एक कार्यकर्ता 20 घरों में जाकर चाय पिएगा  -बीजेपी रणनीति & NATIONAL NEWS 16 SEP

HIGH LIGHT; ;  बिहार- बीजेपी और कांग्रेस में खलबली :यूपी, उत्‍तराखण्‍ड में कांग्रेस की लंका लगाने वाले पीपी जेडीयू में शामिल :कांग्रेस को ऐतिहासिक पराजय दिलाने वाले पीपी अब क्‍या नीतिश की लंका लगायेगे :2012 में पहली बार गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी के लिए रणनीति बनाई. 2013 में सिटीजन फॉर अकाउंटबेल गवर्नेंस नाम की संस्था बनाई. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने में अहम भूमिका निभाई. सोशल मीडिया कैंपन, चाय पर चर्चा, 3 डी प्रचार, रन पर यूनिटी से मोदी की मदद की. # मैंने केवल सरदार पटेल द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पढ़ा है;अखिलेश यादव : पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला बदस्तूर जारी  # धर्मेंद्र प्रधान बोले-PM मोदी 22 सितंबर को जाएंगे ओडिशा, करेंगे 2 रैलियां # रुपये की हालत शर्म को भी शर्म आ जाए.-बाबा रामदेव  #

############## वोटों की गिनती में लेफ्ट आगे चल रही है और एनएसयूआई और एबीवीपी पीछे

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में शुक्रवार हुई वोटिंग के बाद आज रविवार को वोटों की गिनती हो रही है। पहले छात्रसंघ चुनाव में वोटों की गिनती रुकी हुई थी जो फिर से शुरू हो गई है। इस बार 70 फीसदी मतदान हुआ। इस बार अध्यक्ष पद के लिए आठ उम्मीदवार मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।   दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव के बाद अब राजनीतिक दलों की नजरें जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव के परिणाम पर टिक गई हैं।

जेएनयू में वोटिंग के दौरान तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं सामने आई थी जिसके बाद वोटों की गिनती को रोक दिया गया। बता दें कि शुक्रवार की रात 10 बजे ही वोटों की गिनती शुरू हो गई थी।  इस वक्त वोटों की गिनती में लेफ्ट आगे चल रही है और एनएसयूआई और एबीवीपी पीछे चल रही हैं। इस बार अध्यक्ष पद के लिए 8 छात्र उम्मीदवार मैदान में हैं।

भारी हंगामे और उपद्रव के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) चुनाव 2018 की मतगणना दोबारा शुरू कर दी गई है। अभी तक की मतगणना में सेंट्रल पैनल के सभी पदों पर वामपंथी गठबंधन आगे चल रहा है। ABVP सभी पदों पर दूसरे नंबर पर है। मतगणना किसी गतिरोध के बिना सुचारू रूप से जारी रही तो दोपहर तक परिणाम घोषित होने की उम्मीद है। JNUSU चुनाव 2018 की मतगणना शुक्रवार रात 10 बजे शुरू हुई थी। ABVP के भारी हंगामे, हिंसा और उपद्रव के बाद शनिवार तड़के चार बजे मतगणना रोक दी गई थी। करीब 14 घंटों के गतिरोध के बाद शनिवार शाम करीब साढ़े छह बजे उपद्रव शांत करा मतगणना दोबारा शुरू की गई। साथ ही शिकायत प्रकोष्ठ सेल के दो शिक्षकों को मतगणना स्थल पर बतौर ऑब्जर्वर तैनात किया गया है। साथ ही वहां सीआरपीएफ तैनात कर दी गई है। इससे पहले शनिवार तड़के निर्वाचन अधिकारियों ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर मतगणना स्थल पर जबरन प्रवेश करने, मारपीट करने और मतपेटियां छीनने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए मतगणना रोक दी थी।

