हिंदू बहल सीट वायनाड- वामदलों ने राहुल को क्‍यो दी चेतावनी- उन्हें सिखाएंगे कि ‘जमीन पर चुनाव कैसे लड़ा जाता है’

   राहुल गांधी ने कहा कि दक्षिण में फीलिंग है. वह अमेठी में भी हैं और केरल में भी हैं. जिस तरह से बीजेपी और संघ कल्चरल अटैक देश में कर रहे हैं, उसके खिलाफ यहां मैसेज देने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं. 

वायनाड की धार्मिक आबादी की बात करें तो यह सीट भी हिंदू बहल ही है. यहां 49.48 प्रतिशत हिंदू हैं, वहीं 28 प्रतिशत के करीब मुस्लिम, जबकि 21 प्रतिशत ईसाई हैं. 

लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) के लिए कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को केरल की वायनाड सीट से नामांकन भर दिया है. वह उत्तर प्रदेश में अपनी परंपरागत अमेठी सीट के अलावा इस सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं. राहुल गांधी के साथ उनकी बहन और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी भी मौजूद हैं. नामांकन करने के बाद राहुल गांधी ने बहन प्रियंका गांधी के साथ रोड शो भी किया.  जिला मुख्यालय में उन्होंने जिला कलेक्टर एआर अजय कुमार को नामांकन संबंधी दस्तावेज सौंपे. इसके मद्देनजर कलक्ट्रेट कार्यालय के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. केरल की वायनाड सीट से एनडीए के उम्‍मीदवार तुषार वेलापल्‍ली से राहुल गांधी का मुकाबला होगा. तुषार वह भारत धर्म जन सेना के अध्यक्ष हैं. केरल के वायनाड में 23 अप्रैल को वोटिंग होनी है.  राहुल गांधी गुरुवार सुबह करीब 11 बजे हेलीकॉप्‍टर से प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ वायनाड पहुंचे. कांग्रेस पार्टी और यूडीएफ ने राहुल गांधी को केरल से चुनाव लड़ने का निमंत्रण दिया था. इसी तरह के निमंत्रण कर्नाटक और तमिलनाडु से भी आए थे.

वहीं केरल में वामपंथी दलों के गठबंधन वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने वायनाड संसदीय क्षेत्र से सीपीआई के पीपी सुनीर को उतारा है. इस क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें से वायनाड और मलपुरम जिलों की तीन तीन और कोझीकोड जिले की एक सीट शामिल है. वामदलों ने राहुल के वायनाड से चुनाव लड़ने पर यह भी कहा था कि वे उन्हें सिखाएंगे कि ‘जमीन पर चुनाव कैसे लड़ा जाता है.’ 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज गुरुवार को केरल के वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं. राहुल वायनाड ऐसे ही नहीं गए हैं बल्कि ‘गांधी परिवार’ का यहां से भावनात्मक रिश्ता रहा है. राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर दादी इंदिरा गांधी तक का यहां से गहरा लगाव रहा है. इसी के नाते राहुल ने वायनाड को चुना. साथ ही उनकी रणनीति यहां से केरल के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक को साधने की भी है. राहुल गांधी को यहां से चुनाव लड़वाने के पीछे एक तरीके से यह तीनों दक्षिणी राज्यों के अनुरोध को संतुष्ट करेगा। इसलिए वायनाड पर विचार के सबसे बड़े कारणों में से एक यह था कि यह तीन दक्षिणी राज्यों का त्रिकोणीय जंक्शन है। कांग्रेस उत्तर भारत के साथ दक्षिण भारत की तरफ भी कांग्रेस प्रचार करना चाहती है। इस फैसले को कांग्रेस की तरफ से दक्षिण भारत, खासकर केरल में अपने जनाधार को मजबूत करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है जहां लोकसभा की 20 सीटें हैं। इस ऐलान के बाद माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश करात ने यहां कहा कि राहुल गांधी को केरल के वायनाड से चुनाव लड़वाने का फैसला यह दिखाता है कि पार्टी केरल में वाम दलों से मुकाबला करना चाहती है। माकपा के पूर्व महासचिव ने कहा उनकी पार्टी वायनाड में राहुल गांधी की हार सुनिश्चित करने के लिये काम करेगी। वहीं केरल सीएम ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होने कहा कि  राहुल गांधी के वायनाड से लड़ने के कदम को वाम दलों के खिलाफ देखा जाना चाहिए न कि भाजपा के खिलाफ। कांग्रेस अध्यक्ष की उम्मीदवारी को कोई विशेष तवज्जो देने की जरूरत नहीं है।

अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट से भी राहुल गांधी ने चुनाव लड़ने का ऐलान करके इस इलाके को चर्चा में ला दिया. वायनाड का देश में धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण स्थान है. यहां से कांग्रेस का सिर्फ राजनीतिक रिश्ता नहीं है बल्कि गांधी परिवार की कई यादें भी जुड़ी हैं.

1991 में राजीव की अस्थि विसर्जित की

1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्या के बाद उनकी अस्थियों को केरल के कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरन ने वायनाड के पापनाशिनी नदी में विसर्जित किया गया था. राजीव गांधी की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के साथ राहुल गांधी खुद वायनाड गए थे. राहुल ने अपने पिता की अस्थियों को लेकर पहले थिरुनेल्ली मंदिर में पूजा अर्चना की और इसके बाद के. करुणाकरन के साथ वायनाड की पापनाशिनी नदी में उसे विसर्जित किया था.

1991 में कांग्रेस नेता के. करुणाकरन ने राजीव गांधी की अस्थियों के जरिए प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया था. राजीव गांधी की सहानुभूति का कांग्रेस को राज्य में जबर्दस्त राजनीतिक फायदा मिला था. 1991 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों के नेतृत्व वाले एलडीएफ का प्रदेश से पूरी तरह सफाया हो गया था और सत्ता पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की वापसी हुई थी.

1991 के लोकसभा चुनाव में केरल की कुल 20 सीटों में से कांग्रेस को 13, मुस्लिम लीग को 2, सीपीएम को 3 और अन्य को एक सीट मिली थी. इसी तरह से 1991 के विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी वामपंथी गठबंधन को तगड़ा झटका लगा था. केरल की कुल 140 विधानसभा सीटों में से वामपंथी गठबंधन 50 सीट पर सिमट गया था जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ को 90 सीटें हासिल कर सत्ता में वापसी की.

लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से जुटी हुई है। ऐसे में पार्टी ने अपने अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा की दो सीटों से उतारने का फैसला किया है। एक अमेठी जो कि पारंपरिक सीट है तो वहीं दूसरी केरल की वायनाड सीट। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। लेकिन इससे पहले वो एक रोड शो कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी करने वाले थे। लेकिन अभी तक रोड शो को इजाजत नहीं मिली है तो वहीं पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किेए हैं। नामांकन के दौरान प्रिंयका गांधी उनके साथ होंगे इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी उनके साथ होंगे। 

3 राज्यों की सीटों पर नजर

करीब 28 साल के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उसी सरजमीं को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाने जा रहे हैं, जहां उनके पिता की अस्थियों को विसर्जित किया गया था. मौजूदा समय में कांग्रेस अपने राजनीतिक वजूद की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में राहुल को केरल की मिट्टी से सियासी फायदे की उम्मीद नजर आ रही है, शायद इसीलिए उन्होंने वायनाड को रणभूमि के रूप में चुना है.

वायनाड लोकसभा सीट के भौगोलिक स्थिति को देखें तो यह ऐसी जगह है, जो केरल के अलावा बल्कि तमिलनाडु और कर्नाटक को भी टच करता है. ऐसे में राहुल गांधी ने वायनाड से चुनावी मैदान में उतरकर केरल की 20 सीटों के अलावा तमिलनाडु की 39 और कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों को साधने की रणनीति बनाई है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अमेठी के अलावा केरल के वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उन्होंने आज गुरुवार को इसके लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया. राहुल के वायनाड आने से यह क्षेत्र अचानक से राष्ट्रीय सुर्खियों में छा गया हो, लेकिन वायनाड के स्थानीय आदिवासियों के लिए रोटी और मकान जैसी समस्याओं के अलावा हमलावर हाथियों से निपटना उनकी पहली प्राथमिकता है.

वायनाड जिले की करीब 18 प्रतिशत आबादी अदिवासियों की है. लोकसभा सीट के तहत दो विधानसभा क्षेत्र सुल्तान बतेरी और मनानतवाडी आते हैं. वायनाड के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों में से एक का कहना है, हमारे पास मकान या छप्पर नहीं है. कोई सड़क नहीं है, पीने का पानी नहीं है. हमें उनसे (नेताओं) ज्यादा उम्मीद नहीं है.

आदिवासी महिला का कहना है कि हाथियों से निपटना और उनके हमलों से बचना सबसे बड़ा मुद्दा है. उनका कहना है कि जंगलों के भीतर हमारे घरों में हाथियों के हमलों का डर हमेशा बना रहता है. इस बार हम वोट नहीं देंगे. इन चुनावों में हिस्सा लेने का कोई फायदा नहीं है.

अपने ही घर में बेघर आदिवासी

इस क्षेत्र में सदियों से आदिवासियों का बसेरा रहा है. वायनाड के जंगल पनिया, कुर्म, अदियार, कुरिचि और कत्तुनाईकन आदिवासियों के घर हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा ने वायनाड में पिछले चार दशक से आदिवासियों के लिए काम कर रहे डॉक्टर जितेन्द्रनाथ के हवाले से बताया, परंपरागत रूप से वायनाड आदिवासियों का घर रहा है. उन्हें कभी जमीन मालिक बनने की फिक्र नहीं रही, लेकिन अब वह अपने ही घर में बेघर हो गए हैं.

दूसरी ओर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि उन्होंने केरल से भी चुनाव लड़ने का निर्णय इसलिए किया क्योंकि दक्षिण भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘विद्वेष’ को महसूस कर रहा है. उनकी उम्मीदवारी एक संदेश देगी कि ‘हम आपके साथ हैं, मैं आपके साथ हूं… यही संदेश है.’

बहरहाल, वायनाड सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ एलडीएफ (वाम मोर्चा) ने भाकपा के पीपी सुनीर और एनडीए ने बीडीजेएस के तुषार वेल्लापल्ली को मैदान में उतारा है.

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