हरदा हमारा आला दोबारा; हर दा हर दा हर दा.. आला दोबारा वही सरकार पूरी तरह से चुनावी मोड में

अब लोकगायिका माया उपाध्याय के एक गीत से प्रदेश की राजनीति गरमाने वाली है

कुमाऊंनी लोकगायिका माया उपाध्याय कहती है कि सीएम रहने से लेकर अब तक हरीश रावत के लोक संस्कृति व स्थानीय उत्पादों को लेकर बनाई योजनाओं व लक्ष्यों से मैं प्रभावित हुई। राष्ट्रीय स्तर पर पहाड़ और उसकी समस्याओं की बात करने वाले वह एकमात्र नेता हैं। बाकी तो पहाड़ को भूल चुके हैं। मेरा कांग्रेस पार्टी से कोई जुड़ाव नहीं। बस विचार आया कि पहाड़ की बात करने वाले हरीश रावत को एक गीत भेंट करूं।

हरदा हमारा आला दोबारा; हर दा हर दा हर दा.. आला दोबारा।

आस लागि रो उत्तराखंड सारा

छोलियो जंगरियो और शिल्पियो ने माना

मडुवा झुगर भट गहत की होली पछयाड़ा

गौरा नंदा देवी कन्या धन को सहारा यस

म्यार पेड़ म्यार दूध वृद्ध और गर्भवती कै पुष्टहारा

अशक्त और मैत रौणी चेलि कणि सहारा

हर दा हर दा हर दा.. आला दोबारा।

वही दूसरी ओर विधानसभा चुनाव की आहट को देखते हुए राज्य सरकार गियर बदल रही है, तो विपक्ष निशाना साध रहा है. विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का वक्त बचा है, ऐसे में सत्ता की चाबी पाने के लिए दोनों दलों के बीच जोर-आजमाइश होने लगी है. जाहिर है बीजेपी की तरफ से सीएम रावत को इसके लिए PM मोदी की ड्राइविंग स्टाइल ज्यादा मुफीद लग रही है. उत्तराखंडमें सालभर बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए BJP ने कसी कमर. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 13 जिलों के प्रभारी मंत्रियों को कार्यकर्ताओं के घर-घर जाकर ‘चाय पर चर्चा’   करने का दिया निर्देश.

वही दूसरी ओर पूर्व सीएम हरीश रावत आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीएम के घोषित चेहरे के दम पर भाजपा से मुकाबले की बात कर चुके हैं। पार्टी नेतृत्व को उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश के नाम का सुझाव भी दिया। लेकिन प्रदेश नेतृत्व और प्रभारी देवेंद्र यादव ने स्पष्ट कर दिया कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। इसके बाद हरदा खेमे से जुड़े राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व विधायक गोविंद कुंजवाल खुलकर हरदा के नाम की पैरवी करने लगे। वहीं, अब लोकगायिका माया उपाध्याय के एक गीत से प्रदेश की राजनीति गरमाने वाली है। पार्टी ने भले ही किसी का नाम तय नहीं किया लेकिन गाना कहता है ‘हरदा हमारा आला दोबारा।

पंजाब के प्रभारी बनने के बावजूद हरीश रावत उत्तराखंड की राजनीति में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। लाकडाउन से लेकर अब तक वह प्रदेश के अधिकांश हिस्सों का भ्रमण भी कर चुके हैं। हाल में उन्होंने चेहरा घोषित कर आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने की बात कई बार दोहराई। पूर्व सीएम का कहना है कि चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर फोकस करने के लिए यह बेहद जरूरी है और कांग्रेस को ही इसका फायदा मिलेगा। क्योंकि चुनावी रण में जनता के सामने भाजपा-कांग्रेस के स्थानीय चेहरे होंगे। हालांकि पार्टी के अंदर उनके इस बयान को लेकर अलग राय भी सामने आई। इस बीच पूर्व सीएम के समर्थकों ने इंटरनेट मीडिया पर उनका नाम बतौर सीएम उम्मीदवार तय करने के लिए मुहिम भी चला दी। वहीं, चुनावी साल में लोकगायिका माया के गीत से कांगे्रस के साथ-साथ भाजपा में हलचल तेज होना लाजिमी है। वीडियो गाने में हरीश रावत सरकार में शुरू की गई योजनाओं को फिर से याद दिलाया गया है। 28 जनवरी को पीलीकोठी स्थित एक बैंक्वेट हाल में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल की मौजूदगी में गाने को रिलीज किया जाएगा।

