25 जुलाई मंगल, शुक्र और बुध एक साथ सिंह राशि में- काफी दुर्लभ त्रिग्रही योग बना & इस ज्योतिषीय घटना का उनकी राशि पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा? ऋषिकेश से द्वादश ज्योतिर्लिंग ‘रामकथा यात्रा’ स्पेशल ट्रेन शुरू

DT 25 JULY 2023 HIGH LIGHT # 25 जुलाई की सुबह मंगल, शुक्र और बुध एक साथ सिंह राशि में आ गए हैं. इनके साथ आने पर त्रिग्रही योग बना है # एलोपैथी दवा से बीमारी जड़ से खत्म नहीं # आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को निलंबित कर दिया गया #पाकिस्तान में अंजू ने इस्लाम धर्म अपनाया #IRCTC मोबाइल ऐप और वेबसाइट से टिकट की ऑनलाइन बुकिंग # राजस्थान में विधानसभा चुनाव — भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस — बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के मैदान में उतरने की तैयारी #ऋषिकेश से द्वादश ज्योतिर्लिंग ‘रामकथा यात्रा’ स्पेशल ट्रेन शुरू #

By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए —

आध्यात्मिक गुरु व प्रख्यात रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू ने योगनगरी ऋषिकेश से द्वादश ज्योतिर्लिंग ‘रामकथा यात्रा’ स्पेशल ट्रेन शुरू की। भगवान शिव के पवित्र श्रावण मास के अधिकमास में आयोजित यह अद्वितीय यात्रा देश के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों तक जाएगी। इस कथा यात्रा में दो रेल गाड़ियां कैलाश व चित्रकूट शामिल हैं।

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में केदारनाथ (उत्तराखंड) है, तो दक्षिण में रामेश्वरम (तमिलनाडु) है। ऐसे ही पूर्व में वैद्यनाथ (झारखंड) है, तो पश्चिम में नागेश्वर (गुजरात) ज्योतिर्लिंग है। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों का संबंध महाकाल शिव जी से है। हिन्दू मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों के समस्त प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। उनके जन्म-जन्मांतर के सारे पाप मिट जाते हैं और दर्शनार्थी शिवजी के कृपा पात्र बन जाते हैं। हिन्दू धर्म के पवित्र स्थलों में 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ प्रत्येक ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा भगवान शिव से किसी न किसी रूप में जुड़ी हुई है। संस्कृत में 12 ज्योतिर्लिंग के महत्त्व को बताती एक स्तुति भी है, जिसे द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति के नाम से जाना जाता है, जो इस प्रकार है – सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्‌।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम्‌ ॥

 सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ मंदिर, हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्र देव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है।

सोमनाथ मंदिर पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि धार्मिक कर्म-कांडों के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्रपद, कार्तिक माह में यहाँ श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसी कारण इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।

2. मल्लिकार्जुन

श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को दक्षिण का कैलाश कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथोें में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।

साथ ही साथ दर्शन करने वाले के सारे पाप मिट जाते हैं और उसे अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। दक्षिणी मंदिरो की तरह यह एक पुराना मंदिर है। यह एक ऊंचे पत्थर से निर्मित चारदीवारी के मध्य में स्थित है। जिस पर हाथी-घोड़ों की कलाकृतियाँ बनी हई हैं। परकोटे मे चारों ओर द्धार हैं, जिनपर गोपुर बने हैं।

3. महाकालेश्वर

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर कुंभ मेले का आयोजन भी होता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का एक विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है, उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। महाकाल के बारे में तो यह भी कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है। महाकाल की महिमा का वर्णन इस प्रकार से भी किया गया है –

आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् ।
भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥

इसका तात्पर्य यह है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है। यहाँ प्रति बारह वर्ष में सिंहस्थ मेला आयोजित होता है। सिंहस्थ कुम्भ मेले के बारे में यह कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन के पश्चात देवता अमृत कलश को दानवों से बचाने के लिए वहाँ से पलायन कर रहे थे, तब उनके हाथों में पकड़े अमृत कलश से अमृत की बूँद धरती पर जहाँ-जहाँ भी गिरी थी, वो स्थान पवित्र तीर्थ बन गए। उन्हीं स्थानों में से एक उज्जैन है।

