राजस्थान सरकार की मुश्‍किले बढी- सुप्रीम कोर्ट नेे सुनवाई करने पर हामी भरी

अलवर में गोरक्षा के नाम पर भीड़ ने पीट-पीट कर अकबर नाम के व्यक्ति की जान ले ली. इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. भीड़ की हिंसा दिनों दिन डरा रही है और अगर इस हिंसा में पुलिस की लापरवाही भी शामिल हो जाए तो ये और ख़तरनाक हो जाती है. अलवर में गो तस्करी के शक में एक शख़्स की पिटाई से मौत के मामले में पुलिस की भूमिका पर उठते सवाल के बीच मामले की जांच सीनियर अफ़सर को सौंप दी गई है. एडिशनल एसपी क्राइम और विजिलेंस के एडिशनल एसपी अब इस मामले की जांच करेंगे यानी स्थानीय पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आने के बाद स्थानीय पुलिस के हाथ से जांच छीन ली गई है.

आईजी के मुताबिक, इस पहलू की भी जांच की जाएगी कि आख़िर पुलिस ने रकबर को अस्पताल ले जाने में इतनी देर क्यों कर दी? दरअसल शुक्रवार और शनिवार की रात गो तस्करी के शक में रकबर और असलम की भीड़ ने पिटाई कर दी थी. असलम भाग निकला, लेकिन रकबर पिटता रहा. पुलिस मौक़े पर पहुंची, लेकिन रकबर को अस्पताल ले जाने की जगह ढाई घंटे से ज़्यादा समय तक यहां-वहां घुमाती रही, फिर थाने ले गई.

घायल रकबर लगातार कहता रहा कि वो दर्द में है लेकिन पुलिस उसे तुरंत अस्पताल न ले जाकर पहले गाय के लिए गाड़ी का इंतज़ाम करने में लगी रही. यही नहीं रास्ते में गाड़ी रोक कर चाय पी और फिर अस्पताल ले जाने की जगह थाने ले गई. जब पुलिस रकबर को लेकर अस्पताल पहुंची तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. इस बीच पुलिस थाने में रकबर के साथ क्या हुआ इस पर पर्दा अभी नहीं उठा है, लेकिन अब आरोप लग रहा है कि थाने में जो हुआ उसकी वजह से रकबर की जान गई. इस मामले में एक चश्मदीद का कहना है कि गाड़ी में पुलिस रकबर को पीट रही थी, गालियां दे रही थी. इस बीच पुलिस ने अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है. इन सभी पर हत्या का मामला दर्ज हुआ है. कोर्ट ने तीनों को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. मृतक रकबर का परिवार आरोपी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है.

तफ़्तीश में जानकारी मिली है कि रकबर भीड़ के हाथों जितना घायल नहीं हुआ उससे ज़्यादा वो पुलिस की हिरासत में हुआ और यही उसकी जान जाने की वजह बनी. यही नहीं, पुलिस घायल रकबर को सीधे अस्पताल भी नहीं ले गई, बल्कि ढाई घंटे से ज़्यादा समय तक यहां वहां घुमाती रही, थाने ले गई. वो अस्पताल तब पहुंचा जब उसकी मौत हो चुकी थी. इस बीच पुलिस थाने में रकबर के साथ क्या हुआ इस पर पर्दा अभी नहीं उठा है. लेकिन अब आरोप लग रहा है कि थाने में जो हुआ उसकी वजह से रकबर की जान गई. अब ख़ुद पुलिस की टीम इस मामले में संदेह के घेरे में है. संसद में भले ही मॉब लिंचिंग पर चिंता जताई जा रही हो लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है. एनडीटीवी ने पाया कि मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार पुलिस को देर रात 12:41 बजे घटना की सूचना मिली और पुलिस 1:20 बजे वहां पहुंची. एफआईआर के अनुसार नवल किशोर नाम के दक्षिण पंथी समर्थक ने पुलिस को फोन किया था.

पुलिस के साथ गए नव‍ल किशोर के अनुसार पुलिसवालों ने घायल के शरीर को धोया क्‍योंकि वह कीचड़ से सना था, उसके बाद उन्‍होंने कई अन्‍य काम किए. उनका पहला पड़ाव नवल किशोर का घर था, जहां से उन्‍होंने गाड़ी का इंतजाम किया ताकि गायों को स्‍थानीय गौशाला ले जाया जा सके. उनकी एक रिश्‍तेदार माया ने बताया, ‘मैंने शोर सुना. जब में बाहर आई, एक पुलिसवाला गाड़ी के अंदर एक व्‍यक्ति को पीट रहा था और गालियां दे रहा था.’ जब उनसे पूछा गया कि क्‍या वह व्‍यक्ति तब भी जीवित था, उन्‍होंने हां में जवाब दिया.