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव भले ही 2022 (Assembly Election) में हों, लेकिन सरकार पूरी तरह से चुनावी मोड में दिख रही है. सरकार के मंत्रियों को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (CM TS Rawat) के सख्त और बदले हुए निर्देश इस ओर साफ इशारा कर रहे हैं. सीएम ने 13 जिलों के प्रभारी मंत्रियों को अपने जिलों के दौरों के निर्देश दे दिए हैं, ताकि सरकार और जनता के बीच बेहतर तालमेल बनाया जा सके. खास बात ये है कि प्रभारी मंत्रियों के अपने जिलों के इस बार के दौरे बिल्कुल अलग रहने वाले हैं. क्योंकि इस दौरान उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की स्टाइल कॉपी करनी होगी. सीएम रावत के निर्देश पर होने वाले मंत्रियों के ये दौरे, पीएम मोदी के नक्शेकदम पर होंगे. जनवरी-फरवरी के महीने में ये मंत्री निचले पायदान के पार्टी कार्यकर्ता और आम लोगों के साथ चाय की चुस्की लेते दिखेंगे. साथ ही संघ के कार्यकर्ताओं से अलग से बात होगी. यानी मंत्री 2014 वाली पीएम मोदी की ‘चाय पर चर्चा’ वाली स्टाइल में चर्चा करते दिखेंगे. इसका प्लान जिलों मे बीजेपी के जिलाध्यक्ष तय करेंगे.

नैनीताल जिले के बीजेपी अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट ने इस बात की पुष्टि करते हुए न्यूज 18 को बताया कि उनके जिले के प्रभारी मंत्री मदन कौशिक ऐसा ही करने जा रहे हैं. 25 और 26 जनवरी को कौशिक नैनीताल जिले के दौरे पर रहेंगे. वे यहां सबसे पहले मंत्री कार्यकर्ताओं और जन प्रतिनिधियों के मन की बात सुनेंगे और उसके बाद अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. प्रदीप बिष्ट के मुताबिक ऐसा प्लान इसलिए बनाया गया है, ताकि कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनकर मंत्री अधिकारियों से रिपोर्ट ले सकेंगे. साथ ही कार्यकर्ताओं की समस्याओं का निदान कर सकेंगे.

प्रभारी मंत्रियों के जिलों में दौरों का मकसद सरकार को जनता के करीब दिखाना है. यह देखते हुए कांग्रेस इन दौरों पर निशाना साधने लगी है. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि चार साल में राज्य के भीतर कोई काम नहीं हुआ, केवल दौरे ही दौरे हुए हैं. ऐसे में मंत्रियों के आने वाले दिनों में होने वाले दौरों से भी जनता कोई कोई उम्मीद नहीं है.

