी वोट मिलने जा रहे हैं. जहां तक अगड़ी जातियों के सिखों का सवाल है तो कांग्रेस को उनके 30 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. वहीं अगड़ी जातियों के 38 फीसदी हिंदू कांग्रेस के पक्ष में खड़े हैं.

अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के 35 फीसदी हिंदू और 29 फीसदी सिख कांग्रेस के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. ओपिनियन पोल के मुताबिक केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को OBC सिखों के मामले में कांग्रेस पर हल्की बढ़त नजर आ रही है. AAP को OBC सिखों के 30 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं.

अगड़ी जातियों के हिंदुओ में AAP को 26 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. वहीं इस पार्टी को अगड़ी जाति के सिखों के 29 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.
विभिन्न आय वर्गों में कांग्रेस को पहली पसंद माना जा रहा है. दूसरे नंबर पर AAP को समर्थन मिल रहा है. 10,000 से 20,000 रुपए मासिक आय वर्ग के 35 फीसदी प्रतिभागी कांग्रेस के पक्ष में खड़े हैं. 10,000 से नीचे मासिक आय वालो में 32 फीसदी कांग्रेस के साथ हैं. तीन अलग अलग आय वर्गों में AAP को 25 से 30 फीसदी के बीच समर्थन मिल रहा है. पंजाब के एक-तिहाई किसान और पेशेवर लोग कांग्रेस के साथ हैं. ओपिनियन पोल के मुताबिक छोटे दुकानदारों और श्रमिकों में 35 फीसदी से ज्यादा का समर्थन कांग्रेस को मिल रहा है.

वहीं, AAP को 37 फीसदी छात्रों और 34 फीसदी बेरोजगारों का साथ मिल रहा है. पारंपरिक किसान समुदाय में समर्थन के मामले में कांग्रेस से सत्तारूढ SAD ज्यादा पीछे नहीं हैं. ओपिनियन पोल के नतीजों से पता चलता है कि पंजाब के 30 फीसदी किसान अब भी SAD के साथ मजबूती से डटे हैं.

पंजाब का हालिया चुनावी इतिहास देखे तो SAD को सबसे बुरी हार का सामना 2002 में करना पड़ा था. तब इस पार्टी को सिर्फ 41 सीट मिलेगी. तब SAD अध्यक्ष प्रकाश सिंह बादल और अकाली दिग्गज गुरचरण सिंह तोहड़ा के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर था.
2014 लोकसभा चुनाव के बाद से सत्तारूढ़ SAD-BJP गठबंधन के वोट शेयर से 22 फीसदी वोट छिटक कर AAP के पाले में चले गए हैं. वहीं इस गठबंधन के 19 फीसदी वोट कांग्रेस की ओर भी शिफ्ट हुए हैं.

जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो वो 2014 लोकसभा चुनाव के अपने 74 फीसदी वोट अपने साथ रखने में कामयाब नजर आ रही है. वहीं AAP का अपने 80 फीसदी वोटों पर कब्जा बरकरार है.

:: उत्तर प्रदेश में आज चुनाव होता है, तो BJP 403 सदस्यीय विधानसभा में 170 से 183 सीटों पर विजय पाने में कामयाब रहेगी. आज चुनाव कराए जाएं, तो BJP के कमल की चमक के सामने BSP के हाथी और SP की साइकिल की रफ्तार धीमी साबित होगी. ये निष्कर्ष है इंडिया टुडे ग्रुप के लिए ‘एक्सिस-माई-इंडिया’ ओपिनियन पोल का.

हालिया हफ्तों में BSP और SP दोनों को ही विवादों का सामना करना पड़ा है. ओपिनियन पोल के मुताबिक मायावती की BSP 115-124 सीटों के साथ यूपी में दूसरे नंबर पर रहेगी. पिछले कुछ महीनों में BSP का दामन छिटक कर इसके कई हाई प्रोफाइल नेता अलग हो चुके हैं. वहीं समाजवादी पार्टी की संभावनाओं को यादव कुनबे की अंदरूनी लड़ाई से झटका लगा है.