इसके बाद वो चाय नाश्‍ते के लिए रुके. हालांकि घायल शख्‍स तकलीफ होने की बात कह रहा था, फिर भी पुलिसवालों ने करीब की दुकान से चाय मंगवाई और गायों को ले जाने वाली गाड़ी का इंतजार किया. दुकानदार ने बताया कि पुलिसवालों ने 4 चाय मंगवाई थी. नवल किशोर ने बताया, ‘उनका अगला पड़ाव पुलिस स्‍टेशन था जहां से वो गौशाला गए.’ जब तब पुलिस ये सब कर रही थी तब तक उस शख्‍स की मौत हो गई. पुलिस तब उसे स्‍थानीय अस्‍पताल ले गई, मेडिकल रजिस्‍टर में 4 बजे सुबह का वक्‍त दर्ज है.

::::::::उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करने पर हामी भरी :
उच्चतम न्यायालय अलवर में हुई मॉब लिंचिंग की ताजा घटना के मामले में राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना याचिकाओं पर 28 अगस्त को सुनवाई करने पर आज हामी भरी। तुषार गांधी और कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की ओर से दायर याचिकाओें में आरोप लगाया गया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद देश में पीट पीटकर हत्या करने की घटनाएं हो रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि याचिकाओं पर सुनवाई 28 अगस्त को की जाएगी। इस पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाय चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। पीठ के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए गांधी और पूनावाला ने राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की। याचिकाकर्ताओं ने अपील की कि शीर्ष अदालत के आदेश के पालन के लिए अक्षरश : निर्देश जारी किए जाए। पीठ मुख्य मामले के साथ इस याचिका पर 28 अगस्त को सुनवाई करेगी। न्यायालय ने 17 जुलाई को केन्द्र से कहा था कि पीट पीटकर हत्या की घटनाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संसद में नए कानून बनाने पर विचार करे। पीठ ने कहा था कि ‘‘भीड़तंत्र की इन विभत्स गतिविधियों को नई पंरपरा नहीं बनने दिया जा सकता। ’’ राजस्थान के अलवर जिले में 21 जुलाई को गाय तस्करी के संदेह में भीड़ ने एक व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या कर दी थी।

राजस्थान के अलवर में कथित गोरक्षकों के द्वारा की गई रकबर खान की हत्या का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. संसद से लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत में इस मामले की गूंज है. अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले में पुलिस के गैर जिम्मेदाराना रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सोमवार को इस मामले के बारे में ट्वीट करते हुए राहुल ने लिखा कि जब मौका-ए-वारदात से अस्पताल सिर्फ 6 किमी. की दूरी पर ही था तो पुलिस को रकबर को वहां ले जाने पर 3 घंटे क्यों लगे. राहुल ने सवाल उठाया कि पुलिस वाले रास्ते में चाय का आनंद ले रहे थे. उन्होंने कहा कि ये मोदी का क्रूर न्यू इंडिया है, जहां मानवता की जगह नफरत ने ली है और लोगों को दबाया जा रहा है और उन्हें मरने के लिए छोड़ा जा रहा है.
एफआईआर और खबरों के मुताबिक पुलिस को करीब 12.40 बजे रकबर की सूचना मिली. लेकिन पुलिस ने करीब 4 बजे रकबर को अस्पताल पहुंचाया. सबसे बड़ी बात घटनास्थल से अस्पताल महज 6 किलोमीटर था. ऐसे में पुलिस को करीब 3-4 घंटे कैसे लग गए.
डॉक्टर का कहना है कि रकबर को अस्पताल लाने में देरी हुई और जब वो अस्पताल पहुंचा तब तक उसकी जान जा चुकी थी. आखिर रकबर को पुलिस ने अस्पताल में पहुंचाने में देरी कैसे की, ‘आजतक’ की टीम ने जब उसकी पड़ताल की तो एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे सामने आए.
जस्थान के अलवर जिले में मॉब लिंचिंग में रकबर खान की मौत के मामले में राज्य पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप है कि पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह बरामद गायों को पहले गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी. यही नहीं, पुलिस ने खुद भी रकबर की पिटाई की. इसकी वजह से रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे की देरी हुई और उसकी मौत हो गई.
उक्त आरोपों पर अलवर के एसपी राजेंद्र सिंह ने आजतक से कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी. मीडिया में आई खबरों में यह कहा गया था कि रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे लग गए और पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह पहले गायों को गौशाला तक पहुंचाने को प्राथमिकता दी. गौरतलब है कि रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में गो तस्करी के आरोप में कुछ कथित गोरक्षकों ने रकबर खान नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था.

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