एबीवीपी ने निर्वाचन अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोपों से इंकार किया है। एबीवीपी ने चुनाव अधिकारियों पर वामपंथी संगठनों के साथ मिलकर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए अदालत जाने की धमकी दी थी। एबीवीपी का आरोप है कि उन्हें मतगणना प्रक्रिया की जानकारी नहीं दी गई थी। पहले राउंड में उनके पोलिंग एजेंटों को मतगणना के लिए बुलाया ही नहीं गया और चुनाव अधिकारियों ने वामपंथी गठबंधन के साथ मतगणना शुरू कर दी थी। इसे लेकर शनिवार सुबह एबीवीपी ने विरोध जताया था। कुछ देर बाद मतगणना स्थल पर मारपीट, तोड़फोड़, नारेबाजी और भारी उपद्रव शुरू हो गया था। इसके बाद मतगणना स्थगित कर दी गई थी। जेएनयू छात्र संघ के शुरुआत रुझाने में एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ललित पांडे 50 में से 24 मत पाकर सबसे आगे चल रहे थे। वहीं लेफ्ट यूनिटी के एनसाइ बालाजी को 9 वोट मिले थे। राजद के जयंत जिज्ञासु को भी पहले बैलेट बॉक्स के वोटो की गिनती में से 50 वोटों में चार वोट मिले थे। प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान जयंत के भाषण को विद्यार्थियों ने खूब पसंद किया था और सबसे ज्यादा तालियां उन्हीं के ही भाषण में बजी थीं।

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रुपये की हालत ऐसी हो गई है कि शर्म को भी शर्म आ जाए.- योग  गुरु बाबा रामदेव

तेल की बढ़ी कीमतों और रुपये में लगातार आ रही गिरावट पर जहां समूचा विपक्ष मोदी सरकार को घेर रहा है, वहीं अब योग गुरु बाबा रामदेव ने भी इस मसले पर सरकार की आलोचना करते हुए चुटकी ली है.  बाबा रामदेव ने कहा कि रुपये की हालत ऐसी हो गई है कि शर्म को भी शर्म आ जाए. बाबा रामदेव ने ये भी कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो रुपया भी मजबूत होगा. उन्होंने विजय माल्या के सवाल पर जवाब दिया और कहा कि सरकारों ने देश में एक राक्षस को पैदा किया, जो बाद में देश छोड़कर भाग गया.

रामदेव ने कहा कि आर्थिक के साथ-साथ देश में राजनीतिक अराजकता का भी माहौल बना हुआ है. कौन आदमी किसके करीब है. किसी से भी मिलो तो ठप्पा लग जाता है. अब जिसकी भी सरकार होगी उसको तो नमस्कार करना पड़ेगा न. इन सबके बीच सामाजिक अराजकता और जातिगत उन्माद भी एक समस्या है. यह कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा है. पिछले 1500 सालों में समाज के कमजोर तबकों पर जुल्म हुआ. लेकिन पुरखों के अपराध की सजा आज के लोगों को क्यों दिया जा रहा है. आज के माहौल के देखते हुए मैं कह सकता हूं कि देश के हालात ठीक नहीं है. इसलिए नफरत की फितरत को जितनी जल्दी खत्म कर पाएं अच्छा होगा.

रामदेव बोले, ‘राजनीतिक दल कहते हैं कि देश को आगे बढ़ाना है लेकिन देश आगे बढ़ेगा कैसे जबतक देश के जीडीपी में वृद्धि नहीं होगी. उन्होंने कहा कि रुपये की बहुत बेइज्जती हो रखी है. बेइज्जती भी ऐसी कि शर्म को भी शर्म आ जाए.’

राहुल गांधी के कैलाश यात्रा पर रामदेव ने कहा कि राहुल गांधी आजकल व्यायायाम के अलावा राजनीतिक रूप से थोड़ी मेहनत भी कर रहे हैं. रामदेव ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था कि ये देश किसी एक खानदान की जागीर नहीं है. लेकिन मैंने उस समय भी किसी एक व्यक्ति को टारगेट नहीं किया था. इसलिए हमें किसी के प्रति नीजी तौर पर द्वेष नहीं रखना चाहिए.

रामदेव ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, इसके बावजूद यहां किसानों की हालत में सुधार नहीं हुआ. पहले गाय पालने वाले लोगों को दूध और घी का कम मूल्य मिलता था. गाय के दूध से बनने वाले उत्पादों को गौरव दिलाना, उससे किसानों के जीवन में समृद्धि लाना और किसानों को सही मूल्य दिलाना हमारा लक्ष्य है. पतंजलि के दूध के बाजार में आने का बाद किसानों और गाय पालकों ने दूसरी कंपनियों को कीमत बढ़ाकर दूध देना शुरू कर दिया है.  उन्होंने कहा कि मैं तीन चीजों के लिए इस क्षेत्र में आया. किसानों का फायदा हो, दूध उत्पादों को इस्तेमाल में लेने वाले लोगों को फायदा हो और देश को फायदा हो. देश को शुद्ध चीजें मिलें. इससे जो भी फायदा होगा वो भी देश के लिए ही होगा. मैं उपकार के लिए काम कर रहा हूं. मदर डेयरी और अमूल वाले मेरे उत्पादों के बाजार में आने से डरे हैं और उन्होंने धमकाना भी शुरू कर दिया है. भारत का बाजार दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. मैं चाहता हूं कि भारत का पैसा भारत में ही रहे और जो भी पैसा आए उससे देश के गरीब लोगों की सेवा हो सके.

