उत्तराखंड ;500cr एनएच-74 घोटाले में लिप्त अधिकारियों की मलाईदार पदों पर नियुक्ति

 UTTRAKHAND NH HIGHWAY SCAM;300 करोड़ का घोटाला; #त्रिवेंद्र सरकार ने एनएच-74 घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी #एनएच-74 पश्चिमी यूपी से उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र को जोड़ता है# इस हाईवे के चौड़ीकरण में ये सारा घोटाला हुआ  #हाईवे को चौड़ा करने के लिए जमीन का जो अधिग्र्रहण किया गया उसमें ही 300 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हुआ # राज्य सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल खड़े  :प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया कि 500 करोड़ के घपले पर केंद्र और राज्य सरकार का रुख बड़ी मछलियों को बचाने का है : घोटाले में लिप्त नेताओं और अधिकारियों को पारितोषिक देकर मलाईदार पदों पर नियुक्ति करने का काम 

हाईवे प्रोजेक्ट्स पर उठ रहे सवालों को गंभीरता से देखना होगा क्योंकि उत्तराखंड के सीएम के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी देहरादून–सहारनपुर–यमुनोत्री हाइवे की सीबीआई जांच की बात कह चुके हैं- पर वह जांच भी दब गई-

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उत्तराखंड में हुए सबसे बड़े नेशनल हाईवे घोटाले में पहले त्रिवेंद्र सरकार ने इस घोटाले की सीबीआई जांच का ऐलान किया और बाद में नितिन गडकरी की चिट्ठी ने कई सवाल पैदा कर दिए। ये घोटाला राज्य की गली-गली में चर्चा का विषय बन चुका है। गडकरी ने चिट्ठी में लिखा कि इसकी जांच सीबीआई से कराने की जरूरत नहीं है- नेशनल हाइवे अथॉरिटी यानी एनएचएआई और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस बात से नाराज़ हैं कि उत्तराखंड सरकार ने अथॉरिटी के अधिकारियों को इस मामले की जांच में क्यों घसीटा.

और  राज्य के मंत्री अब भी ऐलान कर रहे हैं इसकी सीबीआई जांच होकर रहेगी।  जमीन का ये अधिग्रहण करीब चार साल तक चला। इसके बाद जब शिकायतें मिलीं तो उनकी जांच की गई। जांच में पता चला कि कृषि भूमि को बैकडेट में गैरकृषि दिखाया गया और फिर इसका मुआवजा कई गुना बढ़ा दिया गया। कुमाऊं कमिश्नर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर इसकी जांच की गई। फिर सामने आया कि संबंधित तहसीलों में तीन सौ करोड़ से ज्यादा का घपला हुआ। कमेटी ने विस्तृत जांच की सिफारिश भी की। इस मामले में कई अधिकारियों को निलंबित भी किया जा चुका है। 

घोटाले के लिये जिम्मेदार ‘बड़ी मछलियों’ को बचाने का आरोप

रुद्रपुर : पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस नेता तिलकराज बेहड़ ने त्रिवेंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर एनएच-74 मुआवजा घोटाले में कई अधिकारियों और राजनेताओं को बचाने का आरोप लगाया है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस नेता तिलक राज बेहड़ ने कहा कि आर्विट्रेशन के माध्यम से कई नेताओं और अधिकारियों ने 300 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। यही नहीं कई नेताओं ने सरकारी भूमि का कई करोड़ मुआवजा आर्विट्रेशन के माध्यम से लिया। बेहड़ ने कहा कि उन्होंने इस सबका पता सूचना के अधिकार से लगाया है और इसमें ये खुलासा हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एसआइटी पूरे मामले में दबाव में काम कर रही है। वो बड़े अधिकारियों और नेताओं को बचाने में लगी हुई है। अभी तक एक मंत्री के दबाव में एसआइटी ने बाजपुर क्षेत्र में जांच ही नहीं की है। उनका कहना है कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत भेज दी है और वो कल एसएसपी को भी सारे कागजात उपलब्ध कराएंगे।

एनएच के अधिकारियों की तरफ से नैनीताल हाईकोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। इसे बाकायदा एटॉर्नी जनरल की तरफ से दिया गया है और अपील की गई कि हाईवे घोटाले में जो प्राथमिकी दर्ज हुई है उससे एनएच के अधिकारियों के नाम अलग कर दिए जाएं। इसमें कई दलीलें दी गई हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और इतना वक्त जरूर दिया कि इसे लेकर वे अलग से याचिका दाखिल कर सकते हैं। 
गडकरी ने इससे पहले जो चिट्ठी त्रिवेंद्र सरकार के नाम लिखी थी उसमें साफ लिखा था कि एनएच सिर्फ एक वित्तदायी संस्था ही है। इसलिए इस मामले में अगर इन अधिकारियों को जांच के दायरे में रखा गया तो इनका मनोबल टूटेगा। इससे इनके काम में असर पड़ेगा। बाद में सीएम त्रिवेंद्र रावत को खुद सफाई देने के लिए आगे आना पड़ा और कहना पड़ा।  उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने पत्र मिलने के बाद कहा कि केंद्र ने बताया है कि सभी किसानों को संबंधित एजेंसी पैसे दे रही है और उसमें किसी का भी हक मारा नहीं जाएगा। इस पूरे मामले में राज्य सरकार ने 5 पीसीएस अधिकारियों पर न केवल कार्रवाई के आदेश दिए थे बल्कि उन्हें सस्पेंड भी कर दिया था। इसके बाद ये मामला राज्य सरकार ने सीबीआई को भी भेज दिया था, लेकिन कार्रवाई होगी या नहीं, कुछ नहीं पता। 

