ऐतिहासिक फैसला सुना कर जज साहब रिटायर- देश, दुनियां को था 28 साल से इंतजार

Babri Demolition Case: All 32 Accused Including LK Advani Acquitted 30 Sep. 20: Himalayauk Newsportal Bureau : #High Light # 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी साबित कर दिया.  # कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मस्जिद का ढांचा असामाजिक तत्वों ने गिराया था और आरोपी नेताओं ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी. # जब जज फैसला सुना रहे थे मामले के सभी आरोपी मौजूद थे. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में मौजूद थे # रएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा विवादास्पद ढांचे के विध्वंस मामले में आरोपित सभी दोषियों को ससम्मान बरी करने के निर्णय का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वागत करता है.  # भारतीय जनता पार्टी ने  इसे ‘‘सत्य की जीत” करार दिया. अदालत के फैसले के तत्काल बाद भाजपा के संगठन महासचिव बी एल संतोष ने ट्वीट किया, #ओवैसी ने लिखा कि  वही क़ातिल, वही मुंसिफ़, अदालत उस की, वो शाहिद….बहुत से फ़ैसलों में अब तरफदारी भी होती है # विध्वंस के दौरान किसने क्या किया, क्या कहा, इसका रिकॉर्ड बहुत कम है # यह भी संयोग है कि फ़ैसला सुना कर जज साहब आज रिटायर हो रहे हैं!# ये केस बीते 28 साल से अदालत में लंबित था. # 6 दिसंबर, 1992 में हिंसक कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा दिया था. 32 अभियुक्तों पर आरोप थे कि उन्होंने विवादित ढांचा को गिराने के लिए साजिश रची थी. #Presents by Himalayauk Newsportal & Print Media, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com csjoshi_editor@yahoo.in

28 साल पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आए फैसले ने सभी को चौंका दिया है। सीबीआई जज सुरेंद्र कुमार यादव ने 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना कि विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था और सबूत मजबूत नहीं हैं। सीबीआई का फैसला आने के बाद इकबाल अंसारी लेकर कई नेताओं ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

 इस केस का फैसला जज सुरेंद्र कुमार यादव सुनाया. खास बात यह है कि फैसला देते ही वह रिटायर हो गए. सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल पहले उन्हें इस मुकदमे में विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया था. जज सुरेंद्र कुमार यादव सितंबर 2019 में ही रिटायर हो गए होते. 

बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज एसके यादव ने अपना फैसला सुना दिया है. उन्होंने कहा कि बाबरी ढांचा ध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. घटना अकस्मात हुई, पूर्व नियोजित नहीं थी. अशोक सिंघल के खिलाफ साक्ष्य नहीं है. सीबीआई कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.

2300 पन्नों के जजमेंट में सीबीआई कोर्ट ने माना कि यह घटना अचानक हुई थी. कोई पूर्व सुनियोजित साजिश नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि फोटो से किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता है. फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी को जिस तरह से साबित किया गया वह साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है. 

फैसला सुनाते हुए जज एसके यादव ने कहा कि कोर्ट में टेंपर्ड सबूत पेश किए गए थे. इसे (बाबरी मस्जिद का ढांचा) अराजक तत्वों ने तोड़ा है, इन 32 लोगों ने बचाने की कोशिश की. अचानक से भीड़ आई और उन लोगों ने ढांचे को गिरा दिया. 

जज ने निम्नलिखित पांच अहम टिप्पणियां की हैं-बाबरी मस्जिद का ढहा जाना सुनियोजित घटना नहीं थी. मामले में आरोपियों के खिलाफ ठोस और पर्याप्त सबूत नहीं हैं.  सीबीआई द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑडियो-वीडियो टेप की प्रामाणिकता साबित नहीं हो सकी जो लोग मस्जिद की गुंबद पर चढ़े थे, वे सभी असामाजिक तत्व थे. भाषण का ऑडियो क्लिप क्लिय़र नहीं है.