रामदेव ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होनी चाहिए. रुपये को मजबूत करने के लिए हमें कुछ साधन अपनाने पड़ेंगे और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो रुपया भी मजबूत होगा. चीन का दुनिया के 70 से 80 फीसदी मार्केट पर कब्जा है. एक समय था कि भारत का दुनिया के 25 फीसदी बाजार पर कब्जा था, आज 1.5 में हम हैं. क्या आप पर बैंक लोन है इसके जवाब में रामदेव ने कहा कि मैंने बैंक लोन लिया था जिसे चुका दिया है.

रामदेव ने कहा, ‘उद्योगपति शब्द को खराब क्यों कहा जाने लगा है, इसके जवाब में रामदेव ने कहा कि कम्युनिस्टों ने भारत में धनवान होने को हेय दृष्टि से देखा और उन्हें लोगों को अमीरों के खिलाफ भड़काया. माना कि कुछ अमीर भ्रष्ट हैं तो क्या कम्युनिस्टों में भ्रष्ट लोग नहीं हैं. हर क्षेत्र में गलत लोग हैं, लेकिन आप कुछ की वजह से पूरी जमात को चोर लूटेरे कहने लग जाएं, ये अफसोसजनक है. यह सिर्फ भारत में ही है. बाकि दुनिया में ऐसा नहीं है.’

रामदेव ने कहा कि भारत में पहले तो कम्युनिस्टों ने बेड़ा गड़क किया, फिर जो भी राजनीतिक दल आता है वो कहता है कि भारत में अमीर बहुत कम हैं, जो गरीब हैं उनका वोट लो और अमीरों को गाली दो. सरकार टैक्स उन्हीं से लेती है, पार्टियां चंदा भी उन्हीं से लेती हैं, देश की सड़कें, एयरपोर्ट, सेना के हथियार तक उन्हीं से खरीदे जाते हैं. पूरा देश उन्हीं से चलता है लेकिन पैसे को और पैसेवालों को गाली दी जाती है.  उन्होंने कहा, ‘देश के बाबाओं ने धन और लक्ष्मी को जमकर गाली दी है और बड़ा अपराध किया है. इन्होंने कहा कि पैसा तो हाथ का मैल है. लेफ्ट और राइट के लोगों ने मिलकर कहा कि देश में सिर्फ गरीब होने चाहिए. अमीरों को गाली दो और ठोको. इन लोगों ने धनवान होने को गाली मान ली है.’

विजय माल्या के सवाल पर रामदेव ने कहा कि माल्या के मामले में कई लोग कटघरे में आएंगे. जब माल्या राज्यसभा के सांसद बने तो किन लोगों ने सपोर्ट किया, जब घाटा हो रहा था तो घाटे की पूर्ति नहीं हो सकेगी ये बात भी सामने थी फिर किन लोगों ने इनकी मदद की. उसके बाद जब ये पता लगा कि माल्या दिवालिया हो चुका है और उसके बावजूद भी मदद जारी रखी गई, उसके लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं. फिर वो भागे कैसे? मुझे ऐसा लगता है कि एक राक्षस को पैदा किया गया और फिर वो राक्षस देश छोड़कर भाग गया. इस मामले में वर्तमान सरकार को थोड़ी और संजिदगी बरतनी चाहिए थी. कहीं न कहीं चूक हुई है.

#### एक कार्यकर्ता 20 घरों में जाकर चाय पिएगा  -बीजेपी लोकसभा रणनीतिि

अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में वर्ष 2014 जैसे नतीजे दोहराने के लिए भाजपा ‘टी-20’ फॉर्मूला आजमायेगी। ये क्रिकेट वाला टी-20 नहीं है। इसका मतलब है, एक कार्यकर्ता 20 घरों में जाकर चाय पिएगा और मोदी सरकार की उपलब्धियों की जानकारी उन घरों के सदस्यों को देगा। टी-20 के अलावा भाजपा ने “हर बूथ दस यूथ”, नमो एप सम्पर्क पहल एवं बूथ टोलियों के माध्यम से मोदी सरकार की उपलब्धियों को घर घर पहुंचने का कार्यक्रम तैयार किया है।

