14 मई कालभैरव और मां दुर्गा पूजन दिवस ;13 मई से 25 जून सितारो की उथल पुथल का समय- राशियो पर असर

High Light#14 मई को सूर्य राशि बदलकर वृष में आ जाएगा।  :14 मई कालभैरव और मां दुर्गा पूजन दिवस :एकादशी तिथि प्रारंभ- 17 मई को दोपहर 12:44 बजे # 13 मई से 25 जून तक वृष राशि में शुक्र ग्रह वक्री रहेगा। जिसके के कारण तुला, वृश्चिक और कुंभ राशि वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शुक्र खुद की ही राशि में है। इसलिए शुक्र की इस स्थिति से 9 राशियों के लिए समय ठीक रहेगा। 

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शास्त्रों में हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि विशेष होती है। इस तिथि पर कालाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। कालाष्टमी पर भगवान शिव के अवतार काल भैरव की पूजा की जाती है। कालाष्टमी के  दिन मां दुर्गा की भी पूजा होती है। इस बार कालाष्टमी का व्रत 14 मई को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने पापियों का विनाश करने के लिए अपना रौद्र रूप धारण किया था। बात अगर पौराणिक मान्यताओं की करें तो भगवान शिव के दो रूप बताए जाते हैं, बटुक भैरव और काल भैरव। 

कालाष्टमी के अवसर पर कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दिन उपासना के लिए अर्धरात्रि का पहर पूजा करने के लिए बढ़िया माना गया है। कालाष्टमी के दिन कुत्ते को भोजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कथा का आयोजन किया जाना चाहिए। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव के मंदिर में जाकर सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, चिरौंजी, पुए और जलेबी चढ़ाकर भक्ति भाव से पूजन करें।

13 मई से 25 जून तक वृष राशि में शुक्र ग्रह वक्री रहेगा। जिसके के कारण तुला, वृश्चिक और कुंभ राशि वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शुक्र खुद की ही राशि में है। इसलिए शुक्र की इस स्थिति से 9 राशियों के लिए समय ठीक रहेगा।   12 राशियों पर शुक्र का शुभ-अशुभ फल

मेष – शुक्र के वक्री हो जाने से इनकम और सेविंग बढ़ सकती है। इसके अलावा लेन-देन में फायदा भी होगा। शुक्र के कारण रोजमर्रा के कामों से पैसा मिलता रहेगा। जीवनसाथी पर पैसा खर्चा हो सकता है। फिर भी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। सुख-सुविधाएं बढ़ सकती हैं। नए इनकम सोर्स भी मिल सकते हैं। आप अच्छा बोलकर अपने काम पूरे करवा सकते हैं। 

वृष – आपकी ही राशि का स्वामी शुक्र है। इसकी चाल में बदलाव होने से रोजमर्रा के काम समय से पूरे होंगे। उनसे फायदा मिलेगा। पुरानी बीमारी खत्म होगी। विवादों में जीत मिल सकती है। वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होंगी। आपका आकर्षण बढ़ सकता है। धन लाभ हो सकता है। साझेदारी के बिजनेस में फायदा मिल सकता है।

मिथुन – शुक्र के प्रभाव से नई योजनाएं बनेंगी। लेन-देन और निवेश संबंधी मामलों पर विचार होगा। इनमें आपको फायदा भी मिल सकता है। सुख-सुविधा बढ़ सकती है। विपरित वालों से मदद मिल सकती है। इन दिनों में खर्चा तो होगा लेकिन इनकम भी बढ़ने की संभावना है। जीवनसाथी से सुख मिलेगा।

कर्क – शुक्र की चाल में बदलाव होने से आपका सुख बढ़ सकता है। प्रॉपर्टी के मामलों में फायदा मिलेगा। लेन-देन और निवेश संबंधी नई योजनाएं बनेंगी और उन पर काम भी होगा। जिनसे आने वाले दिनों में आपको फायदा मिलेगा। परिवार वालों की सेहत को लेकर थोड़ी चिंता जरूर रहेगी, लेकिन आपके लिए समय अच्छा रहेगा।

सिंह – इस राशि के नौकरीपेशा और बिजनेस करने वाले लोगों के लिए समय अच्छा रहेगा। किसी तरह की चल या अचल संपत्ति बेचना चाह रहे हैं तो उसमें फायदा मिल सकता है। माता की सेहत को लेकर चिंता बनी रहेगी। सुख-सुविधाओं की चीजों पर पैसा खर्चा हो सकता है। भाइयों, दोस्तों और साथ काम करने वाले लोगों से मदद मिल सकती है। नौकरी और बिजनेस में किए गए कामों का फायदा आने वाले दिनों में मिल सकता है।