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में बुधवार को लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने कहा है कि साजिश के तहत ढांचा नहीं गिराया गया था, बल्कि वह घटना अचानक हुई थी. ये कहते हुए कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. इन 32 में से 26 आरोपी आज लखनऊ की सीबीआई विशेष अदालत में पेश हुए. जबकि 6 आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट की कार्यवाही में जुड़े. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान और नृत्य गोपास दास लखनऊ कोर्ट नहीं पहुंचे.

बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में मस्जिद का ढांचा गिराया गया था और इस केस में 49 आरोपी बनाए गए थे. इनमें से 17 की मौत हो चुकी है और बचे हुए 32 आरोपियों पर फैसला आया है.

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर को अभियुक्त बनाया गया था. इन पर बाबरी ढांचा गिराने की साजिश के आरोप थे. 

बाबरी केस के 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है. इनमें अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल का निधन हो चुका है.

बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अदालत के इस फैसले पर खुशी जताई, उन्होंने कहा कि जो फैसला सुनाया गया है, वो काफी अहम है. हम सभी के लिए खुशी का पल है.  92 साल के आडवाणी ने बयान में कहा, ‘मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि यह फैसला नवंबर, 2019 में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए उस फैसले के पदचिन्हों पर आया है, जिसने अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने का रास्ता सुनिश्चित किया, जिसका भूमि-पूजन 5 अगस्त को किया गया था.’

लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि बहुत दिनों के बाद अच्छा समाचार मिला है, बस इतना ही कहूंगा कि जय श्री राम. बुधवार को फैसले के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने उनके घर के बाहर इकट्ठे हुए समर्थकों के लिए मिठाई भी बंटवाई. बीजेपी नेता ने इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और वकीलों का शुक्रिया अदा किया.

आडवाणी ने आगे कहा, ‘मैं अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं, संतों और खासकर उन सभी लोगों के प्रति आभारी हूं, जिन्होंने अयोध्या आंदोलन के दौरान अपनी निस्वार्थ सेवा और बलिदान से मुझे समर्थन और संबल दिया.’  उन्होंने साथ ही अपनी लीगल टीम का भी धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं श्री महिपाल अहलूवालिया के नेतृत्व वाली अपनी लीगल टीम के योगदान की भी सराहना करता हूं. इन सालों में महिपाल जी, उनके बेटे अनुराग अहलूवालिया और उनकी लीगल टीम ने इस केस में पूरे समर्पण के साथ हर पहलू को देखा है.’

सीबीआई की विशेष अदालत के जज यादव ने कहा, ‘बारह बजे तक सब सामान्य था। फिर अचानक पीछे की तरफ से मसजिद पर हमला हुआ, जो ढांचा गिरा, वो कुछ अराजक तत्वों, शरारती तत्वों के द्वारा गिराया गया।’ अदालत ने यह भी कहा कि फोटो से कोई आरोपी नहीं हो जाता। 

उन्होंने आखिर में कहा, ‘अब अपने देशवासियों के साथ मुझे भी भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा होते देखने का इंतजार है. भगवान राम की कृपा हम सब पर बनी रहें.’

फैसले के बाद बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने बयान दिया और अदालत के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन एक ऐतिहासिक पल था.

बीजेपी नेता ने कहा कि अदालत ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, मैं तमाम अधिवक्ताओं को जिन्होंने शुरुआत के दिन से ही हर स्तर पर इस मामले में सही तथ्यों को न्यायलय के सामने रखा. ये उनकी परिश्रम से और लोगों की गवाही से ये फैसला सामने आया है. 

6 दिसंबर 1992 को गिराए गए विवादित ढांचे को लेकर लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत का फ़ैसला पहले 31 अगस्त को ही आने वाला था। लेकिन किन्हीं कारणों से इस पर फ़ैसला नहीं आ सका। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला देने के लिए तारीख़ 30 सितंबर तक बढ़ा दी थी। 

मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन एक काफी अहम वक्त था, इसका उद्देश्य देश की मर्यादाओं को सामने रखना था. अब राम मंदिर का निर्माण भी होने जा रहा है, जय जय सिया राम, सबको सन्मति दे भगवान.

इनके अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भी फैसले का स्वागत किया. बता दें कि कल्याण सिंह ने गाजियाबाद के अस्पताल में इस फैसले को सुना. 

भाजपा नेता राम माधव ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जीत सच की है। कोर्ट ने साजिश मामले में बरी कर दिया। हमारे देश के कुछ सबसे सम्मानित नेताओं के खिलाफ एक दुर्भावनापूर्ण मामला 3 दशकों के बाद आया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि न्याय की जीत हुई है।

गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया और कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि अचानक हुई. ये कहते हुए कोर्ट ने केस के सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. 

रक्षा मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत बताया.  उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री कल्याण सिंह, डा. मुरली मनोहर जोशी, उमाजी समेत 32 लोगों के किसी भी षड्यंत्र में शामिल न होने के निर्णय का मैं स्वागत करता हूं। इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है.” केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.के. यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी. 

शिवसेना ने भी बाबरी मामले पर अपना पक्ष रखा है। शिवसेना नेता संजय राउत ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस फैसले का पिछले 28 सालों से इंतजार था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पूरी शिवसेना ने फैसले का स्वागत किया।

सीबीआई की ओर से बयान दिया गया है कि उनकी ओर से अभी कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की जाएगी.  यानी सीबीआई अभी आगे के एक्शन पर इंतजार करेगा. 

सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा विवादास्पद ढाँचे के विध्वंस मामले में आरोपित
सभी दोषियों को ससम्मान बरी करने के निर्णय का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वागत
करता है।

सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया. इस बहुप्रतीक्षित  फैसले पर आरएसएस ने भी खुशी जताई है. ट्विटर के माध्यम से इस पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा विवादास्पद ढांचे के विध्वंस मामले में आरोपित सभी दोषियों को ससम्मान बरी करने के निर्णय का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वागत करता है. 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों और समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया.’ 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘इस षड्यंत्र के लिए जिम्मेदार लोग देश की जनता से माफी मांगें.  सीएम योगी ने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को इस फैसले के बाद फोन कर बधाई दी.

कोर्ट के इस फैसले के बाद AMIMI प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक तंजात्मक शेर को अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा किया जिसे इस फैसले से जोड़कर देखा जा रहा है. ओवैसी ने लिखा कि  वही क़ातिल, वही मुंसिफ़, अदालत उस की, वो शाहिद….बहुत से फ़ैसलों में अब तरफदारी भी होती है. 

 28 साल पुराने इस केस में लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस केस में CBI की ओर से पेश किए गए सबूतों को पर्याप्त नहीं माना है. 2300 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने कहा है कि ढांचा गिराने में विश्व हिंदू परिषद का कोई रोल नहीं था, बल्कि कुछ असामाजिक तत्वों ने पीछे से पत्थरबाजी की थी और ढांचा गिराने में कुछ शरारती तत्वों का हाथ था. कोर्ट ने लालकृष्ण आडवामी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया. 

फिल्म डायरेक्टर अनुभव सिन्हा, एक्ट्रेस गौहर खान, ऋचा चड्ढा और स्वरा भास्कर ने इस फैसले पर ही तंज कसने की कोशिश की है. उनके ट्वीट्स से साफ समझा जा सकता है कि वे इस फैसले का स्वागत नहीं कर रहे हैं. अनुभव ने सीधे लालकृष्ण आडवाणी पर चुटकी लेते हुए ट्वीट किया है. वे लिखते हैं- लालकृष्ण आडवाणी आपको बहुत-बहुत बधाई, अब आप देश की आत्मा पर एक खूनी रेखा खींचने के आरोप से बरी हुए. भगवान आपको लंबी उम्र दे.

एक्ट्रेस गौहर खान ने तल्ख अंदाज में कहा कि बाबरी मस्जिद तो भूकंप के वजह से गिरी थी. वे लिखती हैं- ये तो स्वभाविक है. वो तो एक भूकंप था. ये तो हम सभी पर ही मजाक है. ऋचा चड्ढा ने तो सीधे तौर पर विशेष अदालत के इस फैसले को नकार दिया है. वे लिखती हैं- इस जगह से ऊपर भी एक अदालत है, यहां देर है अंधेर नहीं.

वहीं स्वरा भास्कर ने भी तंज कसते हुए कह दिया कि बाबरी मस्जिद तो खुद ही गिर गई थी. अब बॉलीवुड के एक तबके की तरफ से ऐसा रिएक्शन आना लाजिमी है. ये वही तबका है जो हर मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ खुलकर बोलने में विश्वास रखता है और उनकी विचारधारा से खुद को हमेशा दूर रखने की कोशिश करता है. 

अब इस फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस पार्टी की तरफ से कहा गया है कि बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में सभी आरोपियों को बरी करने का निर्णय उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रतिकूल है. कांग्रेस की तरफ से आगे कहा गया कि संविधान में सहज विश्वास रखने वाला प्रत्येक भारतीय उम्मीद करता है कि केंद्र, राज्य सरकार बाबरी मामले में विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करेगी.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है. उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था. पर विशेष अदालत ने सभी दोषियों को बरी कर दिया. विशेष अदालत का निर्णय साफ तौर से उच्चतम न्यायालय के निर्णय के भी प्रतिकूल है. ”

इस केस का फैसला जज सुरेंद्र कुमार यादव सुनाया.

इस केस का फैसला जज सुरेंद्र कुमार यादव सुनाया. खास बात यह है कि फैसला देते ही वह रिटायर हो गए. सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल पहले उन्हें इस मुकदमे में विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया था. जज सुरेंद्र कुमार यादव सितंबर 2019 में ही रिटायर हो गए होते.  पिछले साल लखनऊ जिला जज के पद से जब वे सेवामुक्त हुए थे तो बार एसोसिएशन ने उनका फेयरवेल किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही उनकी रिटायरमेंट की मियाद बढ़ा दी थी और उन्हें विशेष न्यायालय (अयोध्या प्रकरण) के पीठासीन अधिकारी के पद पर बने रहकर बाबरी मस्जिद विध्वंस केस की सुनवाई पूरी करने के लिए कहा. यानी वो जिला जज के रूप में रिटायर हो गए, मगर विशेष न्यायाधीश बने रहे. 

रिटायर होने जा रहे किसी न्यायाधीश का किसी एक ही मामले के लिए कार्यकाल का बढ़ाया जाना अपने आप में ऐतिहासिक था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल किया था. इस अनुच्छेद के तहत सुप्रीम कोर्ट को ये अधिकार है कि ‘मुकम्मल इंसाफ’ के लिए अपने सामने लंबित किसी भी मामले में वो कोई भी जरूरी फैसला ले सकता है.

जज सुरेंद्र कुमार यादव पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से संबंध रखते हैं. उनका जन्म पखानपुर गांव में हुआ. 31 वर्ष की उम्र में वह राज्य न्यायिक सेवा के लिए चयनित हुए थे. उनकी पहली पोस्टिंग फैजाबाद में एडिशनल मुंसिफ के पद पर हुई. इसके बाद उन्हे यूपी के कई जिलों में बतौर जज सेवा दी. इनमें हरदोई, सुल्तानपुर, गाजीपुर, इटावा, गोरखपुर और अपने रिटायरमेंट के समय राजधानी लखनऊ के जिला जज तक पहुंचे.

कोर्ट का फैसला आने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर ज़फरयाब जिलानी का बड़ा बयान दिया है। ज़फरयाब जिलानी का कहना है कि हम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा, हम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगे।उत्तर प्रदेश में बाबरी विध्वंस केस में आज लखनऊ में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने अपनी सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आज लालकृष्ण आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। सुनवाई से पहले अदालत परिसर में सुरक्षा बढ़ाई गई थी। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरने के बाद फैजाबाद में दो मामले दर्ज हुए थे।एक एफआईआर कार सेवकों के खिलाफ थी, तो दूसरी संघ परिवार के कार्यकर्ताओं समेत आदि के खिलाफ थी। कोर्ट का फैसला आने के बाद एक तबके में खुशी की लहर है। राजनीतिक दलों के तमाम नेता अदालत के फैसले का स्वागत कर रहे हैं।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस मसले पर कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले पर नाखुशी जताई। सीबीआई जज के फैसले पर कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला है। कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। जिनमें भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और अन्य शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस मसले पर कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर फैसला आने के बाद भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के घर का दौरा किया। उन्होंने भी फैसले का स्वागत किया।

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