13 अप्रैल- हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2078 की शुरुआत -विलक्षण संयोग – राजा और मंत्री का पद मंगल जैसे क्रूर ग्रह के पास- क्‍या है ज्‍योतिषी संकेत?

TOP FOCUS; इस वर्ष हिंदू नव-वर्ष की कुंडली में वृष लग्न में मंगल और राहु दो क्रूर ग्रह स्थित हैं, जो समाज में बेहद उथल-पुथल लाने वाले हो सकते हैं। ज्योतिषशास्त्री गणना कर रहे हैं कि, ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि नव-वर्ष की कुंडली में उदय लग्न उस राष्ट्र की स्थापना कुंडली के सामान हो तो वह वर्ष उस राष्ट्र विशेष के लिए ऐतिहासिक बदलाव लेकर आने वाला होता है, जैसा इस वर्ष भारत के लिए होने वाला है।  कई दशकों के बाद होने जा रहा है कि जब वर्ष के राजा और मंत्री का पद मंगल जैसे क्रूर ग्रह को मिलने जा रहा है जिसे हिंदू ज्योतिष में ‘युद्ध और उत्पात’ का कारक माना जाता है। जनता के लिए ठीक नहीं ग्रहों का ऐसा संयोग – दशम भाव में बैठे गुरु हिंदू नव-वर्ष की कुंडली में सरकार   और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कुछ ऐतिहासिक निर्णय लिए जाने के संकेत हैं। सरकार द्वार कुछ राज्यों में विशेष विशेष व्यवस्था भी लायी जा सकती है।

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HIGH LIGHT# 13 अप्रैल को मंगलवार का दिन है और इसी दिन से प्रतिप्रदा भी इसी दिन से है तो इस संवत्सर का राजा मंगल होगा.# मंगल के पास राजा और मंत्री के महत्वपूर्ण पद हैं।  #13 अप्रैल, से इस वर्ष के चैत्र नवरात्रि का प्रांरभ # हिंदू नव वर्ष के रूप में विक्रम संवत 2078 की शुरुआत # एक विलक्षण संयोग # 13 अप्रैल 2021 को विक्रम संवत 2078 को हिंदू नववर्ष  # हिंदू नववर्ष 2078 पर इस बार 90 साल बाद एक अद्भुत संयोग बन रहा है. #नया विक्रम संवत 2078 वृषभ लग्न और रेवती नक्षत्र में शुरू होगा. इस बार अमावस्या और नव संवत्सर के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों मीन राशि में ठीक एक ही अंश पर रहेंगे. यानी कि मीन राशि में नया चंद्रमा उदय हो जाएगा# इस साल सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिलेगी. # लोग महामारी से मुक्त होंगे परंतु उपद्रव और प्राकृतिक घटनाओं से परेशान रहेंगे # मंगल को युद्ध का देवता कहा जाता जाता है। यह सामाजिक और राजैनतिक अस्थिरता के कारक ग्रह हैं।  # अध्यात्म के मार्ग पर चलने वालों को राहत और अन्य को पीड़ा का अनुभव होता है।  # अच्छी बारिश के योग भी बन रहे हैं।

‘भौमे नृपे वह्नि भयं नाराणाम् चौरा कुलम पार्थिव विग्रहश्च। दुखम् प्रजा व्याधि वियोग पीड़ा स्वल्पम् पयो मुंचति वारि वाह:।। अर्थात अग्नि भय , प्रजा की हानि , चोरों ( आतंकियों ) के उत्पात में वृद्धि, संक्रामक एवं रक्त सम्बन्धी रोग से जनता को कष्ट, बिजली गिरने से होने वाली क्षति का सामना करना पड़ सकता है। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि वर्ष के मंत्री मंगल का फल ‘अवनिजो ननु मन्त्री पदम् गतो भवति दस्यु गदादिज वेदना।’ अर्थात जनता में पारस्परिक सद्भाव और विश्वास का अभाव रहेगा। संक्रामक रोगों का दुष्प्रभाव बढ़ेगा। सत्ता सीन नेताओं के प्रभाव में वृद्धि होगी।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

