UK; निःशुल्क जडी-बूटी बीज पौध उपलब्ध कराने का निर्णय

जड़ी बूटी खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषकों को 5 नाली के स्थान पर 10 नाली तक निःशुल्क जडी-बूटी बीज पौध उपलब्ध कराने का निर्णय

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देहरादून 10 नवम्बर, 2017(मी0से0)
शुक्रवार को रिंग रोड स्थित किसान भवन में राज्य औषधीय पादप बोर्ड एवं उत्तराखण्ड जड़ी बूटी शोध संस्थान, गोपेश्वर द्वारा ‘‘उच्च शिखरीय औषधीय एवं सगन्ध पादपों के संरक्षण एवं समग्र विकास’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा किया गया।

कृषि एवं उद्यान मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि जड़ी बूटी कृषिकरण को प्रोत्साहित किया जाय। इस क्षेत्र को प्रदेश की आर्थिकी से जोड़ा जाय। उन्होंने कहा कि पलायन को रोकने में जड़ी बूटी कृषिकरण क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, आवश्यकता है इसके लिए जनजागरण करने की। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि इस क्षेत्र से अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ा जाय। उद्यान मंत्री ने कहा कि राज्य को हर्बल राज्य बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषि एवं उद्यान मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि जड़ी बूटी कृषिकरण को प्रोत्साहित किया जाय। इस क्षेत्र को प्रदेश की आर्थिकी से जोड़ा जाय। उन्होंने कहा कि पलायन को रोकने में जड़ी बूटी कृषिकरण क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, आवश्यकता है इसके लिए जनजागरण करने की। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि इस क्षेत्र से अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ा जाय। उद्यान मंत्री ने कहा कि राज्य को हर्बल राज्य बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
उद्यान मंत्री ने कहा कि जड़ी बूटी एवं सगन्ध पौध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक रोजगारपरक नीति तैयार करने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है, इसके लिए आगामी जनवरी, 2018 में एक वृहद सेमिनार का आयोजन किया जायेगा, जिसमें संबंधित विभागों के विभागाध्यक्ष, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं किसान शामिल होंगे और अपने सुझाव सरकार को देंगे। इन सुझाव के आधार पर एक नीति का प्रारूप तैयार किया जायेगा। उद्यान मंत्री श्री उनियाल ने कहा कि जड़ी बूटी खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषकों को 5 नाली के स्थान पर 10 नाली तक निःशुल्क जडी-बूटी बीज पौध उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। विभाग को यह भी निर्देश दिये गये है कि 25 हजार नये काश्तकार जोड़ जाय। राज्य में कृषिकरण को बढावा देने के लिए 28 प्रजातियों का चयन किया गया है, जिनमें अतीस, कुटकी, सतवा, कूठ, जम्बू, गन्धरायण, तेजपात, सर्पगंधा, सतावर, तुलसी एंव बडी इलायची आदि प्रजातियां मुख्य हैं। इनके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित करने का निर्णय लिया गया है। श्री उनियाल ने कहा कि हमारा प्रयास है कि अनुसंधान का लाभ काश्तकारों तक पहुंचे। राज्य सरकार किसानों की सुविधा के लिए जगह-जगह कलैक्शन सेंटर और कोल्ड स्टोरेज भी स्थापित करने जा रही है।

उद्यान मंत्री ने कहा कि राज्य में औषधीय एवं सगन्ध पादपों के समग्र विकास की कई योजनाएं संचालित की जा रही है, जिसमें मुख्य मंत्री संकुल विकास योजना एवं अटल जड़ी-बूटी विकास योजना का सफल संचालन किया जा रहा है। इस योजना के अन्र्तगत राज्य के उच्च शिखरीय क्षेत्रों में आगामी 05 वर्षों में 1,000 है0 भूमि में कुटकी का कृषिकरण सुनिश्चित किया जायेगा। वर्तमान में राज्य में 25,000 से अधिक कृषक औषधीय एवं सगन्ध पादपों का कृषिकरण कर रहे हैं तथा 14,700 हैक्टेयर भूमि पर कृषिकरण किया जा रहा है तथा भविष्य में औषधीय एवं सगन्ध पादपों के कृषिकरण से पलायन रोकने एवं कृषकों की आय दुगना करने की योजना है। उत्तराखण्ड राज्य से ग्राम माला, जनपद पौड़ी, ग्राम वीरपुर खुर्द जनपद देहरादून तथा ग्राम डगोरी जनपद उत्तरकाशी को गंगा ग्राम में सम्मिलित किया गया है, जिसके अन्र्तगत जड़ी-बूटियों के विकास की योजनाओं के साथ-साथ इन गाँवों के समग्र विकास की योजनाये प्रदेश व देश स्तर पर तैयार की जा रही है।
इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं पद्म श्री प्रो. ए.एन.पुरोहित ने कहा कि राज्य सरकार को जड़ी बूटी खेती को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस एवं कारगर नीति तैयार करनी चाहिए। काश्तकारों की समस्याओं को समझते हुए उसका समाधान करना होगा। श्री पुरोहित ने कहा कि उत्तराखण्ड में जड़ी बूटी खेती की अपार संभावनाएं है। इसके लिए राज्य सरकार को ठोस कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि काश्तकारों को उनकी उपज का सही मूल्य उनके घर के पास ही मिलना चाहिए, इसके लिए विपणन हेतु बेहतर प्रबंधन करना होगा। गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाना होगा। साथ ही राज्य सरकार अपना लैंड बैंक तैयार करे।
इस अवसर पर अपर सचिव कृषि एवं उद्यान मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड़ अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण जैव विविधता के साथ-साथ औषधीय एवं सगन्ध पौधों में पूर्व से ही अत्याधिक सम्पन्न रहा है। राज्य में औषधीय एवं सगन्ध पादपों के समग्र विकास हेतु कई संस्थायें, संस्थान एवं विभाग कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में 38 चयनित प्रजातियों का कृषिकरण किया जा रहा है, वित्तीय वर्ष 2017-18 में अबतक प्रदेश में कुल 227 है0 क्षेत्रफल में जडी-बूटी कृषिकरण कराया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में अबतक कुल 1000 कृषकों का पंजीकरण किया जा चुका है। कृषिकरण हेतु चिन्हित 26 प्रजातियों के कृषिकरण पर 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है। प्रत्येक प्रजाति पर अधिकतम देय अनुदान धनराशि रू0 1.00 लाख है। जनपद बागेश्वर के कपकोट एवं जनपद टिहरी के मुखेम में दो उपकेन्द्रों की स्थापना की गयी है। जिनमें सम्बन्धित जनपदों के कृषिकरण, पंजीकरण एवं फील्ड कार्यो का सम्पादन किया जा रहा है।

कार्यशाला में प्रदेश भर आये काश्तकारों द्वारा भी अपने सुझाव एवं विचार प्रस्तुत किये गये। जिनमें धारचूला पिथौरागढ़ निवासी हिम्मत राम टम्टा, रमेश भट्ट अल्मोड़ा तथा धीरेन्द्र सिंह रावत पौड़ी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। उद्यान मंत्री श्री उनियाल द्वारा इस अवसर पर 13 सगन्ध पादप काश्तकार तथा 13 औषधीय पादप काश्तकारों को सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर स्मारिका भी विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में निदेशक उद्यान डाॅ. बी.एस.नेगी, प्रबंध निदेशक एस.टी.एस.लेप्चा आदि उपस्थित थे।

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