उत्तराखंड बीजेपी मिशन 2022 में जुट गई है. इस बार टारगेट 60 सीटों के साथ सत्ता में वापसी का है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 57 सीटों पर जीत मिली थी. इसके लिए पार्टी एक साथ कई प्लान पर काम कर रही है. इसी में से एक प्लान है: अपनों की घर वापसी. इस प्लान को धरातल पर उतारने का काम स्क्रीनिंग कमेटी को सौंपा गया है. प्लान पर काम शुरू हो चुका है. जिलों से ऐसे लोगों की सूची मांगी जा रही है. कुछ नाम आ चुके हैं उनसे  बातचीत भी शुरू हो गई है. 57 सीटों के साथ सत्तारूढ़ बीजेपी ने 2022 के लिए इससे भी बड़ा 60 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है. टारगेट को हासिल करने के लिए बीजेपी रणनीतिकार सियासी दांव-पेंच खंगाल रहे हैं. एक रणनीति के तहत बीजेपी अब अपने सभी नए-पुराने साथियों को वापस पार्टी में लाने जा रही है. इसकी कमान सौंपी गई है पार्टी के सीनियर लीडर और राज्यसभा सांसद नरेश बंसल को. नरेश बंसल की अध्यक्षता में एक स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई है जो ऐसे लोगों को चिह्नित करेगी और फिर ऐसे नामों पर प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और महामंत्री संगठन अजेय कुमार की अध्यक्षता में विचार-विमर्श होगा और फिर गुण-दोष के आधार पर नामों पर फाइनल मुहर लगा दी जाएगी. अब मुख्य फोकस उन डेढ़ दर्जन विधानसभाओं पर किया जा रहा है, जहां 2017 में पार्टी बहुत कम वोटों के अंतर से जीती थी या फिर कम मतों के अंतर से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था. प्रदेश प्रवक्ता खजानदास का कहना है कि इन सीटों पर पार्टी छोड़कर गए भाजपाइयों की तो घर वापसी होगी ही. वहां रहने वाले प्रभावशाली लोगों को भी मिशन मोड पर पार्टी से जोड़ा जाएगा. सूत्रों की मानें तो यहां पार्टी विपक्ष खेमे के प्रभावशाली सिपाहसालारों पर भी नजर गढ़ाए हुए हैं.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 27 जनवरी से अल्मोड़ा व पौड़ी जिलों के तीन दिवसीय भ्रमण पर रहेंगे। इस दौरान वह विभिन्न क्षेत्रों में चल रही विकास योजनाओं के शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रमों में शिरकत करने के साथ ही विकास योजनाओं की समीक्षा करेंगे।

मुख्यमंत्री 27 जनवरी को अल्मोड़ा के सल्ट में पूर्व विधायक स्व. सुरेंद्र सिंह जीना की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद अल्मोड़ा में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण करेंगे। इसी दिन सर्किट हाउस में कार्यकर्ताओं की बैठक के बाद मुख्यमंत्री मीडिया से रूबरू होंगे। वह अल्मोड़ा में प्राचीन वास्तु शिल्प के आधार पर निॢमत हिमालयन बैंग्लो, होली एंजिल पब्लिक स्कूल के होम स्टे का अवलोकन भी करेंगे।

28 जनवरी को मुख्यमंत्री अल्मोड़ा के विवेकानंद कृषि अनुसंधान संस्थान में जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक लेंगे। इसके बाद नवसृजित सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री का नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम है। दोपहर बाद मुख्यमंत्री पौड़ी जिले के संयुक्त चिकित्सालय के नवनिॢमत भवन व कंडोलिया पार्क का लोकार्पण करेंगे। साथ ही पौड़ी में माल रोड, शहर के अपर बाजार को हैरिटेज स्ट्रीट के रूप में विकसित किए जाने की योजना का शिलान्यास करेंगे। 

इसके उपरांत कलेक्ट्रेट भवन परिसर के लैंडस्केपिंग कार्य, बासा होम स्टे द्वितीय, पटेलिया नर्सरी में काटेज निमार्ण योजनाओं का शिलान्यास भी करेंगे। मुख्यमंत्री 29 जनवरी को सॢकट हाउस में पहले कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और उसके बाद टेका रोड को चेरी ब्लोसम लेन के रूप में विकसित करने के लिए यहां चेरी ब्लॉसम के पौधों के रोपण कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। इसके बाद विकास भवन के सभागार में जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक में विकास योजनाओं की समीक्षा करेंगे।

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