बीजेपी 150 से ज्यादा सांसदों का टिकट काट सकती है

2014 के लोकसभा चुनाव की तरह 2019 में भी प्रचंड जीत हासिल करने के लिए बीजेपी अपने मौजूदा 150 से ज्यादा सांसदों का टिकट काट सकती है। इनमें कई दलित सांसद भी शामिल हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 80 सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचते हैं। 2014 में यूपी से बीजेपी के 71 सांसद चुनकर आए हैं। इनमें से 17 सांसद दलित हैं। इनमें से कई दलित सांसदों पर पार्टी की गाज गिर सकती है। लिहाजा, ऐसे सांसद अब नए ठिकाने की तलाश करने लगे हैं। हालांकि, कुछ सांसदों को पहले ही इसका आभास हो चुका है, ऐसे में वो करीब साल भर पहले से ही पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर दलितों के मुद्दे पर मोर्चा खोल चुके हैं और दलित राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टी की विचारधारा का समर्थन कर चुके हैं। ऐसे सांसदों में साबित्री बाई फूले, छोटेलाल खरवार, अशोक दोहरे, यशवंत सिंह शामिल हैं। इनमें से कई सांसद बीएसपी से नजदीकियां बढ़ाने लगे हैं। बता दें कि सपा से गठजोड़ के बाद मायावती की बीएसपी पहले से ताकतवर हुई है।

राज्य में टिकट कटने वालों में केंद्रीय मंत्री उमा भारती, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्रा के नाम पहले से ही चल रहे हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी करीब आधे सांसदों का टिकट काटेगी। इस लिहाज से यह आंकड़ा 35-36 तक हो सकता है। बीजेपी उन सांसदों का टिकट काटेगी जो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके हैं। इसके लिए पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी फीडबैक लिया है। पार्टी के अन्य जिन दलित सांसदों का टिकट काटा जा सकता है उनमें लालगंज की सांसद नीलम सोनकर, मिशरिख सांसद अंजू बाला, हरदोई सांसद अंशुल वर्मा, माछिलशहर सांसद रामचंद्र निषाद के नाम की भी चर्चा है।

यूपी के नगीना संसदीय सीट से बीजेपी सांसद डॉ. यशवंत सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अप्रैल 2018 में खत लिखकर देश के 30 करोड़ दलितों की उपेक्षा करने का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने लिखा था कि केंद्र सरकार ने चार सालों में इस समुदाय के लिए कुछ नहीं किया। सिंह से पहले इटावा से बीजेपी के ही दलित सांसद अशोक दोहरे ने आरोप लगाया था कि योगी आदित्यनाथ की सरकार दलितों को घरों से बाहर निकालकर पिटवाती है। उन्होंने दलित युवकों पर फर्जी तरीके से रासुका केस लगाने का आरोप लगाया था। सूत्र बता रहे हैं कि इन दोनों का टिकट भी काटा जा सकता है।

रॉबर्ट्सगंज के दलित सांसद छोटेलाल खरवार ने भी पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर सीएम योगी आदित्यनाथ की शिकायत की थी। एससी एक्ट को कमजोर करने के तथाकथित आरोपों पर बिफरी दलित सांसद सावित्री बाई फूले ने लखनऊ में बागी तेवर दिखाते हुए विशाल रैली की थी। बहराइच की इस सांसद ने खुले तौर पर कहा था कि वो सांसद रहें या नहीं लेकिन एससी-एसटी समुदाय का आरक्षण खत्म होने नहीं देंगी। इन दोनों सांसदों की उम्मीदवारी भी खतरे में है। ऐसे में ये लोग नए ठिकाने की तलाश में जुट गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *