भारी बर्फबारी के बावजूद बाबा केदार की तपस्या में लीन साधु ललित महाराज
बाबा केदार के कपाट बंद होने के बाद से भक्तों के लिए बाबा का धाम बंद है. इस समय भारी बर्फबारी व कंपकपाती ठंड के बीच केदारनाथ धाम से पुनर्निर्माण के काम में लगे लोग और पुलिसकर्मी भी नीचे आ चुके हैं, लेकिन बाबा केदार के भक्त साधु ललित महाराज अब भी वहीं तपस्या में लीन हैं. केदारनाथ धाम में अभी भी तीन फीट मोटी बर्फ की चादर जमी है लेकिन इसी ठंड में एक साधु तपस्या में लीन हैं. बता दें कि सर्दियों के चलते इन दिनों केदारनाथ में बर्फबारी हो रही है. इस बर्फबारी के चलते पारा काफी नीचे पहुंच गया है. शीतकाल में भी एक साधु तपस्या में लीन हैं.
केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।जून २०१३ के दौरान भारत के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गयी इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहे लेकिन मन्दिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो गया।
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बाबा केदार के कपाट बंद होते ही केदारनाथ धाम वीरान हो जाता है, क्योंकि शीतकाल के दौरान बाबा के धाम में भारी बर्फबारी व कड़ाके की ठंड पड़ती है. लेकिन इस दौरान भी बाबा केदार के एक परमभक्त ललित महाराज वर्षों से केदारनाथ धाम स्थित अपने आश्रम में ही रहते हैं. वहां वे भारी बर्फबारी के बावजूद बाबा केदार की तपस्या में लीन रहते हैं.
बाबा केदार के कपाट बंद होने के बाद से भक्तों के लिए बाबा का धाम बंद है. इस समय भारी बर्फबारी व कंपकपाती ठंड के बीच केदारनाथ धाम से पुनर्निर्माण के काम में लगे लोग और पुलिसकर्मी भी नीचे आ चुके हैं, लेकिन बाबा केदार के भक्त साधु ललित महाराज अब भी वहीं तपस्या में लीन हैं.
चाहे कितनी भी बर्फबारी हो ललित महाराज केदारनाथ धाम से नीचे नहीं आते हैं. यात्रा सीजन में जिन यात्रियों को रहने की जगह नहीं मिल पाती है, उनके लिए ललित महाराज अपने आश्रम में रहने और खाने की भी व्यवस्था करते हैं.
वर्षों से ललित महाराज की यही रुटीन है. वे असहनीय ठंड के बावजूद केदारनाथ धाम में डटे रहते हैं. जमा देने वाली ठंड के बीच भी भक्ति में लीन हैं. केदारनाथ मंदिर से लगभग दो सौ मीटर दूर पुराने गढ़वाल मंडल विकास निगम गेस्ट हाउस में ललित महाराज का आश्रम है.
यात्रा सीजन में ललित महाराज की ओर से प्रत्येक दिन यात्रियों के लिये निःशुल्क भंडारे का भी आयोजन किया जाता है. पुराने गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस के निकट स्थित ललित महाराज के आश्रम में कम से कम सौ लोग रह सकते हैं.
केदारनाथ की बड़ी महिमा है। उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनापथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है। इस मन्दिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर एक हजार वर्षों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा रहा है। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये १२-१३वीं शताब्दी का है। ग्वालियर से मिली एक राजा भोज स्तुति के अनुसार उनका बनवाय हुआ है जो १०७६-९९ काल के थे।[4] एक मान्यतानुसार वर्तमान मंदिर ८वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाये गये पहले के मंदिर की बगल में है। मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट जानना मुश्किल है। फिर भी इतिहासकार डॉ शिव प्रसाद डबराल मानते है कि शैव लोग आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं। १८८२ के इतिहास के अनुसार साफ अग्रभाग के साथ मंदिर एक भव्य भवन था जिसके दोनों ओर पूजन मुद्रा में मूर्तियाँ हैं। “पीछे भूरे पत्थर से निर्मित एक टॉवर है इसके गर्भगृह की अटारी पर सोने का मुलम्मा चढ़ा है। मंदिर के सामने तीर्थयात्रियों के आवास के लिए पण्डों के पक्के मकान है। जबकि पूजारी या पुरोहित भवन के दक्षिणी ओर रहते हैं। श्री ट्रेल के अनुसार वर्तमान ढांचा हाल ही निर्मित है जबकि मूल भवन गिरकर नष्ट हो गये।” केदारनाथ मन्दिर रुद्रप्रयाग जिले में है उत्तरकाशी जिले में नही
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