भाजपा ने अपने सांसदों, विधायकों, स्थानीय एवं बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से अपने अपने क्षेत्रों में जनता को सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने को कहा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे अपने क्षेत्र के प्रत्‍येक गांव में जाएं और कम से कम 20 घरों में जाकर चाय पिएं।” इस ‘टी-20’ पहल का मतलब जनता से सीधे संवाद स्थापित करना है।

उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने आक्रामक प्रचार शैली अपनाई थी। इसमें खास तौर पर सूचना तकनीक माध्यम का उपयोग किया गया था । इसका खास आकर्षण 3-डी रैलियों का आयोजन था। इन 3-डी रैलियों में एक ही समय में कई स्थानों पर बैठे लोगों के साथ एक साथ जुड़ने की पहल की गई थी ।   

सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जोड़ने और चाय पे चर्चा की पहल भी की गई थी। अगले लोकसभा चुनाव के लिये भाजपा अपने उस अभियान को और व्यापक स्तर पर ले जाना चाहती है। भाजपा ने बूथ स्तर के लिये एक विस्तृत रणनीति बनाई है जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे नरेन्द्र मोदी एप से अधिकाधिक लोगों को जोड़ें।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि अगले सप्ताह नरेन्द्र मोदी एप का नया प्रारूप आने वाला है जिसमें पहली बार कार्यकर्ताओं के कार्यों के संबंध में भी एक खंड होगा। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ता क्या करने वाले हैं, उसका एक खंड एप में होगा । इसमें बताया जायेगा कि लोगों को कैसे जोड़ना है। एप में कुछ साहित्य, छोटे छोटे वीडियो और ग्राफिक्स के रूप में सूचनाएं भी होंगी। पार्टी ने प्रत्येक मतदान केंद्र पर 100 लोगों को नरेन्द्र मोदी एप से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

हर बूथ पर पार्टी के सभी मोर्चों के प्रमुख कार्यकर्ताओं की टोली बनाई जा रही है जो मोदी सरकार एवं राज्य सरकार (जहां भाजपा की सरकारें हैं) की योजनाओं से होने वाले सीधे लाभ की जानकारी देगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बताया, “कोशिश करना है कि हर बूथ पर 20 नए सदस्य जोड़े जाएं। हमें हर वर्ग से, हर समाज के सदस्यों को पार्टी से जोड़ना है।”

पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंथन के बाद कार्यकर्ताओं से ‘‘घर-घर दस्तक’’ अभियान पर तेजी से अमल करने को कहा गया है। हर बूथ पर लगभग दो दर्जन कार्यकर्ताओं की टोली बनायी जा रही है। यह टोली हर रोज सुबह-शाम और छुट्टी वाले दिनों में घर-घर जाकर परिवारों से मिलेगी। इसके साथ ही टोली दुकानदारों एवं अन्य छोटे-मोटे काम करने वालों से भी संपर्क करेगी।

भाजपा का यह संपर्क अभियान कई दौर में चलेगा और लोगों को बताएगा कि विपक्ष के आरोप एवं सरकार के काम की हकीकत क्या है? देश पांच सालों में कहां पहुंच गया है और अगले पांच साल में क्या होगा? भाजपा कार्यकर्ता तथ्यों, आंकड़ों एवं तर्कों से लोगों को समझाएंगे कि मोदी सरकार को बरकरार रखना कितना जरूरी है।

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पटना:’बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ के नारे के साथ नीतीश कुमार को बिहार के मुखिया की कुर्सी दिलाने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर औपचारिक रूप से जेडीयू में शामिल हो गए. पटना में नीतीश कुमार की मौजूदगी में प्रशांत किशोर ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.
जानकारी के मुताबिक आने वाले दिनों में प्रशांत किशोर को बिहार में पार्टी और सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़ने के बाद प्रशांत किशोर ने उनसे किनारा कर लिया था. नीतिश कुमार प्रशांत किशोर को नंबर दो की पोजीशन देने का मन बना चुके हैं. प्रशांत किशोर पार्टी और सरकार के बीच पुल का काम करेंगे. आने वाले समय में प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने की भी खबरें हैं. प्रशांत किशोर को बीजेपी और कांग्रेस दोनों का करीबी माना जाता है. ऐसे में जेडीयू से राजनीतिक पारी के शुरुआत की खबर से उन्होंने सभी को थोड़ा सा हैरान जरूर किया है. प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपने फैसले की जानकारी दी.
जेडीयू ज्वाइन करने के फैसले के बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि यह ऑफर काफी पहले से था पर अब समय आ गया जब मैंने फैसला लिया. नीतीश कुमार जो भी जिम्मेदारी सौंपेंगे उसे निभाउंगा, चाहे वो सरकार में हो या पार्टी में. दोनों के बीच पुल का भी काम करूंगा.
बीजेपी के साथ सीट बंटवारे को लेकर प्रशान्त ने कहा कि एक सप्ताह से दस दिन के अंदर सीटों का फैसला हो जाएगा. इतना तय है कि जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में ही रहेगी. माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर के आने के बाद बीजेपी और कांग्रेस में खलबली है. जेडीयू की तरफ से प्रशांत किशोर बातचीत करेंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि जहां अच्छी डील मिलेगी जेडीयू उसे मानेगा.