हिंदू नव संवत्सर विक्रम संवत 2078 ‘आनंद’ और शालिवाहन शके 1943 का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 13 अप्रैल 2021, मंगलवार को होगा। शिव विंशति में इस आनंद नामक संवत्सर की गणना आठवें क्रमांक पर होती है। इस नव वर्ष के राजा और मंत्री दोनों का कार्यभार अग्नि तत्व के प्रतीक मंगल ग्रह के पास रहेगा। सस्येश शुक्र, धान्येश गुरु, मेघेष मंगल, रसेश रवि, नीरसेश शुक्र, फलेश चंद्र, धनेश शुक्र और दुर्गेश मंगल होंगे। इस प्रकार ये 10 अधिकारी होंगे। इनमें से पांच गृह मंडल में पांच स्थान सौम्य ग्रह को प्राप्त हुए हैं और पांच स्थान कू्रर ग्रहों को प्राप्त हुए हैं।

वर्ष का फल मिश्रित रहेगा। ग्रह परिषद के अनुसार जहां संक्रमणजनित रोग बढ़ने के योग बन रहे हैं, वहीं व्यापारी-व्यवसायी के लिए लाभ के अवसर उत्पन्न होंगे। इस बार संवत्सर के नाम को लेकर भी संशय बना हुआ है। मतमतांतर और पंचांग भेद के कारण कहीं इसे आनंद तो कहीं राक्षस नामक संवत्सर कहा जा रहा है।

नव वर्ष का नाम आनंद और राजा मंगल 

यह नववर्ष अश्विनी नक्षत्र में शुरू होगा। इसका स्वामी केतु है। वर्ष की शुरुआत मेष राशि में होगी। इस राशि के स्वामी मंगल ही हैं। इसलिए यह समय सबके लिए शुभ रहेगा।  13 अप्रैल की रात मंगल वृष से मिथुन राशि में जाएगा। इस समय मंगल वृष राशि में राहु के साथ है। इससे बन रहा अंगारक योग भी खत्म हो जाएगा। यह सबके लिए शुभ संकेत है। 14 अप्रैल की सुबह सूर्य मीन से मेष राशि में प्रवेश करेगा। इसमें सूर्य उच्च का हो जाएगा। मेष मंगल के स्वामित्व वाली राशि है। 16 अप्रैल की रात बुध भी मेष राशि में आ जाएगा।

13 अप्रैल मंगलवार को हिंदू नव वर्ष के रूप में विक्रम संवत 2078 की शुरुआत हो रही है और इस शुरुआत के साथ ही एक विलक्षण संयोग भी जुड़ रहा है। 90 सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि संवत्सर प्रतिपदा और विषुवत सक्रांति दोनों एक ही दिन 13 अप्रैल को हो रही है। नया संवत्सर वृषभ लग्न और रेवती नक्षत्र में शुरू होने वाला है। संयोग से आजाद भारत की कुंडली भी वृषभ लग्न की है जिसमें राहु विराजमान है। इस बार अमावस्या और नव संवत्सर के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों मीन राशि में ठीक एक ही अंश पर रहने वाले हैं यानी मीन राशि में ही नया चंद्रमा उदय हो जाएगा। वृषभ राशि शुक्र की राशि है और इस राशि में मंगल और राहु दोनों ही मौजूद रहेंगे। क्योंकि मंगलवार से नए संवत्सर की शुरुआत हो रही है जिस वजह से मंगल ग्रह इस वर्ष के राजा व मंत्री होंगे। यानि इस साल की कमान मंगल के हाथ में रहेगी ।

