एम्स निदेशक के खिलाफ मुकदमा दर्ज- “ऊंट पर ही क्यों न बैठे हो, कुत्ता काट लेता है”
जब सितारे प्रतिकूल चलने लगते है तो ‘आप ऊंट पर ही क्यों न बैठे हो, कुत्ता काट लेता है’. एम्स निदेशक जब एम्स परिसर में राउंड पर चलते है तो लावलश्कर तथा एम्स के फोटोग्राफरो की फलेश लाइट में चलते है- भाग्य सदैव एक जैसा नहीं रहता
एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री रविकांत फिर विवादों में हैं, इसबार ऋषिकेश एम्स के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत पर फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज हुआ है। प्रो रविकांत पर खुद ही यूपी के मंत्री के लेटरपैड़ का इस्तेमाल कर फर्जी प्रशस्ति पत्र बनाने का आरोप लगा है, प्रो0 रविकांत के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत धारा 420, 467,468 और 471 में जिला लखनऊ के हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया है।
आरोप है कि एम्स निदेशक रविकांत ने उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना का फर्जी प्रशस्ति पत्र बनाया है, यही नही इस फर्जी प्रशस्ति पत्र में मंत्री का फर्जी लेटर पैड बनाकर भी इस्तेमाल किया गया है। मंत्री के लेटर पैड पर पार्टी का चुनाव चिन्ह “कमल” भी बना है, जबकि नियमानुसार भी मंत्री के लेटरपैड पर किसी भी पार्टी का चुनाव चिन्ह नहीं होता है। ऐसे में आरोप लगा है कि एम्स निदेशक रविकांत ने मंत्री के नाम और कमल के फूल के लेटर पैड वाले फर्जी प्रशस्ति पत्र को तैयार किया था।
मामला तब खुला जब ये प्रशस्ति पत्र को संसदीय कार्य व चिकित्सा मंत्री सुरेश खन्ना के पास पहुच गया, तो उन्होंने इसके फर्जी होने की बात कही व मंत्री के निजी सचिव ने रविकांत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत धारा 420, 467,468 और 471 में जिला लखनऊ के हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया। वैसे यह मुकदमा 4 मार्च को दर्ज हो गया था। जिसमें निदेशक पर आरोप लगे हैं कि इन्होंने मंत्री के फर्जी लेटर पैड और फर्जी हस्ताक्षर का प्रयोग करके खुद को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया है।
मंत्री के निजी सचिव ने निदेशक के खिलाफ लिखित शिकायत में उल्लेख किया है कि उस प्रशस्ति पत्र में जिस लेटर पैड का प्रयोग हुआ है। उसमें कमल का फूल बना है, जो मंत्री के ओरिजनल लेटर पैड पर कहीं नहीं है। वहीं मंत्री ने उस प्रशस्ति पत्र पर अपने फर्जी हस्ताक्षर पर निदेशक के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। वैसे ये पहली बार नही जब एम्स निदेशक ऐसे मामलो ंमें विवादों में हैं, एम्स ऋषिकेश में उनके आने के बाद से ही आउटसोर्सिंग नोकरियों में धांधलियां, पार्किंग शुल्क समेत कई मामलों में वो विवादित रहे हैं।
हमेशा से एक बात कही जाती है जब सितारे प्रतिकूल चलने लगते है तो ‘आप ऊंट पर ही क्यों न बैठे हो, कुत्ता काट लेता है’. ऊपरवाला हर किसी की किस्मत में कुछ न कुछ लिख कर ही उसे दुनिया में भेजता है, इन्ही में से कुछ व्यक्ति ऐसे होते है जिनकी किस्मत उन्हें बहुत कुछ देती है और वो अपनी ज़िन्दगी में बहुत कुछ कर जाते है, लेकिन उन्ही में से कुछ बेचारे ऐसे भी होते है जो चाहते तो है बहुत कुछ करना लेकिन उनकी किस्मत उन्हें वो काम नहीं करने देती है. इंसान का दिन अगर खराब होने शुरू हो गये तो फिर उसके ऊपर मुसीबत किसी भी समय और किसी भी रूप में आ सकती है भाग्य बड़ी चीज है उसके