कन्या – शुक्र के प्रभाव से आपकी सेविंग बढ़ेगी। धन लाभ होने के योग बन रहे हैं। इन दिनों में भाइयों, दोस्तों और साथ काम करने वालों से मदद मिल सकती है। अपोजिट जेंडर वाले लोगों की मदद से फायदा हो सकता है। मेहनत का फायदा मिलेगा। लव लाइफ के लिए समय अच्छा रहेगा। पुराने कामों का फायदा भी इन दिनों में मिल सकता है।  

तुला – शुक्र के वक्री होने से आपको संभलकर रहना होगा। इसके प्रभाव से खर्चा बढ़ सकता है और आपकी सेविंग खत्म हो सकती है। आपकी गुप्त बातें सार्वजनिक होने की संभावना है। नौकरी और बिजनेस में परेशानी वाला समय रहेगा। सेहत के लिए समय ठीक नहीं है। कमर से निचले हिस्सों में कोई परेशानी भी हो सकती है। इन दिनों में आपको सोच-समझकर बोलना होगा। आपकी बातों का गलत मतलब भी निकाला जा सकता है।  

वृश्चिक – वक्री शुक्र के प्रभाव से ये समय आपके शादीशुदा जीवन के लिए ठीक नहीं है। इस दौरान जीवनसाथी से मतभेद या अनबन हो सकती है। लेन-देन के मामलों में सावधान रहना होगा। लाइफ पार्टनर का पैसा उलझ सकता है। दूर स्थान पर रहने वाले लोगों से मतभेद होने की संभावना है। रोजमर्रा के कामों में देरी हो सकती है। सेहत को लेकर सावधान रहना होगा।

धनु – इन दिनों में सेहत संबंधी मामलों को लेकर सावधान रहना होगा, लेकिन आर्थिक मामलों में समय अच्छा रहेगा। शुक्र के कारण यात्रा से सेहत खराब हो सकती है। नौकरीपेशा और बिजनेस करने वाले लोगों को फायदा हो सकता है। अपोजिट जेंडर वाले लोगों के साथ समय बीतेगा। ननिहाल पक्ष से जुड़ आर्थिक मामले सामने आ सकते हैं। दुश्मनों पर जीत मिल सकती है।

मकर – शुक्र के वक्री हो जाने से खर्चा बढ़ सकता है। नौकरीपेशा और बिजनेस करने वाले लोग नए कामों की योजनाएं बनाएंगे। संतान संबंधी मामलों में समय शुभ रहेगा। संतान के साथ समय बीतेगा। इन दिनों में पुराने निवेश से फायदा तो मिलेगा, लेकिन उम्मीद से कम। शुक्र के प्रभाव से अपोजिट जेंडर वाले लोग योजनाएं बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं।

कुंभ – शुक्र के कारण आपके सुख में कमी आ सकती है। खर्चा बढ़ सकता है। माता की सेहत को लेकर लगातार चिंता बनी रह सकती है। इन दिनों में किसी से कर्जा लेना पड़ सकता है। नौकरी और बिजनेस में पैसा लगाना पड़ सकता है। पैसा लगाने के बाद भी फायदा कम ही मिल पाएगा। धार्मिक कामों और सजावटी चीजों में पैसा खर्चा हो सकता है।

मीन – शुक्र की टेढ़ी चाल से आपको मेहनत का फायदा मिल सकता है। भाइयों, दोस्तों और साथ काम करने वाले लोगों से मदद मिल सकती है। कई मामलों में आपको किस्मत का साथ भी मिलेगा। इन दिनों में नौकरी और बिजनेस से जुड़े नए ऑफर भी आपको मिल सकते हैं।