13 अप्रैल, से इस वर्ष के चैत्र नवरात्रि का प्रांरभ होना जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म में चैत्र मास में पड़ने वाले नवरात्रों के 9 दिनों का अधिक महत्व है। इस दौरान देवी दुर्गा के साथ-साथ इनके विभिन्न 9 रूपों की भी आराधना की जाती है।

13 अप्रैल 2021 यानि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं। सनातन धर्म में इन 9 दिनों का आदि महत्व होता है। पूरे नौ दिन देवी मां के मंदिरों से लेकर घर भी माता के आगमन के लिए खूब साज सजावत करते हैं।

राजा, मंत्री और वर्षा इन तीनों का अधिकार मंगल के पास है

वर्ष का राजा व मंत्री का पदभार स्वयं भौम देव संभाले हुए है। भौम देव की उग्रतापूर्ण दशा में और राक्षस नाम संवत्सर होने से जनमानस उग्रता के साथ दानव सी प्रवृत्ति का आचरण दिखाई देगा। इस संवत्सर वर्ष में विद्वता, भय, उग्रता, राक्षसी प्रवृत्ति लोगों में पाई जाएगी। संक्रामक रोगों से संपूर्ण देश प्रभावित रहेगा।

संवत्सर के पहले हिस्से को हम ब्रम्हा जी से जोड़ते हैं. इसे ब्रम्हविंशति कहते हैं. दूसरे भाग को विष्णुविंशति कहते हैं और इसके अंतिम भाग को शिवविंशति कहते हैं. संवत्सर यानी हिंदू वर्ष, प्रत्येक वर्ष का अलग-अलग नाम होता है. शास्त्रों के अनुसार, 2078 संवत्सर का नाम आनंद होगा. इसके प्रभाव से आपके जीवन में आनंद आएगा. महामारी का प्रकोप कम पड़ जाएगा. इस संवत्सर के स्वामी भग देवता हैं. इनके आगमन से लोगों के बीच खुशियां आती हैं. 13 अप्रैल को मंगलवार का दिन है और इसी दिन से प्रतिप्रदा भी इसी दिन से है तो इस संवत्सर का राजा मंगल होगा. वृषभ राशि में मंगल और राहु दोनों ही मौजूद रहेंगे. राजा, मंत्री और वर्षा इन तीनों का अधिकार मंगल के पास है. 2078 का संवत वर्ष कहता है कि इस साल बहुत ज्यादा गर्मी पड़ने वाली है, बरसात थोड़ी कम होगी. इस बार वित्त का अधिकार भी बृहस्पति के पास है तो पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.   

पूजा में ज़रूर करें इन फूलों का प्रयोग करें – सनातन धर्म के शास्त्रों में अच्छे से बताया गया है कि देवी दुर्गा की पूजा में मोगरा और पारजिात के फूलों का इस्तेमाल करना अच्छा व लाभदायक माना जाता है। इसके अलावा देवी लक्ष्मी को पूजा में गुलाब और स्थलकमल, मां शारदा की पूजा में रातरानी के पुष्प एवं माता वैष्णों देवी की पूजा में रजनीगंधा नामक फूल चढ़ाए जाते हैं।

मंगल को कड़े फैसले लेने वाला ग्रह भी माना जाता है। इसे क्रूर ग्रह की संज्ञा भी दी जाती है। नव संवत्सर की कुंडली में लग्न में मंगल और राहु दो क्रूर ग्रहों का एक साथ कंबीनेशन बनाना कई बार थोड़ी उथल पुथल व ऐतिहासिक बदलाव भी लेकर आता है। कई दशकों के बाद ऐसा संयोग बनने जा रहा है जब वर्ष के राजा और मंत्री का पद मंगल जैसे ग्रह को मिलेगा, जिन नवग्रहों में सेनापति भी कहा जाता है। और मंगल हमेशा कड़क फैसले देता है व विरोध की परवाह नहीं करता। चंद्रदेव इस वर्ष के सेनापति होंगे । देव गुरु बृहस्पति इस बार वित्त मंत्री होंगे और बुध इस बार कृषि मंत्री होंगे।