बिना कर्म करते-करते जिन्दगी बीत जाती है पर कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाती। कर्म और भाग्य में भाग्य बड़ा होता है, कर्म भी हम भाग्य अनुसार ही करते हैं। जब समय खराब हो तो ऊंट पर बैठे इंसान को भी कुत्ता काट लेता है। प्रत्येक व्यक्ति अच्छे और बुरे समय दोनों ही अपने जीवन काल में कभी ना कभी देखता है भाग्य लंगड़ा होता है जिसे कर्म की बैसाखी के सहारे चलाया जा सकता है । “कालक्रमेण जगत: परिवर्तमाना, चक्रारपँक्तिरिव गच्छति भाग्यपंक्ति” समय के साथ-साथ सँसार में परिवर्तन होतें रहतें हैं । हमारा भाग्य रथ या वाहन के उस पहिये के समान है जो कभी ऊपर तो कभी नीचे की तरफ झुकता है । अर्थात, भाग्य सदैव एक जैसा नहीं रहता ।
एम्स ऋषिकेश के डायरेक्टर और लखनऊ केजीएमयू के पूर्व वीसी रविकांत अब फर्जी प्रशस्ति पत्र के मामले में भी घिर गए है यूपी के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खंन्ना की ओर से हजरतगंज कोतवाली में जालसाज़ी पर एफआईआर कराई गयी है। 24 जनवरी को जारी फर्जी प्रशस्ति पत्र के जरिये प्रोफेसर रविकांत को सभी जांचों से क्लीनचिट देकर तारीफों के पुल बांधे गए थे। जबकि डॉक्टर रविकांत के ऊपर लगे आरोपों की जांच कमिश्नर लखनऊ कर रहे हैं इस फर्जीवाड़े का खुलासा भी प्रोफेसर रविकांत के सोशल मीडिया अकाउंट से हुआ। उन्होंने फेसबुक पर इस फर्जी कागज को अपलोड किया था। केजीएमयू में वीसी रहते डॉक्टर रविकांत के ऊपर करोड़ों के कई घोटालों समेत नियुक्तियों और डॉक्टरों के प्रमोशन में तमाम फर्जीवाड़ों के आरोप भी लगे थे। राजभवन से लेकर मुख्यमंत्री और शासन तक कई शिकायतें भेजी गयी थी इसके बावजूद सरकार ने प्रोफेसर रविकांत को एम्स ऋषिकेश का डायरेक्टर बना दिया
02 May 2019 को कार्यकाल के दौरान वह विवादित भी हुए, एम्स ऋषिकेश से निष्कासित एक जूनियर रेजिडेंट ने निदेशक रविकांत पर उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। हालांकि, निदेशक ने इसे उनकी प्रतिष्ठा खराब करने का प्रयास बताया है । निदेशक रविकांत ने कहा कि संस्थान की विशाखा समिति को उनके खिलाफ लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच सौंप दी गयी है। उन्होंने कहा कि ये आरोप महिला द्वारा उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने तथा पिछले साल नवंबर में उसे संस्थान से निकाले जाने का बदला लेने के लिये लगाये गये हैं । संस्थान के सीनियर रेजिडेंट शलभ अहलावत (हड्डी रोग विभाग) की पत्नी द्वारा निदेशक रविकांत से शिकायत की गयी थी कि जूनियर रेजिडेंट (दन्त विभाग) का उसके पति से नाजायज अफेयर चल रहा है । रविकांत ने कहा कि इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एम्स की प्रतिष्ठा को बचाने के लिये अहलावत और जूनियर रेजिडेंट दोनों को संस्थान से निकाल दिया गया था।
निदेशक ने कहा कि जूनियर रेजिडेंट के निष्कासन के बाद उसे वापस लिये जाने के लिये कई राजनीतिक दिग्गजों के फोन आये लेकिन वह किसी दवाब के आगे नहीं झुके । उन्होंने कहा, ‘संस्थान में वापस लिये जाने की प्रार्थना करते हुए उसने मुझे एक ई—मेल भी भेजा । जब उसे वापस नहीं लिया गया तो उसने मुझ पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। यह एक आधारहीन आरोप है और विशाखा समिति मुझे इसमें क्लीन चिट दे देगी।’
गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Hariwar Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Bureau Report.