13 मई को वृष और तुला राशि का स्वामी शुक्र अपनी ही वृष राशि में वक्री हो रहा है। 14 मई को गुरु ग्रह भी मकर राशि में वक्री होगा। इसी दिन सूर्य का राशि परिवर्तन है। सूर्य मेष राशि से वृष राशि में प्रवेश करेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ग्रहों की दशा बदलने से कुछ लोगों के लिए परिस्थितियां बदलने वाली हैं।  कैसा रहेगा इन ग्रहों का असर मेष, कर्क, तुला, मकर, कुंभ के लिए आने वाले दिनों में सकारात्मकता बढ़ सकती है। वृष, कन्या, वृश्चिक राशि के लोगों के लिए सावधान रहने का समय रहेगा। इन लोगों की छोटी सी लापरवाही भी नुकसानदायक हो सकती है। मिथुन, सिंह, धनु, मीन राशि के लिए सामान्य स्थितियां रह सकती हैं। ये लोग जितनी मेहनत करेंगे, उतना ही फल प्राप्त कर पाएंगे। गलतियों की वजह से नुकसान भी हो सकता है।

14 मई को सूर्य राशि बदलकर वृष में आ जाएगा

14 मई को सूर्य राशि बदलकर वृष में आ जाएगा। इस दिन वृष संक्रांति मनाई जाती है। संक्रांति पर्व पर स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान कर के सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन कोरोना के चलते नदियों में स्नान करने से बचना चाहिए और घर पर ही पानी में गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों का जल मिलकार नहा लेना चाहिए। वृष संक्रांति पर पानी में तिल डालकर नहाने से बीमारियां दूर होती हैं और लंबी उम्र मिलती है। 

क्या होती है संक्रांति
सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहा जाता है। 12 राशियां होने से सालभर में 12 संक्रांति पर्व मनाए जाते हैं। यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर महीने के बीच में सूर्य राशि बदलता है। सूर्य के राशि बदलने से मौसम में भी बदलाव होने लगते हैं। इसके साथ ही हर संक्रांति पर पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और दान किया जाता है। वहीं धनु और मीन संक्रांति के कारण मलमास और खरमास शुरू हो जाते हैं। इसलिए एक महीने तक मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

वृषभ सक्रांति का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार 14 या 15 मई को वृष संक्रांति पर्व मनाया जाता है। सूर्य की चाल के अनुसार इसकी तारीख बदलती रहती है। इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि छोड़कर वृष में प्रवेश करता है। जो कि 12 में से दूसरे नंबर की राशि है। वृष संक्रांति ज्येष्ठ महीने में आती है। इस महीने में ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है और नौ दिन तक गर्मी बढ़ाता है। जिसे नवतपा भी कहा जाता है। वृष संक्रांति में ही ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर रहती है। इसलिए इस दौरान अन्न और जल दान का विशेष महत्व है।

एकादशी तिथि प्रारंभ- 17 मई को दोपहर 12:44 बजे

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार अपरा एकादशी 18 मई को पड़ रही है. अपरा एकादशी पर विष्णु भगवान की पूजा अर्चना का भी अपना अलग महत्व होता है. अपरा एकादशी पर श्रद्धालु पूरा दिन व्रत रहकर शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं जिससे उनको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि अपनी गलतियों की क्षमा प्राप्ति के लिए अपरा एकादशी पर विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान विष्णु की कृपा अवश्य मिलती है.

अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ- 17 मई को दोपहर 12:44 बजे एकादशी तिथि समाप्त- 18 मई को दोपहर 15:08 बजे तक अपरा एकादशी पारणा मुहूर्त- 19 मई को प्रातः 05:27:52 से 08:11:49 बजे तक

अपरा एकादशी की पूजा विधि

– अपरा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा एक दिन पहले दशमी तिथि की रात्रि से ही शुरू हो जाती है. – दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए. – सुबह सूर्योदय से पहले उठें और अपने स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन कर विष्णु भगवान का ध्यान करना चाहिए. – पूर्व दिशा की तरफ एक पटरे पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करें. इसके बाद धूप दीप जलाएं और कलश स्थापित करें.

– भगवान विष्णु को अपने सामर्थ्य के अनुसार फल-फूल, पान, सुपारी, नारियल, लौंग आदि अर्पण करें और स्वयं भी पीले आसन पर बैठ जाएं. अपने दाएं हाथ में जल लेकर अपनी मुश्किलों को खत्म करने की प्रार्थना भगवान विष्णु से करें. – पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय अपरा एकादशी की व्रत कथा सुनें और फलाहार करें. – शाम के समय भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एक गाय के घी का दीपक जलाएं. अपरा एकादशी के दिन बरतें ये सावधानियां – अपरा एकादशी के दिन देर तक ना सोएं. – घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं. – एकादशी की पूजा पाठ करते समय साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही पूजा करें. – अपरा एकादशी का व्रत विधान करते समय परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें.

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