भारत ने सूरज की ओर छलांग लगा दी ,अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से आदित्य एल1 लॉन्च Top News 2 Sep 23

Dt 2 Sep 2023#भारत ने सूरज की ओर छलांग लगा दी  #अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से आदित्य एल1 को लॉन्च # भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च# By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे

चंद्रयान-3 के बाद इसरो ने एक और इतिहास रचने के लिए पहला कदम बढ़ा लिया है. इसरो ने मिशन आदित्य एल-1 लांच कर दिया है. इसके बाद भारत की तरफ रूख करने वाला चौथा देश बन गया है. आदित्य एल-1 को लांच होते ही PSLV-XL सीरीज की यह 25वीं अंतरिक्ष उड़ान है. आदित्य एल-1 की लॉचिंग PSLV-C57 के जरिए की गई.

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च करके इतिहास रच दिया है. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से आदित्य एल1 को लॉन्च कर दिया गया है. मिशन के पेलोड्स को भारत के कई संस्थानों ने मिलकर तैयार किए. आदित्य एल-1 को डीप स्पेस में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (EAS) भी ग्राउंड सपोर्ट देगा. दरअसल गहरे अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान की सिग्नल काफी कमजोर हो जाती है, इसके लिए कई एजेंसियों की मदद लेनी होती है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन के दौरान भी इसरो को ग्राउंड सपोर्ट दिया था. 

इसरो के आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को कवर करने वाला पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलते ही अलग हो गया है. फिलहाल इसरो के अनुसार तीसरा चरण अलग कर दिया गया है. सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है. 

भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में अगला विलक्षण कदम रख दिया है. अब सूरज की बारी है. ये देश का पहला ऐसा अंतरिक्ष मिशन है जो सूर्य की रिसर्च से जुड़ा हुआ है. पहला फेज, PSLV रॉकेट की लॉन्चिंग थी. पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल यानि PSLV से सैटेलाइट लॉन्च किया गया. इसे पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाया जाएगा. दूसरा फेज होगा पृथ्वी के चारों ओर आदित्य L-1 की ऑर्बिट को सिलसिलेवार बढ़ाना और सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकालना. तीसरा फेज होगा सूर्ययान को पृथ्वी के ग्रैविटी से बाहर निकालना. इसके बाद आखिरी पड़ाव यानी L1 में सैटेलाइट स्थापित की जाएगी. आदित्य L1 का काम पृथ्वी से निकलकर लैग्रैंज प्वाइंट तक पहुंचना है और इस प्रक्रिया में 125 दिन यानी करीब 4 महीने का वक्त लगेगा.

इसरो के सौर मिशन आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं.  आदित्य L1 मिशन का काम सूर्य के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करना होगा. इससे सूरज की बाहरी परत की जानकारियां जुटाई जाएंगी. आदित्य L1 एक सैटेलाइट है. जिसे 15 लाख किलोमीटर दूर भेजा गया है. सैटेलाइट को L1 यानि लैग्रेंज प्वाइंट 1 में स्थापित करना है. बिना ग्रैविटी वाले क्षेत्र को ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ कहते हैं. इसी L1 प्वाइंट पर आदित्य L1 सूर्य के चक्कर लगाएगा. क्योंकि L1 प्वाइंट से सैटेलाइट पर सूर्य ग्रहण का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा.

जहां इस उपग्रह को स्थापित किया जाएगा वह गुरुत्वाकर्षण से बाहर का क्षेत्र होगा वहां उसे न सूरज अपनी तरफ खींचेंगा न पृथ्वी. भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य L1 एक खिड़की की तरह सूरज के रहस्य खोलेगा और उसी खिड़की से सूरज की जानकारियां हमतक पहुंचाएगा.  लॉन्चिंग से लेकर ऑर्बिट इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया में तीन चरण होंगे.

सूर्य पृथ्वी से लगभग 100 गुना और सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से लगभग 10 गुना अधिक चौड़ा है. नासा के मुताबिक, सूर्य के भीतर लगभग 13 लाख पृथ्वी समा सकती है. सूर्य हमारे सौर मंडल का एकमात्र तारा है. यह हमारे सौरमंडल का केंद्र है और इसका गुरुत्वाकर्षण सौरमंडल को एक साथ बांधे रखता है. हमारे सौर मंडल में सब कुछ इसके चारों ओर घूमता है, जैसे ग्रह, छोटे ग्रह(एस्टेरॉयड), धूमकेतु(पत्थर, धूल, बर्फ़ और गैस के बने होते हैं).  हमारे ग्रह पृथ्वी पर दिन और रात सूर्य की वजह से होती है, लेकिन सूर्य का दिन कितने देर का होता है? दरअसल सूर्य का दिन उसके एक चक्कर लगाने को कहते हैं, पृथ्वी पर भी ऐसा ही होता है, जब पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाती है, तब एक दिन पूरा होता है. लेकिन सूर्य पर दिन कितने देर का होता है ये मापना जटिल है, क्योंकि पृथ्वी की तरह एक ठोस आकार की तरह नहीं घूमती है. धरती से हमें सूर्य को जो हिस्सा दिखता है उसे फोटोस्फीयर कहते हैं. ये पूरा हिस्सा धरती को रोशनी देता है, जिस वजह से यहां जीवन संभव है. 

सूर्य मंडल में लगभग सभी ग्रहों के अपने चांद होते हैं, कुछ ग्रहों के कई चांद होते हैं जो उसका चक्कर काटते हैं. पृथ्वी का भी चांद है, जहां इसरो ने मिशन भेजा. लेकिन सूर्य का कोई चांद नहीं है, लेकिन आठ ग्रह और करोड़ों धूमकेतु इसका चक्कर काटते हैं. 

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