मंगल ग्रह के इस वर्ष के राजा वा मंत्री होने से भूमि का कारोबार यानी रियल स्टेट से जुड़े लोगों को फायदा होगा और देश की सेना ताकत भी बढ़ेगी। चंद्रदेव के सेनापति होने से विज्ञान साहित्य व खेल जगत से जुड़े लोगों को कई उपलब्धियां हासिल होंगी। देव गुरु बृहस्पति द्वारा वित्त मंत्री की कमान संभालने पर बिज़नस में प्रगति होगी और लोगों का धार्मिक कार्यों की ओर भी रुझान बढ़ेगा।बुध के कृषि मंत्री होने से इस साल अच्छी बारिश व अच्छी फसल होने की संभावना है।

नए संवत्सर के राजा मंगल ग्रह , गोचर में मिथुन राशि पर रहेंगे। यहां से वह चौथी दृष्टि से कन्या राशि को देखेंगे सातवीं दृष्टि से धनु राशि को देखेंगे और आठवीं दृष्टि से मकर राशि को देखेंगे। मकर राशि भले ही मंगल की उच्च राशि है लेकिन पूरा साल यहां पर शनि विराजमान रहने वाले हैं लिहाजा इस दृष्टि से मंगल का शनि से षडाष्टक संबंध भी बनेगा।

संवत्सर का मतलब 12 महीने की काल अवधि है। सूर्य सिद्धांत के अनुसार संवत्सर बृहस्पति ग्रह के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं बृहस्पति हर 12 साल में सूर्य का एक चक्कर पूरा करता है। शास्त्रों में कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं और इन 60 संवत्सर यानी कि 60 सालों के 3 हिस्से होते हैं। संवत्सर के पहले हिस्से को हम ब्रह्माजी से जोड़ते हैं। इसे ब्रह्मविशती कहते हैं दूसरे भाग को विष्णु विंशति और तीसरे व अंतिम भाग को शिव विंशति कहते हैं। संवत्सर का न केवल पौराणिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है। ब्रह्मपुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मा जी ने इसी तिथि को सूर्योदय के समय सृष्टि की रचना की थी , वहीं भारत के महान सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के संवत्सर का भी यहीं से आरंभ माना जाता है।

ज्योतिषाचार्यो के अनुसार मंगल क्रूर है और युद्ध का देवता भी है. तो इस संवत वर्ष दुर्घटना, विनाश, हिंसा, भूकंप पुलिस और एयरफोर्स बहुत ज्यादा  पुलिस और एयरफोर्स बहुत ज्यादा प्रभावशाली हो जाएंगे. इस साल आगजनी की संभावना बढ़ जाएगी. शल्य चिकित्सा आधुनिक हो जाएगी. इस साल दुर्घटनाओं के मामले बहुत  बढ़ जाएंगे. इस साल सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिलेगी. प्राकृतिक आपदाएं बहुत आएंगी. इस संवत वर्ष में आंधी-तूफान बहुत आएंगे लेकिन बारिश बहुत   कम होगी.   

13 अप्रैल को शुरू हो रहे नवसंत्सर के दिन रात को 2 बजकर 32 मिनट पर सूर्य मेष राशि में आ जाएंगे. सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही मेष संक्रांति शुरू  हो जाएगी. ये साल की सबसे बड़ी संक्रांति मानी जाती है. संवत्सर प्रतिपदा और मेष संक्राति एक ही दिन पड़ रही है. ये संयोग 90 साल के बाद बन रहा है.   कुछ विद्वानों का कहना है 13 अप्रैल से शुरू होने वाला संवत वर्ष आनंद नाम से ही जाना जाएगा. इस साल हर्ष और उल्लास बढ़ेगा.