4. ओंकारेश्वर

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ओंकारेश्वर या ॐकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। पुराणों में वायुपुराण और शिवपुराण में ओंकारेश्वर क्षेत्र के बारे में बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसी मंदिर में शिव के परम भक्त कुबेर ने तपस्या की थी और शिवलिंग की स्थापना की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुबेर के स्नान के लिए शिवजी ने अपनी जटा से कावेरी नदी उत्पन्न की थी। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ॐ के आकार में है इसीलिए इसे ओंकारेश्वर या ॐकारेश्वर कहा जाता है। माना जाता है कि यहीं ॐ शब्द की उत्पत्ति भगवान बह्मा के मुख से हुई थी।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मात्र ज्योतिर्लिंग है जहां शिव भगवान शयन करने आते हैं। मंदिर के पुजारियों के मुताबिक शिव भक्त यहां विशेष रुप से भगवान शिव के शयन दर्शन करने आते हैं। मान्यता यह भी है कि भगवान शिव के साथ यहां माता पार्वती भी रहती हैं और वो शिवजी के साथ चौसर (पासे) खेलती हैं। शायद यही वजह है कि शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के पास चौसर की बिसात सजाई जाती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गर्भग्रह में शयन की आरती के बाद कोई भी नहीं आता लेकिन सुबह पांसे उल्टे मिलते हैं।

5. केदारनाथ

केदारनाथ मंदिर, हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है। भगवान शिव का यह दुर्लभ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जलवायु के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल माह में खुलते हैं और नवंबर माह में मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। धार्मिक मान्यता के साथ-साथ यह मंदिर अपने आप में अद्भुत है। चूंकि उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम भी है। मान्यता ये है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ धाम की यात्रा करता है। उसे इस यात्रा का फल नहीं मिलता है।

6. भीमाशंकर

महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर ने कुंभकरण के पुत्र भीमेश्वर का वध किया था। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है।

7. काशी विश्वनाथ

काशी विश्वनाथ मंदिर शिव जी के सभी 12 ज्योर्तिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज़िले में स्थित है। इसे विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। काशी विश्वनाथ हिन्दू आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है। वाराणसी गंगा नदी के तट पर स्थित विश्व का सबसे प्राचीन नगर है। यहाँ स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद जैसे महापुरुषों ने किया है।

रामचरित मानस की रचना करने वाले तुलसी दास का भी आगमन भगवान शिव के इस मंदिर में हो चुका है। शिवरात्रि के समय इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1780 में महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत के द्वारा 1853 में एक हज़ार किलो ग्राम सोने से इस मंदिर को बनवाया था।

8. त्र्यम्बकेश्वर

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह मंदिर पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर महाराष्ट्र के त्र्यम्बक गांव में स्थित है, जो नासिक शहर से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योति लिंग में से है तथा 12 ज्योतिर्लिंगों में से त्र्यम्बकेश्वर को आठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर पवित्र गोदावरी नदी के निकट है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिसमें ब्रह्मगिरी, निलागिरि और कालगिरी शामिल हैं। मंदिर की एक विशेषता यह है कि इस मंदिर में भगवन शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन लिंगम (शिव के एक प्रतिष्ठित रूप) हैं।

9. वैद्यनाथ

हिन्दू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का बड़ा महत्व है। इन सभी से शिव की रोचक कथाएं जुड़ी हुई हैं। देवघर के वैद्यनाथ धाम में स्थापित ‘कामना लिंग’ भी रावण की भक्ति का प्रतीक है। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र वैद्यनाथ शिवलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इस जगह को लोग बाबा बैजनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं। कहते हैं कि भोलेनाथ यहां आने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसलिए इस शिवलिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों के लिए कहा जाता है कि जहां-जहां महादेव साक्षत प्रकट हुए वहां इनकी स्थापना हुई। इसी तरह पुराणों में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की भी कथा है जो लंकापति रावण से जुड़ी है।

10. नागेश्वर

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है। मान्यता है कि सावन मास में इस प्राचीन नागेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंगों की एक साथ पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मंदिर में इन अद्भुत शिवलिंगों के दर्शन व पूजन के लिए दूर-दूर से श्रद्घालु आते हैं। सावन में विशेष रूप से सोमवार को खासी भीड़ रहती है।

भगवान शिव के निर्देशानुसार ही इस शिवलिंग का नाम ‘नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’ पड़ा। माना जाता है कि ‘नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’ के दर्शन करने के बाद जो मनुष्य उसकी उत्पत्ति और माहात्म्य सम्बन्धी कथा को सुनता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है तथा सम्पूर्ण भौतिक और आध्यात्मिक सुखों को प्राप्त करता है।