एक्सिस-माई-इंडिया पोल के मुताबिक आज चुनाव होते हैं, तो SP को 94 से 103 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर ही संतोष करना होगा. जहां तक कांग्रेस का सवाल है, तो पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की बहुप्रचारित किसान यात्रा के बावजूद चुनावी बिसात पर इसे कोई फायदा होता नजर नहीं आ रहा. ओपिनियन पोल के मुताबिक ग्रैंड ओल्ड पार्टी को 8 से 12 सीटों पर ही जीत मिलती दिखाई दे रही है.

यूपी चुनाव से कई महीने पहले किसी ओपिनियन पोल में ये पहली बार है कि BJP अन्य पार्टियों से लीड लेती दिखाई दे रही है. बता दें कि अगस्त में हुई C-Voter ओपिनियन पोल में BJP और SP में कांटे की टक्कर दिखाई गई थी. उसी महीने हुए CSDS ओपिनियन पोल में SP को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरते दिखाया गया था, वहीं BJP को दूसरे नंबर पर बताया गया था.
ओपिनियन पोल के निष्कर्ष के मुताबिक यूपी में समाजवादी पार्टी सरकार को तेज सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है. एक्सिस के पोल सर्वेयर्स ने लोगों से 17 अलग-अलग मानकों के आधार पर पूछा कि वो सरकार के काम से खुद को कितना संतुष्ट पाते हैं. इन मानकों में सड़क, बिजली, पीने का पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, कानून और व्यवस्था से लेकर रोजगार के अवसर तक शामिल थे. औसतन 59 फीसदी लोगों ने SP प्रशासन के साढ़े चार साल के कार्यकाल को लेकर असंतोष जताया. एक तिहाई से कम वोटर्स ने कहा कि वो मौजूदा सरकार से संतुष्ट हैं.

क्या है जाति का चक्रव्यूह
BJP उत्तर प्रदेश में इसलिए बढ़त लेती दिख रही है क्योंकि उसे राज्य में अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) का समर्थन मिल रहा है. राज्य में 44 फीसदी गैर यादव OBC का कहना है कि वो कमल पर बटन दबाएंगे. उत्तर प्रदेश में अगड़ी जातियां (सवर्ण) भी BJP के साथ खड़ी दिखाई दे रही हैं. इनमें 61 फीसदी ने अपनी पहली पसंद कमल को बताया है.

यद्यपि SP के समर्थन में परम्परागत यादव वोट (67%) मजबूती से डटा है. यूपी में मुस्लिमों को अब भी SP पर ही सबसे ज्यादा भरोसा है. 58 फीसदी मुसलमानों ने SP का साथ देने की बात कही है. वहीं 21 फीसदी मुसलमान मायावती के पाले में खड़े नजर आ रहे हैं. देश में दलित विरोधी कई घटनाओं से BJP की ओर से मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिशों को झटका लगा है. दलितों में 71 फीसदी वोटर चट्टान की मजबूती के साथ मायावती के पीछे खड़े हैं.
यूपी की समग्र चुनावी तस्वीर चार अलग-अलग समीकरणों के योग पर टिकी है. BJP जहां पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आगे दिख रही है, वहीं समाजवादी पार्टी को मध्य यूपी और अवध में मामूली बढ़त नजर आ रही है. अल्प विकसित बुंदेलखंड में मायावती की BSP को बढ़त हासिल है. पश्चिमी यूपी में बीजेपी 31 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे आगे हैं. वहीं SP और BSP दोनों के ही खाते में 27-27 फीसदी वोट जाते दिख रहे हैं.

मध्य यूपी में SP 29 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे आगे है. वहीं BSP 28 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर और BJP 26 फीसदी वोटों के साथ तीसरे नंबर पर दिख रही है. पूर्वी यूपी में BJP को 33 फीसदी वोटरों का समर्थन मिल रहा है. वहीं BSP 28 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे और SP 22 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर है. कांग्रेस को कुल वोटों में से सिर्फ 6 फीसदी वोट ही मिलते दिखाई दे रहे हैं. साथ ही पार्टी को 8 से 12 सीटों पर ही जीत मिल सकती है. अगर अगले साल चुनाव में भी यही नतीजा आता है, तो ये यूपी के चुनावी इतिहास में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन होगा. इस ओपिनियन पोल की एक अहम बात ये रही कि एक-तिहाई प्रतिभागियों ने माना कि वे केंद्र सरकार के कामकाज को आधार मानकर यूपी के आगामी विधानसभा में वोट करेंगे.

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