वहीं निर्णय सिंधू शास्त्र के अनुसार, संवत 2078 राक्षस नाम से जाना जाएगा. निर्णय सिंधू के अनुसार ये सवंत 89वां संवत है और इसे अपूर्ण संवत के नाम से जाना जाएगा. प्रमादि संवत्सर अपना पूरा वर्ष व्यतीत नहीं कर रहा है. इसलिए 90वें वर्ष में पड़ने वाला संवत्सर यानी की अगला संवत्सर विलुप्त हो जाएगा.   निर्णय सिंधू के अनुसार वर्तमान में इस बार विचित्र संयोग बन रहा है. ये 90 साल बाद हो रहा है कि एक संवत पूरी तरह विलुप्त रहेगा. इससे रोग, भय और राक्षस  प्रवृत्ति बढ़ेगी और लोगों में अपराध करने की क्षमता ज्यादा आ जाएगी.    

13 अप्रैल को विक्रम संवत 2078 से आनन्द नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। जैसा कि नाम से ही विदित है कि इस संवत्सर में जनता में आनन्द की व्याप्ति होगी। इसके मतलब यह कि अप्रैल से महामारी का प्रकोप भी समाप्त होगा और फिर से आनंद करने के बेखौफ घूमने-फिरने के दिन लौट आएंगे। इस संवत्सर का स्वामी भग देवता और इस संवत्सर के आने पर विश्व में जनता में सर्वत्र सुख व आनन्द रहता है।

मंगलवार से प्रारंभ हो रही प्रतिपदा के कारण इस संवत का राजा क्रूर ग्रह मंगल होगा। मंगल दंगल भी कराता है और मंगल भी करता है। इस संवत की ग्रह परिषद में छः पद क्रूर ग्रहों के पास है और 4 पद सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। महाक्रूर शनि के कोई पद नहीं है परंतु पूरे वर्ष वह मकर राशि में रहेंगे।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह अंतिम माह होता है इसके बाद चैत्र माह का प्रारंभ हो जाता है। इस बार चैत्र माह का प्रारंभ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 29 मार्च 2021 को प्रारंभ हो गया है। माह की शुरुआत तो कृष्ण पक्ष एक से ही 29 मार्च को प्रारंभ हो गई। परंतु प्रतिपदा से नववर्ष प्रारंभ होने के कारण 13 अप्रैल 2021 से बड़ी नवरात्रि प्रारंभ होगी और इसी दिन गुड़ी पड़वा भी है। तभी से विक्रम संवत 2078 भी प्रारंभ हो जाएगा। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं।

21 अप्रैल को रामनवमी पर्व मनाया जाएगा। इसके अगले ही दिन यानी 22 अप्रैल से शादियों की शुरुआत हो रही है। इस दिन साल का दूसरा और महीने का पहला विवाह मुहूर्त रहेगा। 14 अप्रैल को खरमास खत्म होने और 17 को शुक्र ग्रह के उदय होने के बाद इस साल शादियों के लिए 50 मुहूर्त रहेंगे, जिनमें अक्षय तृतीया और देवउठनी एकादशी के अबूझ मुहूर्त भी शामिल हैं। अप्रैल से शुरू हो रहा शादियों का दौर 15 जुलाई तक रहेगा। इसके बाद चातुर्मास लगने से मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाएंगे।

15 नवंबर को कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की देवात्थान यानी देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएगें। मई और जून में इस साल विवाह के लिए ज्यादा मुहूर्त हैं।

अप्रैल से जुलाई तक शादियों के लिए कुल 37 मुहूर्त रहेंगे। इनमें पहला 22 अप्रैल को फिर 24 से 30 अप्रैल तक हर दिन विवाह मुहूर्त रहेगा। अगले महीने यानी मई में शादियों के लिए सबसे ज्यादा 15 दिन मिलेंगे। फिर जून में 9 और जुलाई में 5 दिन विवाह मुहूर्त हैं। इनमें 15 जुलाई को आखिरी मुहूर्त रहेगा। क्योंकि 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी से शादियों पर रोक लग जाएगी।

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