11. रामेश्वरम

हिंदू धर्म में तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित रामेश्वरम ज्योतिर्लिग एक विशेष स्थान रखता है। यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि उत्तर में जितना महत्व काशी का है, उतना ही महत्व दक्षिण में रामेश्वरम का भी है, जो सनातन धर्म के चार धामों में से एक है। कहा जाता है कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिग की विधिपूर्वक आराधना करने से मनुष्य ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु ज्योतिर्लिग पर गंगाजल चढ़ाता है, वह साक्षात जीवन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। इसकी स्थापना स्वयं भगवन श्री राम ने की थी।

12. घृष्णेश्वर

महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लगभग 29 कि.मी. की दूर पर वेरुल नामक गांव में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में आखिरी माना जाता है। कई ग्रंथों और पुराणों में उल्लेख है कि घुश्मेश्वर महादेव के दर्शन कर लेने से मनुष्य को जीवन का हर सुख मिलता है। इस ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा एलोरा की गुफाएँ इसी मंदिर के निकट हैं। इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

25 जुलाई की सुबह मंगल, शुक्र और बुध एक साथ सिंह राशि में आ गए हैं. इनके साथ आने पर त्रिग्रही योग बना है 

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की युति का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष में तीन ग्रहों की युति को त्रिग्रही योग कहा जाता है. किसी राशि में तीन ग्रहों के एक साथ होने पर यह योग बनता है. इस युति को काफी दुर्लभ माना जाता है. 25 जुलाई यानी आज मंगल, शुक्र और बुध एक साथ सिंह राशि में आ गए हैं. इनके साथ आने पर त्रिग्रही योग का निर्माण हुजा जिसका शुभ प्रभाव कुछ राशियों पर पड़ रहा है. इस योग से राशियों की किस्मत चमकने वाली है.

इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व पर भी पड़ता है। ‘त्रिग्रही’ संस्कृत का शब्द है जिसमें ‘त्रि’ का अर्थ है तीन और ग्रह का अर्थ तो आप जानते ही हैं। तीन ग्रहों की युति का प्रभाव ग्रहों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।

किसी एक राशि में त्रिग्रही योग दुर्लभ ही बनता है। जब इस योग का निर्माण होता है, तब मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। तीन ग्रहों का किसी राशि में एक साथ आना काफ़ी दिलचस्प होता है और ऐसे में, इन तीनों ही ग्रहों का अपना-अपना प्रभाव उस राशि में देखने को मिलता है। यदि त्रिग्रही योग में शामिल तीनों ग्रह आपस में मैत्री संबंध रखते हैं, तो ये एक-दूसरे की ऊर्जा के अनुरूप कार्य करेंगे। वहीं, अगर ये तीनों ग्रह शत्रु हैं, तो एक-दूसरे की ऊर्जा का विरोध करते हैं। हालांकि, विभिन्न राशियों में होने वाली ग्रहों की युतियों के बारे जानना और समझना बेहद रोमांचक होता है। साथ ही, लोगों को यह जानने की भी उत्सुकता रहती है कि इस ज्योतिषीय घटना का उनकी राशि पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा। अब  25 जुलाई, 2023 की सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर शुक्र, बुध और मंगल सिंह राशि में त्रिग्रही योग का निर्माण 

मंगल स्वभाव से पुरुष ग्रह है जिसे नवग्रहों में सैनिक की उपाधि दी गई है। इन्हें कार्य, साहस, ऊर्जा, जुनून, गति और निडरता का प्रतीक माना गया है। मंगल क्रोध और आक्रामकता के कारक हैं जो कि मेष और वृश्चिक राशि के स्‍वामी हैं और मेष को इस ग्रह की मूल त्रिकोण राशि के रूप में भी जाना जाता है। वहीं, नक्षत्रों में यह चित्रा, धनिष्ठा और मृगशिरा के अधिपति देव हैं। मंगल मकर राशि में उच्च के होते हैं और चंद्रमा की राशि कर्क में नीच के माने जाते हैं। मंगल चंद्रमा, सूर्य और बृहस्पति के साथ मैत्री संबंध रखते हैं जबकि शनि और बुध के साथ यह शत्रुता का भाव रखते हैं। वहीं, शुक्र के साथ मंगल तटस्थ रहते हैं।