चुनावों के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर ने अपनी चुनावी राजनीति की पारी की शुरुआत करते हुए जेडीयू का हाथ थाम लिया है. इससे पहले भी वह बिहार चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं. बिहार में जेडीयू की जीत के पीछे प्रशांत किशोर की अहम भूमिका मानी जाती रही है. उन्होंने चुनाव में युवाओं को जेडीयू से जोड़ने के लिए हाईटेक चुनावी कैंपेन चलाया और बूथ स्तर तक पार्टी के लिए प्रचार रणनीति बनाने पर काम किया था. 

नीतीश के साथ आने से पहले प्रशांत किशोर देश के विभिन्न दलों के साथ चुनावी रणनीति पर काम कर चुके हैं. साल 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के पीछ प्रशांत के कैंपेन काफी अहम रोल निभाया. चाय पर चर्चा और मोदी की 3-D रैलियों जैसे आयोजन के पीछे प्रशांत किशोर का ही दिमाग था. एक दौर था जब उनकी मौजूदगी को किसी भी पार्टी के लिए जीत की गारंटी माना जाने लगा.

बैठक से पहले जेडीयू के बड़े नेता आरसीपी सिंह ने ये कहकर सियासी खलबली मचा दी है कि बिहार में कोई बड़ा और कोई छोटा भाई नहीं है. आरसीपी सिंह का ये बयान इस मायने में काफी अहम हो जाता है क्योंकि बीजेपी खुद को बड़ा भाई मानते हुए लोकसभा की ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है. जबकि जेडीयू पुराने रिश्तों की दुहाई देकर ज्यादा सीटों की मांग कर रही है. बिहार में लोकसभा की 40 सीट है, बीजेपी के पास अभी 22 सांसद हैं. चर्चा है कि जेडीयू 12 से 15 सीटों पर लड़ सकती है, ऐसे में बीजेपी को अपनी कुछ सीटें जेडीयू को देनी होगी.
प्रशांत किशोर बड़े चुनावी रणनीतिकार हैं, बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू के लिए काम कर चुके हैं. 8 साल संयुक्त राष्ट्र में हेल्थ एक्सपर्ट रह चुके प्रशांत किशोर को पीके नाम से भी जाना जाता है. जंग का मैदान कितना भी बड़ा हो प्रशांत किशोर हमेशा पर्दे के पीछे से रहकर ही भूमिका निभाई है. 2012 में पहली बार गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी के लिए रणनीति बनाई. 2013 में सिटीजन फॉर अकाउंटबेल गवर्नेंस नाम की संस्था बनाई. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने में अहम भूमिका निभाई. सोशल मीडिया कैंपन, चाय पर चर्चा, 3 डी प्रचार, रन पर यूनिटी से मोदी की मदद की. 2015 में जेडीयू के साथ आए, बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की मदद की. 2016 में नीतीश कुमार ने बिहार विकास मिशन का अध्यक्ष बनाया. 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाई. 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मदद की लेकिन बीजेपी जीत गई. उसी तरह उत्‍तराखण्‍ड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ऐतिहासिक पराजय दिलाने वाले पीपी अब क्‍या नीतिश की लंका लगायेगे, यह वक्‍त बतायेगे,

 रणनीतिकार प्रशांत किशोर जनता दल युनाइटेड के नेता बन गए हैं . बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज उन्हें पटना में जेडीयू में शामिल कर लिया. ख़बर है कि प्रशांत किशोर यानी पीके को पार्टी में बड़ी ज़िम्मेदारी दी जाएगी, उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा है. वे बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं. पीके इससे पहले सीएम नीतिश कुमार के सलाहकार भी रह चुके हैं, उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिला हुआ था.  प्रशांत किशोर इन दिनों अपने सर्वे को लेकर चर्चा में थे, जिसमें पीएम नरेन्द्र मोदी सबसे लोकप्रिय नेता चुने गए थे. पिछले ही हफ़्ते उन्होंने एलान किया था कि वे अब किसी के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करेंगे तभी से इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि पीके सक्रिय राजनीति में आने वाले हैं. ये भी कहा जा रहा है कि बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए वे बीजेपी और जेडीयू के बीच पुल का काम करेंगे. 