2002 बैच के सेंथिल पांडियन  ने कुमाऊं कमिश्नर के पद पर रहते ही वह रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें 300 करोड़ के घोटाले का पता चला और राज्य के कई अधिकारियों को सस्पेंड किया गया. उत्तराखंड में NH-74 के लिये भूमि अधिग्रहण और मुआवज़ा बांटे जाने का काम 2011 से 2016 के बीच हुआ. नगीना–काशीपुर, काशीपुर–सितारगंज, सितारगंज-टनकपुर और रुद्रपुर–काठगोदाम, ये वे सड़कें हैं जिनके लिये ज़मीन ली गई. घोटाले की बात इसी साल एक मार्च को सामने आई जब राज्य में विधानसभा चुनाव तो हो चुके थे लेकिन नतीजे नहीं आये थे. कुमाऊं के कमिश्नर सेंथिल पांड्यन की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने कुल 300 करोड़ के घोटाले की बात कही. रिपोर्ट में कहा गया है कृषि ज़मीन को व्यवसायिक ज़मीन बताया गया और सरकारी कागज़ों में तारीख का हेर फेर किया गया.

इस अधिग्रहण में एनएचएआई ही मुआवजा देने वाली एजेंसी है. नियमों के मुताबिक तय मुआवजा राज्य के ज़मीन अधिग्रहण अधिकारी और एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के संयुक्त खाते में आता है जहां से वह भूस्वामियों के अकाउंट में ट्रांसफर होता है. भूस्वामी और एनएचएआई के अधिकारी दोनों को ये अधिकार है कि वह मुआवज़े की रकम से संतुष्ट न होने पर डीएम से शिकायत कर सकते थे. लेकिन जब मुआवज़ा रेवड़ियों की तरह बांटा जा रहा था तो क्या एनएचएआई के किसी अधिकारी ने ये आवाज़ नहीं उठाई.

एक विशेष भू अधिग्रहण अधिकारी डी पी सिंह का नाम कमिश्नर सेंथिल पांड्यन की रिपोर्ट में बार बार आता है. उन्होंने प्रमुख सचिव मनीषा पंवार को अपना पक्ष समझाते हुये एक रिपोर्ट सौंपी है. इसमें डीपी सिंह ने कहा है कि उन्होंने कई फर्ज़ी और गलत मुआवज़े के दावों को खारिज भी किया. सूत्रों के मुताबिक सिंह ने जिन दावों को खारिज करने की बात कही उनमें से एक 9 सितंबर 2016 को खारिज किया गया 13.82 करोड़ का दावा है.

1 मार्च को कमिश्नर कुमाऊं डी सेंथिल पांडियन ने 118 करोड़ के घोटाले का खुलासा किया। 9 मार्च को कमिश्नर की अध्यक्षता में सचिव राजस्व ने, एडीएम और पीडब्ल्यूडी चीफ इंजीनियर की कमेटी को सौंपी जांच।
-11 मार्च को डीएम के आदेश पर पंतनगर की सिडकुल चौकी में सौ से अधिक लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
-15 मार्च को घोटाले के आरोपी और ऊधमसिंह नगर के विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी डीपी सिंह को पद से हटाया गया।
-16 मार्च को कमिश्नर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने मुख्य सचिव से मुलाकात करके उन्हें अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी।
-18 मार्च को घोटाले से जुड़ी तमाम फाइलें सितारगंज, बाजपुर, जसपुर और गदरपुर तहसीलों से गायब कर दी गईं।
-22 मार्च को कमिश्नर ने एसएलएओ आफिस से सभी फाइलों को मंगाकर कोषागार के डबल लॉक में सुरक्षित करवाई।
-23 मार्च को एसएसपी ऊधमसिंह नगर के निर्देशन में जांच के लिए विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) का गठन हुआ।
-25 मार्च को छह पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया गया और प्रकरण की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई।

कांग्रेस ने  कहा, ‘जब भी कोई बड़ा मसला आता है तो भाजपा प्राथमिकी से ही घोटालेबाजों का नाम हटा देती है। हम इस मसले को जोर-शोर से संसद और संसद के बाहर उठायेंगे।’ केंद्रीय मंत्री द्वारा एनएच-74 घोटाले की सीबीआई जांच पर पुनर्विचार किए जाने के बारे में उत्तराखंड सरकार को भेजे गए पत्र से साफ है कि भाजपा सरकार इसमें लिप्त नेताओं और अधिकारियों को बचाने का काम कर रही है। सरकार इस मामले में ‘बड़ी मछलियों’ को बचाना चाहती है। सरकार की मंशा जांच कराने की नहीं बल्कि घोटाले में लिप्त व्यक्तियों को बचाने की है और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टालरेंस’ का भाजपा सरकार का नारा सिर्फ एक शिगूफा है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहले एनएच-घोटाले के नाम पर Congress सरकार को घेरा और सत्ता में आने के बाद सीबीआई जांच का शिगूफा छेड़कर फिर जनता को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ राज्य सरकार सीबीआई जांच की सिफारिश कर रही है और दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री उस पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

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