शुक्र सौंदर्य, विलासिता, धन, कला, प्रेम, रोमांस और वैवाहिक सुख आदि के कारक हैं। पुरुष की कुंडली में शुक्र विशेष रूप से पत्नी, बड़ी बहन, यौवन और यौन सुख आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। शुक्र इस बात के भी कारक ग्रह हैं कि व्यक्ति को अपने जीवन में कितनी लोकप्रियता मिलेगी। इसके अलावा, कुंडली में शुक्र की स्थिति से जाना जा सकता है कि व्यक्ति किस हद तक जुनूनी  हो सकता है। यह यौन संतुष्टि को भी दर्शाते हैं। शुक्र ग्रह मीन राशि में उच्च और कन्‍या राशि में नीच के होते हैं। यह वृषभ और तुला राशि के स्‍वामी भी हैं और इनका भरणी, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र पर आधिपत्य है।

वैदिक ज्योतिष में बुध को सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना जाता है। बुध बुद्धि, संचार, तर्क और बुद्धिमत्ता के कारक ग्रह हैं जो अपनी तेज गति से चलने के लिए जाने जाते हैं। साथ ही, इन्‍हें एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में 23 से 30 दिनों का समय लगता है। बुध को तटस्थ ग्रह माना जाता है लेकिन यह कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे, पांचवे, सातवें, नौवें, दसवें या ग्यारहवें भाव में होने पर शुभ प्रभाव देते हैं।

मेष राशि के जातकों के लिए त्रिग्रही योग शुभ साबित होगा #वृषभ राशि के जातकों को इस योग से सभी तरह की सुख-सुविधाएं मिलेंगी.  # वृश्चिक- वृश्चिक राशि वालों के लिए दुर्लभ त्रिग्रही योग बहुत फलदायी रहने वाला है #मीन राशि के जातक कार्यक्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए सराहना प्राप्त करेंगे. आपके पद- प्रतिष्ठा में सुधार होने की प्रबल संभावना है. कार्यक्षेत्र में आपको अपने काम की वजह से लोकप्रियता प्राप्त होगी. इस योग के प्रभाव से आप सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में सफल होंगे. आप आसानी से अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकेंगे.

एलोपैथी दवा से बीमारी जड़ से खत्म नहीं

एलोपैथी दवा से आपको तुरंत आराम तो मिल जाता है. लेकिन बीमारी जड़ से खत्म नहीं होती है बल्कि थोड़े वक्त के लिए दब जाती है. लेकिन आगे चलकर वह बीमारी एक खतरनाक रूप में आपके सामने भी फिर प्रकट हो जाती है. कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका रामबाण इलाज होम्योपैथी के पास है. इन बीमारियों में होम्योपैथी ऐसा असर दिखाती है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. वहीं एलोपैथी के पास भी इन बीमारियों का सटीक इलाज नहीं है.

होम्योपैथी की भाषा में बीमारियों को दो भागों में बांटा गया है. पहला एक्यूट और दूसरा क्रोनिक. एक्यूट बीमारी के अंतर्गत सर्दी-खांसी, जुकाम आते हैं. इन बीमारियों में अगर आप होम्योपैथी की दवा लेते हैं तो इसका असर आपको 1 से 2 दिन के अंदर दिखने लगेगा. वहीं क्रोनिक बीमारी यानि पुरानी बीमारी जैसे-लिवर, किडनी, आंत, गठिया जैसी ऐसी बीमारी जो सालों से आपको परेशान कर रही है. ऐसी बीमारी पर होम्योपैथिक का असर दिखने में 8-10 महीने का वक्त लग जाता है. लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि कई ऐसी क्रोनिक बीमारी है जिसकी सटीक इलाज होम्योपैथी के पास है जो एलोपैथी के पास नहीं है. 