PK के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर को साल 2014 से पहले उतनी लोकप्रियता हासिल नहीं थी. लेकिन जब 34 साल की उम्र में अफ्रीका से संयुक्त राष्ट्र (UN) की नौकरी छोड़ किशोर 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े तो राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू कर दिया. चुनाव में नेता का ऐसा प्रचार शायद ही किसी दौर में देखा गया हो. 

2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद नीतीश कुमार नेपथ्य में चले गए थे. नरेन्द्र मोदी के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार का काम करने वाले पीके का भी बीजेपी से मोहभंग हो चुका था. ऐसे बदले हुए हालात में दोनों साथ आए और फिर 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में पीके ने अनहोनी को होनी कर दिया. लालू यादव और नीतीश कुमार एक हुए, आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के महागठबंधन ने बीजेपी को धूल चटा दी. प्रशांत किशोर इस जीत के नायक माने गए, चुनाव में पर्चा पर चर्चा का उनका आईडिया हिट रहा. पीके को नीतीश इतना मानते थे कि उनकी कुर्सी बगल में लगती थी. कोई भी बड़ा फ़ैसला बिना पीके के नहीं होता था. विधानसभा चुनाव में लालू यादव और नीतीश कुमार की रैलियां कहां होंगीं, ये भी पीके ही तय करते थे. मुस्लिम नेताओं को मंच और मीडिया से दूर रखने का प्रशांत किशोर का आइडिया भी कामयाब रहा. गठबंधन की सरकार बनने पर सीएम नीतीश ने उन्हें अपना सलाहकार बना लिया था. प्रशांत किशोर इसके बाद राहुल गांधी के संपर्क में आए. 2016 में राहुल गांधी और उनकी टीम से पीके की कई दौर की बैठकें हुईं. उन्हें यूपी और पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति बनाने का काम मिल गया. कहते हैं कि प्रशांत किशोर के सुझाव पर ही यूपी में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ चुनावी तालमेल किया. कांग्रेस की तरफ़ से पीके ने ही अखिलेश यादव से सीटों का फ़ार्मूला तय किया लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव में यूपी की जनता ने लड़कों के साथ को पसंद नहीं किया. एसपी और कांग्रेस बुरी तरह हारी लेकिन पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की वापसी ने पीके की लाज रख ली. वैसे कांग्रेस की इस जीत के लिए वाहवाही कैप्टन साहेब को मिली. प्रशांत किशोर की संस्था IPAC इन दिनों वाईएसआर पार्टी के लिए काम कर रही थी.

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तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने रविवार को कहा कि उन्हें बौद्ध शिक्षकों द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने की जानकारी 1990 से है और इस तरह के आरोप “नए नहीं” हैं। दलाई लामा ने नीदरलैंड की चार दिवसीय यात्रा के दौरान यह बात कही जहां उन्होंने कथित तौर पर बौद्ध शिक्षकों के यौन उत्पीड़न का शिकार हुए लोगों से मुलाकात की। वह यौन उत्पीड़न के दर्जनों पीड़ितों की मांग पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिन्होंने यूरोप यात्रा के दौरान उनसे मिलने के लिए अर्जी दी की थी।

दलाई लामा ने सरकारी टीवी चैनल एनओएस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं इन चीजों के बारे में पहले से जानता हूं इसमें कुछ भी नया नहीं है।” उन्होंने कहा, “25 साल पहले किसी ने उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्र धर्मशाला में पश्चिमी बौद्ध शिक्षकों के लिए एक सम्मेलन में यौन उत्पीड़न के आरोपों का उल्लेख किया था।” उन्होंने कहा जो लोग यौन शोषण करते हैं उन्हें बौद्ध शिक्षा की परवाह नहीं हैं।

पीड़ितों ने अपनी अर्जी में कहा कि वहां हमारे साथ दुष्कर्म किया गया। दलाई लामा ने सरकारी टीवी चैनल एनओएस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं इन चीजों के बारे में पहले से जानता हूं इसमें कुछ भी नया नहीं है।” उन्होंने कहा, “25 साल पहले किसी ने उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्र धर्मशाला में पश्चिमी बौद्ध शिक्षकों के लिए एक सम्मेलन में यौन उत्पीड़न के आरोपों का उल्लेख किया था।” उन्होंने कहा जो लोग यौन शोषण करते हैं उन्हें बौद्ध शिक्षा की परवाह नहीं हैं। दलाई लामा (83) धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं।