होम्योपैथी की भाषा में बीमारियों को दो भागों में बांटा गया है. पहला एक्यूट और दूसरा क्रोनिक. एक्यूट बीमारी के अंतर्गत सर्दी-खांसी, जुकाम आते हैं. इन बीमारियों में अगर आप होम्योपैथी की दवा लेते हैं तो इसका असर आपको 1 से 2 दिन के अंदर दिखने लगेगा. वहीं क्रोनिक बीमारी यानि पुरानी बीमारी जैसे-लिवर, किडनी, आंत, गठिया जैसी ऐसी बीमारी जो सालों से आपको परेशान कर रही है. ऐसी बीमारी पर होम्योपैथिक का असर दिखने में 8-10 महीने का वक्त लग जाता है. लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि कई ऐसी क्रोनिक बीमारी है जिसकी सटीक इलाज होम्योपैथी के पास है जो एलोपैथी के पास नहीं है.  ऐसी भी बीमारी है जिसके सामने एलोपैथी भी फेल है.   होम्योपैथी के जरिए फैटी लिवर का इलाज मुमकीन है. साइटिका में पीठ के निचले हिस्से से दर्द शुरू होता है वह साइटिक नस पर दबाव डालता है. इस साइटिका का दर्द कहते हैं. इसमें दर्द अचानक से शुरू होता है और पीठ से होता हुआ टांग के बाहरी और सामने वाले हिस्से तक पहुंच जाता है.  सिरदर्द के बहुत सारे प्रकार है. इनमें से माइग्रेन का दर्द काफी ज्यादा खतरनाक होता है. माइग्रेन का दर्द बार-बार होता है. यह दर्द बेहद गंभीर होता है. माइग्रेन का अब तक पता नहीं चल पाया है कि आखिर क्यों होता है.  शरीर में जिस जगह दो हड्डियां मिलती है उसे ज्वाइंट कहते हैं. ज्वाइंट में पेन कई कारणों से हो सकते हैं. लेकिन जिस ज्वाइंट पर हड्डियां टकराने लगे तो उस बीमारी को गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस, गाउट भी कहते हैं. हड्डियों पर ज्यादा जोड़ पड़ने पर वो कमजोर होने लगते हैं. और यह बीमारी बढ़ने लगती है.  होम्योपैथी विशेष रूप से शल्य चिकित्सा से बचने के लिए एक खास पद्धति है. खासतौर पर पाइल्स (बवासीर), फिशर, फिस्टुला के मामलों में सबसे अच्छा विकल्प है. ऐसे कई मामले हैं जिसमें होम्योपैथी के जरिए इन बीमारियों का निपटारा किया गया है. ये सब ऐसी बीमारी है जिनमें होम्योपैथी के जरिए इलाज किया जाता है. और रिजल्ट ऐसे हैं कि एलोपैथी भी इसके सामने फेल है. 

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को निलंबित कर दिया गया

सोमवार 24 जुलाई को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को सत्र में राज्यसभा की पूरी कार्यवाही के लिए निलंबित कर दिया गया. जिसके खिलाफ अब तमाम विपक्षी नेता प्रदर्शन कर रहे हैं. एनसीपी चीफ शरद पवार भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए. उन्होंने बाकी विपक्षी नेताओं के साथ संसद परिसर में पहुंचकर AAP सांसद के निलंबन का विरोध किया. 

संसद भवन परिसर में धरने पर बैठे आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जब तक जवाब नहीं देंगे गतिरोध यूं ही बना रहेगा पीएम को जवाब देना होगा. संजय सिंह को सोमवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया था.

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के निलंबन और मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर विपक्षी नेताओं का पिछले 24 घंटे से प्रदर्शन जारी है. इस दौरान शरद पवार भी संजय सिंह के बगल में कुर्सी पर बैठे नजर आए. उन्होंने प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद अपनी एक तस्वीर भी ट्विटर पर पोस्ट की. जिसमें उन्होंने लिखा कि आज बाकी विपक्षी नेताओं के साथ आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह के समर्थन में और उनके निलंबन के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया. 

आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा, “मणिपुर की घटना से दिल दहल गया है. प्रधानमंत्री को मन की बात की जगह मणिपुर की बात करना चाहिए. सरकार को बहस करना चाहिए. दुनिया के सारे संसद मणिपुर पर चर्चा पर गंभीर है. भारत की संसद में इस पर चर्चा क्यों नहीं हो रही है.” आप सांसद ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.

केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है. सूत्रों के अनुसार, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक में इसे लेकर फैसला हुआ है. बैठक में यह भी तय हुआ कि विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर सदन में पीएम के बयान की मांग पर कायम रहेगा.  विपक्षी दल प्रधानमंत्री से मणिपुर के मुद्दे पर बयान की मांग कर रहे हैं. हालांकि, 20 जुलाई को सत्र शुरू होने से पहले संसद के बाहर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने मणिपुर की घटना को शर्मनाक बताते हुए दोषियों की कड़ी सजा दिलाने की बात कही थी. लेकिन विपक्ष का कहना है कि पीएम को सदन के अंदर बयान देना चाहिए. मंगलवार (25 जुलाई) को इसी मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल दलों की बैठक हुई. सूत्रों के अनुसार इस बैठक में सभी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया. विपक्षी दलों ने इसके साथ ही दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग जारी रखने का भी फैसला किया है.  लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और मनीष तिवारी को इसकी रूपरेखा तैयार करने और सांसदों के हस्ताक्षर जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है. विपक्षी दलों की रणनीति यह है कि अविश्वास प्रस्ताव के बहाने विपक्षी दल विस्तार से मणिपुर का मुद्दे पर सरकार को घेर सकेंगे और पीएम मोदी को चर्चा का जवाब देना होगा.

तस्वीर में देखा जा सकता है कि संजय सिंह और शरद पवार एक साथ बैठे हैं, वहीं नीचे जमीन पर ही कुछ बिस्तर भी लगाए गए हैं. विपक्षी नेताओं का कहना है कि वो संसद परिसर में ही अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे. विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘पार्टियों ने अपने नेताओं के बारी-बारी से धरना स्थल पर मौजूद रहने का पूरा खाका तैयार किया है. यह तय किया गया कि कौन-कौन से नेता अलग-अलग समय पर धरने में शामिल होंगे.

AAP सांसद संजय सिंह को राज्यसभा में हंगामा और आसन के निर्देशों का उल्लंघन करने को लेकर वर्तमान मानसून सत्र की बाकी अवधि तक के लिए निलंबित कर दिया गया. सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रश्नकाल में सिंह को निलंबित करने की घोषणा की. कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से संसद में बयान देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं. 

पाकिस्तान में अंजू ने इस्लाम धर्म अपनाया

भारत से पाकिस्तान पहुंची अंजू (Anju) ने नसरुल्लाह (Nasrulla) के साथ शादी कर ली है. अंजू ने ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म अपना लिया और नया इस्लामी नाम फातिमा (Fatima) रख लिया. मंगलवार (25 जुलाई) को दोनों की शादी का वीडियो भी सामने आया है. अंजू और नसरुल्लाह की शादी दीर अपर के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हुई. शादी के बाद अंजू ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं. मेरे पास कम समय है, मुझे फिर यहां आना चाहिए.

अंजू का जन्म उत्तर प्रदेश के कैलोर गांव में हुआ था और वह राजस्थान के अलवर में रहती थी. नसरुल्लाह और अंजू की दोस्ती 2019 में फेसबुक के जरिए हुई थी. बीते दिन ही नसरुल्लाह ने अंजू से प्रेम संबंध होने के दावों को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी शादी करने की कोई प्लानिंग नहीं है और अंजू वीजा की अवधि पूरी होने पर 20 अगस्त को स्वदेश लौट जाएगी.

अब दोनों की शादी करने की खबर सामने आई. दोनों का एक वीडियो भी सामने आया है. अंजू पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा सूबे के कबाइली जिले ऊपरी दीर में नसरुल्लाह से मिलने गई थी. अंजू पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं. अंजू की 15 साल की बेटी और छह साल का बेटा है. 

अंजू के पति अरविंद राजस्थान में रहते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि अंजू जल्द ही वापस आ जाएगी. अरविंद ने कहा था कि उनकी पत्नी गुरुवार को जयपुर जाने की बात कहकर घर से निकली थी, लेकिन बाद में परिवार को जानकारी मिली कि वह पाकिस्तान पहुंच गई है.

IRCTC मोबाइल ऐप और वेबसाइट से टिकट की ऑनलाइन बुकिंग

यात्री IRCTC मोबाइल ऐप और वेबसाइट से टिकट की ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं. रेलवे ने ये जानकारी अपने ट्विटर हैंडल कसे शेयर की है.  आईआरसीटीसी ने कहा है कि बुकिंग की समस्‍या अब सुलझ गई है. आईआरसीटीसी वेबसाइट irctc.co.in/nget/train-search और रेल कनेक्‍ट ऐप अभी काम कर रहा है. ऐसे में जिन यात्रियों को सफर के लिए टिकट की बुकिंग करनी है, वे अब ऐप और वेबसाइट का उपयोग करके फिर से बुकिंग कर सकते हैं. यात्रियों की हुई असुविधा के लिए गहरा खेद है. दोपहर करीब 2.15 बजे रेलवे ने प्रोब्‍लम को सॉल्व करने के बारे में जानकारी दी.