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मैंने केवल सरदार पटेल द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पढ़ा है;   अखिलेश यादव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि वह सोमवार से शुरू हो रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) की बैठक में शामिल नहीं होंगे. समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष ने एक न्यूज के प्रोग्राम में कहा, “मुझे आरएसएस के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं है. मैंने केवल सरदार पटेल द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पढ़ा है और उस पाराग्राफ को पढ़कर, मेरे पास बैठक में भाग लेने का साहस नहीं है.”
उन्होंने कहा, “मैं हमेशा इस बात पर जोर देता हूं कि सभी को उन मामलों के बारे में कम से कम पढ़ना चाहिए, जिसे सरदार पटेल ने प्रतिबंधित किया था. यह सुनिश्चित करेगा कि उन्होंने जो कुछ भी उस समय कहा था, वह स्थिति आज भी बनी हुई है.”
आरएसएस यहां विज्ञान भवन में ‘भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण’ पर तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला आयोजित करेगा. मोहन भागवत इस समय आरएसएस प्रमुख हैं.
यादव परिवार में चल रहे झगड़े के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “सभी के परिवार में लड़ाई होती है, कौन-सा ऐसा परिवार है, जिसमें लड़ाई नहीं होती है?” वहीं, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुटकी लेते हुए कहा, “हां जिस आदमी का परिवार ही नहीं हो, वहां कैसे कोई लड़ाई हो सकती है.” बीजेपी पर हमला बोलते हुए यादव ने कहा कि बीजेपी विकास के नाम पर नहीं, बल्कि जाति और धर्म के नाम पर चुनाव लड़ती है. उन्होंने कहा, “बीजेपीपा विकास के नाम पर नहीं जीतती है, बल्कि जाति और धर्म की राजनीति के जरिए जीतती है.” उन्होंने दावा किया कि देशवासी बेसब्री से प्रधानमंत्री के बदलने का इंतजार कर रहे हैं.

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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला बदस्तूर जारी

नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला बदस्तूर जारी है. आज एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हुआ है. पेट्रोल की कीमत 28 पैसे और डीजल 18 पैसे महंगा हुआ है. बढ़त के बाद राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 81.91 पैसे रु/ली और डीजल 73.72 रु/ली पर पहुंच गया है. दिल्ली में कल पेट्रोल की कीमत 81 रुपये 63 पैसे और डीजल की कीमत 73 रुपये 54 पैसे थी.  आर्थिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल की कीमत 89.29 रु/ली और डीजल की कीमत 78.26 रु/ली पर पहुंच गई है. मुंबई में कल पेट्रोल की कीमत 89.01 रु/ली और डीजल की कीमत 78.07 रु/ली थी. देश में सबसे महंगा पेट्रोल महाराष्ट्र के परभणी में हैं. यहां पेट्रोल 91.04 रु/ली और डीजल 78.75 रु/ली की दर से बिक रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वित्त मंत्रालय के विभिन्न विभागों के कामकाज की समीक्षा की. इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली सहित कई अधिकारी भी शामिल थे. इस बैठक के बाद वित्त मंत्री ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी के संकेतों से इनकार कर दिया. पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम किए जाने के सवाल के बाद उन्होंने कहा कि ये एक आंतरिक समीक्षा बैठक थी और इसमें ऐसे किसी विषय पर बात नहीं हुई. जनता पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान है. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल 90 और डीजल 80 रुपये के पास पहुंच गया है. लेकिन आरपीआई प्रमुख और केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठावले कतई परेशान नहीं दिख रहे हैं. उल्टे जले पर नमक छिड़कने जैसी बात कह रहे हैं. आठवले ने कहा, ”मैं बढ़ती मंहगाई से परेशान नहीं हूं,क्योंकि मैं मंत्री हूं मुझे फ़ोकट में डीजल पेट्रोल मिलता है. हां जब मंत्री नही रंहूंगा तो परेशान हुंगा.” हालांकि आठवले ने ये जरूर कहा कि उनकी सरकार महंगाई कम करने पर गंभीरता से विचार कर रही है.