मंगलवार की सु‍बह आईआरसीटीसी के ट्विटर हैंडल से जानकारी शेयर करते हुए कहा गया था कि तकनीकी दिक्‍कतों के कारण आईआरसीटीसी ऐप और वेबसाइट से पेमेंट नहीं हो पा रहा है, जिस कारण यात्रियों को टिकट बुक करने में समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि रेलवे ने कहा था कि टिकट बुक करने के लिए Ask disha और आईआरसीटीसी ई-वॉलेट का उपयोग किया जा सकता है. 

भारतीय रेलवे की ओर से कहा गया कि वेबसाइट डाउन होने के बाद यात्रियों की सुविधाओं को ध्‍यान में रखते हुए रेलवे स्टेशनों पर एक्‍स्‍ट्रा पीआरएस टिकट बुकिंग काउंटर शुरू किए गए थे. रेलवे ने यात्रियों से अनुरोध किया है कि वे इस काउंटर से टिकट बुकिंग कर सकते हैं. नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पर दो अतिरिक्‍त टिकट काउंटर ओपन किए गए हैं. इसके अलावा, कई बड़े रेलवे स्‍टेशनों पर एक-एक टिकट काउंटर ओपन हुए हैं. 

राजस्थान में विधानसभा चुनाव — भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस — बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के मैदान में उतरने की तैयारी

राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस सहित सभी स्थानीय पार्टियों ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है. अब खबरें आ रही है कि राज्य में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के मैदान में उतर सकती है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में बिना सीएम चेहरे के मैदान में उतरने का औपचारिक ऐलान कर चुकी है, तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के मैदान में उतरने की तैयारी में है. बीजेपी के पास वसुंधरा राजे और कांग्रेस के पास अशोक गहलोत जैसे दिग्गज नेता मौजूद हैं फिर भी दोनों पार्टियां सीएम पद के चेहरे के बिना चुनाव में क्यों उतरना चाहती है?

कांग्रेस में अशोक गहलोत के अलावा सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं. लेकिन अगर अशोक गहलोत के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया तो पायलट गुट के लोग कांग्रेस में रहकर ही कांग्रेस को हराने का काम करेंगे पायलट जिस गुर्जर समुदाय से आते हैं उसकी नाराजगी भी उठानी पड़ेगी. कुछ लोगों में अभी भी इस बात को लेकर नाराजगी है कि साल 2018 का चुनाव पायलट के नेतृत्व में लड़ा गया था लेकिन बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बनाया गया.

कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के भले ही सिर्फ दो दावेदार हैं लेकिन भाजपा में एक लंबी लिस्ट है, ऐसे में किसी एक को मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर पार्टी बाकी सब की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है.

बीजेपी में फिलहाल वसुंधरा राजे सिंधिया के अलावा मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की एक लंबी लिस्ट है जो अपने अपने क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं. वसुंधरा राजे भी समय समय पर शक्ति प्रदर्शन कर अपनी ताकत का एहसास करवाती रहती हैं. वसुंधरा राजे अगर इस बार जीतती है तो वह काफी मजबूत हो जाएंगी

2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे, कांग्रेस ने उस चुनाव में भी परिणाम से पहले सीएम के चेहरे का ऐलान नहीं किया था. जीत के बाद पार्टी ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की तरफ से वसुंधरा राजे सिंधिया को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में पेश किया गया था.

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया 4 साल तक प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहे हैं और वो खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार समझ रहे थे कुछ महीने पहले अचानक से उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. इस एक्शन को लेकर जाट समुदाय में नाराजगी है. इस नाराजगी को कम करने के लिए ही उन्हें विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है लेकिन किसी और को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर देने से जाटों की नाराजगी और बढ़ सकती है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ भी सीएम पद के दावेदार हैं. केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, सांसद राज्यवर्धन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी सीएम पद के दावेदार बताए जा रहे हैं. अभी हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए सांसद सीपी जोशी भी खुद को सीएम पद की दौड़ में मान रहे हैं.

एबीपी न्यूज और सी वोटर ने अपने सर्वे में इसको लेकर लोगों से सवाल पूछा. लोगों से यह पूछा गया कि क्या राजस्थान विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा प्रोजेक्ट करना चाहिए ? हां: 60 फीसदी नहीं: 28 फीसदी पता नहीं: 12 फीसदी

y Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे

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