:::::::::::::::::::देश भर में एक करोड़ ‘बूथ सहयोगियों’ की फौज  ;महासचिव अशोक गहलोत

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में पूरी मजबूती के साथ उतरने के मकसद से अगले कुछ महीनों के भीतर देश भर में एक करोड़ ‘बूथ सहयोगियों’ की फौज खड़ी करने का लक्ष्य रखा है. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से मंजूर इस योजना के तहत संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने पिछले 13 सितंबर को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और प्रदेश अध्यक्षों को पत्र भेजकर कहा है कि वो हर बूथ पर कम से 10 ‘बूथ सहयोगी’ बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में जुट जाएं.

पार्टी ने यह तय किया है कि हर बूथ पर 10 ‘बूथ सहयोगी’ जोड़े जाएंगे। देश में करीब 10 लाख बूथ हैं और इस लिहाज से हमें एक करोड़ बूथ सहयोगी बनाने हैं।’  उन्होंने कहा, ‘हमारी कोशिश है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बूथ सहयोगी बनाने का लक्ष्य हासिल कर लें।’

गहलोत ने उनसे कहा है कि वो जिला और ब्लॉक इकाइयों के साथ मिलकर ‘बूथ सहयोगी’ बनाएं और हर ‘बूथ सहयोगी’ को 20-25 घरों से संपर्क साधने की जिम्मेदारी भी सौंपें. पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी के कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रहने के दौरान छह सितंबर को गहलोत और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने प्रदेश इकाइयों के अध्यक्षों और कोषाध्यक्षों के साथ जो बैठक की थी उसमें एक प्रमुख फैसला ‘बूथ सहयोगियों’ की फौज तैयार करने की भी था. कैलाश यात्रा के लौटने के बाद गांधी ने इस योजना को मंजूरी प्रदान की.

अखिल भारतीय कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव (संगठन) जेडी सीलम ने इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, ‘पार्टी ने यह तय किया है कि हर बूथ पर 10 ‘बूथ सहयोगी’ जोड़े जाएंगे. देश में करीब 10 लाख बूथ हैं और इस लिहाज से हमें एक करोड़ बूथ सहयोगी बनाने हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमारी कोशिश है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बूथ सहयोगी बनाने का लक्ष्य हासिल कर लें.’’

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पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि लोग राजनीतिक फायदा लेने के लिए मुझसे रिश्ता जोड़ना चाहते हैं और मुझे बुआ कहते हैं.

नए घर में प्रवेश के बाद मायावती ने किसी नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपना नाम मुझसे जोड़ते हुए मुझे बुआ कहते हैं. ऐसा ही सहारनपुर जातीय हिंसा मामले में आरोपी (भीम आर्मा के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’) ने भी किया, मेरा उनसे कोई लेना-देना नहीं है. यह बीजेपी का गेम प्लान है.

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अपने बयानो में बसपा सुप्रीमो मायावती को बुआ कहते रहे हैं.

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि आगामी चुनावों में पार्टी बीजेपी को रोकने का पूरा प्रयास करेगी. वहीं महागठबंधन पर उन्होंने कहा कि दूसरी पार्टियों से गठबंधन तभी होगा जब हमें सम्मानजनक सीटें मिलेंगी.

मायावती ने कहा कि 2 अप्रैल को एससी/एसटी एक्ट को लेकर हुए बंद में शामिल लोगों पर अभी भी अत्याचार जारी है. उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है. जो एक सरकारी आतंक है. बढ़ती मॉब लिंचिग की घटनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि इससे देश कलंकित हुआ है. यदि पीएम मोदी और बीजेपी अटल के बताए रास्ते पर चलती तो आज देश की ये दशा नहीं होती. उन्होंने कहा कि बीजेपी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भुनाने की पूरी कोशिश में लगी है, जबकि उनके रास्ते पर कभी नहीं चली. इसलिए इसका कोई लाभ नहीं मिलने वाला है.

भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए मायावती ने कहा कि बीजेपी राफेल लड़ाकू विमान सौंदे पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए है. वहीं महंगाई और बेराजगारी पर लगाम लगाने में विफल रही. नोटबंदी को राष्ट्रीय त्रासदी बताते हुए उन्होंने कहा कि आरबीआई की रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि नोटबंदी फेल रही. साथ ही पेट्रोल-डीजल के दामों ने आम लोगों की कमर तोड़ दी. वहीं जीएसटी की वजह से अभी भी व्यापारियों में अफरातफरी बनी हुई है. मायावती ने कहा कि बीजेपी के दमन के जवाब में देश भर के पार्टी कार्यकर्ता एकजुट हुए और चंदा इकट्ठा कर जो पैसा दिया उससे लखनऊ और दिल्ली में बंगला बनाया गया.

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